जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सूची में 23 अतिरिक्त लघु वन उपजों (MFP) को सम्मिलित करने की घोषणा की है. विदित हो कि पहले इसके अन्दर 50 वस्तुएँ आती थीं जो अब बढ़कर 73 हो गई हैं. यह निर्णय कोविड–19 महामारी ओर बहुत ही कठिन परिस्थितियों में लिया गया है.
पृष्ठभूमि
सरकार ने वंचित वनवासियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने और उनके सशक्तिकरण में सहायता के लिये लघु वन उपजों की मूल्य श्रृंखला विकसित करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य आधारित व्यवस्था के तहत लघु वन उपजों के विपणन की व्यवस्था तैयार करने का 2011 में निर्णय लिया था. इस योजना के तहत 1,126 वन धन केंद्र बनाये गये हैं. इन केंद्रों से 3.6 लाख से अधिक जनजातीय लोग लाभान्वित होते हैं. सरकार ने इस महीने के प्रारम्भ में पहले से सूचीबद्ध 50 लघु वन उपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा दिया था.
आवश्कयता
लम्बे समय से 23 फसलों के अतिरिक्त अन्य फसलों को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य में सम्मिलित करने कि माँग कृषकों द्वारा उठाई जा रही हैं. वन क्षेत्रों में उत्पादन होने वाले उपार्जन पर उस क्षेत्र के जनजातीय तथा आदिवासी समाज की निर्भरता रहती है जिनके लिए बाजार मिल पाना और भी कठिन हो जाता है.
गौण वन ऊपज के विभिन्न मदों में 16 से 66 प्रतिशत तक की वृद्धि किया गया है
26 मई, 2020 को अतिरिक्त मदों की यह अनुशंसा 1 मई 2020 को जारी पहले की अधिसूचना के अतिरिक्त है, जिसमें विधमान 50 एमएफपी के लिए एमएसपी संशोधनों की घोषणा की गई थी. गौण वन ऊपज के विभिन्न मदों में यह वृद्धि 16 से 66% तक की गई (कुछ मामलों जैसे कि गिलोय में यह वृद्धि 190% तक की गई) थी. इस वृद्धि से सभी राज्यों में गौण वन ऊपज की खरीद में भी तत्काल और आवश्यक गति मिलने की आशा है.
न्यूनतन समर्थन मूल्य सूची में सम्मिलित फसलों के नाम
नये जोड़े गए 14 मद, जो वैसे तो कृषि उपज हैं, भारत के पूर्वात्तर हिस्से में वाणिज्यिक रूप से नहीं उगाए जाते हैं, लेकिन वनों में जंगली क्षेत्रों में उगते पाए जाते हैं. इसलिए मंत्रालय ने पूर्वोत्तर के लिए एमएफपी मदों के रूप में इन विशिष्ट मदों को शामिल करने पर अनुकूल तरीके से विचार किया है.
इसके अतिरिक्त भारत भर में वन्य क्षेत्रों में उपलब्ध निम्नलिखित 9 मदों को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ इस अधिसूचना में शामिल किया गया है –
- वन तुलसी बीज
- वन जीरा
- इमली बीज
- बाँस झाड़ू
- सूखा आँवला
- कचरी बहेड़ा
- कचरी हर्रा
- लाख के बीज
- कटहल के बीज
लघु वन उपज का महत्त्व
- लघु वन उपज (Minor Forest Produce : MFP) वन क्षेत्र में निवास करने वाली जनजातियों के लिए आजीविका का प्रमुख स्रोत है.
- वन में निवास करने वाले लगभग 100 मिलियन लोग भोजन, आश्रय, औषधि एवं नकदी आय के लिए MFP पर निर्भर करते हैं.
- जनजातीय लोग अपनी वार्षिक आय का लगभग 20-40% MFP एवं सम्बद्ध गतिविधियों द्वारा प्राप्त करते हैं तथा इसका महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण से भी सुदृढ़ संबंध है क्योंकि अधिकांश MFP का संग्रहण, उपयोग और बिक्री महिलाओं द्वारा ही की जाती है.
- MFP क्षेत्र में देश में वार्षिक रूप से लगभग 10 मिलियन कार्य दिवस के सृजन की क्षमता है.
- अनुसूचित जनजाति एवं परम्परागत निवासी (वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम), 2006, लघु वन उपज (MFP) को पादपों से उत्पन्न होने वाले सभी गैर-लकड़ी वन उत्पादों के रूप में परिभाषित करता है. इसके अंतर्गत बाँस, ब्रशवुड, स्टम्प, केन, ट्यूसर, कोकून, शहद, मोम, लाख, तेंदु/केंडू पत्तियाँ, औषधीय पौधे, जड़ी-बूटी, जड़ें, कंद इत्यादि सम्मिलित हैं.
- सरकार ने पहले भी आदिवासी जनसंख्या की आय की सुरक्षा हेतु “लघु वन उपज (MFP) के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price – MSP)” नामक योजना आरम्भ की थी.”
मेरी राय – मेंस के लिए
मेरी राय – मेंस के लिए
- सरकार की इस पहल से जनजातीय संग्रहकर्ताओं की आजीविका पर व्यापक असर पड़ेगा.
- एमएसपी में इस वृद्धि से कम से कम 20 राज्यों में गौण जनजातीय उपज की खरीद को तेजी मिल पाएगी.
- कोरोना संक्रमण के कारण देश में अभूतपूर्व चुनौती पैदा हुई है. कई क्षेत्रों में लघु वन उत्पादों या काष्ठेतर वन उत्पादों के संग्रहण का यही उपयुक्त समय है. इसे देखते हुए, इनकी खरीदारी को बढ़ावा देना ज़रूरी है क्योंकि यह जनजातीय लोगों की अर्थव्यवस्था और आजीविका से जुड़ा मुद्दा है.
- जनजातीय आजीविका और उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री वन-धन योजना राज्य में लोकप्रिय हो रही है.
- वन क्षेत्र के आसपास रहने वाले लगभग 10 करोड़ लोग अपनी आजीविका के लिए जंगलों पर निर्भर हैं. यह डाटा राष्ट्रीय वन अधिकार अधिनियम समिति द्वारा एकत्र किया गया था. इसलिए, यह आवश्यक है कि लघु वनोपजों का नियमन किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि आदिवासी इसका अधिकतम लाभ उठाएँ.
- 27 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में 1,205 वन -धन विकास केंद्रों को स्वीकृति दी गई है, जिनसे तीन लाख साठ हजार जनजातीय संग्राहकों के उद्यमी बनने का मार्ग प्रशस्त होगा.
प्रीलिम्स बूस्टर
न्यूनतम समर्थन मूल्य वह न्यूनतम मूल्य होता है, जिस पर सरकार किसानों द्वारा बेचे जाने वाले अनाज की पूरी मात्रा क्रय करने के लिये तैयार रहती है. जब बाज़ार में कृषि उत्पादों का मूल्य गिर रहा हो, तब सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उत्पादों को क्रय कर उनके हितों की रक्षा करती है.