Sansar डेली करंट अफेयर्स, 30 March 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 30 March 2021


GS Paper 1 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Water Resources.

Topic : Suez blockage

संदर्भ

भारत के द्वारा स्वेज अवरोध (Suez blockage) के प्रभाव से निपटने की योजना तैयार की गई है. भारत ने एक चार-सूत्री रणनीति तैयार की है, जिसके अंतर्गत केप ऑफ गुड होप के जरिये जलयानों का मार्ग बदलना, शीघ्र विनष्ट होने वाले कार्गों को प्राथमिकता देना, माल-भाड़े की दर को स्थिर रखना और भारतीय पत्तनों पर अपेक्षित जलयानों के संकुलन का प्रबंधन सम्मिलित है.

पृष्ठभूमि

हाल ही में, ताइवान की एक कंपनी एवरग्रीन मरीन का 400 मीटर लंबा एक कंटेनर पोत स्वेज नहर में फँस गया है जिससे क्षेत्रीय नौवहन अचानक बाधित हो गया है. इस मार्ग का उपयोग उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और यूरोप को/से 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के भारतीय निर्यात/ आयात के लिए किया जाता है.

भारत पर प्रभाव

  1. निर्यात पर क्या प्रभाव पड़ेगा? तेल, वस्त्र, फर्नीचर, कपास, वाहन-कलपुर्जे और मशीनों के पुर्जे आदि को गंतव्य तक पहुँचने में 10-15 दिनों का विलंब हो सकता है.
  2. आयात पर क्या प्रभाव पड़ेगा? तेल, असेंबली लाइनों में प्रयोग होने वाले इस्पात और कच्चे माल, फिनोल (phenol) व एनिलिन (aniline) जैसे बुनियादी रसायन भारत को कुछ विलंब से प्राप्त होंगे.
  3. भारत विश्व के अन्य देशों की तुलना में स्वेज नहर के जरिये कच्चे तेल का सबसे अधिक आयात करता है.
  4. दीर्घ परिवर्तित मार्ग और अतिरिक्त ईंधन की आवश्यकता के कारण माल-ढुलाई की दर 5-15% तक की बढ़ सकती है.

केप ऑफ गुड होप 

  • केप ऑफ गुड होप अफ्रीका के सुदूर दक्षिणी कोने पर एक स्थान है. यह क्षेत्र इसलिए जाना जाता है क्योंकि यहाँ से बहुत से जहाज़ पूर्व की ओर अटलांटिक महासागर से हिन्द महासागर में जाते हैं. यह स्थान दक्षिण अफ्रीका में है.
  • इस स्थान का एतिहासिक महत्व भी है. इस स्थान तक पहुँचने वाला सर्वप्रथम यूरोपीय व्यक्ति था पुर्तगाल का बारटोलोमीयु डियास. उसने इस स्थान को 1487 में देखा और इसका नाम “केप ऑफ़ स्टॉर्मस” (तूफ़ानों का केप) रखा.
  • इसी स्थान से होकर पुर्तगाली अन्वेषक वास्को द गामा भारत पहुँचा था.
  • 16वीं सदी में हॉलैंड और फ्रांस जैसी शक्तियों ने अन्य मार्ग पर कब्जा कर लेने से अंग्रेज व डच व्यापारी केप आफ गुड होप होकर भारत जाना पड़ता था.

स्वेज नहर के बारे में

  • स्वेज़ नहर लाल सागर और भूमध्य सागर को जोड़ने करने वाली 193 किमी लम्बी, 60 मी चौड़ी और औसत गहरी 5 मी नहर है.
  • सन्‌ 1858 में एक फ्रांसीसी इंजीनियर फर्डीनेण्ड की देखरेख में स्वेज नहर का निर्माण प्रारम्भ हुआ था.
  • स्वेज नहर कंपनी को इसके निर्माण की जिम्मेवारी मिली और 99 वर्षों तक संचालन और कर वसूलने का अधिकार भी मिला.
  • लम्बे समय तक ब्रिटेन ने यहाँ अपनी सेना तैनात की हुई थी लेकिन वर्ष 1956 में मिस्र ने इस नहर का राष्ट्रीयकरण कर इसे अपने पूर्ण अधिकार में कर लिया. यह वर्तमान में मिस्र के नियन्त्रण में है तथा इससे मिलने वाला चुंगी कर देश की आय का महत्त्वपूर्ण स्रोत है.

GS Paper 1 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Types of Condensation, Precipitation-Forms & Types, Distribution of rainfall, Air Masses and Fronts, Cyclones and anti-cyclones, World Climatic regions

Topic :  Odisha suffered losses worth ₹31,945 cr. in eight cyclones

संदर्भ

ओडिशा सरकार को वर्ष 1999 के सुपर साइक्लोन के बाद आने वाले आठ अलग-अलग चक्रवातों के कारण कुल 31,945.80 करोड़ रुपए की क्षति हुई है.

इन चक्रवातों मे शामिल है:-

फैलिन (2013), हुदहुद (2014), तितली, फेथाई और डे (DAYE)  (2018), बुलबुल और फानी (2019) और अम्फान (2020).

चक्रवात की परिभाषा

चक्रवात निम्न वायुदाब के केंद्र होते हैं, जिनके चारों तरफ केन्द्र की ओर जाने वाली समवायुदाब रेखाएँ विस्तृत होती हैं. केंद्र से बाहर की ओर वायुदाब बढ़ता जाता है. फलतः परिधि से केंद्र की ओर हवाएँ चलने लगती है. चक्रवात (Cyclone) में हवाओं की दिशा उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई के विपरीत तथा दक्षिण गोलार्द्ध में अनुकूल होती है. इनका आकर प्रायः अंडाकार या U अक्षर के समान होता है. आज हम चक्रवात के विषय में जानकारी आपसे साझा करेंगे और इसके कारण,  प्रकार और प्रभाव की भी चर्चा करेंगे. स्थिति के आधार पर चक्रवातों को दो वर्गों में विभक्त किया जाता है –

  1. उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones)
  2. शीतोष्ण चक्रवात (Temperate Cyclones)

चक्रवात के विषय में अधिकारी के लिए क्लिक करें – चक्रवात


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Unique Land Parcel Identification Number

संदर्भ

हाल ही में, ‘यूनीक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर’ (ULPIN) अर्थात् ‘विशिष्ट भू-खंड पहचान संख्या योजना’ शुरू की गई है और इस योजना को मार्च 2022 तक सम्पूर्ण देश में लागू किया जाएगा.

इस योजना को, ‘डिजिटल भारत भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम’ (Digital India Land Records Modernisation Programme– DILRMP) के एक भाग के रूप में एक संसदीय स्थायी समिति द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत रिपोर्ट में प्रस्तावित किया है. विदित हो कि डिजिटल भारत भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) का प्रारम्भ वर्ष 2008 में किया गया था और कालांतर में इसमें कई बार परिवर्तन एवं विस्तार किये गये.

‘विशिष्ट भू-खंड पहचान संख्या योजना’ के बारे में

  1. इस योजना के अंतर्गत, देश में प्रत्येक भूखंड को एक 14-अंकीय पहचान संख्या निर्गत की जाएगी.
  2. इसे ‘जमीन की आधार संख्या’ भी कहा जाता है. यह संख्या, जमीन के सर्वेक्षण किये जा चुके प्रत्येक खंड की विशिष्ट रूप से पहचान करेगी तथा विशेष रूप से ग्रामीण भारत में, जहाँ सामान्यतः भूमि-अभिलेख बहुत ही प्राचीन तथा विवादित होते हैं, भूमि-संबंधी धोखाधड़ी पर रोके लगाएगी.
  3. इस योजना के अंतर्गत भू-खंड की पहचान, उसके देशांतर और अक्षांशो के आधार पर की जाएगी और विस्तृत सर्वेक्षण और भू-संदर्भित भूसम्पत्ति-मानचित्र पर निर्भर होगी.

लाभ

ULPIN के बहुपक्षीय लाभ हैं. जानकारी का यह एकल स्रोत, भू-स्वामित्व प्रमाणित कर सकता है और इससे भू-स्वामित्व संबंधी संदिग्ध दावे समाप्त होंगे. यह सरलता से सरकारी भूमि की पहचान करने में सहायक होगा तथा न्यायहीन भूमि लेन-देन से बचाएगा.


GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Conservation related issues.

Topic : NCAP

संदर्भ

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme: NCAP) के अंतर्गत नियोजित कार्यों के निष्पादन के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए.

NCAP के अंतर्गत शहर की विशिष्ट कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए चिन्हित 132 शहरों हेतु राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शहरी स्थानीय निकायों तथा प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिनिधियों द्वारा समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए.

विभिन्‍न कार्यान्वयन एजेंसियों को एकजुट करके बहुआयामी प्रयासों के जरिये विशिष्ट वायु प्रदूषण स्रोतों को नियंत्रित करने के लिए शहर की कार्य योजना बनाई गई है. कार्य योजनाओं के घटकों में सम्मिलित हैं:- परिवेशी वायु गुणवत्ता नेटवर्क का विस्तार, स्रोत विभाजन अध्ययन, जन जागरूकता, शिकायत समाधान तंत्र आदि.

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 10 जनवरी 2019 को प्रदूषण से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) नाम से एक योजना का अनावरण किया है. इसके अंतर्गत इन सभी शहरों में प्रदूषण से निपटने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएँगे.

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के मुख्य तत्त्व

  • 2017 से लेकर 2024 तक पूरे देश में 5 और PM10 संघनन (concentration) में 20-30% कमी के लक्ष्य को प्राप्त करना.
  • इस कार्यक्रम को पूरे देश में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board – CPCB) वायु (प्रदूषण प्रतिषेध एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1986 के अनुभाग 162 (b) के अनुसार लागू करेगा.
  • इस कार्यक्रम के लिए पहले 2 वर्ष में 300 करोड़ रू. का आरम्भिक बजट दिया गया है.
  • इस कार्यक्रम में 23 राज्यों एवं संघीय क्षेत्रों के 102 शहरों को चुना गया है. इन शहरों का चुनाव केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 2011 और 2015 की अवधि में इन शहरों की वायु गुणवत्ता से सम्बंधित आँकड़ों के आधार पर किया गया है. इन शहरों में वायु गुणवत्ता के राष्ट्रीय मानकों के अनुसार वायु की गुणवत्ता लगातार अच्छी नहीं रही है. इनमें से कुछ शहर ये हैं – दिल्ली, वाराणसी, भोपाल, कोलकाता, नोएडा, मुजफ्फरपुर और मुंबई.
  • इस कार्यक्रम में केंद्र की यह भी योजना है कि वह पूरे भारत में वायु गुणवत्ता की निगरानी के नेटवर्क को सुदृढ़ करे. वर्तमान में हमारे पास 101 रियल-टाइम वायु गुणवत्ता मॉनिटर हैं. परन्तु निगरानी की व्यस्था को सुदृढ़ करने के लिए कम से कम 4,000 मॉनिटरों की आवश्यकता होगी.
  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में एक त्रि-स्तरीय प्रणाली भी प्रस्तावित है. इस प्रणाली के अंतर्गत रियल-टाइम भौतिक आँकड़ों के संकलन, उनके भंडारण और सभी 102 शहरों में एक्शन ट्रिगर प्रणाली की स्थापना अपेक्षित होगी. इसके अतिरिक्त व्यापक रूप से पौधे लगाये जाएँगे, स्वच्छ तकनीकों पर शोध होगा, बड़े-बड़े राजमार्गों की लैंडस्केपिंग की जायेगी और कठोर औद्योगिक मानदंड लागू किये जाएँगे.
  • इस कार्यक्रम के तहत राज्य-स्तर पर भी कई कदम उठाये जाएँगे, जैसे – दुपहिये वाहन का विद्युतीकरण, बैटरी चार्ज करने की व्यवस्था को सुदृढ़ करना, BS-VI मापदंडों को कठोरता से लागू करना, सार्वजनिक यातायात तन्त्र को मजबूत करना तथा प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों का तीसरे पक्ष से अंकेक्षण कराना आदि.
  • इस राष्ट्रीय योजना में पर्यावरण मंत्री की अध्यक्षता में एक सर्वोच्च समिति, अवर सचिव (पर्यावरण) की अध्यक्षता में एक संचालन समिति और संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति की स्थापना का भी प्रस्ताव है. इसी प्रकार राज्यों के स्तर पर भी परियोजना निगरानी के लिए समितियाँ होंगी जिनमें वैज्ञानिक और प्रशिक्षित कर्मचारी होंगे.

समिति के सदस्य

MoEFCC ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) को लागू करने के लिए एक समिति का गठन किया है.

  • इस समिति की अध्यक्षता केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के सचिव करेंगे और इसके सदस्यों में संयुक्त सचिव (थर्मल), विद्युत मंत्रालय; महानिदेशक, ऊर्जा संसाधन संस्थान (TERI) आदि भी होंगे.
  • इस कार्यक्रम में 23 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 102 नॉन-अटेनमेंट शहरों  को शामिल किया गया है. इन शहरों का चुनाव केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 2011 से 2015 के बीच की वायु गुणवत्ता के आधार पर किया है. वे शहर नॉन-अटेनमेंट शहर हैं जिनमे राष्ट्रीय मानकों के मुताबिक वायु गुणवत्ता निरंतर ख़राब रहती है. नॉन-अटेनमेंट शहरों की सूची में दिल्ली, वाराणसी, भोपाल, कलकत्ता, नॉएडा, मुजफ्फरपुर और मुंबई ऐसे बड़े शहर शामिल हैं.

कार्यक्रम के लाभ

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम से यह लाभ हुआ है कि वायु प्रदूषण को घटाने के लिए लक्ष्य निर्धारित हो गये हैं जिसके लिए बहुत दिनों से प्रतीक्षा थी. इन लक्ष्यों से यह लाभ होगा कि उन क्षेत्रों का पता चल जाएगा जहाँ प्रदूषण की समस्या गंभीर है और यह भी पता चलेगा कि वहाँ प्रदूषण घटाने का लक्ष्य पाने के लिए कौन-कौन से कारगर कदम उठाये जाने चाहिएँ.


Prelims Vishesh

African Swine Fever :-

  • हाल ही में अमेरिका द्वारा भारत को अफ्रीकी स्वाइन फीवर (ASF) से प्रभावित देशों की सूची में शामिल कर दिया गया है.
  • ASF बहुत तेजी से फैलने वाला और पशुओं के लिए घातक रोग है जो पालतू और जंगली दोनों सूअरों को संक्रमित करके उनमें रक्तस्रावी बुखार ला देता है.
  • यह ज्वर पहली बार 1920 में अफ्रीका महादेश में पकड़ा गया था.
  • इस बुखार का कोई उपचार नहीं है और जिस पशु को यह बुखार हो गया तो उसका मरना शत प्रतिशत तय है. अतः यह नहीं फ़ैल जाए इसके लिए रोगग्रस्त पशुओं को जान से मार देना पड़ता है.
  • ASF की विशेषता है कि यह पशु से पशु में फैलता है और मनुष्य पर इससे कोई खतरा नहीं होता.
  • संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) का कहना है कि ASF बहुत तेजी से एक महादेश से दूसरे महादेश तक फैलने की शक्ति रखता है.

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