Sansar Daily Current Affairs, 05 March 2019
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : World Wildlife Day
संदर्भ
प्रत्येक वर्ष की भाँति इस वर्ष भी 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस मनाया गया. इस बार की थीम थी “लोगों और इस ग्रह के लिए जल के अन्दर विद्यमान जीवन / Life below Water: for People and Planet”. यह थीम संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के लक्ष्य संख्या 14 (SDG 14) के अनुरूप है.
पृष्ठभूमि
जब 20 दिसम्बर, 2013 को संयुक्त राष्ट्र की महासभा की 68वीं बैठक चल रही थी तो उस समय यह निर्णय लिया गया था कि तीन मार्च को संयुक्त राष्ट्र विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाया करेगा क्योंकि उसी दिन संकटाग्रस्त वन्यजीवों और वनस्पतियों के विषय में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर हुई संधि (Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora – CITES) पर हस्ताक्षर हुए थे जिसका उद्देश्य विश्व के वन्यजीवों और वनस्पतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाना था.
CITES क्या है?
- CITES का पूरा नाम है – Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora.
- यह एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो वन्यजीवों और पौधों के वाणिज्यिक व्यापार को विश्व-भर में नियंत्रित करने के लिए तैयार किया गया था.
- यह ऐसे पौधों और पशुओं से बनने वाले उत्पादों के व्यापार पर भी प्रतिबंध लगाता है, जैसे – खाद्य पदार्थ, कपड़े, औषधि और स्मृति-चिन्ह आदि.
- यह संधि मार्च 3, 1973 में हस्ताक्षरित हुई थी और यह 35,000 से अधिक वन्यजीवों और वनस्पतियों की प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के ऊपर नियंत्रण रखती है. इसलिए मार्च 3 कोविश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है.
- यह एक अंतर्राष्ट्रीय नियामक संधि है जिसपर 183 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं.
- इस संधि का ध्यान-बिंदु मात्र प्रजातियों की रक्षा ही नहीं है. यह नियंत्रित ढंग से व्यापार को उन प्रजातियों के व्यापार को बढ़ावा भी देता है जिससे वन्य प्रजातियों की सततता को आँच नहीं आती है.
- इस संधि का प्रशासन संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme – UNEP) के अधीन होता है.
- इसकासचिवालय जेनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में है.
- CITES पर हस्ताक्षर करने वाले देश संधि के नियमों से कानूनी रूप से बंधे होते हैं.
पशुओं और पौधों का वर्गीकरण
CITES विभिन्न पशुओं और पौधों पर विलुप्ति के खतरे के मात्रा के अनुसार उन्हें तीन अनुसूचियों में बाँटता है, ये हैं –
अनुसूची I : इस सूची में वे प्रजातियाँ आती हैं जिनपर विलुप्ति का संकट होता है. इस सूची के प्रजातियों के वाणिज्यिक व्यापार पर प्रतिबंध होता है. मात्र वैज्ञानिक अथवा शैक्षणिक कारणों से असाधारण स्थिति में इनका व्यापार हो सकता है.
अनुसूची II : इसमें वे प्रजातियाँ आती हैं जो विलुप्ति के कगार पर तो नहीं हैं, परन्तु यदि इनका व्यापार प्रतिबंधित नहीं हो तो इनकी संख्या में भारी गिरावट आ जायेगी. इनके व्यापार को परमिट के द्वारा नियंत्रित किया जाता है.
अनुसूची III : इसमें वह प्रजाति आती है जो CITES के सदस्य देशों में किसी एक देश में सुरक्षित घोषित है और उस देश ने अन्य देशों से उस प्रजाति में हो रहे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित करने में सहायता मांगी हो.
व्यापार की छूट देने की प्रक्रिया
राष्ट्रीय स्तर CITES का प्रबंधन करने वाले अधिकारी किसी वन्य प्रजाति के व्यापार के लिए तभी छूट देते हैं जब वैज्ञानिक यह सिद्ध कर देते हैं कि इससे वन्यजीवन को कोई हानि नहीं होगी. दूसरे शब्दों में यह वैज्ञानिक साक्ष्य आवश्यक होता है जिससे पता चले कि सम्बन्धित प्रजाति का व्यापार करने से उसकी सततता पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा. जहाँ इस विषय में आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं, वहाँ सावधानी के सिद्धांत का पालन किया जाता है.
CITES के प्रावधान उस संधि पर हस्ताक्षर करने वाले देशों के लिए वैधानिक रूप से बाध्यकारी होते हैं.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : National Common Mobility Card (NCMC)
संदर्भ
हाल ही में प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सामान्य गतिशीलता कार्ड (National Common Mobility Card – NCMC) का अनावरण किया.
इस कार्ड से सम्बंधित मुख्य तथ्य
- इस कार्ड को “एक राष्ट्र एक कार्ड” का नाम दिया गया है.
- यह कार्ड एक ऐसा परिवहन कार्ड है जो कई प्रकार के भुगतानों के लिए काम आएगा, जैसे – बस का टिकट खरीदना, टोल का कर देना, गाड़ी लगाने का प्रभार देना, खुदरा खरीददारी करना और पैसा निकालना आदि.
- यह कार्ड RuPay कार्ड पर चलता है.
- देश में ही बनाए गये इस अनूठे कार्ड के आ जाने से देश को अब विदेशी तकनीक पर निर्भर होने की आवश्यकता नहीं रही.
- इस कार्ड में जितना पैसा भरा होगा उतने से यात्रा से जुड़ी सभी प्रकार की आवश्यकताओं के लिए लेन-देन संभव होगा.
- इसमें सम्बंधित हितधारकों को वित्तीय जोखिम कम से कम होगा.
- यह कार्ड आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा प्रायोजित है.
- इससे देश भर में खुदरा खरीददारी तो की ही जा सकती है, अपितु मेट्रो गाड़ियों और बस आदि के माध्यम से सुचारू रूप से यात्रा की जा सकती है.
GS Paper 3 Source: Times of India
Topic : ISRO’s Young Scientist programme
संदर्भ
ISRO ने हाल ही में स्कूली बच्चों के लिए एक विशेष कार्यक्रम चलाया है जिसका नाम “युवा विज्ञानी कार्यक्रम (Young Scientist Programme)” है.
युवा विज्ञानी कार्यक्रम के मुख्य तत्त्व
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य अन्तरिक्ष प्रौद्योगिकी, अन्तरिक्ष विज्ञान एवं अन्तरिक्ष अनुप्रयोगों के विषय में युवाओं को बुनियादी जानकारी देना है जिससे कि उनके अंदर नई-नई अन्तरिक्षीय गतिविधियों के प्रति रूचि जाग सके.
- इस कार्यक्रम में प्रतिभागिता के लिए प्रत्येक राज्य एवं संघीय क्षेत्र से CBSE, ICSE और राज्य पाठ्यक्रम में पढ़ने वाले छात्रों में से तीन छात्र प्रत्येक वर्ष चुने जाएँगे.
- इसके लिए वे ही छात्र चुने जाएँगे जिन्होंने आठवीं कक्षा उत्तीर्ण कर ली हो और नौवीं कक्षा में वर्तमान में पढ़ाई कर रहे हैं.
- चयन का आधार विद्यार्थियों का शैक्षणिक प्रदर्शन और खेलकूद आदि अन्य गतिविधियाँ होंगी.
- चयन के मानदंड सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और सभी संघीय राज्यों के प्रशासकों को भेज दिए गये हैं.
- चयन प्रक्रिया में ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को विशेष वेटेज दी गई है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : The New Delhi Declaration on Asian Rhinos 2019
संदर्भ
एशियाई गैंडा रेंज देशों (rhino range nations) की दूसरी बैठक में हाल ही में नई दिल्ली में भारत और गैंडा रेंज के चार देशों ने एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये जिसका नाम है – ‘The New Delhi Declaration on Asian Rhinos 2019’.
यह बैठक पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रालय ने IUCN एशियाई गैंडा विशेषज्ञ समूह, WWF-इंडिया और आरण्यक ने मिल-जुलकर आयोजित की थी.
मुख्य तथ्य
- भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले वृहद् एक सिंग वाले गैंडे के साथ-साथ एशियाई गैंडों की तीनों प्रजातियों की संख्या बढ़ाने के लिए भारत भूटान, नेपाल, इंडोनेशिया और मलेशिया के साथ सहयोग करेगा.
- घोषणापत्र के अनुसार एक सिंग वाले गैंडों, जावा के गैंडों और सुमात्रा के गैंडों का संरक्षण किया जाएगा और प्रत्येक चार वर्ष में एक बार उनकी संख्या की समीक्षा की जायेगी और आवश्यक हो तो उनके भविष्य को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक संयुक्त कार्रवाइयों का आकलन किया जाएगा.
- गैंडों के संरक्षण के लिए उनके स्वास्थ्य से सम्बंधित समस्याओं और उनको होने वाले रोगों के विषय में अध्ययन किया जाएगा और आवश्यक कदम उठाये जाएँगे.
12 सूत्रीय कार्रवाई
- गैंडों के प्रति अपराध और उनके सींग के व्यापार के विषय में जानकारी इकठ्ठा करने में गैंडा-रेंज के सभी देश एक-दूसरे से सूचनाओं को क्षण-प्रतिक्षण आधार पर साझा करेंगे जिससे उनकी संख्या के बारे में सटीक जानकारी हो सके.
- गैंडों के निवास स्थान के बारे में अनुसंधान किया जाएगा और उसे गैंडों के लिए अधिक से अधिक अनुकूल बनाया जाएगा.
- देश के अन्दर अथवा दो देशों के बीच स्थित गैंडा रेंजों के विस्तार की संभावना की टोह ली जायेगी.
- वृहद् एक सिंग वाले गैंडों के संरक्षण एवं सुरक्षा के लिए भारत, नेपाल और भूटान अपना सहयोग सुदृढ़ करेंगे.
- अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर गैंडों की आवाजाही और गलियारों की जानकारी लेकर उन्हें सुरक्षित और निरापद बनाने के लिए उचित प्रयास किये जाएँगे.
- गैंडों के भविष्य की सुरक्षा के लिए स्थानीय समुदायों की भागीदारी बढ़ाई जायेगी.
- गैंडों के स्वास्थ्य और निवास-स्थलों पर जलवायु परिवर्तन के संभावित दुष्प्रभावों पर बढ़-चढ़कर निगरानी आरम्भ की जायेगी.
- गैंडों के स्वास्थ्य से सम्बंधित समस्याओं और सम्भावित रोगों के बारे में अध्ययन किया जाएगा और उनकी रोकथाम के लिए आवश्यक पग उठाये जाएँगे.
- नियमित रूप से गैंडा रेंज वाले देशों के प्रबंधकों और मुख्य कर्मचारियों का सम्मेलन किया जाएगा जिसमें उत्कृष्ट प्रथाओं का दस्तावेज तैयार कर सबको बाँटा जाएगा.
- गैंडों के बारे में जानकारी लेने के लिए वन्यजीवन फॉरेंसिक की पद्धति को सुदृढ़ करना.
- सुमात्रा के अतिसंकटग्रस्त गैंडों का प्रजनन करवाकर उनकी संख्या बढ़ाई जायेगी.
- विश्व के सभी देशों का ध्यान इस बात की ओर आकर्षित किया जाएगा कि यदि गैंडों के सिंग का व्यापार खोल दिया जाएगा तो इसका एशियाई गैंडों की संख्या पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा.
एशियाई गैंडे
एशिया में तीन प्रकार के गैंडे पाए जाते हैं जिनमें सबसे बड़ा वृहद् एक सिंग वाला गैंडा होता है. सच पूछा जाए तो अफ्रीकी श्वेत गैंडों के साथ यह संयुक्त रूप से सभी प्रजातियों के गैंडों में विशालतम होता है. IUCN लाल सूची में इसको संकटापन्न (vulnerable) सूची में रखा गया है. जावा और सुमात्रा के गैंडों को अतिसंकटग्रस्त सूची (critically endangered) में डाला गया है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Crop burning raises risk of respiratory illness threefold, says IFPRI study
संदर्भ
अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (International Food Policy Research Institute – IFPRI) के एक अध्ययन से पता चलता है कि पराली जलाने से उत्तरी भारत के जाड़े के मौसम में प्रदूषण बढ़ जाता है और साथ ही साँस की बीमारियों का खतरा तिगुना हो जाता है. पराली जलाने से उत्पन्न प्रदूषण के कारण एक वर्ष में कार्य दिवस की क्षति के रूप में लगभग 2 ट्रिलियन रू. की हानि हो जाती है.
पराली जलना क्या होता है?
नवम्बर में गेहूँ बोने के पहले खेत को तैयार करने के लिए उसमें बचे धान के खूंटों को किसान जला देते हैं क्योंकि धान की कटाई के कुछ ही समय के बाद गेहूँ की बुवाई शुरू हो जाती है. इससे खेत तो तुरंत हो जाता है, परन्तु पराली जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे हानिकारक गैस और कई अन्य पदार्थ वायुमंडल में प्रवेश कर जाते हैं.
किसानों का दृष्टिकोण
- किसानों को यह पता है कि पराली जलाने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, परन्तु पराली को कैसे अन्य प्रयोग में लाया जाए उनको पता नहीं होता.
- पराली को जलने से बचाने के लिए उसके उपयोग की एक नई तकनीक की खोज हुई है, परन्तु किसान इस तकनीक को लागू करने में समर्थ नहीं हैं.
- किसान नहीं चाहते हैं कि वैज्ञानिक ढंग से पराली का निपटारा किया जाए क्योंकि इसमें आने वाली लागत वह सहन नहीं कर सकते.
- यदि वैज्ञानिक ढंग से पराली का प्रबंध किया जाए तो एक एकड़ पर 1500 से 3000 रुपयों का खर्च बैठता है. किसान इसके लिए तैयार नहीं हैं.
पराली को जलाने का विकल्प
- परालियों को बिजली संयंत्रों में प्रयोग किया जाए तो उन्हें जलने से बचाया जा सकता है और साथ ही रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं.
- पराली को मिट्टी में डाल देने से उसकी नमी बढ़ सकती है और मिट्टी में होने वाले सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या भी बढ़ सकती है तथा पौधों की बाढ़ बेहतर हो सकती है.
- धान की पराली को निकालकर उसे कम्पोस्ट कर आर्गेनिक खाद तैयार हो सकती है.
- पराली के और भी नए-नए औद्योगिक प्रयोग हो सकते हैं. इनसे खमीर प्रोटीन निकला जा सकता है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : PSBloansin59minutes.com
संदर्भ
तीन ही महीने पहले शुभारम्भ किया गया भारत सरकार का ऑनलाइन ऋण मंच – PSBloansin59minutes.com– अपने प्रकार का विश्व का सबसे बड़ा मंच सिद्ध हुआ है जैसा कि वैश्विक वित्तीय प्रतिष्ठान Credit Suisse ने अपने अध्ययन में प्रतिवेदित किया है.
PSBLoansin59min पोर्टल
- इस पोर्टल के माध्यम से MSME इकाइयों को एक करोड़ रु. तक का ऋण प्रदान किया जाता है.
- इस पोर्टल में यह प्रयास किया गया है कि उद्यमी को MSME ऋण ऑनलाइन ही प्राप्त हो जाए और पूरी प्रक्रिया में आवेदन से लेकर वितरण तक कहीं भी मानवीय हस्तक्षेप नहीं हो.
- ज्ञातव्य है कि पहले इस प्रकार के ऋण की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 20-25 दिनों का लक्ष्य रखा गया था परन्तु अब इसे घटा कर 59 मिनट कर दिया गया है. इसका परिमाण यह होगा कि उद्यमी को 7-8 कार्य दिवसों में वांछित ऋण प्राप्त हो जाएगा.
- इस पोर्टल में परिष्कृत algorithm का प्रयोग किया गया है जो IT रिटर्न, GST डाटा, बैंक स्टेटमेंट, MCA21 इत्यादि स्रोतों से डाटा प्राप्त करने और उनका एक घंटे के अन्दर विश्लेषण करने में सक्षम होगा. साथ ही आवेदक से सम्बन्धित मूलभूत जानकारियाँ भी दर्ज हो सकेंगी.
- इस प्रणाली से ऋण देने वाले अधिकारी को निर्णय लेने में आसानी होगी क्योंकि उसे तात्क्षणिक रूप से साख, मूल्यांकन और सत्यापन के विषय में एक डैशबोर्ड (user-friendly dashboard) में सारी जानकारियों का सारांश उपलब्ध हो जायेगा.
Prelims Vishesh
Red Flag 2019 :–
- नाटो और अन्य मित्र देशों के साथ अमेरिका एक वर्ष में कई बार सैन्य अभ्यास करता है जिसमें युद्धक विमानों का अभ्यास होता है.
- वायुसेना की इस अभ्यास को रेड फ्लैग कहते हैं.
- इस वर्ष का रेड फ्लैग अमेरिका में आयोजित हो रहा है.
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