Sansar Daily Current Affairs, 15 June 2019
GS Paper 1 Source: PIB
Topic : Muslim Women (Protection of Rights on Marriage), Bill 2019
संदर्भ
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार सुरक्षा) विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी है.
मामले का इतिहास
अगस्त 22, 2017 को सर्वोच्च न्यायालय ने तीन तलाक की प्रथा को असंवैधानिक करार कर दिया था. इस आदेश के अनुपालन में दिसम्बर 2017 को लोक सभा में मुस्लिम महिला सुरक्षा विधेयक, 2017 पारित किया गया था जिसके द्वारा तीन तलाक अर्थात् तलाके बिद्द्त (talaq-e-bidda) को अपराध घोषित किया गया था.
लोक सभा में पारित होने के पश्चात् विधेयक राज्य सभा में लाया गया तो वहाँ यह पारित नहीं हो सका और विधयेक को संसद के शीतकालीन सत्र तक के लिए लटका दिया गया. इस पर सरकार ने एक अध्यादेश निर्गत किया. इस अध्यादेश की अब छह महीने की अवधि समाप्त हो गई है. इसलिए सरकार विधेयक को कतिपय संशोधनों के साथ पुनः लोक सभा में उपस्थापित किया और वहाँ से पारित कराया. इसके बाद यह विधेयक फिर से राज्य सभा में गया पर वहाँ पारित नहीं हो सका.
इसके पश्चात् सरकार समय-समय पर तीन तलाक के विषय में अध्यादेश लाती रही. अंततोगत्वा लोक सभा भंग हो जाने के कारण इसे अब नई लोक सभा के समक्ष पारित कराना होगा.
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार सुरक्षा) विधेयक 2019 का लक्ष्य
प्रस्तावित विधेयक विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करेगा और उनके पतियों द्वारा तलाके बिद्द्त देकर तुरंत तलाक देने की प्रथा पर रोक लगाएगा. इस विधेयक में तलाके बिद्द्त अर्थात् तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं को गुजारा भत्ता देने का प्रावधान किया गया है और साथ ही अवयस्क बच्चों का संरक्षण महिला को देने की व्यवस्था की गई है.
2019 विधेयक के मुख्य प्रावधान
- विधेयक के अनुसार तलाक की सूचना कानून की नज़र में गलत होगी चाहे वह लिखित में अथवा इलेक्ट्रॉनिक रूप में ही क्यों न हो!
- तलाके बिद्द्त की परिभाषा : यह विधेयक तलाके बिद्द्त को उस प्रथा के रूप में परिभाषित करता है जिसके अन्दर किसी मुस्लिम पुरुष के द्वारा एक बार में तलाक शब्द को तीन बार बोलकर तत्काल रूप से पत्नी को तलाक दे दी जाती है और यह अकाट्य होती है.
- अपराध और दंड : विधेयक में तलाक की घोषणा को एक संज्ञेय अपराध बना दिया गया है जिसके लिए तीन वर्ष का कारावास और आर्थिक दंड का प्रावधान होगा.
- परन्तु यह अपराध तभी संज्ञेय होगा जब इसकी सूचना इन स्रोतों से प्राप्त होगी – i) वह विवाहित महिला जिसको तलाक दी गई है अथवा ii) कोई ऐसा व्यक्ति उस महिला का रक्त का अथवा विवाह का रिश्ता हो.
- विधेयक में यह प्रावधान है कि दंडाधिकारी आरोपित व्यक्ति को जमानत दे सकता है, परन्तु जमानत देने के पहले पीड़ित महिला को सुनना होगा. जमानत तभी दी जायेगी जब दंडाधिकारी संतुष्ट हो जाए कि ऐसा करने के लिए उचित आधार हैं.
- विधेयक में तीन तलाक के अपराध के लिए यह प्रावधान भी किया गया है कि आपसी स्वीकृति से दोनों पक्ष विवाद को निपटाते हुए कानूनी प्रक्रिया को रोक दें.
- भत्ता : जिस महिला को तलाक दी गई है उसे अपने पति से अपने तथा बच्चों के लिए गुजरा भत्ता लेने का अधिकार होगा. गुजरा भत्ता कितना होगा इसका निर्णय दंडाधिकारी करेगा.
- संरक्षण : तलाक दी गई महिला को यह अधिकार है कि वह अपने अवयस्क बच्चों का संरक्षण माँगे. यह संरक्षण किस ढंग से दिया जाएगा इसका निर्णय दंडाधिकारी करेगा.
तीन तलाक क्या है?
- इस्लाम में तलाक के तीन प्रकार हैं – अहसान, हसन और तलाके बिद्दा (Teen Talaq)
- इनमें से अहसान और हसन तलाक वापस ली जा सकती है, परन्तु तलाके बिद्दा वापस नहीं होती है.
- ज्ञातव्य है कि तलाके बिद्दा 20 से अधिक मुसलमानी देशों, पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित, में प्रतिबंधित हो चुका है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Shanghai Cooperation Organization (SCO)
संदर्भ
पिछले दिनों किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का शिखर सम्मलेन, 2019 सम्पन्न हुआ.
शंघाई सहयोग संगठन क्या है?
- शंघाई सहयोग संगठन एक राजनैतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग संगठन है जिसकी शुरुआत चीन और रूस के नेतृत्व में यूरेशियाई देशों ने की थी. दरअसल इसकी शुरुआत चीन के अतिरिक्त उन चार देशों से हुई थी जिनकी सीमाएँ चीन से मिलती थीं अर्थात् रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और तजाकिस्तान. इसलिए इस संघठन का प्राथमिक उद्देश्य था कि चीन के अपने इन पड़ोसी देशों के साथ चल रहे सीमा-विवाद का हल निकालना. इन्होंने अप्रैल 1996 में शंघाई में एक बैठक की. इस बैठक में ये सभी देश एक-दूसरे के बीच नस्ली और धार्मिक तनावों को दूर करने के लिए आपस में सहयोग करने पर राजी हुए. इस सम्मेलन को शंघाई 5 कहा गया.
- इसके बाद 2001 में शंघाई 5 में उज्बेकिस्तान भी शामिल हो गया. 15 जून 2001 को शंघाई सहयोग संगठन की औपचारिक स्थापना हुई.
शंघाई सहयोग संगठन के मुख्य उद्देश्य
शंघाई सहयोग संगठन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं –
- सदस्यों के बीच राजनैतिक, आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को बढ़ाना.
- तकनीकी और विज्ञान क्षेत्र, शिक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्र, ऊर्जा, यातायात और पर्यटन के क्षेत्र में आपसी सहयोग करना.
- पर्यावरण का संरक्षण करना.
- मध्य एशिया में सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए एक-दूसरे को सहयोग करना.
- आंतकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी और साइबर सुरक्षा के खतरों से निपटना.
SCO का विकास कैसे हुआ?
- 2005 में कजाकिस्तान के अस्ताना में हुए SCO के सम्मेलन में भारत, ईरान, मंगोलिया और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने पहली बार इसमें हिस्सा लिया.
- 2016 तक भारत SCO में एक पर्यवेक्षक देश के रूप में सम्मिलित था.
- भारत ने सितम्बर 2014 में शंघाई सहयोग संगठन की सदस्यता के लिए आवेदन किया.
- जून 2017 में अस्ताना में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान को भी औपचारिक तौर पर पूर्ण सदस्यता प्रदान की गई.
- वर्तमान में SCO की स्थाई सदस्य देशों की संख्या 8 है – चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान.
- जबकि चार देश इसके पर्यवेक्षक (observer countries) हैं – अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया.
- इसके अलावा SCO में छह देश डायलॉग पार्टनर (dialogue partners) हैं – अजरबैजान, आर्मेनिया, कम्बोडिया, नेपाल, तुर्की और श्रीलंका.
SCO क्यों महत्त्वपूर्ण है?
SCO ने संयुक्त राष्ट्र संघ से भी अपना सम्बन्ध कायम किया है. SCO संयुक्त राष्ट्र की महासभा में पर्यवेक्षक है. इसने यूरोपियन संघ, आसियान, कॉमन वेल्थ और इस्लामिक सहयोग संगठन से भी अपने सम्बन्ध स्थापित किये हैं. सदस्य देशों के बीच समन्वय के लिए 15 जनवरी, 2004 को SCO सचिवालय की स्थापना की गई. शंघाई सहयोग संगठन के महत्त्व का पता इसी बात से चलता है कि इसके आठ सदस्य देशों में दुनिया की कुल आबादी का करीब आधा हिस्सा रहता है. इसके साथ-साथ SCO के सदस्य देश दुनिया की 1/3 GDP और यूरेशिया (यूरोप+एशिया) महाद्वीप के 80% भूभाग का प्रतिनिधित्व करते हैं.
इसके आठ सदस्य देश और 4 पर्यवेक्षक देश दुनिया के उन क्षेत्रों में आते हैं जहाँ की राजनीति विश्व राजनीति पर सबसे अधिक असर डालती हैं. श्रम या मानव संसाधन के लिहाज से भारत और चीन खुद को संयुक्त रूप से दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति कह सकते हैं. IT, इंजीनियरिंग, रेडी-मेड गारमेंट्स, मशीनरी, कृषि उत्पादन और रक्षा उपकरण बनाने के मामले में रूस, भारत और चीन दुनिया के कई विकसित देशों से आगे है. ऊर्जा और इंजीनियरिंग क्षेत्र में कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और तजाकिस्तान जैसे मध्य-एशियाई देश काफी अहमियत रखते हैं. इस लिहाज से SCO वैश्विक व्यापार, अर्थव्यवस्था और राजनीति पर असर डालने की क्षमता रखता है. हालाँकि इन देशों के बीच आपसी खीचतान भी रही है. ये सभी देश आतंकवाद से पीड़ित भी रहे हैं. ये देश एक-दूसरे की जरूरतें पूर्ण करने में सक्षम हैं. SCO में शामिल देश रक्षा और कृषि उत्पादों के सबसे बड़ा बाजार हैं. IT, electronics और मशीनरी उत्पादन में इन देशों ने हाल के वर्षों में काफी प्रगति की है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Information Fusion Centre (IFC) for the Indian Ocean Region (IOR)
संदर्भ
भारतीय नौसेना गुरुग्राम, हरियाणा में सूचना संकलन केंद्र (IFC) – हिन्द महासागर क्षेत्र (IOR) के तत्त्वावधान में समुद्री सूचना आदान-प्रदान कार्यशाला, 2019 आयोजित करने जा रही है. इस कार्यशाला का उद्देश्य इसके सभी प्रतिभागियों को IFC-IOR तथा इसके सूचना साझा करने के तंत्र के बारे अवगत कराना है.
इसका एक उद्देश्य इस क्षेत्र में प्रचलित सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना भी है जिससे कि IOR द्वारा सुरक्षा से सम्बंधित जिन चुनौतियों का सामना किया जाता है उसका बेहतर समाधान हो सके.
IFC क्या है?
- यह सूचनाओं के संकलन का एक केंद्र है जहाँ हिन्द महासागर क्षेत्र से सम्बंधित सामुद्रिक सूचना इकट्ठी की जाती है. यहाँ से इस महासागर में हो रही सामुद्रिक गतिविधियों की समग्र जानकारी उपलब्ध होती है.
- समेकित सूचना संकलन केंद्र गुरुग्राम में स्थित नौसेना के सूचना प्रबंधन एवं विश्लेषण केंद्र में स्थापित है.
- इस केंद्र से सभी तटीय रडार जुड़े हुए हैं जिनसे देश की लगभग 7,500 किमी. लम्बी समुद्र तट रेखा का प्रत्येक क्षण का चित्र निर्बाध रूप से प्राप्त हो सकता है.
- इस केंद्र के माध्यम से श्वेत जहाजरानी (white shipping) अर्थात् वाणिज्यिक जहाजरानी के विषय में इस कार्यशाला में सूचनाओं का आदान-प्रदान क्षेत्र के अन्य देशों के साथ किया जाएगा जिससे कि हिन्द महासागर में सामुद्रिक गतिविधियों के प्रति जागरूकता में सुधार लाया जा सके.
कार्यशाला आवश्यक क्यों?
- हिन्द महासागर क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के तटीय देश और द्वीपीय देश हैं जिन सभी की अपनी-अपनी अनोखी आवश्यकताएँ, आकांक्षाएँ, हित एवं मान्यताएं हैं.
- क्षेत्र में समुद्री डकैती बढ़ गई है जिसका निदान निकलना आवश्यक है.
- IFC-IOR यह सुनिश्चित करेगा कि समूचे क्षेत्र को पारस्परिक सहयोग एवं सूचना के आदान-प्रदान से लाभ हो तथा वे यहाँ की चिंताओं और खतरों के विषय में समझ रखें.
हिन्द महासागर का महत्त्व क्यों?
- यह महासागर वैश्विक व्यापार के चौराहे पर स्थित है. अतः यह उत्तरी अटलांटिक और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थित बड़ी-बड़ी अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को जोड़ता है. इसका महत्त्व इसलिए बढ़ जाता है कि आज की युग में वैश्विक जहाजरानी उभार पर है.
- हिन्द महासागर प्राकृतिक संसाधनों में भी समृद्ध है. विश्व का 40% तटक्षेत्रीय तेल उत्पादन हिन्द महासागर की तलहटियों में ही होता है.
- विश्व का 15% मत्स्य उद्योग हिन्द महासागर में ही होता है.
- हिन्द महासागर की तलहटी तथा तटीय गाद में बहुत-सारे खनिज होते हैं, जैसे – निकल, कोबाल्ट, लोहा, मैंगनीज, तांबा, जस्ता, चाँदी, सोना, टाइटेनियम, ज़िरकोनियम, टिन आदि. इनके अतिरिक्त यहाँ बहुत-सारे दुर्लभ मृदा तत्त्व (Rare Earth Elements) भी विद्यमान हैं, यद्यपि इनको निकालना व्यवासायिक रूप से सदैव लाभप्रद नहीं होता है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Windrush Scheme
संदर्भ
इंग्लैंड के गृह सचिव ने विंडरश योजना में घोटाले (Windrush scandal) के लिए एक बार फिर व्यक्तिगत रूप से क्षमा मांगी है. विदित हो, ऐसा आरोप है कि इंग्लैंड में आने वाले विदेशी आव्रजकों को गलत ढंग से ब्रिटिश नागरिकता के अधिकार से वंचित कर दिया गया था जिनमें अनेक भारतीय भी थे.
विंडरश योजना क्या है?
विंडरश योजना वह योजना है जिसके अन्दर राष्ट्रकुल के नागरिकों, उनके बच्चों तथा इंग्लैंड में लम्बी अवधि से रहने वाले कुछ अन्य निवासियों को उनके स्टेटस की पुष्टि से सम्बंधित प्रलेख निःशुल्क दिए जाते हैं.
इस योजना के लाभ के लिए पात्रता
- राष्ट्रकुल का वह नागरिक जो 1 जनवरी, 1973 से पहले इंग्लैंड में बस गया हो या निवास का अधिकार पा लिया हो.
- राष्ट्रकुल के उस अभिभावक का बच्चा जो इंग्लैंड में 1 जनवरी, 1973 के पहले से बसा हुआ हो चाहे उस बच्चे का जन्म इंग्लैंड में हुआ हो अथवा वह इंग्लैंड में 18 वर्ष की उम्र के पहले से ही पहुँचा हुआ हो.
- किसी भी राष्ट्रीयता का वह व्यक्ति जो 31 दिसम्बर, 1988 से पहले इंग्लैंड में बस गया हो.
पृष्ठभूमि
पूर्ववर्ती ब्रिटिश उपनिवेशों के उन नागरिकों को विंडरश पीढ़ी कहते हैं जो इंग्लैंड में 1973 के पहले पहुँचे थे. विदित हो कि 1973 में ऐसे व्यक्तियों के इंग्लैंड में रहने और काम करने की सुविधा में अच्छी-खासी कटौती की गई थी. विंडरश योजना का नाम MV एम्पायर विंडरश नामक जहाज पर पड़ा है जो जमैका से 500 लोगों को लेकर इंग्लैंड के टिलबरी बंदरगाह पर जून 22, 1948 को इंग्लैंड की सरकार के आमंत्रण पर पहुँचा था.
विंडरश घोटाला क्या है?
- हाल के महीनों में शिकायत आ रही थी कि विंडरश पीढ़ी के सदस्यों के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है जिसके फलस्वरूप अधिकांशतः बुजुर्ग लोगों को काम करने की अनुमति नहीं दी जा रही थी और इन्हें उनके देश वापस भेजने की धमकी दी जा रही थी.
- विंडरश पीढ़ी के कई लोग ऐसे हैं जो इंग्लैंड में अपने अभिभावकों के पासपोर्ट पर बच्चों के रूप में पहुँचे थे. ऐसे लोग वहाँ कई दशकों से रह रहे हैं और कर एवं बीमा राशि का भुगतान कर रहे हैं, परन्तु उनको औपचारिक रूप से कभी-भी इंग्लैंड की नागरिकता नहीं दी गई.
- आव्रजन नियमों को कठोर करने के कारण अनुमान है कि 50,000 ऐसे निवासियों पर खतरा मंडरा रहा है जो इंग्लैंड में लम्बे समय से रहते आ रहे हैं.
Prelims Vishesh
‘Paddy Frog’ :-
- शोधकर्ताओं ने पूर्वोत्तर भारत, विशेषकर असम, में पैडी फ्रॉग की एक नई प्रजाति का पता लगाया है जिसे ऐशाणी (Aishani) नाम दिया गया है जिसका संस्कृत में अर्थ “पूर्वोत्तर दिशा में स्थित” है.
- यह मेढ़क माइक्रीलेटा जाति का होता है जिसके मुंह संकरे होते हैं.
- यह प्रजाति मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया, पूर्वोत्तर भारत और भारत-बर्मा सीमा के पास पाई जाती है.
World Day against Child Labour 2019 :-
- विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पूरे विश्व में जून 12, 2019 को मनाया गया.
- इस बार के समारोह की थीम थी – बच्चों को खेतों में नहीं, अपितु सपनों पर काम करना चाहिए/ Children should not work in fields but on dreams.
- ज्ञातव्य है कि संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य के बिंदु 7 पर बाल श्रम के प्रत्येक रूप को समाप्त करने का आह्वान किया गया है.
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