भारत के लिए भारत-प्रशांत क्षेत्र का महत्त्व

Sansar LochanUncategorized

भारत सरकार ने विदेश मंत्रालय में भारत-प्रशांत नामक एक नया विभाग बनाया है. इस विभाग के अंतर्गत भारतीय समुद्र हिन्द महासागर तटवर्ती संघ  (Indian Ocean Rim Association – IORA), आसियान और क्वाड (Quad) से सम्बंधित विषय एक स्थान पर आ जायेंगे.

Indo-Pacific-division

माहात्म्य

नीति निर्माण की दृष्टि से क्षेत्रीय विभागों का बड़ा माहात्म्य होता है. अतः भारत-प्रशांत विभाग का सृजन कर भारत सरकार ने महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है. यह नया विभाग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2018 के शांगरी-ला-संवाद के समय घोषित नीति को एक सुसंगत आकार देगा.

भारत के लिए भारत-प्रशांत क्षेत्र का महत्त्व

भारत IORA पर अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहता क्योंकि उसकी भारत-प्रशांत नीति की जड़ हिन्द महासागर में ही है. यह नीति भारतीय अर्थव्यवस्था को ब्लू इकॉनमी और सुरक्षा दृष्टिकोण दोनों को एक-दूसरे से जोड़ती है. अपनी भारत प्रशांत कूटनीति के अंतर्गत भारत ने बार-बार आसियान को अपनी नीति के केंद्र में रखा है. उल्लेखनीय है कि आसियान चीन के प्रति सहज नहीं है और साथ ही अमेरिका एवं उसके मित्र देशों से भी चिंतित रहता है और चाहता है कि आसियान क्षेत्र महाशक्तियों की वर्चस्व की राजनीति से बाहर रखे. ऐसी परिस्थिति में भारत की भूमिका बढ़ जाती है. भारत चाहता है कि वह इस क्षेत्र में सिंगापुर, वियेतनाम और इंडोनेशिया के साथ सम्पर्क में रहे. वह यह भी चाहता है कि इस क्षेत्र के नए उभरते समूह में क्वाड को भी सम्मिलित किया जाए.

भारत-प्रशांत क्षेत्र और इस क्षेत्र में आपसी सहयोग का महत्त्व

विशाल हिन्द और प्रशांत महासागर में स्थित देशों को भारत-प्रशांत देश कहा जाता है. यहाँ हर स्तर के देश हैं. कई देश विकासशील हैं तो कई देश सबसे कम विकसित देश हैं. इसी क्षेत्र में जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे महत्त्वपूर्ण विकसित देश भी आते हैं. इस क्षेत्र में अनेक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय वाणिज्य गुट भी हैं जिनमें कई ने वस्तु और सेवा से सम्बंधित मुक्त व्यापार समझौते लागू किए हैं तथा इनमें से कुछ समझौते सीमा शुल्क संघ का आकार ले चुके हैं. भारत प्रशांत क्षेत्र में 38 देश हैं जिनका भूभाग विश्व के भूभाग का 44% ठहरता है. विश्व की जनसंख्या का 65% यहीं रहती है. साथ ही वैश्विक GDP का 62% और वैश्विक व्यापार का 46% इसी क्षेत्र में होता है.

चुनौतियाँ

भारत-प्रशांत क्षेत्र ऐसा क्षेत्र है जहाँ क्षेत्रीय वाणिज्य और निवेश के अवसर प्रचुर मात्रा में हैं. परन्तु जैसा कि पूर्व में बताया जा चुका है कि यहाँ की अर्थव्यवस्थाएं विकास के अलग-अलग चरणों में हैं और सुरक्षा और संसाधन की दृष्टि से उनमें व्यापक अंतर देखने को मिलता है.

क्या करना अच्छा होगा?

भारत-प्रशांत क्षेत्र के देशों को चाहिए कि वे निम्नलिखित विषयों में कार्रवाई करने पर ध्यान दें –

  • समुद्र में शान्ति, स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखना.
  • निर्बाध वैध वाणिज्य की सुविधा देना.
  • वैध कार्यों के लिए सभी देशों को समुद्र और वायुमंडल में आवाजाही के लिए स्वतंत्रता देना.
  • सामुद्रिक संसाधनों की रक्षा और संरक्षण करना.
  • मछली मारने के तरीके को टिकाऊ और उत्तरदायी बनाना.

शांगरी-ला-संवाद क्या है?

शांगरी-ला-संवाद का एक दूसरा नाम IISS एशिया सुरक्षा शिखर सम्मलेन भी है. इसका अनावरण 2002 में ब्रिटेन की विचारक संस्था International Institute for Strategic Studies तथा सिंगापुर सरकार के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था. यह एक वार्षिक संवाद है जिसके लिए एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 28 देशों के रक्षा मंत्री और सैन्य प्रमुख जमा होते हैं. यह बैठक सिंगापुर में स्थित शांगरी-ला होटल में होती है, अतः इसे शांगरी-ला-संवाद नाम दिया गया है.

IORA क्या है?

  • IORA का full form है – Indian Ocean Rim Association अर्थात् हिन्द महासागर के तटों पर स्थित देशों का संगठन.
  • यह हिन्द महासागर के तटीय भागों में अवस्थित देशों का एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है.
  • यह एक क्षेत्रीय मंच है जिसमें सरकारों, व्यवसायियों और विद्वानों के सहयोग से सम्बंधित देशों के मध्य सहयोग एवं विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जाता है.
  • इस संगठन में 21 देश तथा 7 संवादी भागीदार (dialogue partners) हैं.
  • IORA औषधीय पौधों समेत सहयोग के छह क्षेत्रों में काम करता है.
  • IORA का सचिवालय मॉरिशस के एबेन शहर में है.
मुख्य परीक्षा के लिए सवाल

भारत-प्रशांत क्षेत्र और उसके बाहर अपनी महत्त्वाकान्क्षाओं को पूरा करने के लिए भारत को चाहिए कि वह दक्षिण एशिया की एकजुटता के लिए काम करे. अपना मंतव्य दें. This is the info alert box for sharing…info.

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