Sansar Daily Current Affairs, 28 June 2019
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : North Eastern Council
संदर्भ
केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर परिषद् के न्यूज़लेटर का तीसरा संस्करण प्रकाशित कर दिया है.
पूर्वोत्तर परिषद् क्या है?
- यह एक सर्वोच्च स्तर का निकाय है जिसकी स्थापना पूर्वोत्तर परिषद् अधिनियम, 1971 के अंतर्गत की थी. इसका उद्देश्य है पूर्वोत्तर के राज्यों में संतुलित एवं समन्वित विकास सुनिश्चित करना और इन राज्यों के मध्य आपसी ताल-मेल को बढ़ावा देना.
- अधिनियम में 2002 में एक संशोधन किया गया था जिसके अनुसार यह परिषद् पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक क्षेत्रीय योजना निर्माण निकाय के रूप में भी काम करेगी. संशोधन में यह प्रावधान किया गया है कि क्षेत्रीय योजना बनाते समय यह परिषद् उन योजनाओं और परियोजनाओं को प्राथमिकता देगी जिनके माध्यम से दो अथवा दो से अधिक राज्य लाभान्वित होंगे. साथ ही यह भी व्यवस्था है कि यह परिषद् सिक्किम के लिए विशेष परियोजनाओं की अभिकल्पना करेगी.
- 2018 में केन्द्रीय मंत्रीमंडल ने एक प्रस्ताव की मंजूरी दी है जिसके अनुसार केन्द्रीय गृह मंत्री पूर्वोत्तर परिषद् के अध्यक्ष तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) इस परिषद् के उपाध्यक्ष होंगे.
- साथ ही पूर्वोत्तर राज्यों के सभी राज्यपाल और मुख्यमंत्री इसके सदस्य होंगे.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Fall Armyworm (FAW)
संदर्भ
कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के अनुसार देश में फाल आर्मीवर्म (FAW) नामक कीड़े का प्रकोप बढ़ रहा है. यह कीड़ा मुख्य रूप से मकई में और कुछ हद तक रागी और ज्वार में भी लगता है.
FAW क्या है?
FAW फसलों में लगने वाला एक प्रकार का कीड़ा है जो उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के उष्णकटिबंधीय एवं उपोषणकटिबंधीय क्षेत्रों का मूल निवासी है. पहले पहल इसका पता 2016 में अफ्रीकी महादेश में चला था. तब से यह कीड़ा अन्य देशों में फ़ैल चुका है, जैसे – चीन, थाईलैंड, मलेशिया और श्रीलंका में.
भारत में इसका पता पहली बार पिछले वर्ष चला जब इसका प्रकोप कर्नाटक की फसलों में देखा गया. मात्र छह महीने के भीतर-भीतर यह कीड़ा देश के आधे भाग में फ़ैल गया. अभी तक इसके प्रकोप की सूचना जिन राज्यों में चली है, वे हैं – मिजोरम, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल.
जीवन चक्र
इस कीड़े की आयु मात्र 45 दिन की होती है और इतने ही दिनों के अन्दर मादा FAW कीड़ा पत्तों के ऊपर 1,500 से लेकर 2,000 अंडे दे देती है. कैटरपीलर की अवस्था में यह कीड़ा पत्तों, टहनियों और फूलों को खाने लगता है.
यह कितना खतरनाक है?
इसे कीड़े की विशेषता यह है कि यह सब प्रकार के भोजन को ग्रहण कर सकता है. कहने का तात्पर्य यह है कि इससे कोई भी पौधा सुरक्षित नहीं है. बताया जाता है कि यह 80 प्रकार के फसलों को नष्ट कर सकता है. मकई हो चाहे गन्ना इससे कोई बच नहीं सकता. साथ ही यह प्रत्येक रात्रि में 100 किलोमीटर तक उड़ सकता है. इस कारण इसका फैलाव भी आश्चर्यजनक होता है. इसीलिए आधा भारत छह महीने के अन्दर इसकी चपेट में आ गया.
फसलों के उत्पादन पर प्रभाव
अभी तक यह कीड़ा भारत में मकई, ज्वार और गन्नों में ही लगा है जिनमें सबसे अधिक असर मकई पर हुआ है. इन कीड़ों के चलते मकई उत्पादन में 5 लाख टन की कमी आई है जिस कारण सरकार को बाहर से मकई का आयात करना पड़ा. विदित हो कि चावल और गेहूँ के बाद मकई देश का सबसे बड़ा अनाज है. अतः इसे FAW कीड़े से समय रहते बचाना आवश्यक हो गया है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : NITI Aayog’s Health Index
संदर्भ
NITI आयोग ने राज्यों और संघीय क्षेत्रों के स्वास्थ्य के क्षेत्र में की गई प्रगति के आधार पर रैंक किया है और इस विषय में स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारत नामक स्वास्थ्य सूचकांक का दूसरा संस्करण प्रकाशित किया है.
इस रिपोर्ट को बनाने में नीति आयोग ने विश्व बैंक का तकनीकी सहयोग तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का परामर्श लिया है.
इस सूचकांक में राज्यों और संघीय क्षेत्रों की रैंकिंग तीन अलग-अलग श्रेणियों में की गई है, यथा – बड़े राज्य, छोटे राज्य और संघीय क्षेत्र.
विदित हो कि स्वास्थ्य सूचकांक एक समग्र सूचकांक (weighted composite index) है, जिसमें राज्यों द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र में की गई प्रगति को तीन संकेतकों के आधार पर मापा जाता है – (i) स्वास्थ्य परिणाम (70%); (ii) शासन और सूचना (12%) (iii) मुख्य सुविधाएँ और प्रक्रिया (18%).
पृष्ठभूमि
उल्लेखनीय है कि सतत विकास लक्ष्यों में स्वास्थ्य को नंबर 3 (SDG 3) लक्ष्य के रूप में रखा गया है. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार ने यह वार्षिक सूचकांक निकाला है क्योंकि ऐसा विश्वास किया जाता है कि इस प्रकार के सूचकांक के प्रकाशन से विभिन्न राज्यों और संघीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य की स्थिति सुधारने में आपसी प्रतिस्पर्धा होगी और साथ ही केंद्र सरकार को भी इस क्षेत्र में होने वाली उपलब्धियों की जानकारी हो सकेगी. इसके अतिरिक्त सरकार समय-समय पर अपने मार्ग निर्देश देते हुए पिछड़ने वाले राज्यों को बेहतर प्रदर्शन करने के लिए उत्प्रेरित करेगी और यथासंभव मार्गनिर्देश निर्गत करेगी.
इस वर्ष विभिन्न राज्यों का प्रदर्शन
- समग्र स्वास्थ्य की दृष्टि से केरल का प्रदर्शन सबसे ऊपर रहा.
- समग्र स्वास्थ्य की दृष्टि से सबसे बुरा प्रदर्शन उत्तर प्रदेश का रहा.
- जिन राज्यों का प्रदर्शन अच्छा रहा उनमें गुजरात, पंजाब और हिमाचल प्रदेश रहे जिनका स्थान क्रमशः चौथा, पाँचवाँ और छठा रहा.
- विभिन्न स्वास्थ्य संकेतकों के संदर्भ में ऐतिहासिक प्रदर्शन को आधार मानते हुए इस बार केरल, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र को शीर्षस्थ स्थान दिया गया.
- हरियाणा, राजस्थान और झारखंड ने पिछले वर्ष की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया.
- जहाँ तक संघीय क्षेत्रों की बात है, चंडीगढ़ (63.62 अंक) एक स्थान उछलकर सूचकांक के शीर्ष पर आ गया. उसके बाद जिन संघीय क्षेत्रों का स्थान रहा, वे हैं – दादरा और नगर हवेली (56.31), लक्षद्वीप (53.54), पुदुचेरी (49.69), दिल्ली (49.42), अंडमान और निकोबार (45.36) एवं दमन और दीव (41.66).
- 2015-16 और 2017-18 के बीच में समग्र अंकों में मात्र आधे ही राज्यों और संघीय क्षेत्रों ने प्रगति दर्शायी.
- अधिकारिता-प्राप्त कार्रवाई समूह वाले आठ राज्यों में मात्र तीन राज्यों – राजस्थान, झारखंड और छत्तीसगढ़ – ने अपने समग्र प्रदर्शन में सुधार किया है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : DNA technology Bill
संदर्भ
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने DNA (उपयोग एवं अनुप्रयोग) नियमन विधेयक को फिर से अनुमोदित कर दिया है क्योंकि राज्यसभा में पारित नहीं हो सकने के कारण तथा लोकसभा का कार्यकाल समाप्त हो जाने के कारण यह विधेयक निष्प्रभावी हो गया था. मंत्रिमंडल के अनुमोदन से इस विधेयक को लोकसभा में फिर से रखने का मार्ग प्रशस्त हो गया है.
यह विधेयक कुछ विशेष व्यक्तियों, जैसे – अपराधियों, संदिग्ध अपराधियों और विचाराधीन बंदियों की पहचान के लिए DNA तकनीक के प्रयोग का नियमन करता है.
विधेयक की महत्ता
आज पूरे विश्व में अपराधों को सुलझाने के लिए DNA पर आधारित तकनीक की उपयोगिता सर्वमान्य है. इसलिए नए विधेयक का उद्देश्य DNA पर आधारित तकनीकों का प्रयोग कर देश की न्यायव्यवस्था को सुदृढ़ करना.
विधेयक के मुख्य तथ्य
- इस विधेयक का उद्देश्य है कि न्यायालय की प्रक्रिया में DNA रिपोर्ट को प्रमाण के रूप में मान्यता मिले.
- विधेयक में यह प्रस्ताव है कि अपराध-पीड़ितों, संदिग्ध अपराधियों, विचाराधीन बंदियों, खोये हुए व्यक्तियों, लावारिस लाशों की पहचान आदि के लिएराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय DNA डेटा बैंक स्थापित किये जायेंगे.
- विधेयक में यह प्रस्ताव है कि यदि कोई DNA डेटा ऐसे व्यक्ति को दे दे जिसके लिए वह अधिकारी नहीं हो तो उसे तीन वर्ष तक के कारावास की सजा एवं 1 लाख रु. के दंड का जुर्माना लगेगा. यही सजा और जुर्माना उस व्यक्ति को भी लगेगा जो अवैध रूप से DNA data प्राप्त करेगा.
- प्रस्ताव है कि DNA प्रोफाइल, DNA नमूने एवं DNA रिकॉर्ड समेत सभी DNA data मात्र व्यक्ति की पहचान के लिए प्रयुक्त किये जायेंगे नाकि किसी अन्य उद्देश्य के लिए.
- विधेयक में यह भी प्रस्ताव है कि DNA प्रयोगशालाओं को मान्यता देने और उन्हें विनियमित करने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएँ की जायेंगी और इसके लिए एक DNA नियामक बोर्ड की स्थापना होगी.
लाभ
- इस कानून के बनने के बाद DNA के नमूने लेना और DNA Bank को स्थापित करना आसान हो जाएगा.
- DNA नमूनों का गलत इस्तेमाल रोका जा सकेगा.
- गलत इस्तेमाल करने वालों को सजा दिलाई जा सकेगी.
- इसके साथ ही यह कानून लावारिश लाशों की पहचान करने में मददगार साबित होगा.
- यौन हमले जैसे गंभीर आपराधिक मामलों में अपराधियों की पहचान की जा सकेगी चाहे यह मामला कितना भी पुराना क्यों न हो!
- आपदा में शिकार हुए लोगों की पहचान की जा सकेगी.
- गुमशुदा लोगों की तलाश, अपराध नियंत्रण और अपराधियों की पहचान की जा सकेगी.’
DNA तकनीक का महत्त्व
- DNA विश्लेषण एक ऐसी अत्यंत उपयोगी और सटीक तकनीक है जिससे किसी व्यक्ति के DNA नमूने से उसकी पहचान हो सकती है अथवा दो व्यक्तियों के बीच जैविक रिश्ते का निर्णय हो सकता है.
- अपराध के स्थल से उठाये गये बाल के नमूने अथवा कपड़ों में लगे रक्त के धब्बों से किसी संदिग्ध व्यक्ति का मिलान किया जा सकता है और अपराधी की पहचान हो सकती है. इस काम में न्यायालय आजकल अत्यंत रूचि ले रहे हैं.
- DNA नमूने न केवल यह बतलाते हैं कि आदमी कैसा दिखता है अथवा उसकी आँखों या चमड़े का रंग क्या है अपितु यह भी सूचित करता है कि उसे किस बात की एलर्जी है और उसे कौन-कौन रोग लग सकते हैं. इसलिए, DNA विश्लेषण से प्राप्त सूचना का दुरूपयोग भी हो सकता है.
- DNA तकनीक से न केवल न्याय में गति आएगी, अपितु सजा देने की दर में बढ़ोतरी भी होगी. विदित हो कि वर्तमान में 2016 के आँकड़ों में अनुसार 30% मामलों में ही दंड दिया जाता है.
GS Paper 3 Source: PIB
Topic : Beekeeping Development Committee report
संदर्भ
प्रधानमंत्री के अंतर्गत आने वाली आर्थिक परामर्शदात्री परिषद् की मधुमक्खी पालन विकास समिति ने अपना प्रतिवेदन निर्गत कर दिया है.
पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री के अंतर्गत आने वाली आर्थिक परामर्शदात्री परिषद् ने प्रोफेसर बिबेक देवराय की अध्यक्षता में मधुमक्खीपालन विकास समिति का गठन किया था.
इस समिति के गठन का उद्देश्य भारत में मधुमक्खी पालन में प्रगति लाने के लिए ऐसे उपाय ढूँढना है जिनसे कृषि उत्पादकता बढ़े, रोजगार का सृजन हो, जनसाधारण में पोषकता की वृद्धि हो और जैव विविधता सतत रूप से बनी रहे.
भारत में मधुमक्खी पालन की स्थिति
- खाद्य एवं कृषि संगठन के 2017-18 के आँकड़ों के अनुसार मधु उत्पादन के मामले में भारत का स्थान विश्व में आठवाँ है.
- भारत में 9 हजार टन मधु उत्पन्न होता है.
- दूसरी ओर, चीन 551 हजार टन मध्य पैदा करके पहले स्थान पर पर है.
प्रतिवेदन में दिए गए मुख्य सुझाव
- यह समिति मधुमक्खियों को कृषि से सम्बंधित सामग्री और भूमिहीन मधुमक्खी पालकों को किसान मानती है.
- रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है कि मधुमक्खियाँ जिन फूलों पर बैठना पसंद करती है, उनके पौधों को सही जगह पर रोपा जाए.
- इन पौधों को रोपने में स्वयं सहायता महिला समूहों को लगाया गया है.
- राष्ट्रीय मधुमुक्खी बोर्ड को नया नाम देते हुए इसे अब भारतीय मधु एवं परागवाहक बोर्ड कहा जाए और इसे कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के अधीन रखा जाए.
- रिपोर्ट में यह सुझाव भी दिया गया है कि मधुमक्खी पालन को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के तत्त्वावधान में होने वाले उन्नत शोध का विषय घोषित किया जाए.
- राज्य सरकारें मधुमक्खीपालकों को प्रशिक्षण दें.
- मधु और मधुमक्खियों से सम्बंधित अन्य उत्पादों के भंडारण, प्रसंस्करण एवं विपणन के लिए राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक स्तर पर निर्माण कार्य किया जाए.
- मधु और अन्य सम्बंधित उत्पादों के निर्यात की प्रक्रिया सरल बनाई जाए.
Prelims Vishesh
Vaishno Devi shrine to have own disaster response force :-
- अगले वर्ष के सितम्बर तक जम्मू में स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर के पास अपना एक अलग आपदा प्रतिकार बल उपलब्ध हो जाएगा.
- विदित हो कि यह मंदिर जम्मू क्षेत्र में त्रिकुटा पहाड़ियों के ऊपर स्थित है.
International Olympic Committee formally opens $145M new headquarters in Switzerland :-
अंतर्राष्ट्रीय ओलिंपिक समिति ने लॉसाने, स्विट्ज़रलैंड में अपने एक नए मुख्यालय का अनावरण किया है जिसपर 145 मिलियन डॉलर का खर्च आया है.
Normalized difference vegetation index (NDVI) :-
- पिछले दिनों शोधकर्ताओं ने पाया है कि NDVI सूचकांक से उष्णकटिबंधीय जंगलों में हाथियों के लिए भोजन की प्रचुरता का विश्वसनीय अनुमान लगाना संभव नहीं है.
- NDVI का पूरा नाम normalized difference vegetation index है.
- इस सूचकांक से यह पता लगाया जाता है कि धरती पर वनस्पति कहाँ फैली हुई है. यह जानकारी उपग्रहों से इन्फ्रा-रेड किरणों के द्वारा प्राप्त की जाती है.
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