Sansar Daily Current Affairs, 02 March 2019
GS Paper 2 Source: Times of India
Topic : EASE (Enhanced Access and Service Excellence) reform index
संदर्भ
हाल ही में भारत सरकार ने EASE (Enhanced Access and Service Excellence) रिफार्म इंडेक्स निर्गत किया है.
EASE रिफार्म इंडेक्स क्या है?
- यह सूचकांक भारतीय बैंकिंग संघ (Indian Banking Association – IBA) और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया जाता है.
- यह काम वित्त मंत्रालय की ओर से होता है.
- सूचकांक के स्वरूप के विषय में पिछले वर्ष निर्णय लिया गया था.
- इस सूचकांक का उद्देश्य सार्वजनिक प्रक्षेत्र के बैंकों को सबल बनाना और उनको कतिपय मानकों के अनुसार रैंक देना है.
- ये मानक हैं – जिम्मेवार बैंकिंग, वित्तीय समावेश, दिए जाने वाले ऋण की मात्रा और डिजिटाइजेशन.
सूचकांक के निष्कर्ष
- इस सूचकांक में शीर्षस्थ स्थान पंजाब नेशनल बैंक को मिला है. इसके बाद जिन बैंकों का स्थान है, वे हैं – बैंक ऑफ़ बड़ौदा, भारतीय स्टेट बैंक और ओरिएंटल बैंक ऑफ़ कॉमर्स.
- EASE सूचकांक से पता चलता है कि हाल ही में जो बैंक बुरे ऋण को लेकर समाचारों में आये थे उन्होंने अपनी ऋण उगाही की प्रक्रिया को दुरुस्त किया है. इससे यह भी पता चलता है कि ऋणशोधन एवं दिवालियापन संहिता (Insolvency and Bankruptcy Code – IBC) की भूमिका ऋणों के समाधान में सफल रही है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Order on surveillance meant to protect privacy, govt. tells SC
संदर्भ
एक जनहित याचिका में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भारत सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया है कि उसके द्वारा दिसम्बर 20, 2018 में निर्गत अधिसूचना नागरिकों की निजिता को सुरक्षित करने के लिए लाई गई है. विदित हो कि इस अधिसूचना में दस केन्द्रीय एजेंसियों को लोगों पर नज़र रखने का अधिकार दिया गया था.
भारत सरकार का तर्क
- अधिसूचना का उद्देश्य वस्तुतः यह स्पष्ट करना है कि IT Act के अनुभाग 69 में दी गई शक्तियों का उपयोग मात्र चुनिन्दा एजेंसियाँ करेंगी, अन्य कोई नहीं.
- इस आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि निगरानी का काम ये एजेंसियाँ विधिवत् करेंगी. इसके लिए ये सक्षम अधिकारी से अनुमति लेंगी और उसके पश्चात् ही किसी कंप्यूटर में हस्तक्षेप, निगरानी, डिक्रिप्शन आदि का काम अपने हाथ में लेंगी. इस प्रकार किसी व्यक्ति अथवा बिचौलिए के द्वारा इन शक्तियों के प्रयोग का प्रश्न ही नहीं उठता और किसी भी नागरिक की निजता सुरक्षित रहेगी.
कौन एजेंसियाँ निगरानी करेंगी?
जिन 10 एजेंसियों को इसके लिए चुना गया है, वे हैं – गुप्त-सूचना ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व गुप्त-सूचना निदेशालय; केंद्रीय जांच ब्यूरो, राष्ट्रीय जांच एजेंसी कैबिनेट सचिवालय (RAW), गुप्त सूचना निदेशालय (केवल जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर एवं असम के सेवा क्षेत्रों के लिए) तथा पुलिस आयुक्त, दिल्ली.
निगरानी के संभावित लाभ
- देश की सुरक्षा , संप्रभुता और अखंडता को सुनिश्चित होना
- आतंकवादी गतिविधियो को समय रहते पता लगाना और आंतकवादी घटनाओं में कमी
- दंगो, षडयंत्रो और राष्ट्रद्रोहों जैसी आंतरिक घटनाओं में कमी
- देश के युवाओं को ISIS जैसे आंतकवादी गुटों से बचाव
- भ्रष्टाचार पर लगाम
- डिजिटल मीडिया का प्रयोग करते हुए ब्लैकमेल जैसी घटनाओं में कमी
- झूठे समाचारों (Fake News) पर लगाम
व्यक्त की जा रहीं चिंताएँ
- निजता के साथ समझौता:- 2017 में उच्चतम नयायालय ने के.एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ मामले में यह निर्णय दिया है की निजता का अधिकार मूल अधिकार है और उस की अवहेलना के लिए कुछ उपयुक्त और वैध कारण होने चाहिएँ जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा। देखना यह है कि राज्य कैसे इनके बीच तालमेल बैठाता है .
- इकट्ठा की गई निगरानी सूचना का चोरी हो जाना या व्यक्तिगत लाभ के लिए दुरूपयोग करना
- एक विविधतापूर्ण तंत्र की अनुपस्थिति के कारण जानबूझकर राजनीतिक लाभ के लिए किसी की निजता का हनन और दुरूपयोग
- डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म जहाँ एँड-टु-एँड डाटा एँक्रीप्ट होता है उसको डिक्रिप्ट करने के लिए सेवा प्रदाता संस्थानो के साथ काम करना और उनको इसके लिए राजी करना
- प्रशासनिक बोझ में वृद्धि की सम्भावना जबकि कुछ प्रशासनिक संस्थान पहले से ही मानव संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं.
पहले ऐसा होता था कि केवल गतिशील डाटा को ही सरकार जाँच सकती थी किन्तु अब पुनर्जीवित, भंडारित एवं उत्पादित डाटा भी सरकार इन एजेंसियों के माध्यम से देख सकती है क्योंकि इन्हें जब्ती की कार्रवाई करने की भी शक्ति दी गई है. इसका अर्थ यह हुआ कि न केवल बातचीत अथवा ई-मेल अपितु कंप्यूटर में पाया गया कोई भी डाटा, एजेंसियों को उपलब्ध कराना होगा. एजेंसियों को कंप्यूटर आदि को जब्त करने का भी अधिकार होगा. इस प्रकार बिना किसी रोक-टोक के इन एजेंसियों को फ़ोन की बात-चीत और कंप्यूटर के अंदर झाँकने की अथाह शक्ति दे दी है. कुछ लोगों के मतानुसार यह बड़ी चिंता की बात है. वे यह संभावना जता रहे हैं कि इस शक्ति का दुरूपयोग भी हो सकता है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Finance Commission of India
संदर्भ
पूर्व वित्त सचिव अजय नारायण झा को हाल ही में बतौर सदस्य 15वें वित्त आयोग में शामिल किया गया है. उन्होंने शक्तिकांत दास का स्थान लिया है.
वित्त आयोग
वित्त आयोग (Finance Commission) को 22 नवम्बर, 1951 में संविधान के अनुच्छेद 280 के अनुसार, राष्ट्रपति द्वारा पहली बार संविधान लागू होने के दो वर्ष के भीतर गठित किया गया. इस आयोग के प्रथम अध्यक्ष के.सी. नियोगी थे. प्रत्येक पाँच वर्ष की समाप्ति पर या उससे पहले ऐसे समय, जिसे राष्ट्रपति आवश्यक समझे, एक वित्त आयोग को गठित करता है. राष्ट्रपति द्वारा गठित इस आयोग में एक अध्यक्ष (chairman) और चार अन्य सदस्य (members) होते हैं.
अध्यक्ष और अन्य सदस्य की योग्यता
- इसका अध्यक्ष ऐसा व्यक्ति चुना जाता है जो सार्वजनिक कार्यों में व्यापक अनुभव वाला होता है. वित्त आयोग 2017 के अध्यक्ष योजना आयोग के पूर्व सदस्य थे.
- शेष चार सदस्यों में एक उच्च न्यायालाय का न्यायाधीश या किसी प्रकार का योग्यताधारी होता है.
- दूसरा सदस्य सरकार के वित्त और लेखाओं का विशेष ज्ञानी होता है.
- तीसरा सदस्य वित्तीय विषयों और प्रशासन के बारे में व्यापक अनुभव वाला होता है.
- चौथा सदस्य अर्थशास्त्र का विशेष ज्ञानी होता है.
वित्त आयोग के कार्य
आयोग का यह कर्तव्य है कि वह निम्न विषयों पर राष्ट्रपति को सिफारिश करता है –
- आय कर और अन्य करों से प्राप्त राशि का केंद्र और राज्य सरकारों के बीच किस अनुपात में बँटवारा किया जाये.
- “भारत के संचित कोष” से राज्यों के राजस्व में सहायता देने के क्या सिद्धांत हों.
- सुदृढ़ वित्त के हित में राष्ट्रपति द्वारा आयोग को सौंपे गए अन्य विषय के बारे में आयोग राष्ट्रपति को सिफारिश करता है.
मुख्य तथ्य
- 1951 में वित्त आयोग का गठन हुआ.
- अनुच्छेद280 के तहत गठन.
- इस अनुच्छेद के अनुसार राष्ट्रपति संविधान के प्रारम्भ सेदो वर्ष के भीतर एक वित्त आयोग का गठन करेगा और उसके बाद प्रत्येक पाँचवे वर्ष की समाप्ति या उससे पहले…जिसे भी राष्ट्रपति द्वारा आवश्यक समझा जायेगा.
- वित्त आयोग मेंएक अध्यक्ष और 4 अन्य सदस्यों को शामिल किया जाएगा जिसे राष्ट्रपति नियुक्त करेगा.
- अध्यक्ष और सदस्य को दुबारा नियुक्त किया जा सकता है.
- अध्यक्ष वह बनाया जायेगा जिसके पास सार्वजनिक मामलों का अनुभव हो.
- जबकि अन्य सदस्यों में एक उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या उसकी योग्यता रखने वाला कोई व्यक्ति होना चाहिए.
- दूसरा व्यक्ति वित्त और लेखों की विशेष जानकारी रखता हो.
- तीसरा सदस्य वित्तीय मामलों और प्रबंधन का जानकार हो.
- चौथा सदस्य अर्थशास्त्र का विशेष ज्ञान रखने वाला हो.
- संसद कानून बनाकर आयोग के सदस्यों की नियुक्ति और उनकी योग्यता निर्धारित करेगी.
GS Paper 3 Source: Economic Times
Topic : ARTEMIS Mission
संदर्भ
आर्टेमिस (ARTEMIS) अभियान का उपयोग कर NASA के वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि चंद्रमा के घूर्णन में जो गाढ़े रंग के और हल्के रंग के विशिष्ट पैटर्न बनते हैं, वे सौर पवन और चंद्रमा की पर्पटी के चुम्बकीय क्षेत्रों के कारण होते हैं.
चंद्रमा के पैटर्न बनने के कारण
- अन्तरिक्ष में यात्रा करने वाली प्रत्येक वस्तु अथवा ग्रह अथवा व्यक्ति को सूर्य के घातक विकिरण का सामना करना पड़ता है.
- सूर्य से लगातार कण और विकिरण निकलते रहते हैं जिन्हें सौर पवन कहते हैं.
- सौर पवन चुम्बकीय होता है, इसलिए पृथ्वी का प्राकृतिक चुम्बक क्षेत्र उसके कणों को परावर्तित कर देता है. फलस्वरूप उन कणों का एक बहुत छोटा अंश ही हमारे वायुमंडल तक पहुँच पाता है.
- परन्तु चंद्रमा के पास पृथ्वी जैसा चुम्बक क्षेत्र नहीं है. अतः चंद्रमा की सतह के पास स्थित चुम्बकित चट्टानों के कारण कुछ छोटे-छोटे और स्थानीय चुम्बक क्षेत्र बन जाते हैं.
- चंद्रमा के कुछ क्षेत्रों में स्थित चुम्बकीय क्षेत्र स्थानीय रूप से सूर्य की किरणों को रोकने का काम करते हैं. इस प्रकार चंद्रमा की सतह (रेगोलिथ) पर ऐसे कई अलग-अलग छोटे-छोटे चुम्बकीय स्थान हैं, जो चंद्रमा को सौर पदार्थों से सुरक्षित रखते हैं.
- चंद्रमा की ओर आने वाले सौर कण परावर्तित होकर जब चुम्बकीय बुलबुलों के आस-पास के क्षेत्र में आते हैं तो उनकी रेगोलिथ से रासायनिक प्रक्रिया होती है जिसके फलस्वरूप चंद्रमा की सतह काली दिखती है. अन्य क्षेत्रों का रंग अपेक्षाकृत हल्का होता है.
आर्टेमिस अभियान क्या है?
- ARTEMIS का पूरा नाम है – Acceleration, Reconnection, Turbulence and Electrodynamics of the Moon’s Interaction with the Sun.
- इस अभियान में दो अन्तरिक्षयान छोड़े गये थे – P1 और शुरू-शुरू में ये दोनों अन्तरिक्षयान पृथ्वी के प्रकाशपुंज (aurora) का अध्ययन करने के लिए पृथ्वी की कक्षा में छोड़े गये थे. उस समय इस अभियान का नाम थेमिस था. बाद में इन दोनों अन्तरिक्षयानों को चंद्रमा की ओर मोड़ दिया गया जिससे कि ये अपनी शक्ति खोने से बच सकें.
- नए अभियान से वैज्ञानिक यह आशा करते हैं कि वे इन विषयों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकेंगे – चंद्रमा और पृथ्वी के लेग्रेंज बिंदु, सौर पवन, चंद्रमा का प्लाज्मा वेक और पृथ्वी के चुम्बकीय पुच्छ तथा चंद्रमा की अपनी दुर्बल चुम्बकीयता पर सौर पवन का प्रभाव.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Atmospheric Waves Experiment (AWE)
संदर्भ
NASA ने हाल ही में एक नया प्रयोग करने का निर्णय लिया है जिसका नाम वायुमंडलीय तरंग प्रयोग (Atmospheric Waves Experiment – AWE) है. इस प्रयोग से वैज्ञानिक पृथ्वी के चारों ओर की विस्तृत अन्तरिक्ष मौसम प्रणाली को समझने और अंततोगत्वा इसका पूर्वानुमान करने में समर्थ हो सकेंगे.
AWE क्या है?
- यह प्रयोग अगस्त 2022 में आरम्भ होगा. इसके लिए छोड़ा गया अन्तरिक्षयान पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे अंतर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष केंद्र के बाहरी भाग से जोड़ दिया जाएगा.
- AWE का उद्देश्य पृथ्वी के वायुमंडल में पाई जाने वाली रंग-बिरंगी प्रकाशपट्टियों (airglow) का अध्ययन करना है जिससे कि यह पता चल सके कि ऊपरी वायुमंडल में अन्तरिक्षीय मौसम के लिए कौन-कौन से कारक जिम्मेवार हो सकते हैं.
- यह ऐसा प्रयोग है जिससे रेडियो और GPS संचार को विघ्न पहुँच सकता है.
- AWE नासा के सौर-भौतिकी अन्वेषण कार्यक्रम (Heliophysics Explorers Program) के अंतर्गत मिशन ऑफ़ ऑपरचूनिटी के अंतर्गत आता है. ज्ञातव्य है कि यह मिशन NASA के बड़े-बड़े अभियानों के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान करता है और आवश्यक उपकरणों का निर्माण भी करता है.
प्रयोग की आवश्यकता क्यों?
- अन्तरिक्षीय मौसम का अध्ययन करना महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि इसके कारण अन्तरिक्ष में यात्रा करने वाले अन्तरिक्षयात्रियों पर प्रभाव तो पड़ता ही है अपितु अन्तरिक्षयानों के रेडियो संचार में भी विघ्न उपस्थित होता है.
- लोग पहले यह समझते थे कि पृथ्वी की प्रकाशपट्टियों पर मात्र सूर्य की पराबैंगनी किरणों एवं कणों तथा सौर पवनों का ही प्रभाव पड़ता है, किन्तु शोधकर्ताओं को अब यह पता चला है कि इस क्षेत्र में मौसम के परिवर्तन के उत्तरदायी सौर पवन अथवा विकिरण ही नहीं होते, अपितु पृथ्वी का मौसम भी इस पर अपनी छाप छोड़ता है.
- इस विषय को भली-भाँति समझने के लिए AWE मिशन यह पता लगाएगा कि वायु के अलग-अलग घनत्व के कारण निम्न वायुमंडल में उत्पन्न होने वाली तरंगें ऊपरी वायुमंडल को कैसे प्रभावित करती हैं.
Prelims Vishesh
Usha Thorat Panel on offshore rupee markets :-
- विदेशी रूपया बाजारों से सम्बंधित समस्याओं की जाँच के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक पैनल बनाया है जिसकी अध्यक्षता पूर्व उप गवर्नर ऊषा थोराट करेंगी.
- यह पैनल घरेलू मूद्रा के बाहरी को स्थिर करने के उपाय सुझाएगा.
- यह इस बात का भी अध्ययन करेगा कि किन कारणों से विदेशी रूपया बाजार विकसित हो रहा है और इसका रुपये के विनियम दर और घरेलू बाजार में तरलता पर क्या प्रभाव पड़ रहा है.
Mainamati Maitree Exercise 2019 :-
- सीमा सुरक्षा बल और बांग्लादेश का सीमा गार्ड दोनों ने हाल ही में एक संयुक्त त्रिदवसीय अभ्यास किया जिसका नाम मैनामती मैत्री अभ्यास, 2019 है.
- इस अभ्यास का नाम मैनामती पहाड़ी पर रखा गया है जो बांग्लादेश के कोमिला शहर के पश्चिम में आठ किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है.
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