Muktoshri- arsenic-resistant rice
पश्चिम बंगाल में मुक्तोश्री नामक चावल की एक नई किस्म तैयार की गई है जो आर्सेनिक मिट्टी में भी उपजाई जा सकती है. इस किस्म का विकास संयुक्त रूप से पश्चिम बंगाल के कृषि विभाग के अन्दर आने वाले चिन्सुरा स्थित चावल अनुसंधान केंद्र तथा लखनऊ के राष्ट्रीय वानस्पतिक अनुसंधान संस्थान के द्वारा किया गया है.
पृष्ठभूमि
पश्चिम बंगाल के भूमि जल में आर्सेनिक का बहुत भारी जमाव है. राज्य के सात जिलों में ऐसे 83 प्रखंड हैं जहाँ आर्सेनिक का स्तर स्वीकृत सीमा से ऊपर है.
आर्सेनिक से सम्बंधित कुछ तथ्य
आर्सेनिक वह रसायन है जो बहुत ही विषाक्त होता है. यह कई देशों में प्राकृतिक रूप से भूमि जल में बहुत मात्रा में पाया जाता है. यह चट्टानों और मिट्टी में भी पाया जाता है.
आर्सेनिक की मात्रा कितनी हो इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुछ दिशानिर्देश बना रखे हैं. इनके अनुसार पीने के पानी में आर्सेनिक 0.01 mg/l (10 μg/l) होना चाहिए. वहीँ भारत में आर्सेनिक की स्वीकृत सीमा 0.05 mg/l (50 μg/l) है.
जैविक और अ-जैविक आर्सेनिक में अंतर
- यदि किसी आर्सेनिक यौगिक में कार्बन होता है तो वह जैविक आर्सेनिक कहलाता है. दूसरी ओर यदि उसमें कार्बन नहीं होता है तो वह अ-जैविक आर्सेनिक यौगिक कहलाता है.
- विदित हो कि अ-जैविक आर्सेनिक से मनुष्य को कैंसर होने का तथा अन्य स्वास्थ्यगत दुष्प्रभाव होने का खतरा रहता है.
आर्सेनिक के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें > भूजल में आर्सेनिक
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