आंध्र प्रदेश विधान सभा ने पिछले दिनों आंध्र प्रदेश आपराधिक विधि (संशोधन) विधेयक, 2019 (Andhra Pradesh Criminal Law (Amendment) Act 2019) पारित कर दिया है. हैदराबाद में नवम्बर 27 को बलात्कार की शिकार हुई और मार दी गई पशु चिकित्सा दिशा के नाम पर इस विधेयक को दिशा विधेयक, 2019 भी कहा जा रहा है.
दिशा विधेयक के मुख्य तत्त्व
- अभी बलात्कार के मामलों के निपटारे के लिए निर्धारित समय-सीमा 4 महीने है. यह विधेयक उस सीमा को घटाकर 21 दिन करता है. साथ ही इसमें प्रावधान है कि यदि पर्याप्त निर्णायक साक्ष्य हैं तो जाँच-पड़ताल का काम एक सप्ताह में और मुकदमा 14 कार्यदिवसों में अवश्य पूरा कर लिया जाए.
- विधेयक में बच्चों के प्रति यौन अपराध के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान है.
- विधेयक के अनुसार भारतीय दंड संहिता 354E अनुभाग जोड़कर यह व्यवस्था की जायेगी कि यदि कोई स्त्रियों को सोशल अथवा डिजिटल मीडिया के द्वारा परेशान करता है तो उसे पहले अपराध पर 2 वर्ष का कारावास तथा अगले इस प्रकार के अपराधों के लिए 4-4 वर्षों का कारावास दिया जाएगा.
- दिशा विधेयक के अनुसार आंध्र प्रदेश सरकार स्त्रियों और बच्चों के प्रति अपराध करने वालों की एक पंजी इलेक्ट्रॉनिक रूप में बनाएगी और उसे सार्वजनिक करते हुए विधि प्रवर्तन (law enforcement) एजेंसियों को उपलब्ध करवा देगी.
- तीव्र मुकदमे के लिए सरकार प्रत्येक जिले में ऐसे विशेष न्यायालय गठित करेगी जो स्त्रियों और बच्चों के प्रति अपराध जैसे बलात्कार, तेज़ाब फेकना, पीछा करना, घूर के देखना, सोशल मीडिया के माध्यम से परेशान करना और POCSO अधिनियम में आने वाले सभी मामलों को देखेंगे.
- इसी प्रकार प्रत्येक जिले में DSP की अध्यक्षता में जिला विशेष पुलिस दल गठित होंगे जो स्त्रियों और बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों की जाँच करेंगे.
- प्रत्येक विशेष न्यायालय के लिए एक विशेष लोक अभियोजक नियुक्त करेगी.