Submit Form for Hard Copy of DCA
बता कर हो कर हर्ष हो रहा है कि कई छात्रों ने Sansar DCA के हार्ड-कॉपी के लिए अप्लाई किया है. अब हम 1,000 की सीमा के बहुत ही नजदीक हैं और मात्र 1,000 छात्रों को हार्डकॉपी उनके घर तक भेजा जाएगा. जैसा पहले सूचित किया गया था कि हम लोग जनवरी, 2019 से Sansar DCA की हार्डकॉपी निकालने की सोच रहे हैं. केवल फॉर्म भरने वालों को ही संसार DCA मिलेगा. फॉर्म भरने की अंतिम तारीख को बढ़ाकार 30 जनवरी, 2018 कर दिया गया है. Submit Form Here
Sansar Daily Current Affairs, 31 December 2018
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Mahila Police Volunteers
संदर्भ
भारत सरकार के गृह मंत्रालय के सहयोग से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र-शासित क्षेत्रों में महिला पुलिस स्वयंसेवकों (एमपीवी) को लगाने का निर्णय लिया है जो पुलिस और समुदाय के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करेंगी और संकट में महिलाओं की मदद करेंगी.
सभी राज्यों / केंद्र-शासित क्षेत्रों के मुख्य सचिवों से यह अनुरोध किया गया है कि वे अपने-अपने राज्यों में इस पहल को अपनाएँ.
पृष्ठभूमि
वित्तीय वर्ष 2016-2017 के दौरान हरियाणा निर्भया फंड के तहत पायलट आधार पर करनाल और महिंदरगढ़ जिले में इस विषय में पहल करने वाला पहला राज्य था. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, गुजरात, मिजोरम, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और मध्य प्रदेश के प्रस्तावों को भी महिला पुलिस स्वयंसेवक (MPVs) कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए अनुमोदित किया गया है.
योजना के बारे में
- केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा मूल रूप से कल्पना की गई यह महिला पुलिस स्वयंसेवक कार्यक्रम केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ एक संयुक्त पहल है.
- महिला पुलिस स्वयंसेवक योजना पुलिस स्वयंसेवकों के माध्यम से गांवों में पुलिस अधिकारियों और स्थानीय समुदायों के बीच एक कड़ी के निर्माण की परिकल्पना करती है. इन महिला स्वयंसेवकों को इसके लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा.
- इन महिला स्वयंसेवकों का प्रधान कार्य गाँवों में घटने वाली उन स्थितियों पर नज़र रखना होगा जिनमें गाँव की महिलाओं को परेशान किया जाता है या उनको अपने अधिकारों से वंचित रखा जाता है या उनके विकास को बाधित किया जाता है.
- पुलिस और समुदाय के बीच एक कड़ी प्रदान करने और संकटग्रस्त महिलाओं की सुविधा के लिए देश-भर में प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक महिला पुलिस स्वयंसेवक (एमपीवी) होगी. उस स्वयंसेवक की आयु कम से कम 21 वर्ष तथा और पढ़ाई कक्षा 12 तक की होनी चाहिए. इनका चयन एक निर्धारित प्रक्रिया के माध्यम से होगा. चुनी हुई स्वयंसेवक को सशक्त उत्तरदायी और सामाजिक रूप से सजग होना अनिवार्य है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Ujjwala Sanitary Napkins initiative
संदर्भ
“उज्जवला स्वच्छता नैपकिन योजना” भारत की तीन बड़ी तेल विपणन कंपनियों – IOCL, BPCL और HPCL द्वारा शुरू की गई है.
योजना के मुख्य तथ्य
- यह योजना ओडिशा में तेल विपणन कंपनियों द्वारा CSR (Corporate social responsibility) पहल का एक अंग है. इसके उद्देश्य हैं – स्वच्छता और स्वास्थ्य के विषय में स्त्रियों को शिक्षित करना, कम लागत वाले पर्यावरण के अनुकूल सैनिटरी पैड की उपलब्धता में सुधार करना और ग्रामीण रोजगार एवं अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना.
- ये तीनों कंपनियां ओडिशा के 30 जिलों में फैले हुए 93 प्रखंडों में स्थित जन सेवा केन्द्रों (Common Service Centres – CSC) में 100 विनिर्माण इकाइयाँ खोलेंगी जिनपर अनुमानित लागत 2.94 करोड़ रू. होगी.
- प्रत्येक CSC में कम से कम 10 उज्ज्वला लाभार्थी महिलाओं को रोजगार मिलेगा. प्रत्येक विनिर्माण इकाई प्रतिदिन 1,200 – 2,000 पैड का उत्पादन करेगी और वहाँ एक ऐसा कमरा होगा जहाँ निर्मित नैपकिनों को ग्रामीण महिलाओं के प्रयोग के लिए भेजने के पहले इन नैपकिनों को कीटाणुरहित बनाया जाएगा.
- 45,000 – 50,000 पैड बनाने के लिए जनसाधारण केन्द्र को कच्चा माल उपलब्ध कराया जा रहा है. इन नैपकिनों की कीमत 40 प्रति पैक होगी और प्रत्येक पैक में आठ पैड होंगे.
- उज्ज्वला पैड लकड़ी की लुगदी शीट, बिना बुने हुए सफ़ेद शीट और एक जेल शीट से बनाया जाएगा. विदित हो कि ये सभी अवयव स्वयं विघटित होने वाले अवयव हैं, अतः इनके प्रयोग से कार्बन का उत्सर्जन कम-से-कम होगा.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : One District, One Product Regional Summit
संदर्भ
हाल ही में वाराणसी में एक जनपद, एक उत्पाद क्ष्रेत्रीय शीर्ष सम्मेलन (One District, One Product Regional Summit – ODOP) सम्पन्न हुआ.
ODOP के उद्देश्य
- ODOP का उद्देश्य उत्तर प्रदेश के जिलों में पारम्परिक रूप से चलने वाले उद्योगों को बढ़ावा देना है. विदित हो कि कई उत्पाद विशेष जिलों के नाम से ही जाने जाते हैं.
- ODOP के अन्य उद्देश्य हैं – उत्पादन, उत्पादकता और आय को यथासंभव बढ़ाना, स्थानीय शिल्पों का संरक्षण एवं विकास करना, कलाओं को प्रोत्साहित करना, उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार करना और कौशल विकास का संवर्द्धन करना.
पृष्ठभूमि
ODOP मूल रूप से व्यवसाय के विकास की एक जापानी अवधारणा है, जिसे 1979 में प्रमुखता मिली थी. इसका उद्देश्य किसी विशेष क्षेत्र में होने वाले प्रमुख उत्पादन को बढ़ावा देना तथा उसके विक्रय को बढ़ाना और इस प्रकार वहाँ के स्थानीय लोगों के जीवन-स्तर को सुधारना है. कालांतर में कई एशियाई देशों ने इस अवधारणा को अपनाया है.
उत्तर प्रदेश में इस योजना के लिए लक्ष्य –
- स्थानीय शिल्पों और कौशलों का संरक्षण और विकास एवं कला को प्रोत्साहन.
- आय और स्थानीय रोजगार में वृद्धि (इससे राज्य से श्रमिकों के पलायन पर रोक लगेगी).
- उत्पाद की गुणवत्ता और कौशल विकास में सुधार.
- उत्पादों को कलात्मक तरीके से रूपांतरित करना (पैकेजिंग, ब्रांडिंग के माध्यम से).
- उत्पादन को पर्यटन के साथ जोड़ना. (प्रत्येक्ष डेमो और बिक्री आउटलेट – उपहार और स्मारिका)
- आर्थिक अंतर और क्षेत्रीय असंतुलन के मुद्दों को हल करना.
- राज्य स्तर पर इस योजना के सफल कार्यान्वयन के बाद ODOP की अवधारणा को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाना.
उत्तर प्रदेश कई ऐसे उत्पादों के लिए जाना जाता है जो यहाँ अलग-अलग जिलों में सदियों से बनाए जाते रहे हैं. इनमें कुछ उल्लेखनीय उत्पाद हैं –
- बनारसी सिल्क साड़ी – वाराणसी
- कालीन – भदोही
- चिकन – लखनऊ
- चमड़े का सामान – कानपुर
- चमड़े के जूते – आगरा
- ताले – अलीगढ़
- पीतल के बर्तन – मुरादाबाद
- खेल के सामान – मेरठ
- लकड़ी के उत्पाद – सहारनपुर
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : International Rice Research Institute (IRRI)
संदर्भ
प्रधानमंत्री ने हाल ही में छठे अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (International Rice Research Institute – IRRI) के दक्षिण-एशियाई क्षेत्रीय केंद्र (South Asia Regional Center – ISARC) को राष्ट्र को लोकार्पित किया है. यह वाराणासी में राष्ट्रीय बीज अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (National Seed Research and Training Center – NSRTC) के परिसर में बनाया गया है.
यह केंद्र चावल अनुसन्धान और प्रशिक्षण के मामले में दक्षिणी एशिया और सार्क क्षेत्र के लिए एक हब का कार्य करेगा. पूर्वी भारत में खुलने वाला यह पहला अंतर्राष्ट्रीय केंद्र है. आशा की जाती है कि इसके माध्यम से इस क्षेत्र में चावल के उत्पादन को प्रगति मिलेगी.
IRRI क्या है?
अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) एक अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संगठन है जो चावल की नई-नई उन प्रजातियों के विकास के लिए जाना जाता है जिसके चलते 1960 के दशक में हरित क्रांति आई थी. यह संस्थान 1960 में स्थापित हुआ था. इसके ये उद्देश्य हैं – गरीबी और भूख घटाना, चावल उपजाने वालों और खाने वालों के स्वास्थ्य में सुधार लाना और चावल की खेती को पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ बनाना.
ज्ञातव्य है कि IRRI विश्व के उन 15 कृषि अनुसंधानों में से एक है जिनको मिलाकर CGIAR (Consortium of International Agricultural Research centres) बनता है. CGIAR उन संगठनों की एक वैश्विक भागीदारी मंच है जहाँ खाद्य सुरक्षा पर शोध का काम होता है.
भारत और IRRI
भारत में सूखे में भी उपजने वाले और बाढ़ को सह लेने वाले एवं नमक से प्रभावित नहीं होने वाली धान की प्रजातियों को लाने में IRRI ने भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् (ICAR) के साथ सफल काम किया है.
इसके वाराणसी केंद्र से यह अपेक्षा की जाती है कि यह केंद्र चावल की उत्पादकता बढ़ाकर, उत्पादन की लागत घटाकर, चावल में नए गुण डालकर, नई-नई किस्में निकालकर और किसानों के कौशल का संवर्धन करके किसानों की आय को बढ़ाने में सहायता प्रदान करेगा.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Minimum Support Prices (MSPs)
संदर्भ
केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के अंदर 17 नए लघु-वन उत्पादों का समावेश करने की घोषणा की है. इन उत्पादों में मुख्य उत्पाद हैं – महुला फूल (सुखाये हुए), तेजपत्ता (सुखाये हुए) और कोकम (सूखे हुए) आदि.
इन लघु वन-उत्पादों को न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना में शामिल करने की अनुशंसा भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (TRIFED) के द्वारा गठित मूल्य कोषांग ने की है क्योंकि स्थानीय समुदायों की अर्थव्यस्था में इन उत्पादों का बड़ा महत्त्व है.
माहात्म्य
योजना आयोग के एक प्रतिवेदन में बताया गया था कि जंगल पर आय के लिए निर्भर रहने वाले समुदायों की आय में लघु-वन उत्पादों का हिस्सा 20-40% होता है. विशेषकर भूमिहीन जनजातीय किसानों को इन उत्पादों से जीने-खाने का विकट परिस्थितियों में सहारा मिलता है.
MSP क्या है
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सरकार के द्वारा तय किया गया वह मूल्य है जिसपर किसान अपनी फसल सरकार को बेच सकते हैं.
- जब बाजार की कीमतें सरकार द्वारा तय किये गए न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आ जाती हैं तो सरकार की खरीद-एजेंसियाँ किसानों के फसल को खरीदने के लिए आगे आ जाती हैं.
- जिन फसलों की आपूर्ति घट जाती है, उन फसलों को आगामी मौसम में लगाने के लिए किसानों को प्रेरित करने हेतु MSP का सहारा लिया जाता है.
- आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति बुवाई के हर मौसम की शुरुआत में विभिन्न फसलों के लिए MSP की घोषणा करती है.
- न्यूनतम समर्थन मूल्य का फैसला कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices – CACP) की अनुशंसा पर लिया जाता है.
- CACP अपनी अनुशंसा माँग और आपूर्ति, उत्पादन की लागत एवं कीमत की रुझान के आधार पर करता है.
Prelims Vishesh
Prime Minister Narendra Modi to inaugurate 106th Indian Science Congress (ISC)-2019 on 3rd January in Jalandhar, Punjab :-
- पंजाब राज्य के जालंधर शहर में 3 से 7 जनवरी, 2019 तक विश्व के सबसे विशाल वैज्ञानिक सम्मेलन – इंडियन साइंस कांग्रेस (ISC) – 2019 आयोजित होने जा रहा है.
- इस सम्मेलन की थीम है – Future India: Science and Technology अर्थात् भविष्य का भारत : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
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