Sansar Daily Current Affairs, 21 May 2019
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : National Register of Citizens (NRC)
संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में यह व्यवस्था दी है कि यदि कोई विदेशी न्यायाधिकरण (foreigners tribunal) किसी व्यक्ति को एक अवैध विदेशी घोषित करता है तो वह व्यवस्था बाध्यकारी होगी और असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी में किसी नाम को डालने अथवा उससे निकालने से सम्बंधित सरकार के निर्णय पर हावी रहेगी.
समीक्षा
- जिन व्यक्तियों के नाम असम की NRC में नहीं हैं तो वे अपने वंशवृक्ष से सम्बंधित तथा अन्य दस्तावेज प्रस्तुत कर न्यायाधिकरण के निर्णय की समीक्षा की माँग कर सकते हैं.
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार विदेशी न्यायाधिकरण के द्वारा अवैध विदेशी घोषित किसी व्यक्ति के लिए वह संविधान की धारा 142 में दी गई शक्ति का प्रयोग करते हुए एक अपीलीय मंच का निर्माण नहीं कर सकता है.
अब क्या होगा?
यदि असम की NRC में अंकित किसी व्यक्ति का नाम उसके विदेशी होने के आधार पर विलोपित हो जाता है तो विदेशी न्यायाधिकरण के निर्णय पर ‘res-judicata’ का सिद्धांत लागू होगा अर्थात् न्यायिक निर्णय हो जाने के उपरान्त मामले को दुबारा खोला नहीं जा सकता. इस प्रकार जो व्यक्ति अवैध आव्रजक घोषित हो गया है वह फिर से निर्णय लेने की अपील नहीं कर सकता है.
विदेशी न्यायाधिकरण क्या है?
- विदेशी न्यायाधिकारण की स्थापना भारत सरकार के द्वारा विदेशी न्यायाधिकरण अधिनियम, 1946 के अनुभाग 3 के अंतर्गत पारित विदेशी (न्यायाधिकरण) आदेश, 1964 के अधीन की गई थी.
- विदेशी न्यायाधिकरण अधिनियम, 1946 में दी गई परिभाषा के अंतर्गत कौन व्यक्ति विदेशी है अथवा नहीं है, इसका निर्णय लेने के लिए भारत सरकार जब कभी आवश्यक हो तो विदेशी न्यायाधिकरण गठित कर सकती है.
- गठन : विदेशी न्यायाधिकरण में न्यायिक अनुभव वाले ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें सरकार नियुक्ति के लिए योग्य मानती है.
- शक्तियाँ : किसी मामले पर सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के अधीन सुनवाई करते समय न्यायाधिकरण के पास व्यवहार न्यायालय की सभी शक्तियाँ होंगी. दूसरे शब्दों में यह न्यायाधिकरण किसी भी व्यक्ति को बुला सकता है, कोई भी दस्तावेज माँग सकता है और किसी गवाह के परीक्षण के लिए आदेश दे सकता है.
NRC की प्रक्रिया क्यों शुरू की गई?
राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) वह सूची है जिसमें असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों के नाम दर्ज हैं. असम देश का एकमात्र राज्य है जहाँ NRC विद्यमान है. असम में विदेशियों के निष्कासन के लिए 1979 से 1985 तक एक बड़ा आन्दोलन चला था. 1985 में सरकार और आन्दोलनकारियों के बीच एक समझौता हुआ जिसके बाद आन्दोलन समाप्त कर दिया गया. समझौते में यह आश्वासन दिया गया था कि NRC का नवीकरण किया जायेगा. इस समझौते (Assam Accord) में 24 मार्च, 1971 को विदेशियों के पहचान के लिए cut-off तिथि निर्धारित की गई थी. इस आधार पर NRC ने अपना नवीनतम प्रारूप प्रकाशित किया है जिसमें बताया गया है कि राज्य के 40 लाख लोग यह प्रमाणित नहीं कर सके कि वे इस cut-off तिथि के पहले से वहाँ रह रहे हैं.
NRC
- NRC को पूरे देश में पहली और आखिरी बार 1951 में तैयार किया गया था.
- लेकिन इसके बाद इसे update नहीं किया गया था.
- NRC में भारतीय नागरिकों का लेखा-जोखा दर्ज होता है.
- 2005 में केंद्र, राज्य और All Assam Students Union के बीच समझौते के बाद असम के नागरिकों की दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई. ये पढ़ें >> असम समझौता
- मौजूदा प्रकिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रही है.
- सुप्रीम कोर्ट ने करीब दो करोड़ दावों की जांच के बाद 31 December तक NRC को पहला draft जारी करने का निर्देश दिया था.
- कोर्ट ने जांच में करीब 38 लाख लोगों के दस्तावेज संदिग्ध पाए थे.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Mohalla Clinics
संदर्भ
दिल्ली के मोहल्ला क्लिनिक की तर्ज पर अन्य कई राज्य अपने-अपने यहाँ इस प्रकार की क्लिनिक खोलना चाहते हैं. तेलंगाना, कर्नाटक, झारखण्ड और जम्मू-कश्मीर में इस परियोजना को लागू करने के विषय में रूचि परिदर्शित की है.
मोहल्ला क्लिनिक क्या है?
- मोहल्ला क्लिनिक वे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं जो 2015 में आरम्भ हुए थे. इन क्लिनिकों में दवाओं, रोग निदान और चिकित्सकीय परामर्श जैसी आवश्यक स्वास्थ्य सम्बन्धी आधारभूत सेवाएँ निःशुल्क प्रदान की जाती हैं.
- मोहल्ला क्लिनिक द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं के बोझ को कम करते हैं.
- प्रत्येक मोहल्ला क्लिनिक में एक चिकित्सक के अतिरिक्त एक तकनीशियन भी होता है जो रोगियों के आधार कार्ड का विवरण अंकित करता है. साथ यहाँ एक प्रयोगशाला सहायक भी होता है जो रक्त के नमूनों का संग्रह करता है और दवाई बाँटता है.
- ये क्लिनिक आठ बजे दिन से दो बजे दोपहर तक चलते हैं.
- प्रत्येक चिकित्सक को प्रति रोगी प्रतिदिन 30 रू. के हिसाब से भुगतान मिलता है.
- प्रत्येक पाँच किलोमीटर के अर्धव्यास तथा 10,000-15,000 की जनसंख्या पर एक मोहल्ला क्लिनिक खोलने की चेष्टा हुई है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : New definition of kilogram
संदर्भ
पिछले वर्ष भार एवं माप से सम्बंधित सामन्य सम्मेलन (General Conference on Weights and Measures – CGPM) में किलोग्राम की परिभाषा में परिवर्तन किया गया था. यह परिवर्तन 20 मई, 2019 से प्रभावी हो गया है. इसी संदर्भ में CSIR-NPL ने कुछ अनुशंसाएँ निर्गत की हैं जिनके अनुसार विद्यालयों के पाठ्यक्रम, इंजीनियरिंग शिक्षा की पुस्तकों और पाठ्यक्रमों में किलोग्राम की नई परिभाषा को सम्मिलित किया जाएगा.
CSIR-NPL अपना स्वयं का एक उपकरण – किब्ब्ल बैलेंस “Kibble Balance” – बनाने जा रहा है जिसका प्रयोग किलोग्राम की नई परिभाषा गढ़ने में किया गया था.
किलोग्राम की परिभाषा में परिवर्तन क्यों?
- वर्तमान में किलोग्राम की परिभाषा Le Grand K नामक एक प्लेटिनम के बने धातुपिंड के भार के आधार पर दी जाती है अर्थात् इसी धातुपिंड के भार को पूरे विश्व में एक किलोग्राम माना जाता है.
- यह धातुपिंड बहुत सुरक्षा के साथ पेरिस में बंद रखा जाता है.
- Le Grand K 1889 से भार नापने की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली का अग्रदूत बना हुआ है. इसकी कई प्रतिकृतियाँ बना-बना कर पूरे विश्व में वितरित की जाती है. परन्तु ऐसा देखा जाता है कि समय बीतने के साथ इनमें आंशिक क्षरण हो जाता है. विदित हो कि औषधि निर्माण, नैनो टेक्नोलॉजी और सटीक इंजीनियरिंग जैसे कई क्षेत्रों में सटीक माप अत्यधिक आवश्यक होती है. अतः Le Grand K के स्थान पर अधीक सटीक माप हेतु किलोग्राम की नई परिभाषा गढ़ना आवश्यक हो गया था.
Le Grand K कितना गलत है?
Le Grand K के भार में बहुत हल्का-सा अंतर आया है जो आँख की बरौनी के एक बाल के भार से भी कम है. यह अंतर अति-सूक्ष्म है, फिर भी इसके बड़े-बड़े परिणाम हो सकते हैं.
भार एवं माप से सम्बंधित सामन्य सम्मेलन (CGPM)
इस सम्मेलन में भारत समेत 60 देश हैं और 42 सम्बद्ध सदस्य भी हैं. इस सर्वोच्च अंतर्राष्ट्रीय निकाय पर सटीक माप निर्धारित करने की जिम्मेवारी होती है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Ultima Thule
संदर्भ
नासा को अल्टिमा थूले की सतह पर बर्फ, मेथनोल और जैव अणुओं का एक अनूठा मिश्रण मिला है. यह मिश्रण अनूठा इसलिए है कि अभी तक मिले अधिकांश बर्फीले पदार्थों से यह मिश्रण बहुत ही अलग है.
अल्टिमा थूले क्या है?
- अल्टिमा थूले सौर मंडल के अन्दर वरुण ग्रह के परिक्रमा पथ से भी आगे स्थित कुइपर बेल्ट (Kuiper belt) में स्थित है.
- इसका व्यास 30 किलोमीटर है और इसका आकार अनियमित है.
- इसका रंग लाल है जो करोड़ों वर्षों से इसके हाइड्रोकार्बनों पर धूप पड़ने से हुआ है.
- अल्टिमा थूले कुइपर बेल्ट पर पाए जाने वाले उन पिंडों में से एक है जिसे वैज्ञानिक कोल्ड क्लासिकल्स कहते हैं.
- इन पिंडों का परिक्रमा पथ लगभग गोल होता है और ये सूर्य के तल की ओर कम झुके रहते हैं.
न्यू होराइजन्स क्या है?
न्यू होराइजन्स 19 जनवरी, 2006 को छोड़ा गया था और तब से यह यात्रा कर रहा है. इस अन्तरिक्षयान का मूल कार्य प्लूटो और चारोन की सतह का नक्शा तैयार करना, प्लूटो के वायुमंडल का अध्ययन करना और तापमान का पता लगाना है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Seven mega missions by ISRO
संदर्भ
भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO ने घोषणा की है कि वह अगले दस वर्षों में सात बड़े-बड़े अभियान संचालित करेगा.
ये बड़े अभियान कौन-कौन से हैं?
- चंद्रयान 2
- 2020 में ब्रह्मांडीय विकिरण के अध्ययन के लिए XPoSat
- 2021 में सूर्य की ओर भेजा जाने वाला अन्तरिक्षयान आदित्य L-1
- 2022 में मंगल की परिक्रमा करने वाला अन्तरिक्षयान मंगलयान 2
- 2024 में चंद्रमा के ध्रुवों में खोज करने वाला चन्द्रयान 3
- 2023 में प्रस्तावित शुक्र अभियान
- 2028 में सौर मंडल के बाहरी भागों में खोज के लिए Exoworlds नामक अभियान
XPoSat क्या है?
- 2020 में छोड़ा जाने वाला यह अन्तरिक्षयान पाँच वर्षों तक ब्रह्मांडीय विकरण का अध्ययन करेगा. इसमें रामन् अनुसंधान संस्थान के द्वारा निर्मित एक POLIX नामक उपकरण लगा हुआ है. यह उपकरण चमकीले X-ray स्रोतों के ध्रुवीकरण के अंश और कोण का ऊर्जा शृंखला 5-30 keV में अध्ययन करेगा.
- POLIX का पूरा नाम है – ‘polarimeter instrument in X-rays’.
- Xposat अन्तरिक्षयान एक चक्रीय 500-700 km परिक्रमा पथ पर स्थापित किया जाएगा.
आदित्य – L1 अभियान क्या है?
- यहभारत का पहला सौर अभियान है. इसके अंतर्गत एक अंतरिक्षयान सूर्य तक भेजा जाएगा.
- उद्देश्य :यह अन्तरिक्षयान सूर्य की सबसे बाहरी परतों कोरोना और क्रोमोस्फीयरों का अध्ययन करेगा और साथ ही कोरोना प्रतिप्रेषण (corona ejection) के सम्बन्ध में आँकड़े जमा करेगा. इन आँकड़ों से अन्तरिक्षीय मौसम के पूर्वानुमान के लिए सूचना प्राप्त होगी.
- अभियान का माहात्म्य :आदित्य अभियान से प्राप्त आँकड़ों से सौर आँधियों की उत्पत्ति से सम्बंधित विभिन्न मॉडलों को अलग-अलग समझने में सहायता मिलेगी. साथ ही यह पता चलेगा कि यह आंधियाँ कैसे बनती हैं और सूर्य से लेकर पृथ्वी तक पहुँचने के लिए ये अन्तरिक्ष में कौन-सा मार्ग अपनाती हैं.
- यान की स्थिति: सूर्य का सबसे अच्छा दृश्य पाने के लिए यह आवश्यक है कि वहाँ भेजा गया यान ऐसी स्थिति में हो जहाँ सूर्य को बिना अड़चन (ग्रहण) के लगातार देखा जा सकता है. इसलिए आदित्य – L1 को सौर-पृथ्वी प्रणाली के लेग्रेंगियन बिंदु 1 (L1) के चारों ओर के हेलो परिक्रमा पथ में स्थापित किया जाएगा.
Prelims Vishesh
Vayoshreshtha Samman :-
- हाल ही में वयोश्रेष्ठ सम्मान, 2019 के लिए व्यक्तियों और संस्थाओं से नामांकन आमंत्रित किये गये.
- विदित हो कि यह सम्मान सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (Ministry of Social Justice & Empowerment) के द्वारा स्थापित एक राष्ट्रीय पुरस्कार है जो वयोवृद्ध लोगों के लिए की गई सेवा के लिए 2005 से ही दी जा रहा है.
- यह सम्मान प्रत्येक वर्ष अक्टूबर में दिया जाता है.
Not all animals migrate by choice campaign launched :-
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण भारत एवं भारतीय वन्यजीवन अपराध नियंत्रण ब्यूरो (UN Environment India and Wildlife Crime Control Bureau – WCCB) ने संयुक्त रूप से एक जागरूकता अभियान चलाया है जिसकी थीम है कि सभी पशु अपनी इच्छा से अपना निवास नहीं त्यागते.
Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA
April, 2019 Sansar DCA is available Now, Click to Download