आज हम मोटर वाहन संशोधन विधेयक, 2019 (Motor Vehicles Amendment Bill in Hindi) के बारे में जानेंगे.
पिछले दिनों राज्य सभा में मोटर वाहन संशोधन विधेयक, 2019 पारित हो गया. यह विधेयक मोटर वाहन अधिनियम, 1988 को संशोधित कर रहा है.
मोटर वाहन संशोधन विधेयक, 2019 के मुख्य तथ्य
- भारत सरकार दुर्घटना के एक घंटे (गोल्डन आवर) के अन्दर दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के लिए नकदरहित उपचार की एक योजना बनाएगी.
- तृतीय पक्ष बीमा के अंतर्गत क्षतिपूर्ति का दावा करने वालों के लिए अंतरिम राहत देने की एक योजना बनाई जायेगी.
- भारत सरकार मोटर वाहन दुर्घटना कोष की स्थापना करेगी जिससे सड़क का उपयोग करने वाले सभी व्यक्तियों को अनिवार्य रूप से बीमा का लाभ दिया जा सके.
- इस कोष के लिए धनराशि केंद्र सरकार के अनुदान अथवा ऋण, सोलेटियम कोष में बची हुई राशि तथा अन्य विहित स्रोतों से इकठ्ठा की जायेगी.
- जो लोग दुर्घटना के समय दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को शुद्ध भाव से और स्वैच्छिक रूप से बिना किसी पुरस्कार की आशा के चिकत्सकीय अथवा अन्य सहायता पहुंचाते हैं उनके विरुद्ध कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जायेगी यदि ऐसा करते समय दुर्घटना व्यक्ति को कोई क्षति पहुँच जाती है अथवा उसका निधन हो जाता है.
- यदि किसी मोटर वाहन में ऐसा दोष पाया जाता है जिसके चलते पर्यावरण अथवा चालक अथवा सड़क का उपयोग करने वालों को क्षति पहुँचती है तो केंद्र सरकार ऐसे वाहन को वापस बुलाने का आदेश दे सकती है.
- वापस बुलाये गये वाहनों के निर्माता को क्रेता को वाहन की पूरी लागत लौटानी होगी अथवा उसी प्रकार की नई गाड़ी देनी होगी.
- यह भी प्रस्ताव है कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों से सलाह करके एक राष्ट्रीय परिवहन नीति बनाएगी जिसमें परमिट देने, सड़क परिवहन की योजना बनाने तथा परिवहन प्रणाली की प्राथमिकताओं आदि का उल्लेख होगा.
- केंद्र सरकार राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड का गठन करेगी, जो केंद्र और राज्य सरकारों को सड़क सुरक्षा एवं यातायात प्रबंधन के सभी पहलुओं पर परामर्श देगी.
- विधेयक के अनुसार अधिनियम के अंतर्गत किये गये अनेक अपराधों के लिए दंड बढ़ा दिए गये हैं.
- टैक्सी एग्रीगेटरों को लाइसेंस राज्य द्वारा दिया जाएगा. साथ ही उनको सूचना तकनीक अधिनियम, 2000 का पालन करना होगा.
Motor Vehicles Amendment Bill से सम्बंधित आलोचनाएँ
- दुर्घटना से होने वाली क्षति की पूर्ति के लिए पहले से ही एक कोष बना हुआ है. अतः विधेयक में प्रस्तावित दुर्घटना कोष किस लिए बना है यह अस्पष्ट है.
- केन्द्रीय सरकार के निर्देशों के अनुसार टैक्सी एग्रीगेटरों को लाइसेंस देने का काम राज्य सरकारों का होगा. वर्तमान में राज्य सरकारें इन एग्रीगेटरों के लिए दिशानिर्देश निर्गत करती हैं. ऐसे में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के मार्गनिर्देशों में अंतर हो सकता है और इसके फलस्वरूप भ्रांति उत्पन्न हो सकती है.
- विधेयक में दुर्घटनाग्रस्त लोगों की अंतरिम राहत की योजना में डंडों का प्रावधान तो किया गया है परन्तु ये दंड किन अपराधों के लिए किये जाएँगे उसका वर्णन नहीं किया गया है.
- राज्य इस विधेयक की आलोचना इस आधार पर करते हैं कि उन्हें लगता है कि इससे उनकी शक्तियों में कटौती की जा रही है.
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