Sansar डेली करंट अफेयर्स, 17 April 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 17 April 2019


GS Paper  2 Source: Indian Express

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Topic : World Haemophilia Day

संदर्भ

अप्रैल 17 को विश्व हीमोफिलिया दिवस (World Haemophilia Day) मनाया गया.

हीमोफिलिया क्या है?

हीमोफिलिया एक मुख्यतः वंशानुगत रोग है जिसमें रक्त के जमने की क्षमता अत्यंत घट जाती है जिस कारण एक छोटी-सी चोट के चलते भी बहुत अधिक रक्तस्राव हो सकता है.

स्त्रियों से अधिक पुरुष इस रोग के शिकार होते हैं. यह रोग X क्रोमोजोम में एक दोष के कारण होता है. यदि कोई लड़की दोषयुक्त X क्रोमोजोम के साथ जन्म लेती है तो उसका दूसरा X क्रोमोजोम इसकी भरपाई कर देता है. ऐसी स्थिति में वह हीमोफिलिया की वाहक हो सकती है परन्तु उसे स्वयं यह रोग नहीं होगा. वह तभी हीमोफिलिया से ग्रस्त हो सकती है जब उसके दोनों क्रोमोजोम दोषग्रस्त हों.

दूसरी ओर यदि कोई लड़का दूषित X क्रोमोजोम के साथ जन्म लेता है तो वह हीमोफिलिया से ग्रस्त हो जाता है क्योंकि उसमें दूसरा X क्रोमोजोम नहीं होता है.

हीमोफिलिया का वैश्विक प्रसार

  • हीमोफिलिया एक विरल रोग है. इसका एक प्रकार – हीमोफिलिया A – 5,000 नवजातों में से एक को होता है जबकि हीमोफिलिया B 20,000 नवजातों में से एक को होता है.
  • अक्टूबर, 2018 में प्रकाशित World Federation of Haemophilia’s Annual Global Survey 2017 के अनुसार 2017 में विश्व-भर में 96 लाख लोग इस रोग से ग्रस्त थे. इनमें सबसे अधिक रोगी (19,000) भारत में ही थे.

हीमोफिलिया का उपचार

हीमोफिलिया का कोई उपचार नहीं है, परन्तु इससे ग्रस्त व्यक्ति यदि चिकित्सकीय निगरानी में रहे तो वह उत्तम कोटि का जीवन व्यतीत कर सकता है. रक्त जमाने के लिए कुछ दवाइयाँ जेनेटिक इंजीनियरिंग से बनी हैं जिनका प्रयोग रोग की रोकथाम करने और लम्बे रक्तस्राव को रोकने में किया जाता है. ये दवाइयाँ इंजेक्शन से दी जाती हैं.


GS Paper  2 Source: PIB

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Topic : Indo-Pacific division

संदर्भ

भारत सरकार ने विदेश मंत्रालय में भारत-प्रशांत नामक एक नया विभाग बनाया है. इस विभाग के अंतर्गत भारतीय समुद्र हिन्द महासागर तटवर्ती संघ  (Indian Ocean Rim Association – IORA), आसियान और क्वाड (Quad) से सम्बंधित विषय एक स्थान पर आ जायेंगे.

Indo-Pacific-division

माहात्म्य

नीति निर्माण की दृष्टि से क्षेत्रीय विभागों का बड़ा माहात्म्य होता है. अतः भारत-प्रशांत विभाग का सृजन कर भारत सरकार ने महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है. यह नया विभाग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2018 के शांगरी-ला-संवाद के समय घोषित नीति को एक सुसंगत आकार देगा.

भारत के लिए भारत-प्रशांत क्षेत्र का महत्त्व

भारत IORA पर अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहता क्योंकि उसकी भारत-प्रशांत नीति की जड़ हिन्द महासागर में ही है. यह नीति भारतीय अर्थव्यवस्था को ब्लू इकॉनमी और सुरक्षा दृष्टिकोण दोनों को एक-दूसरे से जोड़ती है. अपनी भारत प्रशांत कूटनीति के अंतर्गत भारत ने बार-बार आसियान को अपनी नीति के केंद्र में रखा है. उल्लेखनीय है कि आसियान चीन के प्रति सहज नहीं है और साथ ही अमेरिका एवं उसके मित्र देशों से भी चिंतित रहता है और चाहता है कि आसियान क्षेत्र महाशक्तियों की वर्चस्व की राजनीति से बाहर रखे. ऐसी परिस्थिति में भारत की भूमिका बढ़ जाती है. भारत चाहता है कि वह इस क्षेत्र में सिंगापुर, वियेतनाम और इंडोनेशिया के साथ सम्पर्क में रहे. वह यह भी चाहता है कि इस क्षेत्र के नए उभरते समूह में क्वाड को भी सम्मिलित किया जाए.

भारत-प्रशांत क्षेत्र और इस क्षेत्र में आपसी सहयोग का महत्त्व

विशाल हिन्द और प्रशांत महासागर में स्थित देशों को भारत-प्रशांत देश कहा जाता है. यहाँ हर स्तर के देश हैं. कई देश विकासशील हैं तो कई देश सबसे कम विकसित देश हैं. इसी क्षेत्र में जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे महत्त्वपूर्ण विकसित देश भी आते हैं. इस क्षेत्र में अनेक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय वाणिज्य गुट भी हैं जिनमें कई ने वस्तु और सेवा से सम्बंधित मुक्त व्यापार समझौते लागू किए हैं तथा इनमें से कुछ समझौते सीमा शुल्क संघ का आकार ले चुके हैं. भारत प्रशांत क्षेत्र में 38 देश हैं जिनका भूभाग विश्व के भूभाग का 44% ठहरता है. विश्व की जनसंख्या का 65% यहीं रहती है. साथ ही वैश्विक GDP का 62% और वैश्विक व्यापार का 46% इसी क्षेत्र में होता है.

चुनौतियाँ

भारत-प्रशांत क्षेत्र ऐसा क्षेत्र है जहाँ क्षेत्रीय वाणिज्य और निवेश के अवसर प्रचुर मात्रा में हैं. परन्तु जैसा कि पूर्व में बताया जा चुका है कि यहाँ की अर्थव्यवस्थाएं विकास के अलग-अलग चरणों में हैं और सुरक्षा और संसाधन की दृष्टि से उनमें व्यापक अंतर देखने को मिलता है.

क्या करना अच्छा होगा?

भारत-प्रशांत क्षेत्र के देशों को चाहिए कि वे निम्नलिखित विषयों में कार्रवाई करने पर ध्यान दें –

  • समुद्र में शान्ति, स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखना.
  • निर्बाध वैध वाणिज्य की सुविधा देना.
  • वैध कार्यों के लिए सभी देशों को समुद्र और वायुमंडल में आवाजाही के लिए स्वतंत्रता देना.
  • सामुद्रिक संसाधनों की रक्षा और संरक्षण करना.
  • मछली मारने के तरीके को टिकाऊ और उत्तरदायी बनाना.

शांगरी-ला-संवाद क्या है?

शांगरी-ला-संवाद का एक दूसरा नाम IISS एशिया सुरक्षा शिखर सम्मलेन भी है. इसका अनावरण 2002 में ब्रिटेन की विचारक संस्था International Institute for Strategic Studies तथा सिंगापुर सरकार के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था. यह एक वार्षिक संवाद है जिसके लिए एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 28 देशों के रक्षा मंत्री और सैन्य प्रमुख जमा होते हैं. यह बैठक सिंगापुर में स्थित शांगरी-ला होटल में होती है, अतः इसे शांगरी-ला-संवाद नाम दिया गया है.

IORA क्या है?

  • IORA का full form है – Indian Ocean Rim Association अर्थात् हिन्द महासागर के तटों पर स्थित देशों का संगठन.
  • यह हिन्द महासागर के तटीय भागों में अवस्थित देशों का एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है.
  • यह एक क्षेत्रीय मंच है जिसमें सरकारों, व्यवसायियों और विद्वानों के सहयोग से सम्बंधित देशों के मध्य सहयोग एवं विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जाता है.
  • इस संगठन में 21 देश तथा 7 संवादी भागीदार (dialogue partners) हैं.
  • IORA औषधीय पौधों समेत सहयोग के छह क्षेत्रों में काम करता है.
  • IORA कासचिवालय मॉरिशस के एबेन शहर में है.

GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : NASA’s Kepler Space telescope

संदर्भ

नासा के TESS (Transiting Exoplanet Survey Satellite) उपग्रह ने हाल ही में सौरमंडल के बाहर पृथ्वी के आकार के एक ग्रह का पता लगाया है जिसको HD 21749c नाम दिया गया है. TESS ने अभी तक सौर मंडल के बाहर जितने उपग्रहों का पता लगाया है उसमें यह सबसे छोटा है.

यह उपग्रह HD 21749 नामक सूर्य की परिक्रमा करता है जो पृथ्वी से मात्र 52 प्रकाशवर्ष दूर है. इस सूर्य में HD 21749b नामक एक दूसरा उपग्रह भी है जिसका परिक्रमा पथ 36 दिनों का है.

पृष्ठभूमि

यद्यपि HD 21749c TESS द्वारा खोजा गया पृथ्वी के आकार वाला पहला ग्रह है, परन्तु पृथ्वी के आकार वाले कई अन्य ग्रहों की खोज पहले हो चुकी है. सौर मंडल के बाहर के इन उपग्रहों को नासा के केपलर अन्तरिक्ष दूरबीन ने खोजा था, जो 530,000 तारों की निगरानी करके अब निष्क्रिय हो गया है. केपलर मिशन ने कुल मिलाकर 2,662 ग्रहों की खोज की जिनमें बहुत पृथ्वी के आकार थे और कुछ ऐसे भी थे जो अपने सूर्य से ऐसी दूरी पर थे जहाँ जीवन की संभावनाएँ बनती हैं.

केपलर अन्तरिक्ष दूरबीन

  • नासा के वैज्ञानिक प्लांट-हंटिंग केपलर अन्तरिक्ष दूरबीन में संगृहीत नवीनतम आँकड़ों को डाउनलोड करने की तैयारी कर रहे हैं.
  • ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि यह इस अंतरीक्ष-यान में ईंधन समाप्ति की ओर है.
  • वर्तमान में NASA ने इस यान को no-fuel-use safe mode में डाल रखा है जिससे कि आँकड़ों को शीघ्र-से-शीघ्र डाउनलोड किया जा सके.
  • Kepler – एक अंतरिक्ष यान (spacecraft) का नाम है जिसमें एक शक्तिशाली telescope लगा हुआ है.
  • इस telescope को सौरमंडल से बाहर स्थित ग्रहों को खोजने के लिए बनाया गया है.
  • इसका नामजोहान्स केप्लर के नाम पर रखा गया है जो स्वयं एक प्रसिद्ध जर्मन गणितज्ञ और खगोलविद् थे.
  • Kepler mission को2009 में launch किया गया था.
  • इस मिशन का उद्देश्य हमारी निकटस्थ आकाशगंगा में सैंकड़ों पृथ्वी के आकार एवं उससे छोटे ग्रहों की खोज करना और आकाशगंगा में स्थित खरबों तारों के एक छोटे हिस्से का पता लगाना है जिनमें निवास-योग्य ग्रह हो सकते हैं.

TESS क्या है?

  • TESS का full form है – Transiting Exoplanet Survey Satellite.
  • यह सौर प्रणाली के बाहर उपग्रहों की खोज के लिए एक नया मिशन है.
  • विदित हो कि इसी उद्देश्य से पूर्व में भेजे गए Kepler mission का जीवनकाल समाप्त होने जा रहा है. यह मिशन उसी का स्थान ले रहा है.
  • TESS mission का प्रारम्भ सौरमंडल के पड़ोस में स्थितछोटे ग्रहों का पता लगाने के लिए 18 April 2018 को किया गया.
  • जब कोई उपग्रह अपने तारे के सामने से गुजरता है तो उस घटना को संक्रमण (transit) कहा जाता है. उस समय उस तारे की चमक में रुक-रुक कर और नियमित रूप से कमी आ जाती है. यह यान इस घटना का अध्ययन करेगा. इसके लिए यह कम से कम 2 लाख तारों पर नजर रखेगा.
  • यह जिन तारों पर अपना ध्यान केन्द्रित करेगा वे केपलर द्वारा परीक्षित तारों की तुलना में 30 से 100 गुने अधिक चमकीले हैं.
  • यह यान पृथ्वी और चन्द्रमा के परिक्रमा पथ पर रहकर समस्त आकाश का सर्वेक्षण करेगा.

GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : NASA’s Cassini spacecraft

संदर्भ

नासा के Cassini-Huygens नामक अन्तरिक्षयान ने कुछ ऐसे आँकड़े भेजे हैं जिनसे शनि ग्रह के सबसे बड़े चाँद – टाइटन – में स्थित झीलों के बारे में नई जानकारियाँ हाथ लगी हैं.

टाइटन के उत्तरी गोलार्द्ध में 100 मीटर गहरी छोटी-छोटी तरल झीलें मिली हैं जो पठारों पर स्थित हैं और जिनमें मिथेन भरा हुआ है. ये झीलें मौसमी प्रतीत होती हैं. ये झीलें एक प्रकार की नहीं हैं, इनमें भिन्नता है.

Cassini Mission क्या है?

  • कैसिनी मिशन अंतरिक्षयान शनि ग्रह की ओर 15 अक्टूबर, 1997 के छोड़ा गया था. इसके प्रक्षेपण में NASA, यूरोपीय अन्तरिक्ष एजेंसी और इटली स्पेस एजेंसी का सहयोग था.
  • अब तक यह अन्तरिक्षयान शनि ग्रह (ringed planet) और उसकी चंद्रमाओं से संबधित हजारों चित्र नए तथ्य भेज चुका है.
  • कैसिनी अन्तरिक्ष यान शनि पहुँचने वाला चौथा और उसकी कक्षा में प्रवेश करने वाला पहला अन्तरिक्षयान है. इसमें Huygens नामक एक लैंडर संलग्न है जो 2005 में शनि के चंद्रमा टाइटन पर उतरा था.

मिशन के उद्देश्य

  • शनि के छल्ले की त्रि-आयामी संरचना और गतिशील व्यवहार का पता लगाना.
  • उपग्रह की सतहों और प्रत्येक वस्तु के भूवैज्ञानिक इतिहास की संरचना का पता लगाना.
  • आईपेटस (Iapetus) के अग्रणी गोलार्ध पर काले पदार्थ (dark material)  की प्रकृति और उत्पत्ति कापता लगाना.
  • चुंबक मंडल के त्रि-आयामी संरचना और गतिशील व्यवहार को मापना.
  • बादलों के स्तर पर शनि के वायुमंडल के गतिशील व्यवहार का अध्ययन करना.
  • टाइटन के बादलों और धुंध में समय-समय पर होने वाले परिवर्तन का अध्ययन करना.
  • क्षेत्रीय पैमाने पर टाइटन की सतह का पता लगाना.

GS Paper  3 Source: PIB

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Topic : Geosynchronous Satellite Launch Vehicle (GSLV) programme

संदर्भ

भारत सरकार ने हाल ही में GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) कार्यक्रम के चौथे चरण का अनुमोदन दे दिया. इस कार्य्रकम के लिए सम्पूर्ण अपेक्षित धनराशि 2729.13 करोड़ रु. है जिसमें GSLV रॉकेट का खर्च, इसमें आवश्यक सुधार लाने का खर्च तथा कार्य्रकम प्रबंधन एवं प्रक्षेपण का भी खर्च शामिल है.

ज्ञातव्य है कि दिसम्बर 19, 2018 को GSLV – F11 के माध्यम से देश के दस उपग्रहों को सफलतापूर्वक अन्तरिक्ष में स्थापित किया गया था.

GSLV कार्य्रकम और इसका माहात्म्य

  • GSLV कार्यक्रम के चौथे चरण में दो टन के उपग्रह छोड़े जाएँगे. ये उपग्रह पृथ्वी के साथ-साथ चलने वाले परिक्रमा पथ पर स्थापित किये जाएँगे. इन उपग्रहों की सहायता से पृथ्वी का छायांकन किया जाएगा और साथ ही भारत के मानव सहित अन्तरिक्ष कार्यक्रम गगनयान और उसके पश्चात् मंगल को भेजे जाने वाले अगले अभियान के लिए नेविगेशन, डाटा रिले संचार और अन्तरिक्ष विज्ञान का काम संपादित किया जाएगा.
  • 2021-24 के कालखंड में GSLV कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए पाँच GSLV प्रक्षेपित करने की योजना है.

GSLV क्या है?

GSLV 49 मीटर ऊँचा राकेट है जिसमें तीन चरण होते हैं –

  1. पहले चरण में 40-40 टन के चार तरल स्ट्रेप-ऑन मोटरों के साथ एक ठोस बूस्टर होता है.
  2. दूसरा चरण एक तरल ईंजन होता है.
  3. तीसरा चरण क्रायोजेनिक अपर स्टेज कहलाता है जो कि भारत में ही निर्मित है. इस चरण में तरल हाइड्रोजन सदृश 15 टन क्रायोजेनिक प्रणोदकों का इंधन के रूप में प्रयोग होता है और ओक्सीडाइजर के रूप में तरल ऑक्सीजन का उपयोग होता है.

GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : Assam Rifles

संदर्भ

दिल्ली उच्च न्यायालय के पास एक याचिका विचाराधीन है जिसमें माँग की गई है कि असम राइफल्स पर दोहरे नियंत्रण को समाप्त कर उसे पूर्ण रूप से रक्षा मंत्रालय के अधीन कर दिया जाए. इस पर उच्च न्यायालय ने कैबिनेट सुरक्षा समिति से मन्तव्य माँगा है.

मुख्य तथ्य

  • असम राइफल्स देश का सबसे पुराना अर्धसैनिक बल (paramilitary force) है जिसे पूर्वोत्तर का संतरी भी कहा जाता है.
  • असम राइफल्स का प्रशासनिक नियंत्रण गृह मंत्रालय के हाथ में होता है परन्तु इसके संचालन का नियंत्रण रक्षा मंत्रालय के अधीन होता है.

वर्तमान विवाद क्या है?

असम राइफल्स पर गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय दोनों का नियंत्रण है. इसे इस अर्धसैनिक बल के सैनिकों के अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए कुछ लोगों ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है. इस याचिका में यह भी कहा गया है कि 1961 के भारत सरकार (कार्याबंटन) नियम के अनुसार असम राइफल्स को पुलिस शीर्षक के अंतर्गत रखा गया है जो मनमाना, तर्कहीन और संविधान की धारा 14 के अन्दर असम राइफल्स के भूतपूर्व सैनिकों के अधिकारों का उल्लंघन करने वाला नियम है.

क्या माँग की जा रही है?

याचिका में तर्क दिया गया है कि असम राइफल्स का उद्देश्य और काम दोनों ही सैनिक और अर्ध-सैनिक बल के जैसे हैं. अतः इनको पुलिस की श्रेणी में रखना न केवल एक मनमाना कृत्य है, अपितु यह तर्कहीन और असम राइफल्स के कर्मियों के अधिकारों का उल्लंघन भी है. याचिका में अंत में यह माँग की गई है कि असम राइफल्स के कर्मियों को भारतीय सेना के कर्मियों की भाँति वेतन, भत्ते, पेंशन (बकाया सहित) और भूतपूर्व सैनिको को देय सुविधाएँ मिलनी चाहिएँ.

CAPF के अंतर्गत आते हैं – असम राइफल्स, बॉर्डर सिक्यूरिटी फ़ोर्स, नेशनल सिक्यूरिटी गार्ड्स, सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्यूरिटी फ़ोर्स, सेंट्रल रिज़र्व पुलिस फ़ोर्स, इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस फ़ोर्स, नेशनल डिजास्टर रिस्पोंस फ़ोर्स, सशस्त्र सीमा बल.


Prelims Vishesh

World’s first 3D printed vascularised engineered heart :

  • इजराइल के तेल अवीव विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने विश्व का पहला 3-D मुद्रित vascularised engineered heart बनाया है.
  • यह हृदय एक रोगी के उसके ही ऊतकों और जैव पदार्थों से तैयार किया गया है.
  • इस हृदय में कोष, रक्त वाहिनियाँ, निलय, चैम्बर आदि सब कुछ हैं.

Sidhmukh Nohar Project :

  • राजस्थान में सिधमुख नोहार नामक एक सिंचाई परियोजना चल रही है जिसमें व्यास नदी के पानी को दूसरी दिशा में ले जाया जाएगा.
  • इस परियोजना के अंतर्गत राजस्थान व्यास नदी से कितना पानी ले सकता है इसको लेकर सर्वोच्च न्यायालय में मामला चल रहा है.

Great Indian Bustards (GIB) :

  • एक सर्वेक्षण से पता चला है कि राजस्थान के Desert National Park (DNP) में 150 ग्रेट इंडियन बस्टर्ड रहते हैं.
  • यह चिड़ियाँ IUCN की लाल सूची में विकट रूप से संकटग्रस्त (critically endangered species) प्रजाति बताई गई है.
  • राजस्थान के अलावे यह चिड़ियाँ गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश में भी पाई जाती है. परन्तु इसका मुख्य निवास राजस्थान में ही है.

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