Sansar Daily Current Affairs, 14 March 2019
GS Paper 1 Source: Business Standard
Topic : IPU-UN Women map of Women in Politics
संदर्भ
प्रत्येक दूसरे वर्ष प्रकाशित होने वाले IPU-UN वीमेन मैप ऑफ़ वीमेन इन पॉलिटिक्स अर्थात् राजनीति में महिलाओं की स्थिति का 2019 का संस्करण हाल ही में प्रकाशित हुआ है.
इस सचित्र प्रतिवेदन का अनावरण संयुक्त राष्ट्र संघ के न्यूयॉर्क स्थित मुख्यालय में महिलाओं की स्थिति से सम्बन्धित आयोग के आयोजन के दौरान एक प्रेस कांफ्रेंस में किया गया.
प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य
- इसमें एक मानचित्र के माध्यम से 1 जनवरी, 2019 में कार्यकारी और संसदीय सरकारी शाखाओं में महिलाओं की भागीदारी से सम्बंधित वैश्विक रैंकिंग दी गई है. इससे पता चलता है कि 2017 की तुलना में महिला मंत्रियों का अनुपात 4% से बढ़कर 20.7% हो गया है जोकि अभूतपूर्व है.
- इस प्रतिवेदन में यह भी सूचित किया गया है कि महिला मंत्री जिन विभागों को सम्भाल रही हैं, उनमें भी विविधता आई है.
- प्रतिवेदन के अनुसार विश्व-भर में महिला सांसदों की संख्या कुल सांसदों की संख्या का 3% हो गया है जी 2017 की तुलना में एक बिंदु अधिक है.
- जहाँ तक संसदीय अध्यक्षों की बात है, वह अब 7% है जोकि पहले से 0.6% अधिक है. इस प्रकार महिला उपाध्यक्षों की संख्या में भी 1.6% की वृद्धि हुई है और अब 28.2% उपाध्यक्ष महिलाएँ हैं.
- परन्तु उच्च स्तरीय नेतृत्व में महिलाओं का प्रतिनिधित्व घट गया है. चुनी हुई राष्ट्र प्रमुख महिलाओं का प्रतिशत 2% से घटकर 6.6% हो गया है. 153 राष्ट्र प्रमुखों में मात्र 10 ही महिलाएँ हैं.
- सरकार के प्रमुखों के मामले में भी 0.5% की गिरावट देखने को मिली. आज की तिथि में 193 सरकार प्रमुखों में मात्र 10 ही महिलाएँ हैं.
- पाकिस्तान में 2012 से कोई भी महिला मंत्री नहीं थी, पर अब वहाँ महिला मंत्रियों का प्रतिनिधित्व 12% हो गया है.
- यूरोप और स्लोवेनिया में 2017 की तुलना में महिला मंत्रियों की संख्या 25-50% घट गई है. लिथुएनिया में तो आज कोई भी महिला मंत्री नहीं है, जबकि 2017 में ऐसी-ऐसी तीन मंत्री थीं.
- प्रतिवेदन के अनुसार बिना महिला मंत्री वाले देशों की संख्या 2017 में 13 थी जो अब घटकर के 11 हो गई है. ये देश हैं – अज़रबैजान, बेलीज, ब्रुनेई दारुस्सलाम, इराक, किरिबाती, लिथुएनिया, पापुआ न्यू गिनी, सेंट विंसेंट एंड ग्रेनेडाइंस, सऊदी अरब, थाईलैंड और वानुआतु.
- प्रतिवेदन के अनुसार अब महिलाओं को ऐसे-ऐसे मंत्रालय दिए जा रहे हैं जो पहले पुरुषों को ही मिलते थे, जैसे – रक्षा, वित्त, विदेश मंत्रालय आदि.
वे देश जहाँ महिला मंत्रियों की संख्या 7% या उससे अधिक है –
- 7%: स्पेन
- 6%: निकारागुआ
- 4%: स्वीडन
- 3%: अल्बानिया
- 9%: कोलंबिया
- 9%: कोस्टा रिका
- 9%: रवांडा
- 50%: कनाडा
- 50%: फ्रांस
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Cabinet Approves Proposal to Align with Global Trademark System
संदर्भ
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने विभिन्न प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण से सम्बंधित Nice, Vienna और Locarno समझौतों में शामिल होने के लिए उपस्थापित प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी है. ये समझौते निम्नलिखित विषयों से सम्बंधित हैं –
- नाइस समझौता :- व्यापार चिन्हों के पंजीकरण के उद्देश्य से वस्तुओं और सेवाओं का अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण.
- विएना समझौता :- व्यापार चिन्हों के चित्रात्मक तत्त्वों का अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण.
- लोकार्नो समझौता :- औद्योगिक रूपांकनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण.
समझौतों में शामिल होने से भारत को लाभ
- भारत में स्थित बौद्धिक सम्पदा कार्यालय व्यापार चिन्हों और रूपांकन से सम्बन्धित वर्तमान वर्गीकरण पद्धतियों को अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण प्रणालियों के अनुरूप बनाने में समर्थ होगा.
- इससे भारत को भारतीय रूपांकनों, चित्रात्मक तत्त्वों और वस्तुओं को अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण प्रणालियों में सम्मिलित कराने का अवसर मिलेगा.
- भारत में बौद्धिक संपदा के रक्षण को लेकर विदेशी निवेशकों में एक भरोसा पैदा होगा.
- वर्गीकरणों की समीक्षा और पुनरीक्षण के विषय में लिए जाने वाले निर्णयों में भारत अपना पक्ष रखने में समर्थ हो जायेगा.
इन समझौतों का इतिहास
- नाइस समझौता :- यह समझौता फ़्रांस के नाइस शहर में 1957 में हुआ था. आगे चलकर यह 1967 में स्टॉकहोम में, 1977 में जेनेवा और 1979 में संशोधित हुआ था.
- विएना समझौता :- यह समझौता मूलतः ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में 1973 में हुआ था और इसका एक संशोधन 1985 में किया गया था.
- लोकार्नो समझौता :- यह समझौता मूलतः स्विट्ज़रलैंड के लोकार्नो शहर में 1968 में किया गया था और बाद में 1979 में इसमें संशोधन हुआ था.
GS Paper 2 Source: Times of India
Topic : Global Chemicals Outlook II
संदर्भ
हाल ही में ग्लोबल केमिकल्स आउटलुक का दूसरा संस्करण प्रकाशित हुआ. संयुक्त राष्ट्र के 2030 के एजेंडे के कार्यान्वयन के सम्बन्ध में यह प्रतिवेदन निर्गत किया है जिसमें टिकाऊ विकास के लिए रसायनों और अपशिष्टों के सम्यक् प्रबन्धन की महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में नीति-निर्माताओं और अन्य हितधारकों को सचेत किया गया है.
इसमें रसायनों और अपशिष्टों के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए निर्धारित वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त करने में हुई प्रगति और कमियों का विवरण दिया गया है.
मुख्य निष्कर्ष
- रसायनों और अपशिष्टों के सम्बन्ध में 2020 तक के लिए निर्धारित लक्ष्य पाना सरल नहीं होगा अर्थात् इस विषय में तत्काल कार्रवाई की अपेक्षा है. वर्तमान में प्रतिवर्ष 3 बिलियन टन रसायनों का उत्पादन हो रहा है जो 2030 तक बढ़कर दुगुना हो सकता है.
- हानिकारक रसायन अभी भी वातावरण में घुल रहे हैं. ये हवा, पानी, मिट्टी, भोजन और मनुष्य के शरीर हर जगह मिलते हैं.
- कुछ रसायनों और अपशिष्टों से होने वाले खतरे को घटाने के लिए कई अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ हो चुकी हैं. पर इन संधियों के अनुसार काम करने में कुछ देश कोताही बरत रहे हैं, उदाहरण के लिए 2018 में 120 देश ऐसे थे जिन्होंने रसायनों के वर्गीकरण और उनपर लेबल लगाने से सम्बन्धित वैश्विक समरस प्रणाली को लागू नहीं किया गया था.
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अनुमान के अनुसार कुछ चुने हुए रसायनों से 2016 में 16 लाख लोगों ने प्राण गवाएँ थे.
- दवाओं के निर्माण से लेकर पौधों की सुरक्षा जैसे मामलों में रसायन अभी भी एक बड़ी भूमिका निभाते हैं. आर्थिक विकास का भी यह तकाज़ा है कि अधिक से अधिक रसायन बनाये जाएँ. इसलिए रसायन उद्योग में वृद्धि विधिवत् जारी है. उदाहरण के लिए, भवन निर्माण प्रक्षेत्र में रसायन का बाज़ार 2018 से लेकर 2023 तक 2% प्रतिवर्ष बढ़ता जाएगा, ऐसा अनुमान है.
- उभरती हुई अर्थव्यस्थाओं में, विशेषकर चीन में, रसायनों का उत्पादन और उसकी खपत बढ़ रही है.
- कीटनाशकों के चलते परागवाहक कीटों का नाश हो रहा है. इसी प्रकार फोस्फोरोस और नाइट्रोजन के कृषि में प्रयोग से समुद्रों का मृत क्षेत्र (dead zone) बढ़ता जा रहा है. सनस्क्रीन मलहमों में प्रयुक्त रसायन से प्रवाल भित्तियाँ नष्ट हो रही हैं.
- जीवाणु प्रतिरोधी दवाओं, कीटनाशक छिड़कावों और भारी धातुओं के कारण जीवाणु प्रतिरोध बढ़ता जा रहा है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : TIR convention
संदर्भ
संयुक्त राष्ट्र संधि – TIR (Transports Internationaux Routiers) – के अंतर्गत अफगानिस्तान से ईरान के चाबहार बंदरगाह से होते हुए भारत में माल की पहली खेप हाल में पहुँची है.
TIR संधि क्या है?
- TIR संधि 1975 में सम्पन्न एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसका उद्देश्य संधि पर हस्ताक्षर करने वाले पक्षकार देशों के बीच माल का निर्बाध आवागमन सुनिश्चित किया जाना है.
- इस संधि ने 1959 की समविषयक संधि का स्थान लिया था. इससे भी पहले 1949 में एक TIR संधि हुई थी जो यूरोपीय देशों तक ही सीमित थी.
- इस संधि के अंतर्गत माल के आवागमन का माध्यम सड़क के अतिरिक्त रेल, अंतर्देशीय जलमार्ग और समुद्री परिवहन भी हो सकता है बशर्ते समग्र आवाजाही का एक अंश सड़क से अवश्य हो.
TIR संधि से भारत को लाभ
- इससे भारत को व्यापार में लाभ होता है और समय और पैसे की अच्छी-खासी बचत होती है क्योंकि सीमाओं पर होने वाली प्रक्रियाओं में एकरूपता होती है. इससे प्रशासन का खर्च और सीमा पर रुकने का समय घट जाता है.
- इससे भारत को पूर्वी और पश्चिमी पड़ोसियों के साथ भूमिगत व्यापार की सुविधा बढ़ जाती है.
- इस संधि से भारतीय व्यापारियों को सड़कों से माल-ढुलाई की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली का लाभ मिल जाता है जो कि अधिक तेज, विश्वसनीय और बाधा-रहित होती है.
- यह संधि भारत को यह सुविधा प्रदान करती है कि उसका माल दो देशों के बीच की सीमा पर जांचा न जाए और उसके साथ आगे के रास्ते पर आदमी भेजने की आवश्यक न पड़े.
चाबहार बंदरगाह
- भारत ने ही चाबहार बंदरगाह बनाया है.
- इसका उद्देश्य है कि चारों तरफ जमीन से घिरे अफगानिस्तान को फारस की खाड़ी (Persian Gulf) तक पहुँचने के लिए एक ऐसा यातायात गलियारा मिले जो पाकिस्तान होकर नहीं गुजरे क्योंकि पाकिस्तान से इसकी अक्सर ठनी रहती है.
- आशा है कि इस गलियारे के चालू हो जाने से अरबों रुपयों का व्यापार हो सकता है.
- ईरान का चाबहार बंदरगाह ओमान की खाड़ी पर स्थित उस देश का एकमात्र बन्दरगाह है.
- चाबहार के बंदरगाह से भारत को मध्य एशिया में व्यापार करने में सुविधा तो होगी ही, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण गलियारे (International North-South Transport Corridor) तक उसकी पहुँच भी हो जाएगी.
- चाबहार बंदरगाह चालू होने के बाद भारत में लौह अयस्क, चीनी और चावल के आयात में महत्त्वपूर्ण वृद्धि होगी.
- इसके अतिरिक्त खनिज तेल के आयात की लागत भी बहुत कुछ घट जायेगी.
- ज्ञातव्य है कि अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण गलियारा ईरान से लेकर रूस तक जाता है और इसमें यह एक भूमि मार्ग है जिसमें समुद्र, रेल, सड़क यातायात का सहारा लिया जायेगा.
- विदित हो कि चीन ने खाड़ी तक अपनी पहुँच बनाने के लिए पाकिस्तान को ग्वादर नामक बंदरगाह बनाने में मदद की है जिससे उसका क्षेत्र में दबदबा हो जाए.
- चाबहार बंदरगाह भारत को चीन के इस दबदबे का प्रतिकार करने में सक्षम बनाएगा.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Global Environment Outlook Report
संदर्भ
वैश्विक पर्यावरण के विषय में संयुक्त राष्ट्र संघ का छठा और सबसे व्यापक प्रतिवेदन – वैश्विक पर्यावरण परिदृश्य प्रतिवेदन (Global Environment Outlook Report) – हाल ही में प्रकाशित हुआ है.
वैश्विक पर्यावरण परिदृश्य प्रतिवेदन क्या होता है?
- इस प्रतिवेदन में पर्यावरण का मूल्यांकन होता है.
- यह संयुक्त राष्ट्र का एक मूर्धन्य प्रतिवेदन है.
- यह सबसे पहली बार 1997 में प्रकाशित हुआ था और पिछली बार 2012 में यह निर्गत हुआ था.
मुख्य निष्कर्ष
- मानव के द्वारा किए गये प्रदूषण और पर्यावरण को पहुँचाई गई क्षति के कारण विश्व-भर में 25% अकाल मृत्यु और रोग होते हैं.
- रसायनों के जानलेवा उत्सर्जन से पेयजल प्रदूषित हो रहा है और करोड़ों लोगों की आजीविका से जुड़े पारिस्थितिकी तन्त्र में तेजी से क्षय हो रहा है. इस कारण संसार में महामारियाँ फ़ैल रही हैं तथा अर्थव्यवस्था को नुक्सान हो रहा है.
- गरीब और अमीर देशों के बीच की खाई बढ़ती जा रही है. एक ओर अमीर देशों में लोग आवश्यकता से अधिक खपत कर रहे हैं और भोजन बर्बाद कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गरीब देशों में भूख, गरीबी और रोग बढ़ते जा रहे हैं.
पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव
- CO2 जैसी ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में धीरे-धीरे वृद्धि होती है, जिसके परिणामस्वरूप औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि होती है. इसके परिणामस्वरूप जलवायु (मौसम का दीर्घकालिक पैटर्न) में परिवर्तन हो रहा है तथा समुद्र स्तर में वृद्धि के साथ-साथ प्राकृतिक विश्व पर विभिन्न प्रकार के अलग-अलग प्रभाव दर्ज किये जा रहे हैं.
- जब वर्षा होती है, तब नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें जल के बूँदों के साथ मिश्रित हो जाती हैं, जिससे ये बूँदें अम्लीय हो जाती हैं और अम्लीय वर्षा के रूप में पृथ्वी पर गिरती हैं. अम्लीय वर्षा मानव, जानवरों और फसलों को अत्यधिक क्षति पहुँचा सकती हैं. अधिक जानकारी के लिए पढ़ें > Acid Rain
- कुछ प्रदूषकों में उपस्थित नाइट्रोजन की उच्च मात्रा समुद्र की सतह पर विकसित होती है और स्वयं को शैवाल के रूप में परिवर्तित कर देती है और मछली, पौधों और पशु प्रजातियों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती है.
- वायु में मौजूद विषाक्त रसायन वन्यजीव प्रजातियों को नए स्थान पर जाने और अपने आवास को परिवर्तित करने के लिए विवश कर सकते हैं.
- वायुमंडल में उपस्थित क्लोरोफ्लोरोकार्बन, हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन पृथ्वी की ओजोन परत का क्षरण कर रहे हैं. जिससे ओजोन परत क्षीण हो जायेगी और यह पृथ्वी पर हानिकारक UIV किरणों को उत्सर्जित करेगी. ये किरणें त्वचा एवं आँख से सम्बंधित समस्याओं का कारण बन सकती हैं. UV किरणें फसलों को प्रभावित करने में सक्षम होती हैं.
- पर्यावरण की बुरी दशाओं के कारण विश्व-भर के रोग और मृत्यु का 25% होता है. 2015 में पर्यावरण के प्रदूषण के कारण 90 लाख लोग मरे थे.
- गंदे पेय जल के कारण प्रत्येक वर्ष 14 लाख लोग डायरिया जैसे रोगों का शिकार होते हैं और मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं.
- जंगल कटाई के चलते भूमि का क्षरण हो रहा है.
- कई प्रजातियों का पर्यावरण प्रदूषण के चलते विलोप हो रहा है.
Prelims Vishesh
UK Issues New Black Hole Coin in Honour of Stephen Hawking :–
- ब्रिटेन के शाही टकसाल ने प्रोफेसर स्टीफेन हाकिंस की स्मृति में 50 पाउंड का एक सिक्का निकाला है.
- इस सिक्के के द्वारा कृष्ण विवरों (black hole) के विषय में हॉकिंग के योगदान को याद किया गया है.
Project Varshadhare :–
कर्नाटक की सरकार ने वर्षा की मात्रा को बढ़ाने के लिए बादलों को उत्प्रेरित करने के लिए एक परियोजना शुरू की है जिसमें विशेष प्रकार के जहाज बादलों के बीच गुजरते हुए उनमें रासायनिक सिल्वर आयोडाइड की बौछार करेंगे जिससे वर्षा की मात्रा बढ़ जाए.
World Kidney Day :–
- प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी मार्च के दूसरे गुरुवार को विश्व वृक्क दिवस मनाया गया.
- इस वर्ष की थीम है – स्वस्थ वृक्क सबको सब जगह (Kidney Health for Everyone Everywhere)
- विश्व वृक्क दिवस 2006 से मनाया जा रहा है. इसका आयोजन अंतर्राष्ट्रीय वृक्कविज्ञान सोसाइटी (ISN) तथा अंतर्राष्ट्रीय वृक्क फाउंडेशन संघ (IFKF) संयुक्त रूप से करता है.
- है.
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