हाल ही में प्रधान मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (United Nations Economic and Social Council – ECOSOC) के उच्च-स्तरीय सत्र को संबोधित किया.
इस साल की थीम “कोविड-19 के उपरांत बहुपक्षवाद: 75वीं वर्षगांठ पर हमें किस तरह के संयुक्त राष्ट्र की जरूरत है?”
कोविड-19 महामारी द्वारा उपजे गंभीर स्वास्थ्य एवं आर्थिक संकट ने एक सुदृढ़ और नवीकृत बहुपक्षवाद की आवश्यकता को रेखांकित किया है.
इसने स्वास्थ्य आपातकाल और सामाजिक एवं आर्थिक अर्थव्यवस्था के प्रति अनुक्रिया करने में सरकारों की क्षमताओं में अत्यधिक कमियों को प्रकट किया है.
इसके कारण, सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अधीन प्राप्त किए गए कई लाभ खतरे में पड़ चुके हैं.
भारत के प्रधान मंत्री द्वारा रेखांकित किए गए महत्त्वपूर्ण बिंदु:
- प्रधान मंत्री द्वारा बहुपकषवाद की प्रासंगिकता को बढ़ाने, इसकी प्रभावशीलता में सुधार करने तथा इसे एक नए प्रकार के मानव-केंद्रित वैश्वीकरण का आधार स्तंभ बनाने हेतु वैश्विक बहुपक्षीय संस्थाओं में शीघ्रता से सुधार करने कीआवश्यकता के संबंध में भारत के मत को दोहराया गया.
- प्रधान मंत्री ने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र में सुधार के साथ-साथ बहुपक्षीय संस्थाओं में तेजी से सुधार से ही मानवता की आकांक्षाओं को पूरा किया जा सकता है. कोविड-19 ने इन संस्थाओं की पुनरस॑रचना और शीघ्रता से सुधार के लिए एक आवश्यक आधार प्रदान किया है.
- कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने 150 से अधिक देशों को सहायता प्रदान की है तथा अपने दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के साथ मिलकर “SAARC (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) कोविड-419 आपातकालीन कोष” स्थापित करने में सहायता की है.
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद क्या है?
- संयुक्त राष्ट्र आर्थिक तथा सामाजिक परिषद (ECOSOC) संयुक्त राष्ट्र संघ के कुछ सदस्य राष्ट्रों का एक समूह है, जो सामान्य सभा को अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एवं सामाजिक सहयोग एवं विकास कार्यक्रमों में सहायता करता है.
- यह परिषद सामाजिक समस्याओं के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय शांति को प्रभावी बनाने में प्रयासरत है. इसके अनुसार विश्व में शांति बनाये करने का एकमात्र हल राजनीतिक नहीं है.
- इसकी स्थापना 1945 की गयी थी. आरंभिक समय में इस परिषद में मात्र 18 सदस्य होते थे. 1965 में संयुक्त राष्ट्र अधिकारपत्र को संशोधित करके इसके सदस्यों की संख्या बढ़ाकर 27 कर दी गई और 1971 में सदस्यों की संख्या बढ़कर 54 हो गई.