संसद के दोनों सदनों से पिछले दिनों राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक, 2019 पारित हो गया.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक, 2019 का उद्देश्य
राष्ट्रीय चिकत्सा आयोग विधेयक का उद्देश्य देश की चिकित्सा शिक्षा प्रणाली में सुधार लाना है. इसके लिए ये कार्य सुनिश्चित किए जाएँगे –
- पर्याप्त और उच्च गुणवत्ता वाले चिकित्सक उपलब्ध कराना
- चिकित्सा संस्थानों का समय-समय पर मूल्यांकन, चिकित्सा से जुड़े पेशेवरों को नवीनतम चिकित्सा अनुसंधान अपनाने के लिए प्रेरित करना तथा
- शिकायत निवारण के लिए एक कारगर तंत्र स्थापित करना.
विधेयक के मुख्य तत्त्व
- अधिनियम के बनने के तीन वर्षों के भीतर राष्ट्र और राज्य के स्तर पर चिकित्सा आयोग स्थापित किये जाएँगे.
- केंद्र में एक चिकित्सा परामर्शदात्री परिषद् स्थापित की जायेगी जो राज्यों, संघीय क्षेत्रों को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग तक अपने विचारों और चिंताओं को पहुँचाने के लिए एक सम्पर्क सूत्र का काम करेगी.
- विधेयक के अनुसार सभी चिकित्सा संस्थानों में (जो अधिनियम के अन्दर आएँगे) स्नातक की पढ़ाई के लिए प्रवेश हेतु एक ही परीक्षा होगी जिसका नाम होगा NEET अर्थात् राष्ट्रीय अर्हता-सह-प्रवेश परीक्षा.
- जो विद्यार्थी चिकित्सा संस्थानों से पढ़ाई पूरी करके निकलेंगे उनके लिए एक राष्ट्रीय बहिर्गमन परीक्षा (National Exit Test) होगी जिसमें उत्तीर्ण होने पर उन्हें प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस मिलेगा. इसी परीक्षा के आधार पर छात्रों को स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में भी प्रवेश मिल सकेगा.
- विधेयक में यह प्रावधान है कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग चाहे तो आधुनिक चिकित्सा पेशे से जुड़े हुए कुछ मध्य-स्तरीय पेशेवरों को एक सीमित लाइसेंस दे सकता है.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग का स्वरूप
- इस आयोग में 25 सदस्य होंगे जिनकी नियुक्ति केंद्र सरकार एक समिति के सुझाव पर करेगी.
- उन सदस्यों में से एक अध्यक्ष होगा जो अवश्य रूप से एक वरिष्ठ चिकित्साकर्मी और न्यूनतम 20 वर्षों की अनुभव वाला शिक्षाविद होगा.
- आयोग में 10 पदेन सदस्य होंगे. कुछ पदेन सदस्य स्नातक और स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा बोर्डों के अध्यक्षों से चुने जाएँगे. साथ ही भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् के महानिदेशालय और AIMS का एक निदेशक भी इस आयोग का सदस्य होगा.
- अंशकालिक सदस्यों का चयन प्रबंधन विधि, चिकित्सकीय नीतिशास्त्र इत्यादि के विशेषज्ञों में से होगा. कुछ अंशकालिक सदस्य राज्यों और संघीय क्षेत्रों द्वारा नामित होंगे.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के कार्य
यह आयोग इन कार्यों के लिए नीतियाँ बनाएगा –
- चिकित्सा संस्थानों और चिकित्सा पेशेवरों का विनियमन, स्वास्थ्य की देखभाल से सम्बद्ध मानव संसाधनों और अवसंरचनाओं से सम्बंधित आवश्यकताओं का आकलन और अधिनियम के अंतर्गत बनाई गई नियमावली का राज्य चिकित्सा परिषदों द्वारा अनुपालन करवाना.
- राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक द्वारा विनियमित होने वाले निजी चिकित्सा संस्थानों एवं मानित विश्वविद्यालयों की 50% तक सीटों के लिए शुल्क का निर्धारण भी करेगा.
नए कानून की आवश्यकता क्यों?
- भारतीय चिकित्सा परिषद् अपने दायित्वों को पूरा करने में बार-बार असमर्थ सिद्ध हो रही थी.
- चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता आज न्यूनतम स्तर पर है. चिकित्सा शिक्षा और पाठ्यक्रमों को हमारी स्वास्थ्य प्रणाली की आवश्यकताओं के अनुसार एकात्म नहीं किया जा सका है जिस कारण सही प्रकार के स्वास्थ्यकर्मी चिकित्सा संस्थानों से नहीं निकल रहे हैं.
- सामान्य प्रसव जैसे मूलभूत कार्य में भी आजकल के चिकित्सा स्नातक सक्षम नहीं हैं. अनैतिक व्यवहार के भी उदाहरण बढ़ते जा रहे हैं और इससे चिकित्सा के पेशे के प्रति जनसामान्य में सम्मान घट रहा है.
- भारतीय चिकित्सा परिषद् में अयोग्य व्यक्ति पहुँच जाते हैं जिनको भ्रष्टाचारी सिद्ध होने पर भी हटाने की शक्ति स्वास्थ्य मंत्रालय के पास नहीं है.
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