मैं आज से “कमेन्ट ऑफ़ द वीक” की शुरुआत करने जा रहा हूँ. इसमें वे कमेंट सम्मिलित किये जायेंगे जो दिल को छूने वाले भी हों और आपके लिए उपयोगी भी साबित हों. आज मैं निशांत नायक दूबे जी का कमेंट आपके सामने रखने जा रहा हूँ जिन्होंने 1 मार्च, 2017 को मेरे पोस्ट “IAS की तैयारी से सम्बंधित आपके कुछ सवाल और मेरे जवाब” पर कमेंट किया था. उन्होंने कुछ ऐसा लिखा – –
“सर मैं हमेशा से दुविधा में रहा हूँ और अभी भी हूँ. मैं आईएस बनना हमेशा से चाहता हूँ पर… ये जोश हमेशा बरक़रार नहीं रह पाता हैं। मुझे सब इंस्पेक्टर का जॉब भी पसंद है। मैं कभी जीडी की तैयारी में लग जाता हूँ तो कभी एसएससी की… सर मैं अभी ग्रेजुएशन लास्ट ईयर में हूँ और मेरा ओनर्स पेपर जियोग्राफी है। सर मैं क्या करूँ कुछ समझ में नहीं आता है। कृपया मुझे मार्गदर्शन करें जिसके लिए मैं सदा आपका आभारी रहूँगा.”
मेरा जवाब: –
जानकार अच्छा लगा कि आप कम-से-कम अपनी कमजोरी को पहचान तो रहे हैं वरना ऐसे कई लोग हैं जो अपनी कमजोरी को नज़रंदाज़ कर देते हैं. जोश बरकरार रखना सब के बस की बात नहीं है. इसके लिए बहुत dedication चाहिए. यदि किसी चीज को दिमाग शिद्दत से चाहता है तो उसका पीछा जल्दी नहीं छोड़ता. कई परिस्थितियों के कारण यह जोश हमारा कायम नहीं रह पाता. आप अभी फाइनल इयर में हैं. इसलिए आप उचित निर्णय लेने के लिए सही स्थिति में हैं. IAS की तैयारी के लिए कई चीजों पर compromise करना होता है और इस परीक्षा में बहुत धैर्य की जरुरत है. यदि असफलता मिलती भी है तो इसे एक experience के रूप में देखना पड़ता है क्योंकि यह एक कठिन परीक्षा तो है ही, हमारी खुद की, हमारे व्यवहार की, हमारे temperament की भी परीक्षा है.
आप सिविल सेवा परीक्षा के साथ इससे मिलती-जुलती अन्य परीक्षाओं को भी दे सकते हैं जैसे SSC, Railway आदि और साथ-साथ आगे की भी पढ़ाई करते रहें…जिससे lectureship की राह भी खुली रहे.
आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में विकल्पों के साथ चलना, मूर्खता नहीं है बल्कि good planning है.
पता नहीं मेरा जवाब दूबे जी को कितना सटीक या उपयोगी लगा पर आज के युग में सच यही है कि लाखों लोगों की भीड़ के बीच अपनी पहचान बनाना बहुत ही कठिन कार्य है. पहले यह स्वीकार करें कि IAS की परीक्षा कठिन है. मानिए दूर पहाड़ पर स्थित एक मंदिर है और मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियाँ अनगिनत हैं. आप जब तक पहला कदम पहली सीढी में नहीं रखोगे तो शुरुआत कैसे होगी? और जैसे-जैसे आप ऊपर जाओगे तो आपको पता चलेगा कि आप नीचे से कितना ऊपर आ चुके हो. नीचे कई लोगों की भीड़ लगी है. सब एक दूसरे से आगे बढ़ना चाह रहे हैं. अब आप क्या ऊपर से नीचे जाना पसंद करोगे? नहीं न? आप और आगे बढ़ोगे. आपको पता चलेगा कि आगे की सीढ़ियाँ तो और भी सँकरी/संकीर्ण हो रही हैं. वहाँ टिका रहना तो और भी मुश्किल है. कभी-कभी आपको महसूस होगा कि नहीं, मैं नहीं कर सकता. आप टूटा हुआ महसूस करोगे. पर इस समय यदि आपने हिम्मत जुटा ली तो आप और आगे बढ़ोगे वरना वहीं हिम्मत हार कर बैठ जाओगे (जो अक्सर अधिकांश लोग करते हैं)…यहाँ पर आ कर कई लोग हार जाते हैं. पर जो आगे बढ़ गया …वह मंजिल के उतने ही नजदीक पहुँच जाता है. आप जितना मंजिल के नजदीक पहुँचने लगोगे आप के कदम उतने ही तेज़ चलने लगेंगे. आपमें हिम्मत आएगी. एक अजीब-सी उर्जा आएगी. आप पीछे मुड़ कर देखोगे भी नहीं. आप बढ़ते जाओगे. पर ऐसी उर्जा पाने के लिए आपको और आगे बढ़ना होगा. थक कर बैठोगे तो फिर आगे के इस क्षण को कैसे अनुभव करोगे?
यह भी सच है कि प्रतिस्पर्धा के इस युग में केवल एक ध्येय को लेकर चलना कोई बुद्धिमानी नहीं है. जिद अपनी जगह है और तार्किकता अपनी जगह है. ऊपर जाने की जिद तो रहनी ही चाहिए पर यदि कोई अन्य विकल्प मिल जाए तो उसे ठुकराना भी बेवकूफी है. IAS की तैयारी आप जरुर करो पर साथ-साथ इससे मिलती-जुलती अन्य परीक्षा की तैयारी भी करते रहो तो इसमें कोई बुराई नहीं है. मैं आपको banking या MBA की परीक्षा की तैयारी करने के लिए नहीं कह रहा जो IAS की परीक्षा से बिल्कुल अलग है. आप SSC की तैयारी करो या Railway की तैयारी करो या उन परीक्षाओं की तैयारी करो जो General Studies पर based हैं. आप lectureship का भी option खोल कर रखो.
बस आप याद रखो कि आप इन चीजों को कर के अपने aim से दूर नहीं जा रहे हो बल्कि आप स्वयं को sharp बना रहे हो. यदि SSC या Railway जैसी परीक्षा में आपको असफलता मिलती है तो यह कभी मत सोचना कि UPSC की परीक्षा मुझसे कैसे पार होगी जब मैं SSC/Railway exam क्लियर कर ही नहीं पा रहा! शुरुआत में सभी चीजें कठिन होती हैं. SSC या Railway की परीक्षा भी पाव-भाजी नहीं है जो आसानी से गटक ली जाए. ये परीक्षाएँ भी अपने स्तर पर कठिन हैं. हाँ यह जरुर है कि इन परीक्षाओं में सफल होना UPSC में सफल होने से सरल है.