Sansar Daily Current Affairs, 22 February 2021
GS Paper 1 Source : PIB
UPSC Syllabus : Modern Indian history from about the middle of the eighteenth century until the present- significant events, personalities, issues.
Topic : Gopal Krishna Gokhale
संदर्भ
19 फरवरी को श्री गोपाल कृष्ण गोखले को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई.
गोपाल कृष्ण गोखले
- गोपाल कृष्ण गोखले (9 मई 1866 – फरवरी 19, 1915) भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक थे.
- महादेव गोविंद रानाडे के शिष्य गोपाल कृष्ण गोखले को वित्तीय मामलों की गजब की समझ थी और उस पर अधिकारपूर्वक वह बहस करने की क्षमता रहते थे. इसलिए उन्हें भारत का ‘ग्लेडस्टोन’ कहा जाता है.
- गोपाल कृष्ण गोखले जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सबसे प्रसिद्ध नरमपंथी नेता थे.
- उनका कहना था कि “वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा भारत की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है.
- यहाँ तक कि महात्मा गांधी स्वयं उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे. महात्मा गांधी ने गोपाल कृष्ण गोखले पर गुजराती भाषा में एक पुस्तक ‘धर्मात्मा गोखले’ लिख डाली थी.
- कांग्रेस के शैशव काल में उसकी नीतियों को संचालित करने का भार मुख्यतः दादा भाई नौरोजी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, गोपाल कृष्ण गोखले, फिरोजशाह मेहता और ए.ओ. ह्यूम पर ही था.
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका
- गोखले वर्ष 1889 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने और एक प्रमुख समाज सुधारक महादेव गोविंद रानाडे के प्रभाव में आए.
- वर्ष 1905 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बनारस अधिवेशन के लिये गोखले को अध्यक्ष पद के लिये चुना गया था यह वह समय था जब लाला लाजपत राय और बाल गंगाधर तिलक के नेतृत्व में ‘नरमपंथियों’ और ‘अतिवादियों’ के समूह के मध्य मतभेद पैदा हो गए और वर्ष 1907 में कांग्रेस सूरत अधिवेशन में दोनों गुट पृथक हो गए.
- वर्ष 1899-1902 के दौरान वह बॉम्बे विधान परिषद के सदस्य थे और वर्ष 1902-1915 तक ‘इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल’ में कार्य किया.
- गोखले ने वर्ष 1909 के ‘मार्ले-मिंटो सुधार’ को तैयार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई.
शिक्षा एवं समाज सुधारक के रूप में उनकी भूमिका
- चरित्र निर्माण की आवश्यकता से पूर्णत: सहमत होकर उन्होंने 1905 में सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी की स्थापना की ताकि नौजवानों को सार्वजनिक जीवन के लिए प्रशिक्षित किया जा सके.
- वह महादेव गोविंद रानाडे द्वारा प्रारम्भ की गई ‘सार्वजनिक सभा पत्रिका’ से भी जुड़े थे.
- साल 1908 में गोखले ने ‘रानाडे इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स’ की स्थापना की.
- उनके द्वारा अंग्रेजी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘द हितवाद’ प्रारम्भ किया गया.
- गोखले की विचारधारा शिक्षा के विस्तार, भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के लिये प्रतिक्रियावादी या क्रांतिकारी तरीकों के इस्तेमाल को खारिज़ करने, सामाजिक सशक्तीकरण पर आधारित थी.
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GS Paper 1 Source : PIB
UPSC Syllabus : Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms, Literature and Architecture from ancient to modern times.
Topic : Rashtriya Sanskriti Mahotsav
संदर्भ
राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव (Rashtriya Sanskriti Mahotsav) का दूसरा चरण दार्जिलिंग में मनाया जा रहा है.
मुख्य बिन्दु
- केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री ने राष्ट्रीय संस्कृत महोत्सव-2021 के दूसरे चरण का उद्घाटन पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग के राजभवन में किया है. यह महोत्सव 22 फरवरी से 24 फरवरी तक चलेगा.
- हर दिन स्थानीय कलाकारों को आरएसएम मंच पर प्रदर्शन करने का अवसर दिया जाएगा. वास्तविक रूप से तैयार किए गए हस्तशिल्प उत्पादों को प्रदर्शित करते हुए देश भर के 20 शिल्प स्टॉल लगाए गए हैं. स्थानीय कलाकारों सहित विख्यात कलाकार इस प्रमुख उत्सव का हिस्सा होंगे.
राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव
- विदित हो कि यह महोत्सव 2015 से मनाया जाता रहा है और इसका उद्देश्य देश की सांस्कृतिक धरोहर को सब के सामने रखना है.
- इसका मूल उद्देश्य भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों, यथा – हस्तकला, पाककला, चित्रकला, मूर्तिकला, छायाचित्रण तथा जनजातीय, शास्त्रीय एवं आधुनिक लोककलाएँ – को विश्व के समक्ष रखना है.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Issues related to health.
Topic : Intensified Mission Indradhanush – IMI 3.0
संदर्भ
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सघन मिशन इंद्रधनुष 3.0 (Intensified Mission Indradhanush – IMI 3.0) का शुभारंभ किया. IMI 3.0 देश के सभी जिलों में 90% पूर्ण प्रतिरक्षण (टीकाकरण) कवरेज प्राप्त करने और प्रतिरक्षण प्रणाली के माध्यम से कवरेज को बनाए रखने के लक्ष्य पर केंद्रित है.
सघन मिशन इंद्रधनुष 3.0
- इस मिशन का प्रमुख ध्यान उन बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर होगा, जो कोविड-19 महामारी के दौरान टीकाकरण से चूक गए हैं.
- इसके अतिरिक्त, इसमें प्रवासन और दुर्गम क्षेत्रों के लाभार्थियों को भी लक्षित किया जाएगा.
- IMI 3.0, के अंतर्गत, जिलों को कम जोखिम; मध्यम जोखिम और उच्च जोखिम वाले जिलों के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
भारत में टीकाकरण कार्यक्रम
सार्वभौमटीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी)
भारत सरकार ‘टीका-निवारणीय रोगों’ के खिलाफ़ नि:शुल्क टीकाकरण प्रदान कर रहा है, जिसमें डिप्थीरिया, पर्टुसिस (काली खांसी), टेटनस, पोलियो, ख़सरा, बाल्यावस्था में होने वाले तपेदिक का गंभीर प्रकार, हेपेटाइटिस बी, मेनिन्जाइटिस और निमोनिया (हेमोफिल्ट्स इन्फ्लूएंजा टाइप बी संक्रमण), जेई स्थानिक जिलों में जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई) और यूआईपी के अंतर्गत नए टीकें जैसे कि रोटवायरस टीका, आईपीवी, वयस्क जेई टीका, न्यूरमोकोकल कंजुगेट टीका (पीसीवी) और खसरा-रूबेला (एमआर) शामिल है. इसे 1985 में आरम्भ किया गया था.
मिशन इंद्रधनुष
भारत सरकार ने सभी बच्चों और गर्भवती महिलाओं का संपूर्ण टीकाकरण कवरेज प्राप्त करने और यूआईपी को मज़बूत बनाने एवं पुनःऊर्जा देने के लिए दिसंबर 2014 में “मिशन इंद्रधनुष” का शुभारंभ किया. इससे पहले पूर्ण टीकाकरण कवरेज में वृद्धि प्रतिवर्ष 1% थी, जो कि मिशन इंद्रधनुष के पहले दो चरणों के माध्यम से प्रतिवर्ष 6.7% हो गयी है.
गहन इंद्रधनुष मिशन (आईएमआई)
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने टीकाकरण कार्यक्रम में तेज़ी लाने के लिए 8 अक्टूबर 2017 को तीव्र मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई) का शुभारंभ किया. इस कार्यक्रम के माध्यम से भारत सरकार का उद्देश्य दो वर्ष से कम उम्र के प्रत्येक बच्चों और उन सभी गर्भवती महिलाओं तक पहुंचना है, जो नियमित रूप से टीकाकरण कार्यक्रम (प्रतिरक्षण कार्यक्रम) के अंतर्गत छूट गए हैं, ताकि दिसंबर 2018 तक 90% से अधिक पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित किया जा सकें.
IMI 2.0
- यह वर्ष 2019 को आरम्भ किया गया था.
- देश का कोई भी बच्चा टीकाकरण से नहीं बचे, यह सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने पिछले अक्टूबर 31 से गहन मिशन इन्द्रधनुष 2.0 (IMI 2.0) का अनावरण किया है जिसमें उन क्षेत्रों में टीकाकरण पर बल दिया जाएगा जहाँ टीकाकरण का काम शिथिल रहा है.
- IMI 2.0 के अन्दर प्रयास किया जाएगा कि उत्तर प्रदेश और बिहार के ऐसे 271 जिलों और 652 प्रखंडों में दो वर्ष के नीचे के सभी बच्चों और गर्भवती स्त्रियों के लिए टीकाकरण अभियान चला जाएगा जहाँ यह काम अभी तक नहीं हो पाया था अथवा आंशिक रूप से हुआ था.
- IMI 2.0 में प्रत्येक महीने 7-7 दिनों के चार टीकाकरण चक्र चलाये जाएँगे.
- इस कार्यक्रम में 12 मंत्रालय और विभाग शामिल हैं और इस पर राष्ट्रीय स्तर पर केबिनेट सचिव नज़र रख रहे हैं.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : One Rank One Pension (OROP)
संदर्भ
पिछले जून से, ‘वन रैंक वन पेंशन’ (One Rank One Pension- OROP) की समीक्षा लंबित है. हाल ही में, संसदीय समिति की बैठक के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा हुई.
पृष्ठभूमि
इस योजना में कुछ ‘कमियाँ’ (loopholes) हैं, जिनमें सुधार किए जाने की जरूरत है. रक्षा मंत्रालय द्वारा इस मुद्दे की जाँच करने तथा योजना का पुनरीक्षण करने से सम्बंधित तौर-तरीकों हेतु सुझाव देने के लिए एक समिति का गठन किया गया था, परन्तु पुनरीक्षण प्रारम्भ करने के बारे में कोई घोषणा नहीं की गई थी.
OROP क्या है?
- OROP वस्तुतः भारत में वर्ष 2015 से संचालित एक योजना है.
- OROP के अंतर्गत सशस्त्र सैन्य कर्मियों को सेवानिवृत्त होने की तिथि के निरपेक्ष समान सेवा अवधि और समान रैंक पर सेवानिवृत्त होने पर एक समान पेंशन प्रदान की जाती है.
- इस प्रकार, OROP का उद्देश्य आवधिक अंतराल पर वर्तमान और भूतपूर्व सेवानिवृत्त सैन्य कर्मियों की पेंशन की दर के मध्य व्याप्त अंतर को समाप्त करना है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Conservation and Pollution related issues.
Topic : PARIS CLIMATE DECLARATION
संदर्भ
पेरिस समझौते को अपनाये जाने के पाँच वर्ष के पश्चात् सभी हस्ताक्षरकर्ता देश अपने-अपने राष्ट्रीय आधार पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contributions) को संशोधित करने की प्रक्रिया में हैं.
अमेरिका पुनः आधिकारिक तौर पर 19 फरवरी, 2021 से पेरिस जलवायु समझौते में सम्मिलित हो गया है. इसके साथ ही सभी देश 2030 तक गैसों के उत्सर्जन में कटौती के अमेरिका के लक्ष्य पर वाशिंगटन की घोषणा का भी इंतजार कर रहे हैं.
पृष्ठभूमि
पिछले साल नवम्बर महीने में संयुक्त राज्य अमेरिका जलवायु परिवर्तन के नियंत्रण पर लक्षित पेरिस जलवायु समझौते से औपचारिक रूप से पृथक हो गया था. अमेरिका आधिकारिक रूप से पेरिस समझौते को त्यागने वाला विश्व का प्रथम देश बन गया था.
पेरिस समझौता क्या है?
- पेरिस समझौता एक महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय समझौता है जिसे जलवायु परिवर्तन और उसके नकारात्मक प्रभावों से निपटने के लिये वर्ष 2015 में दुनिया के लगभग प्रत्येक देश द्वारा अपनाया गया था.
- इस समझौते का उद्देश्य वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को बहुत हद तक कम करना है, ताकि इस सदी में वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर (Pre-Industrial level) से 2 डिग्री सेल्सियस कम रखा जा सके.
- इसके साथ ही आगे चलकर तापमान वृद्धि को और 1.5 डिग्री सेल्सियस रखने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. ज्ञातव्य है कि इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये प्रत्येक देश को ग्रीनहाउस गैसों के अपने उत्सर्जन को कम करना होगा, जिसके संबंध में कई देशों द्वारा सराहनीय प्रयास भी किये गए हैं.
- यह समझौता विकसित राष्ट्रों को उनके जलवायु से निपटने के प्रयासों में विकासशील राष्ट्रों की सहायता हेतु एक मार्ग प्रदान करता है.
मुख्य तथ्य
- पेरिस समझौते का अनुच्छेद-28 देशों को इस समझौते को त्यागने की अनुमति प्रदान करता है और त्याग करने की प्रक्रिया का निर्धारण भी करता है.
- अमेरिका द्वारा यह निर्णय समझौते के तहत किए गए करार में अमेरिकी कर्मियों, व्यवसायों और करदाताओं पर डाले गए अनुचित आर्थिक बोझ के कारण लिया गया है.
- जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क सम्मेलन (UNFCCC) के तहत पेरिस समझौते को वर्ष 2016 में हस्ताक्षर उपरांत प्रभावी किया गया था. यह समझौता वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगीकरण स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने और तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने का प्रयास करता है.
- इस समझौते में शामिल प्रत्येक देश ने लक्षित कार्य योजनाओं को लागू करने का संकल्प लिया है, जो उनके ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करेगा.
- यह समझौता समृद्ध और विकसित देशों द्वारा विकासशील विश्व को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने का प्रावधान करता है.
GS Paper 3 Source : The Hind
UPSC Syllabus : Science and Technology.
Topic : OTT
संदर्भहाल ही में लगभग 17 ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफार्मों ने स्व-विनियमन कोड के रूप में यूनिवर्सल सेल्फ रेगुलेशन कोड, 2020 (Universal Self-Regulation Codes, 2020) को अपनाया है.
पृष्ठभूमि
बहुत दिनों से भारत में आलोचकों द्वारा यह माँग की जा रही थी कि ओटीटी प्लेटफार्म वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता (अनुच्छेद 19) का बहुत ही गलत प्रयोग कर रहे हैं. नवाचार के नाम पर इन मंचों पर अश्लील सामग्री परोसी जा रही है. इसी के चलते भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा ऐसे संकेत दिये गए थे कि वह ओटीटी प्लेटफार्मों के विनियमन हेतु एक कोड को लाया जा सकता है. हालाँकि भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा विनियमन कोड लाने के पहले ही इन मंचों ने स्वयं से कोड अपना लिया है.
यूनिवर्सल सेल्फ रेगुलेशन कोड, 2020 के बारे में
- ओटीटी मंचों द्वारा अपनाए गए स्व-विनियमन कोड का नाम यूनिवर्सल सेल्फ रेगुलेशन कोड, 2020 (Universal Self Regulation Codes, 2020) है.
- यह स्व-विनियमन कोड 10 फरवरी, 2021 से प्रभावी होगा.
- ओटीटी प्लेटफार्मों द्वारा अपनाया गया ‘यूनिवर्सल सेल्फ रेगुलेशन कोड, 2020’ इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) की दिशानिर्देश के अधीन तैयार किया गया है.
- ओटीटी प्लेटफार्म के स्व-विनियमन हेतु इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) की दिशानिर्देशों, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2016 में गठित श्याम बेनेगल कमेटी की सिफ़ारिशों पर आधारित हैं.
- इस प्रकार यूनिवर्सल सेल्फ रेगुलेशन कोड, 2020 श्याम बेनेगल कमेटी की सिफ़ारिशों को समाहित करता है.
OTT (OVER-THE-TOP) क्या है?
ओटीटी अर्थात् over-the-top एक मिडिया सर्विस है जो फिल्म, विडियो आदि को इन्टरनेट पर ऑनलाइन उपलब्ध करता है. इसके अन्दर ऑडियो प्रसारण, सन्देश सेवा अथवा इन्टरनेट पर आधारित वौइस कॉलिंग भी आते हैं. OTT सेवा को दूरसंचार नेटवर्क या केबल टेलीविज़न प्रदाताओं की आवश्यकता नहीं पड़ती. यदि आपके पास मोबाइल या किसी स्थानीय नेटवर्क के माध्यम से इन्टरनेट सम्पर्क है तो आप आराम से OTT प्रसारण का आनंद ले सकते हैं. आजकल OTT लोकप्रिय है क्योंकि इसमें कम दाम पर अच्छी-अच्छी सामग्रियाँ उपलब्ध हो जाती हैं. इसमें नेटफ्लिक्स और अमेज़न प्राइम जैसी मौलिक सामग्रियाँ भी मिल जाती हैं.
मेरी राय – मेंस के लिए
लॉकडाउन की वजह से दूसरे कारोबार की तरह ही सिनेमा उद्योग भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है. दूसरी ओर, टीवी और सिनेमा जैसे पारंपरिक मीडिया के अतिरिक्त इंटरनेट के माध्यम से उपलब्ध होने वाली सामग्री (ओटीटी) सेवाओं जैसे नए पीढ़ी के मंच, मनोरंजन उद्योग को प्रोत्साहन देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. वास्तविकता तो यह है कि देश के वीडियो ओटीटी बाजार का आकार बढ़कर 82.3 करोड़ डॉलर (5,363 करोड़ रुपये) का होने जा रहा है और भारत का वीडियो ओटीटी बाजार विश्व के शीर्ष दस बाजार में सम्मिलित होने के बेहद निकट है.
यह भी सच है कि कोरोना वायरस और लॉकडाउन के पूर्व से ही ओटीटी यानी over-the-top सेवा का विस्तार बहुत हो चुका था, परन्तु तालेबंदी के दौरान तो यह मनोरंजन के लिहाज से अपरिहार्य ही हो गया है. अब एक बड़ा समूह इस पर आश्रित है.
इंटरनेट जैसे-जैसे अपनी गति बढ़ाता जा रहा है, वैसे-वैसे अपने मोबाइल के माध्यम से कहीं भी वीडियो, कंटेंट देखने की सुविधा ने इसके प्रयोग को जबरदस्त उछाल दिया है. विद्यालयों, कॉलेजों के छात्रों को जितना अपनी परीक्षा को लेकर चिंता नहीं होती है उससे कहीं अधिक उनको इन्तजार इस बात का होता है कि वेब सीरीज का अगला एपिसोड कब रिलीज हो रहा है. OTT के जरिये आसानी से उपलब्ध वेब सीरीज को देखने की लत छात्रों पर कुछ इस कदर भारी है कि अपने खाने-पीने, खेलकूद पर लगने वाले अनिवार्य समय को वे वेब सीरीज का सस्पेंस समाप्त करने में लगा देते हैं. छात्र जीवन जीवन का बड़ा अनमोल समय होता है एवं इसी काल में कच्ची मिट्टी से अच्छे मटके बनने की शुरुआत होती है. इस समय हमें सही दिशा-निर्देश की आवश्यकता होती है.
अगर ऊर्जा को सही दिशा नहीं दी जाए तो इसका दुष्परिणाम घातक हो सकता हैं, उदाहरण के तौर पर हम परमाणु शक्ति से बिजली भी बनना सकते हैं जो कि समाज के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, वहीं दूसरी ओर इस शक्ति का प्रयोग परमाणु बम बनाने में भी कर सकते हैं जो कि समाज की आने वाली पीढ़ियों को भी विनाश की कगार पर खड़ा कर देती है.
OTT पर उपलब्ध कई सामग्रियाँ कम उम्र के बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं. इसमें उपलब्ध कई विडियो महिलाओं को गलत अर्थों में दिखाते हैं और बच्चों के साथ-साथ युवाओं के दिमाग को भी दूषित करते हैं. NETFLIX, ULLU app, Jio Cinema, Amazon Prime जैसी कंपनियां भारतीय दंड संहिता, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, महिलाओं का प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम और भारतीय संविधान के कई प्रावधानों का भी उल्लंघन कर रही हैं. सच कहा जाए तो OTT पर प्रसारित सामग्रियों ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा के साथ जीवन के अधिकार को प्रभावित किया है.
आईपीसी की धारा 153A : यह धारा उनके विरुद्ध लगाई जाती है, जो धर्म, नस्ल, भाषा, निवास स्थान या फिर जन्म स्थान के आधार पर अलग-अलग समुदायों के मध्य नफरत फैलाने और सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास करते हैं. इस धारा के अंतर्गत तीन साल की जेल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी यानी आईटी एक्ट 2000 की धारा 67 : इसमें प्रावधान किया गया है कि अगर कोई इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से आपत्तिजनक पोस्ट करता है या फिर शेयर करता है, तो उसके विरुध्द मामला दर्ज किया जा सकता है. अगर कोई प्रथम बार सोशल मीडिया पर ऐसा करने का दोषी पाया जाता है, तो उसे 3 साल की जेल हो सकती है. साथ ही 5 लाख रुपये का जुर्माना भी देना पड़ सकता है. इतना ही नहीं, अगर ऐसा अपराध पुनः दोहराया जाता है, तो मामले के दोषी को 5 वर्ष की जेल हो सकती है और 10 लाख रु. तक का जुर्माना भी देना पड़ सकता है. “Helina” and “Dhruvastra” successfully test fired :- INS Pralay :- Tropex-21 :- Vishwabharati University :- Software-defined radio :- Birth anniversary of Chhatrapati Shivaji :- Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA January, 2020 Sansar DCA is available Now, Click to Downloadइस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
Prelims Vishesh