आशा है कि आपने प्राचीन इतिहास से सम्बंधित One-Liner का पार्ट 1 पढ़ लिया होगा. यदि नहीं पढ़ा है तो यहाँ क्लिक करें > One Liner Part 1. One-Liner में हमने UPSC के सवालों को (प्राचीन भारत – Ancient India) आपके सामने परोसा ही है, साथ-साथ UPSC Prelims परीक्षाओं में जो चार ऑप्शन होते हैं – उनके विषय में भी हमने one liner नोट्स बनाए हैं. NCERT की भी मदद ली गई है. पार्ट 2 में हम बुद्ध से सम्बंधित साहित्यिक स्रोत-ग्रन्थों के विषय में बात करने वाले हैं.
ज्यादातर हम Previous year questions के सावालों को पढ़ते हैं फिर answer key से अपना answer चेक करते हैं और फिर आगे बढ़ जाते हैं. सच मानिए तो यह एक गलत प्रैक्टिस है. हमें हमेशा सवाल के अन्य विकल्पों पर भी ध्यान देना चाहिए और खुद आँकना चाहिए कि हम उन सभी तथ्यों के बारे में जानते हैं या नहीं. नहीं जानते तो आपको answer के explanation में जाकर देखना चाहिए. यदि वहाँ भी नहीं दिया है तो GOOGLE Baba है न!
महावंश में दिए गए कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- चन्द्रगुप्त को “मोरिय” नामक क्षत्रिय वंश का बताता है.
- चाणक्य द्वारा नवें धन-नन्द का विनाश कर क्षत्रिय मौर्य वंश के चन्द्रगुप्त को सकल जम्बूद्वीप का राजा बनाने व चन्द्रगुप्त के राज्याभिषेक का वर्णन पाया जाता है.
- अशोक के सिंहासनारोहण की तिथि (269+4 = 273) ई.पू. निश्चित करता है (क्योंकि सिंहासनारोहण, राज्याभिषेक के 4 वर्ष पूर्व हुआ माना जाता है.
- अशोक के राज्याभिषेक की तिथि बुद्ध के महापरिनिर्वाण के 218 वर्ष पश्चात् होने का आधार पर 269 ई.पू. निर्धारित करने वाला ग्रन्थ.
- चन्द्रगुप्त की शासन अवधि 24 वर्ष का उल्लेख.
- बिन्दुसार की 16 रानियों तथा 101 पुत्रों का उल्लेख.
- 101 भाइयों में सबसे छोटे भाई का नाम “तिष्य”.
- अशोक की पटरानी का नाम असंधिमित्रा (पिया अग्गाहिषी) था.
- उत्तराधिकार के लिए (अशोक एवं उसके सौतेले भाइयों के मध्य) गृह-युद्ध का वर्णन.
- गृह-युद्ध के कारण अशोक का राज्याभिषेक उसके सिंहासनारूढ़ होने के 4 वर्ष बाद होने का उल्लेख.
- राज्याभिषेक के चार वर्ष पश्चात् अशोक द्वारा बौद्ध धर्म ग्रहण करने का उल्लेख.
- अशोक द्वारा न्यग्रोध नामक व्यक्ति के प्रभाव से बौद्ध धर्म ग्रहण.
- राज्याभिषेक के 18 वर्ष बाद पाटलिपुत्र में आयोजित तृतीय बौद्ध संगीति के अवसर पर बौद्ध धर्म के थेरवाद व महासान्घिक नामक दो सम्प्रदायों में विभाजित होने का उल्लेख.
- धर्म प्रचार हेतु विभिन्न बाह्य देशों में धर्म-प्रचारक भेजने का उल्लेख.
- अशोक के पुत्र महेंद्र तथा पुत्री संघमित्रा द्वारा श्रीलंका के राजा को उसके 40,000 अनुयायियों सहित बौद्ध बनाने का उल्लेख.
- बंगाल पर अशोक का अधिकार होने का उल्लेख.
दीपवंश में दिए गए कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- अशोक के लिए “पियदस्सि” अथवा “पियदस्सन” का प्रयोग करने वाला बौद्ध ग्रन्थ.
- बिन्दुसार की 16 रानियों तथा 101 पुत्रों का उल्लेख.
- 101 भाइयों में सबसे छोटे भाई का नाम “तिष्य”.
- अशोक को “उज्जैनी-कर-मोली” की संज्ञा प्रदान करने वाला ग्रन्थ.
- उत्तराधिकार के लिए (अशोक एवं उसके सौतेले भाइयों के बीच) गृह-युद्ध का वर्णन.
- गृह-युद्ध के कारण अशोक का राज्याभिषेक उसके सिंहासनरूढ़ होने के 4 वर्ष पश्चात् होने का उल्लेख.
- राज्याभिषेक के चार वर्ष पश्चात् अशोक द्वारा बौद्ध धर्म ग्रहण करने का उल्लेख.
- राज्याभिषेक के 18 वर्ष बाद पाटलिपुत्र में आयोजित तृतीय बौद्ध संगीति के अवसर पर बौद्ध धर्म के थेरवाद और महासान्घिक नामक दो सम्प्रदायों में विभाजित होने का उल्लेख.
- बंगाल पर अशोक का अधिकार होने का उल्लेख.
- धर्म प्रचार हेतु विभिन्न बाह्य देशों में धर्म-प्रचारक भेजने का उल्लेख.
महावंशटीका में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- बताया गया है कि चन्द्रगुप्त मौर्य वंश के प्रमुख का बेटा था. यह वंश शाक्य वंश की ही एक शाखा था. मौर्य वंश इसलिए नाम पड़ा क्योंकि इसका केन्द्र मौर्य नगर में था. मौर्य नगर (मयूर नगर) वह नगर था जहाँ के भवन मयूर के ग्रीवा के स्वरूप के थे.
- चन्द्रगुप्त के जीवनवृत्त पर उल्लेखनीय प्रकाश डालने वाला ग्रन्थ.
- बचपन में चन्द्रगुप्त की रक्षा चन्द्र नामक वृषभ ने की जिससे उसका नाम चन्द्रगुप्त पड़ा.
- चाणक्य तक्षशिला निवासी एक ब्राह्मण पुत्र था जिसका मूल नाम विष्णुगुप्त था.
- “राजकीलम” नामक राजकीय खेल के दौरान बालक चन्द्रगुप्त की विलक्षणता से प्रभावित होकर चाणक्य ने उसे एक शिकारी से 1000 कार्षापण मूल्य देकर खरीदा था.
- अपनी असीम मातृभक्ति (माँ की सेवा) का परिचय देने के लिए स्वयं चाणक्य द्वारा पत्थर से अपने दांत तोड़ देने की मार्मिक कथा का विवरण.
- मगध राज्य के ऊपर चन्द्रगुप्त-चाणक्य के प्रथम असफल अभियान और एक गाँव में अपने बच्चे को पूआ खाने के संदर्भ में एक ग्रामीण माँ के प्रेरणादायक वचनों को आधार बनाकर पाकर पहले पंजाब फिर मगध पर अधिकार करने का विवरण. उस ग्रामीण माँ का वचन यह था – “पूआ के बीच वाले भाग को खाने से पहले किनारे के भाग को खाना चाहिए (अर्थात् मगध के केंद्र के स्थान पर पहले उसके सीमा प्रान्तों को अपने अधीन करना चाहिए).”
- चाणक्य के द्वारा एक कार्षापण से 8 कार्षापण तैयार कर 80 करोड़ कार्षापण एकत्र कर उस गुप्त धन की सहायता से जगह-जगह सैनिकों की भर्ती करने का उल्लेख.
- चाणक्य द्वारा नवें धंन-नन्द का विनाश कर क्षत्रिय मौर्य वंश के चन्द्रगुप्त को सकल जम्बूद्वीप का राजा बनाने व चन्द्रगुप्त के राज्याभिषेक का वर्णन.
- क्रूर कृत्यों के कारण कुख्यात नृशंस राजा अशोक को “चंडाशोक” की उपाधि देने वाला बौद्ध ग्रन्थ.
सामंतपसादिका में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- बिंदुसार के शासन काल की अवधि 28 वर्ष.
- अशोक के सम्बन्ध में ऐतिहासिक जानकारी का प्रमुख स्रोत.
- रीज डेविड्ज के अनुसार “ऐतिहासिक ज्ञान की खान” की संज्ञाप्राप्त ग्रन्थ.
- अशोक की “अवन्ति विजय” का उल्लेख करने वाला एकमात्र ग्रन्थ.
- राज्याभिषेक के चार वर्ष बाद अशोक द्वारा बौद्ध धर्म के ग्रहण करने का उल्लेख.
- धर्म प्रचार के लिए विभिन्न बाह्य देशों में धर्म-प्रचारक भेजने का उल्लेख.
- चाणक्य द्वारा नवें धंन-नन्द का विनाश कर क्षत्रिय मौर्य वंश के चन्द्रगुप्त को सकल जम्बूद्वीप का राजा बनाने व चन्द्रगुप्त के राज्याभिषेक का वर्णन.
महाबोधिवंश में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- नन्द वंश के संस्थापक के रूप में महापद्म उग्रसेन का उल्लेख.
- अंतिम नन्दराज के रूप में धनानन्द का उल्लेख (यूनानियों का अग्रनीज).
- चन्द्रगुप्त का शाक्यों द्वारा निर्मित “मोरिय नगर” के राजवंश का क्षत्रिय होने का उल्लेख.
- उत्तराधिकार के लिए (अशोक एवं उसके सौतेले भाइयों के मध्य) गृह-युद्ध का वर्णन करने वाले ग्रन्थ.
दिव्यावदान में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- तक्षशिला के प्रमुख दो विद्रोहों के दमन हेतु बिन्दुसार द्वारा क्रमशः अपने पुत्रों अशोक (प्रथम विद्रोह) तथा सुस्सीम (द्वितीय विद्रोह) को भेजने का उल्लेख.
- बिन्दुसार की राजसभा में एक आजीव-परिव्राजक (पिंगल वस्तु) के रहने का उल्लेख.
- चन्द्रगुप्त के पुत्र बिन्दुसार तथा पुत्र अशोक का स्पष्ट रूप से क्षत्रिय के रूप में उल्लेख.
- बिन्दुसार के सबसे बड़े पुत्र के रूप में सुसीम का उल्लेख.
- अशोक के सगे भाई का नाम विगतशोक.
- आसंदि मित्र की मृत्यु के पश्चात् अशोक की पटरानी के रूप में तिष्यरक्षिता का उल्लेख.
- अशोक की पटरानी “आसंदि मित्र” द्वारा अपने सौतेले पुत्र कुणाल (धर्म विवर्धन) के प्रति कुकृत्यों को वर्णन करने वाला ग्रन्थ.
- उत्तराधिकार के लिए (अशोक एवं उसके सौतेले भाइयों के बीच) गृह-युद्ध का वर्णन करने वाला ग्रन्थ.
- प्रधानमंत्री खल्लाटक, राधागुप्त एवं 500 अमात्यों के सहयोग से सुस्सीम सहित अन्य सौतेले भाइयों का वध कर अशोक द्वारा सिंहासन-प्राप्ति का विस्तृत विवरण.
- बौद्ध होने से पूर्व अशोक की क्रूरता का परिचय देने के लिए अशोक द्वारा आदेशावहेलना के लिए 500 अमात्यों को मौत के घाट उतारने का उल्लेख.
- अशोक द्वारा “अशोक वृक्ष” के पत्तों को तोड़ने के लिए 500 स्त्रियों को जीवित जलाकर मरवा देने का उल्लेख.
- नागरिकों को यातना-प्रताड़ना देकर उन्हें मारने के लिए अशोक द्वारा नरक गृह का निर्माण कराए जाने का उल्लेख.
- (तृतीय बौद्ध संगीति एवं) धर्म-प्रचार में अशोक द्वारा किये गये अत्यधिक व्यय के कारण युवराज सम्प्रति एवं मंत्रियों की ओर से अशोक द्वारा पाटलिपुत्र के बौद्ध विहार कुक्कुटाराम को भारी दान राशि दिए जाने का विरोध करने का उल्लेख.
- अशोक द्वारा “बाल पंडित” या “समुद्र” के प्रभाव में बौद्ध धर्म ग्रहण करने का उल्लेख.
- अशोक द्वारा “उपगुप्त” के साथ धम्म यात्राओं के क्रम में, तथागत के जन्म-स्थल “लुम्बिनी”, तथागत के बाल्यकाल की क्रीड़ास्थली “कपिलवस्तु”, तथागत की तपोस्थली “गया”, धर्मचक्रप्रवर्तन स्थली “सारनाथ”, महानिर्वाण स्थली “कुशीनगर” एवं अन्यान्य प्रमुख स्थलों की यात्राओं का वर्णन करने वाला ग्रन्थ.
- अशोक द्वारा बोधगया में एक लाख स्वर्ण मुद्राओं के दान तथा वहाँ पर एक चैत्य निर्माण कराने का उल्लेख.
- पुष्यमित्र को मौर्य वंशावली के अंदर रखने वाला ग्रन्थ.
- बिन्दुसार द्वारा आजीवक पिंगलवास के माध्यम से अपने समस्त पुत्रों की ली गई परीक्षा में अशोक के सफल होने का उल्लेख.
- अशोक के व्यक्तित्व का वर्णन करने वाला पहला अभारतीय बौद्ध ग्रन्थ.
- अशोक द्वारा वृद्धावस्था में सिंहासन का अपने पौत्र सम्पत्ति के पक्ष में परित्याग करने का उल्लेख.
सिंहली महाकाव्य में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- महापदनन्द द्वारा गंगा की तलहटी में 40 कोटि मुद्राएँ छुपाने का उल्लेख.
- गृह-युद्ध के कारण अशोक के राज्याभिषेक के उसके सिंहासनारूढ़ होने के चार वर्ष बाद होने का उल्लेख.
मिलिंदपन्हों में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
नन्द राज्य के सेनापति भट्टशाल (भद्रशाल) एवं मगध की 100 कोटि सैनिकों, 10000 हाथियों, एक लाख घोड़ों, पाँच हजार रथियों वाली विशाल सेना के विवरण के साथ नवें धन-नन्द के सम्पूर्ण विनाश और चन्द्रगुप्त के मगध युद्ध का वर्णन करने वाला ग्रन्थ.
महापरिनिब्बानसुत्त में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
मौर्यों को पिप्पलीवन का शासक एवं उन्हें क्षत्रिय वंश का बताया गया है.
पुण्याश्रवकथाकोश में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
चन्द्रगुप्त के जैन होने और आचार्य भद्रबाहु के साथ दक्षिण में अनशन द्वारा प्राण त्याग देने की घटना का उल्लेख करने वाला बौद्ध ग्रन्थ.
आर्यमंजुश्रीमूलकल्प में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
चन्द्रगुप्त के उत्तराधिकारी के रूप में अवयस्क (अल्पवयस्क) बिन्दुसार का उल्लेख.
अशोकावदानमाला में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
बुद्ध प्रतिमा का अपमान करने के जुर्म में अशोक द्वारा ब्राह्मणों का वध करने एवं उनके सर पर पुरस्कार घोषित किये जाने का उल्लेख.
सिगालोवादसुत्त (दीर्घनिकाय) में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
महात्मा बुद्ध और शृगाल कथा का वर्णन (आकाश-पाताल व दिशाओं को अपने माता-पिता को आज्ञानुसार प्रणाम करने वाला शृगाल).
सुमंगलविलासिनी में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
अशोक द्वारा महात्मा बुद्ध के अवशेषों पर 84,000 विहार बनवाने का उल्लेख.
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- बौद्ध धर्म के विषय में स्मरणीय तथ्य : Part 2
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