Geosynchronous Satellite Launch Vehicle (GSLV) programme
भारत सरकार ने हाल ही में GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) कार्यक्रम के चौथे चरण का अनुमोदन दे दिया. इस कार्य्रकम के लिए सम्पूर्ण अपेक्षित धनराशि 2729.13 करोड़ रु. है जिसमें GSLV रॉकेट का खर्च, इसमें आवश्यक सुधार लाने का खर्च तथा कार्य्रकम प्रबंधन एवं प्रक्षेपण का भी खर्च शामिल है.
ज्ञातव्य है कि दिसम्बर 19, 2018 को GSLV – F11 के माध्यम से देश के दस उपग्रहों को सफलतापूर्वक अन्तरिक्ष में स्थापित किया गया था.
GSLV कार्य्रकम और इसका माहात्म्य
- GSLV कार्यक्रम के चौथे चरण में दो टन के उपग्रह छोड़े जाएँगे. ये उपग्रह पृथ्वी के साथ-साथ चलने वाले परिक्रमा पथ पर स्थापित किये जाएँगे. इन उपग्रहों की सहायता से पृथ्वी का छायांकन किया जाएगा और साथ ही भारत के मानव सहित अन्तरिक्ष कार्यक्रम गगनयान और उसके पश्चात् मंगल को भेजे जाने वाले अगले अभियान के लिए नेविगेशन, डाटा रिले संचार और अन्तरिक्ष विज्ञान का काम संपादित किया जाएगा.
- 2021-24 के कालखंड में GSLV कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए पाँच GSLV प्रक्षेपित करने की योजना है.
GSLV क्या है?
GSLV 49 मीटर ऊँचा राकेट है जिसमें तीन चरण होते हैं –
- पहले चरण में 40-40 टन के चार तरल स्ट्रेप-ऑन मोटरों के साथ एक ठोस बूस्टर होता है.
- दूसरा चरण एक तरल ईंजन होता है.
- तीसरा चरण क्रायोजेनिक अपर स्टेज (CUS) कहलाता है जो कि भारत में ही निर्मित है. इस चरण में तरल हाइड्रोजन (LH2) सदृश 15 टन क्रायोजेनिक प्रणोदकों का इंधन के रूप में प्रयोग होता है और ओक्सीडाइजर के रूप में तरल ऑक्सीजन (LOX) का उपयोग होता है.
Know about GLSV Mark III?