आपके सामने भारतीय संविधान से जुड़े कुछ तथ्यों को क्रमानुसार रख रहा हूँ जो परीक्षा में अक्सर आते रहते हैं. इस आर्टिकल को एक बार फिर से कल अपडेट किया जाएगा.
- भारतीय संविधान का निर्माण एक संविधान सभा द्वारा 2 वर्ष 11 महीने तथा 18 दिन में किया गया.
- संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन योजना के प्रावधानों के अनुसार अप्रत्यक्ष रूप से राज्यों के विधान-सभाओं द्वारा नवम्बर 1946 में किया गया था.
- संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे, जिनमें 292 प्रांतों से तथा 93 देशी रियासतों से चुने जाने थे. 4 सदस्य कमीश्नरी क्षेत्र के थे.
- प्रांतीय विधान सभा में प्रत्येक समुदाय के सदस्यों ने एकल सक्रंमणीय पद्धति के आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार अपने प्रतिनिधियों का निर्वाचन किया.
- देशी रियासतों से चयन की पद्धति परामर्श से तय की जानी थी.
- 3 जून, 1947 की योजना के अधीन पाकिस्तान के लिए पृथक संविधान सभा गठित की गयी.
- महात्मा गांधी ने 1922 में ‘स्वराज’ का अर्थ समझाते हुए यह संकेत दिया था कि भारत के लिए भारतीय ही संविधान बनायेंगे.
- 1929 के लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पारित किया था.
- सर्वप्रथम 1914 में संविधान सभा की मांग की गयी. स्वराज पार्टी ने मई 1934 में तथा कांग्रेस ने फैजपुर अधिवेशन में इस मांग को दुहराया.
- 1942 में क्रिप्स प्रस्ताव में संविधान सभा की मांग को स्वीकार किया गया.
- संविधान सभा में जनसंख्या के आधार पर (लगभग 10 लाख पर एक) प्रतिनिधि निर्धारित किए गये थे.
- संविधान निर्माण के लिए 60 देशों के संविधानों का अध्ययन किया गया.
- विभाजन के बाद संविधान सभा की सदस्य संख्या 299 रह गयी, जिनमें से 284 सदस्यों ने 26 नवम्वर, 1949 को संविधान पर हस्ताक्षर किए.
- संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को हुई थी.
- प्रथम बठैक की अध्यक्षता डा. सच्चिदानदं सिन्हा ने की थी तथा मुस्लिम लीग ने इसका बहिष्कार किया था.
- 11 दिसम्बर, 1946 को डा. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया.
- श्री बी.एन. राव को संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार पद पर नियुक्त किया गया.
- 13 दिसम्बर, 1946 को जवाहर लाल नेहरू ने संविधान सभा का ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ प्रस्तुत कर संविधान निर्माण का कार्य करना प्रारंभ किया. यह प्रस्ताव संविधान सभा द्वारा 22 जनवरी, 1947 को पारित कर दिया गया.
- संविधान निर्माण के लिए विभिन्न समितियां जैसे-प्रक्रिया समिति, वार्ता समिति, संचालन समिति, कार्य समिति, संविधान समिति, झंडा समिति, प्रारूप समिति आदि का निर्माण किया गया.
- विभिन्न समितियों में प्रमुख प्रारूप समिति जो कि 19 अगस्त, 1947 को बनी थी, के अध्यक्ष डा.बी.आर. अम्बेडकर को बनाया गया. इस समिति के अन्य सदस्य थे- एन. गोपाल, स्वामी आयंगर, अल्लादि कृष्ण स्वामी अय्यर, मोहम्मद सादुल्ला, के.एममुंशी, बी. एल मित्तर तथा डी.पी. खेतान. कुछ समय बाद बी.एल. मित्तर के स्थान पर एन. माधव राव तथा डी.पी. खेतान की मृत्यु के बाद टी.टी. कृष्णामाचारी को इस समिति में सम्मिलित कर लिया गया.
- संविधान सभा की बैठक का तृतीय आरै अंतिम वाचन 14 नवम्बर, 1949 को हुआ. यह बैठक 26 नवम्बर, 1949 को समाप्त हुई.
- 26 नवम्बर, 1949 को ही अंतिम पारित संविधान पर सभापति तथा उपस्थित सदस्यों के हस्ताक्षर हुए. इसी दिन संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार कर लिया.
- नागरिकता, निर्वाचन और अन्तरिम संसद से सबंधित उपबंधों को तथा अस्थायी एवं संक्रमण उपबंधों को 26 नवम्बर, 1949 से ही तुरंत प्रभावी किया गया.
- सम्पूर्ण संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया. 26 जनवरी, 1950 को ही भारत को गणतंत्र घोषित किया गया. डा. राजेन्द्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया. संविधान सभा को ही आगामी ससंद के चुनाव तक भारतीय ससंद के रूप में मान्यता दी गयी.
- डा.बी.आर. अम्बडेकर को ‘ संवधान का पिता’ (Father of constitution) कहा जाता है.
- भारतीय संविधान विश्व का सबसे लम्बा लिखित संविधान है.
- भारतीय संविधान में प्रस्तावना के अतिरिक्त 395 अनुच्छेद तथा 8 अनुसूचियां थीं.
- संविधान की उद्देशिका (प्रस्तावना) में संविधान के ध्येय और उसके आदर्शों का संक्षिप्त वर्णन है. जहां संविधान की भाषा संदिग्ध होती है वहाँ उद्देशिका की सहायता ली जाती है.
- उद्देशिका को संविधान की कुंजी भी कहा जाता है.
- उद्देशिका को न्यायालय में प्रवर्तित नहीं किया जा सकता है.
- भारत को 26 जनवरी, 1950 को एक गणराज्य (Republic) घोषित किया गया, जिसका तात्पर्य है कि भारत का राष्ट्राध्यक्ष निर्वाचित होगा, आनुवंशिक नहीं.
- उद्देशिका में “समाजवादी”, “धर्मनिरपेक्ष” एवं “अखंडता” शब्द 1976 में 42वें संशोधन द्वारा जोड़े गये हैं.
- समाजवादी शब्द का अर्थ समाजवादी राज्य अर्थात् सभी उत्पादन एवं वितरण के साधनों का राष्ट्रीयकरण नहीं है. बल्कि गरीब एवं अमीर के बीच दूरी को कम करना है.
- “पन्थनिरपेक्ष” का अर्थ सरकार द्वारा सभी धर्मों का समान संरक्षण एवं सम्मान करना है.
- भारतीय संविधान में भारत को “राज्यों का संघ” (Union of States) कहा गया है. संघ (Federation) शब्द का कहीं भी प्रयोग नहीं किया गया है.
संविधान के संघात्मक लक्षण
- संविधान की सर्वोच्चता
- शक्तियों का विभाजन
- स्वतंत्र सर्वोच्च न्यायालय
- उच्च सदन का राज्य सदन होना
संविधान के एकात्मक लक्षण
- एकल नागरिकता
- एकल संविधान
- केंद्र सरकार को राज्य सूची के विषयों पर भी कानून बनाने का अधिकार
- आपात उपबन्ध
- केंद्र द्वारा राज्य की सीमाओं या नाम परिवर्तन का अधिकार
- एकीकृत न्याय व्यवस्था
- अखिल भारतीय लोक सेवाएँ
- राज्यपालों की नियुक्ति केंद्र द्वारा
- राज्यों का राज्यसभा में असमान प्रतिनिधित्व
- राज्य विधेयकों को राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए आरक्षित करना
- योजना आयोग की उपस्थिति
- राष्ट्रीय विकास परिषद् का स्वरूप
- राज्य की वित्तीय दृष्टि से केंद्र पर निर्भरता
- अवशिष्ट शक्तियां केंद्र के अधिकार क्षेत्र में होना
कुछ और महत्त्वपूर्ण तथ्य
- मूल संविधान में ‘मूल कर्तव्य’ (Fundamental Duties) का समावेश नहीं था. 42वां संविधान संशोधन (1976) द्वारा संविधान के भाग IV के अनुच्छेद 51 (क) में दस मौलिक कर्तव्यों का समावेश किया गया है.
- संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 13 से 33 तक मौलिक अधिकारों का वर्णन है.
- संविधान के भाग 4 में अनुच्छेद 36 से 51 तक राज्य के नीति निदेशक तत्त्व दिए गए हैं.
- अधिकांश नीति निर्देशक तत्त्वों का उद्देश्य आर्थिक तथा सामाजिक लोकतंत्रा की स्थापना करना है अर्थात् कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है, जिसका संकल्प उद्देशिका में लिया गया है.
- नीति निर्देशक तत्त्व न्यायालय में परिवर्तनीय हैं.
- 2 अक्टबूर, 1952 को राजस्थान में ‘सामुदायिक विकास कार्य्रक्रम” लागू किया गया.
- 2 अक्टबूर, 1959 को नेहरु जी ने नागौर में प्रजातांत्रिक विकेंद्रीकरण की योजना का श्रीगणेश किया. इसे ‘पंचायती राज’ कहा गया.
- राजस्थान प्रथम राज्य है, जहां सर्वप्रथम सम्पूर्ण राज्य में पंचायती राज व्यवस्था लागू की गयी.
- बलवंतराय मेहता समिति तथा अशोक मेहता समिति का संबंध पंचायती राज व्यवस्था से है.
- योजना आयोग एक गैर-संवैधानिक संस्था है.
भारतीय संविधान की विशेषताएँ
- लिखित एवं निर्मित संविधान
- विश्व का सबसे बडा़ संविधान
- प्रभावशाली उद्देशिका
- भारतीय संविधान में विभिन्न संविधानों का समावेश
- कठोर एवं लचीलेपन का समावेश
- लोकतंत्रात्मक राज्य – प्रतिनिधियों का चुनाव
- गणतंत्रात्मक राज्य- निर्वाचित राष्ट्राध्यक्ष
- संसदीय सरकार
- समाजवादी सरकार
- धर्मनिरपेक्ष राज्य
- संघात्मक तथा एकात्मक व्यवस्था का समन्वय
- एकीकृत न्याय व्यवस्था
- सार्वजनिक मताधिकार
संविधान के स्रोत
- संसदीय प्रणाली – ब्रिटेन
- मौलिक अधिकार – स. रा. अमेरिका
- उपराष्ट्रपति का पद- स. रा. अमेरिका
- सर्वोच्च न्यायालय – स. रा. अमेरिका
- संघात्मक व्यवस्था – कनाडा
- नीति निर्देशक तत्त्व – आयरलैंड
- आपात उपबंध- जर्मनी
- मौलिक कर्तव्य – सो. संघ
- समवर्ती सूची – ऑस्ट्रेलिया
1964 तक के महत्त्वपूर्ण संविधान संशोधन
प्रथम संशोधन, 1951 – मौलिक अधिकारों में समानता, स्वतंत्रता तथा सम्पत्ति को सामाजिक हित में सीमित किया गया, भूमि सुधार को नौंवीं सूची में रखकर उसे न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर किया गया.
दूसरा संशोधन, 1953 – राज्यों का संसद में प्रतिनिधित्व
तीसरा संशोधन, 1954 – समवर्ती सूची में कुछ विषयों – जैसे कच्ची कपास, खाद्यान्न पशुपालन एवं संवर्द्धन जोड़ा गया.
सातवां संशोधन 1956 – राज्यों का पुनर्गठन – चौदह राज्य तथा छह केन्द्र शासित क्षेत्रों में
नौवां संशोधन 1960 – बरूबाड़ी क्षेत्रा पाकिस्तान को सौंपने से सम्बन्धित.
दसवाँ संशोधन 1961 – दादरा एवं नागर हवेली को भारत का अंग बनाया गया.
बारहवां संशोधन 1962 – गोवा, दमन, दीव को भारत का अंग बनाया गया.
तेरहवाँ संशोधन 1962 – नागालैंड को भारत का नया राज्य घोषित किया गया.
चौदहवां संशोधन 1962 – पाण्डिचेरी को भारत का अंग बनाया गया तथा संसद को संघ राज्यक्षेत्रों में विधान मंडल तथा मंत्रिपरिषद बनाने का अधिकार दिया गया.
सत्ररहवां संशोधन 1964 – एस्टेट (Estate) पुनः परिभाषित, न्यायिक पुनरावलोकन से कुछ नियमों को छूट.
- नेहरूजी एक समाजवादी समाज (Socialist Pattern of society) की स्थापना करना चाहते थे, जिसकी कल्पना तभी साकार हो सकती थी जब समाजवाद के आर्थिक पहलू की ओर ध्यान दिया जाये.
- लोकतांत्रिक समाजवाद की स्थापना के लिए नहेरूजी ने एक ‘मिश्रित अर्थव्यवस्था’ (mixed economy) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया. वे कुछ साम्यवादी विचारों के समर्थक होते हुए भी अर्थव्यवस्था के पूर्ण राष्ट्रीयकरण (nationalcation) के पक्ष में नहीं थे.
- नेहरूजी, गाँधीजी के ‘ट्रस्टीशिप’ के सिद्धांत को अव्यावहारिक मानते थे.
- वे कुटीर उद्योग के विरोधी नहीं थे, जैसा कि उन्होंने कहा ‘हमें सदा याद रखना होगा कि भारी उद्योगों का विकास ही इस देश के लाखों लोगों की समस्या हल नहीं कर देगा, हमें ग्रामोद्योग और कुटीर उद्योग भी बड़े पैमाने पर विकसित करने होंगे.
- रूस के व्यक्तिगत अनुभव से नेहरूजी के आर्थिक नियोजन (economic planning) की भावना को काफी बल मिला. 1950 में उन्होंने योजना आयोग का संगठन किया. यहीं से पंचवर्षीय योजनाओं का सिलसिला चल पडा़.
- आर्थिक आयाजेना की आवश्यकता इस बात से स्पष्ट होती है कि प्रत्येक विकासशील देश अपने प्राकृतिक संशाधनों और अपार मानव शक्ति का पूर्ण उपयोग करके आर्थिक विकास के उच्चतर स्तर को प्राप्त करना चाहता है.
- योजना के संबंध में सबसे पहले श्री एम. विश्वेश्वरैया ने 1934 में ‘ प्लाण्ड इकोनोमी ऑफ़ इंडिया’ (Planned Economy of India) नामक पुस्तक में योजना की प्रथम रूपरेखा रखी थी.
- 1938 में नेहरूजी की अध्यक्षता में ‘नेशनल -प्लानिग-कमेटी’ (National Planning Committee) की नियुक्ति की गयी, जिसने देश के आर्थिक विकास के लिए एक मसौदे (Draft outline) प्रकाशित किया.