Sansar डेली करंट अफेयर्स, 25 May 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 25 May 2019


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : Shanghai Cooperation Organization (SCO)

संदर्भ

किर्गिस्तान के बिश्केक नगर में दूसरे शंघाई सहयोग संगठन मास मीडिया मंच (SCO Mass Media Forum) का आयोजन हो रहा है.

  • इस मंच का उद्देश्य SCO के देशों के बीच मास मीडिया के क्षेत्र में विचार-विनिमय और सहयोग को सुदृढ़ करना है.
  • यह मंच मास मीडिया के माध्यम से SCO के वस्तुनिष्ठ विज़न के निर्माण का अवसर प्रदान तो करता ही है, अपितु वैश्विक सूचना जगत में इसकी सकारात्मक छवि को सुदृढ़ भी करता है.
  • इस मंच में सम्मिलित होने वाले प्रतिनिधि ये हैं – SCO के सदस्य देशों, पर्यवेक्षक देशों और संवाद के भागीदारों के मास मीडिया निकाय; इन देशों की मास मीडिया के अग्रणी प्रतिनिधि तथा SCO सचिवालय के प्रतिनिधि.

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पृष्ठभूमि

SCO मीडिया मंच की पहली बैठक बीजिंग में 1 जून, 2018 को हुई थी. इस बैठक की थीम थी – “शंघाई भावना (Shanghai Spirit) का विकास” तथा “मास मीडिया सहयोग में नए युग का सूत्रपात”. इस बैठक में 16 देशों के 110 मीडिया प्रतिनिधि सम्मिलित हुए थे. साथ ही SCO के सदस्य देशों, पर्यवेक्षक देशों और संवाद भागीदारों के भी प्रतिनिधि आये थे.

Shanghai Cooperation Organization क्या है?

  • शंघाई सहयोग संगठन एक राजनैतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग संगठन है जिसकी शुरुआत चीन और रूस के नेतृत्व में यूरेशियाई देशों ने की थी. दरअसल इसकी शुरुआत चीन के अतिरिक्त उन चार देशों से हुई थी जिनकी सीमाएँ चीन से मिलती थीं अर्थात् रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और तजाकिस्तान. इसलिए इस संघठन का प्राथमिक उद्देश्य था कि चीन के अपने इन पड़ोसी देशों के साथ चल रहे सीमा-विवाद का हल निकालना. इन्होंने अप्रैल 1996 में शंघाई में एक बैठक की. इस बैठक में ये सभी देश एक-दूसरे के बीच नस्ली और धार्मिक तनावों को दूर करने के लिए आपस में सहयोग करने पर राजी हुए. इस सम्मेलन को शंघाई 5 कहा गया.
  • इसके बाद 2001 में शंघाई 5 में उज्बेकिस्तान भी शामिल हो गया. 15 जून 2001 को शंघाई सहयोग संगठन की औपचारिक स्थापना हुई.

शंघाई सहयोग संगठन के मुख्य उद्देश्य

शंघाई सहयोग संगठन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं –

  1. सदस्यों के बीच राजनैतिक, आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को बढ़ाना.
  2. तकनीकी और विज्ञान क्षेत्र, शिक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्र, ऊर्जा, यातायात और पर्यटन के क्षेत्र में आपसी सहयोग करना.
  3. पर्यावरण का संरक्षण करना.
  4. मध्य एशिया में सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए एक-दूसरे को सहयोग करना.
  5. आंतकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी और साइबर सुरक्षा के खतरों से निपटना.

SCO का विकास कैसे हुआ?

  1. 2005 में कजाकिस्तान के अस्ताना में हुए SCO के सम्मेलन में भारत, ईरान, मंगोलिया और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने पहली बार इसमें हिस्सा लिया.
  2. 2016 तक भारत SCO में एक पर्यवेक्षक देश के रूप में सम्मिलित था.
  3. भारत ने सितम्बर 2014 में शंघाई सहयोग संगठन की सदस्यता के लिए आवेदन किया.
  4. जून 2017 में अस्ताना में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान को भी औपचारिक तौर पर पूर्ण सदस्यता प्रदान की गई.
  5. वर्तमान में SCO की स्थाईसदस्य देशों की संख्या 8है – चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान.
  6. जबकि चार देश इसके पर्यवेक्षक (observer countries) हैं – अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया.
  7. इसके अलावा SCO में छह देश डायलॉग पार्टनर (dialogue partners) हैं – अजरबैजान, आर्मेनिया, कम्बोडिया, नेपाल, तुर्की और श्रीलंका.

SCO क्यों महत्त्वपूर्ण है?

SCO ने संयुक्त राष्ट्र संघ से भी अपना सम्बन्ध कायम किया है. SCO संयुक्त राष्ट्र की महासभा में पर्यवेक्षक है. इसने यूरोपियन संघ, आसियान, कॉमन वेल्थ और इस्लामिक सहयोग संगठन से भी अपने सम्बन्ध स्थापित किये हैं. सदस्य देशों के बीच समन्वय के लिए 15 जनवरी, 2004 को SCO सचिवालय की स्थापना की गई. शंघाई सहयोग संगठन के महत्त्व का पता इसी बात से चलता है कि इसके आठ सदस्य देशों में दुनिया की कुल आबादी का करीब आधा हिस्सा रहता है. इसके साथ-साथ SCO के सदस्य देश दुनिया की 1/3 GDP और यूरेशिया (यूरोप+एशिया) महाद्वीप के 80% भूभाग का प्रतिनिधित्व करते हैं.

इसके आठ सदस्य देश और 4 पर्यवेक्षक देश दुनिया के उन क्षेत्रों में आते हैं जहाँ की राजनीति विश्व राजनीति पर सबसे अधिक असर डालती हैं. श्रम या मानव संसाधन के लिहाज से भारत और चीन खुद को संयुक्त रूप से दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति कह सकते हैं. IT, engineering, रेडी-मेड गारमेंट्स, मशीनरी, कृषि उत्पादन और रक्षा उपकरण बनाने के मामले में रूस, भारत और चीन दुनिया के कई विकसित देशों से आगे है. ऊर्जा और इंजीनियरिंग क्षेत्र में कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और तजाकिस्तान जैसे मध्य-एशियाई देश काफी अहमियत रखते हैं. इस लिहाज से SCO वैश्विक व्यापार, अर्थव्यवस्था और राजनीति पर असर डालने की क्षमता रखता है. हालाँकि इन देशों के बीच आपसी खीचतान भी रही है. ये सभी देश आतंकवाद से पीड़ित भी रहे हैं. ये देश एक-दूसरे की जरूरतें पूर्ण करने में सक्षम हैं. SCO में शामिल देश रक्षा और कृषि उत्पादों के सबसे बड़ा बाजार हैं. IT, electronics और मशीनरी उत्पादन में इन देशों ने हाल के वर्षों में काफी प्रगति की है.


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : EQUIP project

संदर्भ

भारत सरकार का मानव संसाधन विकास मंत्रालय EQUIP नामक एक डेढ़ लाख करोड़ की परियोजना का आरम्भ करने जा रहा है जिसका उद्देश्य आगामी पाँच वर्षों में उच्चतर शिक्षा की गुणवता एवं उप्लब्ध्यता में सुधार लाना है.

मुख्य तथ्य

  • EQUIP का पूरा नाम है – Education Quality Upgradation and Inclusion Programme.
  • इस कार्यक्रम की रूपरेखा सरकार के विशेषज्ञों की अध्यक्षता में गठित दस समितियों ने तैयार की है.

लक्ष्य : EQUIP का लक्ष्य नीति और क्रियानव्यन के बीच के अंतराल को पाटना है. इसके माध्यम से आने वाले पाँच वर्षों में उच्चतर शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाना है.

उद्देश्य

  1. इस परियोजना में उच्चतर शिक्षा की उपलभ्यता पर बल देना, विशेषकर वंचित समुदायों के लिए.
  2. नामांकन की संख्या में सुधार लाना.
  3. शिक्षण और सीखने की प्रक्रियाओं में सुधार लाना.
  4. शैक्षणिक अवसरंचना का निर्माण करना.
  5. शोध एवं नवाचार की गुणवत्ता बढ़ाना.
  6. शिक्षण में तकनीक और ऑनलाइन साधनों का प्रयोग करना.
  7. अभिप्रमाणन प्रणालियों, प्राशासनिक ढाँचों और वित्त पोषण पर काम करना.

GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : Square Kilometre Array (SKA)

संदर्भ

पिछले दिनों कैंब्रिज के वैज्ञानिकों ने विश्व की सबसे बड़ी रेडियो दूरबीन SKA अर्थात् Square Kilometre Array के “मस्तिष्क” की रूपरेखा को अंतिम रूप दे दिया है.

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मुख्य तथ्य

  • इसमें एक सुपर कंप्यूटर होता है जो SKA की दूरबीनों के द्वारा उत्पादित विशाल डाटा का प्रसंस्करण करेगा.
  • इसके लिए कंप्यूटर की सम्पूर्ण शक्ति लगभग 250 PFlops होगी. इसका अर्थ यह है कि यह सुपर कंप्यूटर IBM के सुपर कंप्यूटर समिट (Summit) से 25% अधिक तेज चलेगा. विदित हो कि अभी सुमिट ही विश्व का सबसे तेज सुपर कंप्यूटर है.

माहात्म्य

पूरा हो जाने के बाद SKA की सहायता से खगोलवेत्ता आकाश पर अभूतपूर्व विस्तार के साथ नज़र रख सकेंगे और वर्तमान की किसी भी प्रणाली से बहुत तेज ढंग से पूरे आकाश का सर्वेक्षण कर पायेंगे.

SKA परियोजना क्या है?

  • SKA परियोजना एक अंतर्राष्ट्रीय परियोजना है जिसके अंतर्गत एक वर्ग किलोमीटर अर्थात् 10 लाख वर्ग मीटर के क्षेत्र में अनेक दूरबीन स्थापित कर के विश्व की सबसे बड़ी रेडियो दूरबीन बनाई जा रही है.
  • SKA में अंततः हजारों डिश और दस लाख कम फ्रीक्वेंसी के एंटेना लगाये जाएँगे.
  • माहात्म्य : SKA की रूपरेखा ऐसी बनाई गई है कि इससे प्राप्त होने वाले इमेज रेजोल्यूशन की गुणवत्ता हबल अन्तरिक्ष दूरबीन से बहुत अधिक होगी. यह आकाश के विशाल क्षेत्र की छवि खींचने वाला अब तक की सबसे बड़ी दूरबीन होगी.
  • सहयोगी देश : SKA परियोजना में दस सदस्य देश सहयोग कर रहे हैं. इनके अतिरिक्त लगभग 20 देशों के 100 संगठन भी SKA की रूपरेखा और निर्माण में सहभागी हैं.
  • अवस्थिति : SKA के एंटेना और डिश हजारों होंगे जो दक्षिण अफ्रीका के कारू नगर में बनाए जाएँगे. परन्तु अन्य जगहों पर भी ऐसे डिश और एंटेना स्थापित होंगे. ये जगहें दक्षिण अफ्रीका के अतिरिक्त अफ्रीका के आठ भागीदार देशों में भी लगेंगे, जो हैं – बोत्सवाना, घाना, केनिया, मेडागास्कर, मौरिशस, मोजांबिक, नामीबिया और ज़ाम्बिया. SKA के कुछ कम फ्रीक्वेंसी वाली दूरबीनें पश्चिम ऑस्ट्रेलिया में अधिष्ठापित की जाएँगी.

GS Paper  3 Source: Times of India

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Topic : Athena and LISA missions

संदर्भ

एथीना (Athena) और लीजा (Lisa) नामक ESA के दो आगामी अभियानों की पर्यवेक्षण शक्ति को एकत्र करने का एक प्रस्ताव अनुसंधानकर्ताओं द्वारा दिया गया है. इसका उद्देश्य दो विशाल आयतन वाले कृष्ण विवरों (black holes) के टकराव से उतपन्न प्रभावों का अध्ययन करना है. विदित हो कि ये दोनों अभियान 2030 के दशक के पहले भाग में प्रक्षेपित होने हैं.

पृष्ठभूमि

विशाल आयतन वाले कृष्ण विवरों का आयतन सूर्य की तुलना में करोड़ों गुना अधिक होता है. ये कृष्ण विवर ब्रह्मांड में अधिकांश बड़े आयतन वाली आकाशगंगाओं के मूल में स्थित होते हैं. हमें यह ठीक से पता नहीं कि ये विशाल और अतिशय घने पिंड कैसे बने. हमें यह भी जानकारी नहीं कि ऐसा क्या होता है कि ये विवर आस-पास के पदार्थों को बहुत ही तीव्र गति से निगलने लगते हैं. इस क्रम में ये विवर विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम में प्रचुर मात्रा में विकिरण छोड़ने लगते हैं तथा जिन आकाशगंगाओं में ये स्थित होते हैं उनको वे सक्रिय आकाशगंगा नाभिक (active galactic nuclei) में बदल डालते हैं.

एथीना क्या है?

  • इसका पूरा नाम है – Advanced Telescope for High-ENergy Astrophysics.
  • एथीना अब तक की बनी सबसे बड़ी X-Ray वेधशाला होगी जो अभूतपूर्व सटीकता और गहराई के साथ ब्रह्मांड के कुछ सबसे गर्म और ऊर्जायुक्त घटनाक्रम की पड़ताल करेगी.
  • इसके माध्यम से इन दो मूलभूत प्रश्नों का उत्तर खोजा जाएगा – i) आकाशगंगाओं के केंद्र में विशाल आयतन वाले कृष्ण विवर कैसे बनते हैं और कैसे विकसित होते हैं, तथा ii) अदृश्य काले पदार्थ के साथ मिलकर साधारण पदार्थ किस प्रकार पूरे ब्रह्मांड में फैले हुए कॉस्मिक वेव का निर्माण करते हैं.
  • उद्देश्य : एथीना अपेक्षाकृत नजदीक से लाखों कृष्ण विवरों को नापेगी. इसके लिए वह उन विवरों के आस-पास स्थित 10 लाख डिग्री सेल्सियस गर्म पदार्थ से निकलने वाले X-Ray उत्सर्जन का अध्ययन करेगा.

LISA क्या है?

  • इसका पूरा नाम है – Laser Interferometer Space Antenna है.
  • LISA ऐसी पहली अन्तरिक्ष में स्थित वेधशाला होगी जो अन्तरिक्ष समय (space time) में होने वाले उतार-चढ़ाव अर्थात् गुरुत्वजनित तरंगों का अध्ययन करेगी. विदित हो कि ये तरंगें अत्यंत प्रबल गुरुत्व क्षेत्रों से युक्त ब्रह्मांडीय पिंडों की गति में वृद्धि के कारण उत्पन्न होती हैं, जैसे – दो कृष्ण विवरों के आपास में मिल जाने से.
  • LISA कम फ्रीक्वेंसी वाली गुरुत्वजनित तरंगों का पता लगाएगी. ऐसी तरंगें तब उत्पन्न होती हैं जब आकाशगंगाओं के विलय के समय दो विशाल आयतन वाले कृष्ण विवर आपस में टकराते हैं.
  • LISA में यह क्षमता है कि वह कृष्ण विवरों द्वारा उत्सर्जित गुरुत्वजनित तरंगों का पता उनके टकराने के एक महिना पहले ही लगा लेगी. उस समय दो कृष्ण विवरों के बीच में जो दूरी होगी, वह उनकी त्रिज्या की लम्बाई से कई गुना अधिक होगी.

GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : Open market operations (OMO)

संदर्भ

भारतीय रिज़र्व बैंक नीलामी के रास्ते से सरकारी बांडों के क्रय के माध्यम से अगले महीने वित्तीय प्रणाली में 15,000 करोड़ रू. डालने की योजना बना रहा है. इसके लिए सरकारी प्रतिभूतियों को ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO) के अंतर्गत ख़रीदा जाएगा. यह निर्णय तरलता के वर्तमान परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.

OMO क्या है?

  • OMO भारतीय रिज़र्व बैंक के द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों और कोषागार विपत्रों के क्रय एवं विक्रय को कहते हैं.
  • OMO का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति को नियमित करना होता है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक इस प्रकार का क्रय-विक्रय केवल वाणिज्यिक बैंकों के माध्यम से करता है और जनसाधारण से वह प्रत्यक्ष कारोबार नहीं करता है.

विशेषताएँ

जब RBI को अर्थव्यवस्था में धन प्रवाह बढ़ाना होता है तो वह सरकारी प्रतिभूतियों को बाजार से खरीदता है तथा जब अर्थव्यवस्था से तरलता को घटाना होता है तो वह सरकारी प्रतिभूतियों को बेचता है.

इस पर हमने एक अच्छा आर्टिकल लिखा है, जरुर पढ़ें > Open Market Operations in Hindi


Prelims Vishesh

BrahMos Missile :

  • पिछले दिनों कार निकोबार द्वीपसमूह से पूर्वी आदेश इकाई ने ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण किया.
  • ज्ञातव्य है कि ब्रह्मोस विश्व का अपने ढंग का सबसे तेज क्रूज मिसाइल है जो ध्वनि की तिगुनी गति पर चलता है और 290 किलोमीटर की दूरी पर लक्ष्य को भेद सकता है.
  • ब्रह्मोस का विकास ब्रह्मोस कोर्पोरेशन ने किया है.
  • यह भारत के DRDO और रूस केNPO Mashinostroeniya का संयुक्त उपक्रम है.
  • ब्रह्मोस नाम भारत की नदी ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी के नाम पर पड़ा है.
  • रूस इस परियोजना में प्रक्षेपास्त्र तकनीक उपलब्ध करा रहा है.
  • उड़ान के दौरान मार्गदर्शन की इसकी क्षमता (navigation power) भारत ने विकसित की है.

Dissolution of Lok Sabha :

  • पिछले दिनों केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 16वीं लोकसभा को भंग करने के लिए राष्ट्रपति से अनुशंसा की.
  • ज्ञातव्य है कि इस लोकसभा का गठन 5.2014 को हुआ था, अतः इसने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया था.
  • विदित हो कि राष्ट्रपति द्वारा विघटन (भंग) होने के बाद लोकसभा के वर्तमान समय का जीवन समाप्त हो जाता है.

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