Sansar डेली करंट अफेयर्स, 05 April 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 05 April 2021


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections.

Topic : PM SVANIDHI

संदर्भ

आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने हाल ही में घोषणा की कि 29 मार्च, 2021 तक 20 लाख से अधिक स्ट्रीट वेंडरों को प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (The Pradhan Mantri Street Vendor’s AtmaNirbhar Nidhi- PM SVANidhi) के तहत ऋण प्रदान किया गया है. इसमें से 18 लाख ऋण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा प्रदान किए गए थे.

केन्द्रीय आवास व  शहरी मामले मंत्रालय  और ज़ोमैटो ने प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (PM SVANidhi) योजना के तहत एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं.

मुख्य बिंदु

  1. समझौते के अनुसार आवास व शहरी मामले मंत्रालय और ज़ोमैटो शुरुआत में 300 स्ट्रीट वेंडरों के साथ एक पायलट प्रोग्राम चलाएँगे. इन स्ट्रीट फूड वेंडर्स ज़ोमैटो के फूड-टेक प्लेटफॉर्म पर को शामिल किया जायेगा.
  2. इनस्ट्रीट वेंडरों का चयन पटना, भोपाल, नागपुर, लुधियाना, वडोदरा और रायपुर जैसे 6 शहरों में किया जाएगा.
  3. इससे स्ट्रीट फूड वेंडरों को हजारों उपभोक्ताओं तक ऑनलाइन पहुँचने एवं व्यवसाय बढ़ाने में भी सहायता मिलेगी.
  4. इन स्ट्रीट फूड वेंडर्स को टेक्नोलॉजी और जौमेटो एप के उपयोग, मेन्यु डिजिटलीकरण, मूल्य निर्धारण और स्वच्छता और पैकेजिंग पर प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. इन्हें FSSAI के खाद्य गुणवत्ता का प्रमाणन भी दिया जायेगा.

पीएम स्वनिधि योजना के बारे में मुख्य तथ्य

  • यह योजना 1 जून, 2020 को लागू हुई.
  • यह लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) के द्वारा क्रियान्वित की जा रही है.
  • यह योजना मार्च 2022 तक वैध है.
  • इस योजना के लिये सरकार द्वारा 5,000 करोड़ रुपए की राशि मंज़ूर की गई है.
  • कोरोना वायरस की वजह से लड़खड़ाई देश की अर्थव्यवस्था से सबसे अधिक प्रभावित फेरीवालों, रेहड़ी-पटरी पर काम करने वालों (स्ट्रीट वेंडर्स) को अब पीएम स्व निधि स्कीम के तहत 10 हजार का कर्ज दिया जाएगा.
  • इस राशि को रेहड़ी-पटरी वाले वर्ष के भीतर किस्त में लौटा सकते हैं.
  • यह ऋण बहुत ही आसान शर्तों के साथ दिया जाएगा. इसमें किसी ज़मानत या कोलैट्रल (Collateral) की आवश्यकता नहीं होगी.
  • इस ऋण को समय पर चुकाने वाले छोटे दुकानदारों, फेरीवालों को 7% का वार्षिक ब्याज सब्सिडी के तौर पर उनके खाते में सरकार की ओर से स्थानान्तरण किया जाएगा.
  • इस योजना के तहत जुर्माने का कोई प्रावधान नहीं है.

PM SVANIDHI योजना का लाभ किसे मिलेगा?

  • इस योजना का लाभ रेहड़ी पटरी वालों और छोटी-मोटी दुकान लगाकर आजीविका चलाने वालों को प्राप्त होगा. फल-सब्जी, लॉन्ड्री, सैलून और पान की दुकानें भी इस श्रेणी में शामिल की गई हैं.
  • इस योजना के अंतर्गत सरकार इन लोगों को अपना कारोबार शुरू करने के लिए यथासंभव सहायता प्रदान करेगी. इससे रेहड़ी-पटरी वाले बिना किसी देरी के अपना काम-धंधा फिर से प्रारम्भ कर सकेंगे.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

कोरोना की सबसे अधिक मार किसी ने झेला है तो वे छोटे-मोटे विक्रेता और रेहड़ी वाले ही हैं जिनकी रोजाना आय से उनका घर चलता था और उन्हें दो वक्त की रोटी मिलती थी. देश में बड़े पैमाने पर असंगठित क्षेत्र के प्रमाणिक आँकड़े उपलब्ध न होने से इस प्रक्षेत्र से संलग्न लोगों को सहायता पहुँचाना हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही है.

हमें आशा है कि ‘पीएम स्वनिधि’ योजना से अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा और वे तालाबंदी के चलते प्रभावित हुई आजीविका को पुनः प्रारम्भ कर सकेंगे.

इससे ये लोग कोरोना संकट के समय अपने कारोबार को नए सिरे से खड़ा कर आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देंगे. यह भारत में प्रथम बार हुआ है कि शहरी/ग्रामीण क्षेत्रों के आस-पास सड़क पर माल बेचने वाले विक्रेता शहरी आजीविका कार्यक्रम के लाभार्थी बन गए हैं. वेंडर 10,000 रुपये तक की कार्यशील पूंजी ऋण का लाभ उठा सकते हैं जिसे वे एक वर्ष में मासिक किस्तों में चुका सकते हैं.

इस योजना के माध्यम से डिजिटल भुगतान को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है क्योंकि इस योजना के अंतर्गत जो भी खुदरा विक्रेता डिजिटल भुगतान करेगा, उसे इनाम देकर प्रोत्साहित किया जाएगा. डिजिटल भुगतान पर एक लाभ यह भी है कि आने वाले समय में उन्हें ​कामकाज बढ़ाने के लिए अतिरिक्त धन (कैशबेक आदि के माध्यम से) उपलब्ध कराया जा सकेगा. 

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

SIDBI : भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) संसद के एक अधिनियम द्वारा 2 अप्रैल, 1990 को स्थापित किया गया था. यह बैंक सूक्ष्म, मघु और मध्यम उद्यमों (Micro, Small and Medium Enterprise – MSME) के लिए वित्त जुटाने वाला प्रधान बैंक है. साथ ही समान प्रकार की गतिविधियों में संलग्न अन्य संस्थाओं के कार्यकलाप का समन्वयन भी करता है.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Structure, organization and functioning of the Executive and the Judiciary Ministries and Departments of the Government; pressure groups and formal/informal associations and their role in the Polity.

Topic : Sankalp Se Siddhi

संदर्भ

जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत संचालित भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (TRIFED) ने हाल ही में 100 दिवसीय अभियान “संकल्प से सिद्धिका अनावरण किया है.

संकल्प से सिद्धि अभियान के बारे में

  • इस अभियान का मुख्य उद्देश्य आदिवासी गाँवों में स्थित वन धन विकास केंद्रों (VDVK) को सक्रिय करना है.
  • 01 अप्रैल, 2021 से आरम्भ 100 दिनों की इस मुहिम से 150 टीमें (ट्राइफेड एवं राज्य कार्यन्वयनकारी एजेंसियों/मेंटरिंग एजेंसियों/पाटनरों में से प्रत्येक क्षेत्र में 10) जुड़ेंगी जिनमें से प्रत्येक 10 गाँवों का दौरा करेंगी.
  • दौरा करने वाली टीमें स्थानों की भी पहचान करेंगी तथा वृहद उद्यमों के रुप में ट्राइफ़ूड एवं स्फूर्ति इकाइयों के रूप में क्लस्टरिंग के लिए संभावित वीडीवीके का चयन करेंगी.
  • वे जनजातीय कारीगरों तथा अन्य समूहों की भी पहचान करेंगी और उन्हें आपूर्तिकर्ता के रूप में पैनल में सम्मिलित करेंगी, जिससे कि ट्राइब्स इंडिया नेटवर्क- भौतिक विक्रय केन्द्रों तथा tribesindia.com दोनों के माध्यम से उनकी बड़े बाजारों तक पहुँच सुलभ हो सकेगी.

ट्राइफ़ूड पार्क के बारे में

  • ट्राइफ़ूड पार्क जनजातीय मामले मंत्रालय, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय और TRIFED की एक संयुक्त पहल है.
  • इसे अगस्त 2020 में वन धन योजना के अंतर्गत अनावृत किया गया था.
  • ट्राइफ़ूड पार्क खाद्य प्रसंस्करण केंद्र हैं.
  • इनकी स्थापना का उद्देश्य लघु वनोपज के मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देना होगा.
  • ट्राइफ़ूड पार्क वन धन केंद्रों से कच्चे माल की खरीद करेगा, फिर उन्हें ट्राइब्स इंडिया आउटलेट के माध्यम से पूरे देश में बेचा जाएगा.

वन धन योजना

  • 14 अप्रैल, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजापुर, छत्तीसगढ़ में अम्बेडकर जयंती के महोत्सव के दौरान इस योजना का प्रारम्भ किया था.
  • वन धन योजना के अंतर्गत 30 जनजातीय संग्रहकर्ताओं के 10 स्वयं सहायता समूहों (SHGs) अर्थात् वन धन विकास समूहों का गठन किया जाएगा. इसके बाद इन्हें वन से एकत्रित उत्पादों के मूल्य संवर्द्धन हेतु कार्यशील पूँजी प्रदान की जायेगी.
  • एक ही गाँव के भीतर इस प्रकार के 10 SHGs के संकुल द्वारा वन धन विकास केंद्र का गठन किया जाएगा.
  • वन धन विकास केंद्र कौशल उन्नयन, क्षमता निर्माण प्रशिक्षण, प्राथमिक प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्द्धन सुविधा की स्थापना इत्यादि प्रदान करने हेतु बहुउद्देशीय प्रतिष्ठान होते हैं.
  • प्राथमिक प्रसंस्करण के बाद इन SHGs द्वारा स्टॉक को राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों के पास भेजा जाएगा.
  • जिला स्तर पर द्वितीय स्तर तथा राज्य स्तर पर तृतीय स्तर की मूल्य संवर्द्धन सुविधा के निर्माण के लिए बड़े निगमों को PPP मॉडल के तहत सम्मिलित किया जाएगा.
  • वन धन योजना केन्द्रीय स्तर पर नोडल विभाग के रुप में जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा तथा राष्ट्रीय स्तर पर नोडल एजेंसी के रूप में ट्राइफेड (TRIFED) के माध्यम से क्रियान्वित की जायेगी.
  • राज्य स्तर पर MFP हेतु राज्य नोडल एजेंसी तथा प्राथमिक स्तर पर जिलाधिकारियों द्वारा योजना कार्यान्वयन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की परिकल्पना की गई है.

TRIFED

  1. 1987 में TRIFED अस्तित्व में आया.
  2. यह भारत सरकार के कल्याण मंत्रालय द्वारा स्थापित किया गया था.
  3. TRIFED का full form है –Tribal Cooperative Marketing Development Federation of India.
  4. ट्राइफेड देश के आदिवासियों की हस्तकला को बढ़ावा देने का काम कर रहा है.
  5. TRIFED गेहूँ और चावल की खरीद के लिए FCI के एजेंसी के रूप में भी काम करता है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : Third Biennial Update Report to The United Nations Framework Convention on Climate Change

संदर्भ

UNFCCC के समक्ष प्रस्तुत तीसरी द्विवार्षिक रिपोर्ट (BUR-3) के अनुसार भारत स्वैच्छिक उत्सर्जन – कटौती लक्ष्य से आगे बढ़ने के लिए तैयार है.

  • यह रिपोर्ट पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के अंतर्गत प्रतिवेदन दायित्व की पूर्ति करने की दिशा में प्रस्तुत की गई है.
  • तीसरी द्विवार्षिक रिपोर्ट (Third Biennial Report: BUR-3) के अनुसार भारत उत्सर्जन तीव्रता को वर्ष 2020 तक (वर्ष 2005 के स्तर से) सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के लगभग 20-25% तक कम करने हेतु की गई अपनी स्वैच्छिक घोषणा को प्राप्त करने के लिए सही दिशा में अग्रसर था.

मुख्य उपलब्धियाँ

  • वर्ष 2005 से वर्ष 2016 के बीच भारत की उत्सर्जन तीव्रता GDP के 24% तक कम हुई है.
  • भारत में सौर ऊर्जा की संस्थापित क्षमता नवंबर 2020 में 14 गुना से अधिक बढ़कर 36.91 गीगावॉट (GW) हो गई है.
  • नवंबर 2020 में संचयी नवीकरणीय विद्युत की संस्थापित क्षमता (25 मेगावाट से अधिक जल विद्युत के अतिरिक्त) 2.6 गुना बढ़कर 90.39 गीगावॉट (GW) हो गई है.
  • वन और वृक्षावरण में वर्ष 2015 से वर्ष 2019 के बीच 1.65% की वृद्धि दर्ज की गई है.
  • उद्योगों में ऊर्जा दक्षता के लिए PAT (Perform Achieve and Trade: प्रदर्शन, प्राप्ति और व्यापार) योजना के परिणामस्वरूप कुल 13.28 MToe (मिलियन टन तेल के समतुल्य) की बचत हुई.
  • कृषि क्षेत्र के उत्सर्जन में कमी बागवानी के अंतर्गत क्षेत्र के विस्तार, चावल की गहन फसल प्रणाली, नीम लेपित (neem coated) यूरिया, चावल की प्रत्यक्ष रोपित बीज कृषि आदि के कारण प्राप्त की गई है.

UNFCCC क्या है?

  • UNFCCC एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण विषयक संधि है जो 21 मार्च, 1994 से लागू है. अब इसमें विश्व के लगभग सभी देश सदस्य बन चुके हैं. दिसम्बर, 2015 तक इसमें 197 सदस्य हो गये थे.
  • इस संधि का उद्देश्य जलवायु प्रणाली में मानव के खतरनाक हस्तक्षेप को रोकना है.

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Issues related to direct and indirect farm subsidies and minimum support prices; Public Distribution System objectives, functioning, limitations, revamping; issues of buffer stocks and food security; Technology missions; economics of animal-rearing.

Topic : PM-Kusum Scheme

संदर्भ

हाल ही में पीएम-कुसुम योजना के अंतर्गत पहला कृषि आधारित सौर ऊर्जा संयंत्र राजस्थान के जयपुर ज़िले की कोटपुतली तहसील में भालौजी गाँव में स्थापित किया गया है. इसकी क्षमता 1 मेगावाट है और यह 3.5 एकड़ बंजर भूमि पर विस्तृत है. इस संयंत्र से प्रति वर्ष 17 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है.

पृष्ठभूमि

ज्ञातव्य है कि राजस्थान सरकार द्वारा बजट घोषणा में प्रदेश में इस योजना के तहत 2600 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयत्र स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसमें से अब तक 722 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं हेतु “लेटर ऑफ अवार्ड” निर्गत किये जा चुके हैं.

प्रधानमंत्री-कुसुम योजना के सी-घटक के कार्यान्वयन के विषय में

  • नवीन और नवीकरणीय मंत्रालय (एमएनआरई) ने राज्य सरकारों के परामर्श के बाद, प्रधानमंत्री-कुसुम योजना के घटक-सी के अंतर्गत फीडर स्तर सोलराइजेशन के कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश जारी करने का निर्णय लिया है.
  • पीएम-कुसुम योजना का ‘सी-घटक’ ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों को फीडर स्तर के सौर संयंत्र (सोलराइजेशन) उपलब्ध कराता है.
  • राज्यों के साथ विचार-विमर्श के बाद, फीडर स्तर पर सोलराइजेशन का भी निर्णय किया गया है, इसके अंतर्गत प्रत्येक कृषि पंप के लिये अलग पैनल के बजाए एक ही सौर बिजली संयंत्र स्थापित किया जाएगा.
  • ये सौर बिजली संयंत्र कृषि फीडर या कई फीडरों को बिजली आपूर्ति करने में सक्षम होंगे. फीडर स्तर के इस सोलराइजेशन से मितव्ययता और बेहतर दक्षता प्राप्त की जा सकेगी.
  • फीडर-स्तर के सौर बिजली संयंत्र लगाने के लिये, केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) पूर्वोत्तर राज्योंपहाड़ी/केंद्रशासित प्रदेशों के मामले के लिए50 प्रतिशत तथा शेष राज्यों के लिए 30 प्रतिशत होगी जबकि शेष वित्त की आपूर्ति नबार्ड/पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन/आरईसी से कर्ज के रूप में की जाएगी.
  • इसमें परियोजना लगाने वाली इकाई का चयन 25 वर्ष के लिये निम्न शुल्क दर के आधार पर किया जाएगा.

कुसुम योजना

  • यह भारत सरकार की 4 लाख करोड़ की एक योजना है जिसके अंतर्गत किसानों की सहायता के लिए 28,250 MW तक सौर ऊर्जा के विकेंद्रीकृत उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा.
  • KUSUM योजना के अनुसार बंजर भूमियों पर स्थापित सौर ऊर्जा परियोजनाओं से उत्पन्न बिजली में से अधिशेष अंश को किसान ग्रिडों को आपूर्ति कर सकेंगे जिससे उन्हें आर्थिक लाभ मिलेगा.
  • इसके लिए, बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) को किसानों से पाँच वर्षों तक बिजली खरीदने के लिए 50 पैसे प्रति इकाई की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन राशि दी जायेगी.
  • सरकार किसानों को खेतों के लिए लाख ऑफ़-ग्रिड (ग्रिड रहित) सौर पम्प खरीदने के लिए सब्सिडी प्रदान करेगी. केंद्र और राज्य प्रत्येक सौर पम्प पर 30% सब्सिडी प्रदान करेंगे. अन्य 30% ऋण के माध्यम से प्राप्त होगा, जबकि 10% लागत किसान द्वारा वहन की जायेगी.
  • 7,250 MW क्षमता के ग्रिड से सम्बद्ध (ग्रिड-कनेक्टेड) खेतों के पम्पों का सौरीकरण (Solarisation) किया जाएगा.
  • सरकारी विभागों के ग्रिड से सम्बद्ध जल पम्पों का सौरीकरण किया जाएगा.

KUSUM YOJANA के कुछ अन्य प्रावधान

  • ग्रामीण क्षेत्र में 500KW से लेकर 2MW तक के नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र लगाये जाएँगे जो ग्रिड से जुड़े हुए होंगे.
  • कुछ ऐसे सौर जलपम्प लगाये जाएँगे जो किसानों की सिंचाई की आवश्यकता को पूरी करेंगे परन्तु वे ग्रिड से सम्बद्ध नहीं होंगे.
  • वर्तमान में जो किसान ग्रिड से जुड़े सिंचाई पम्पों के स्वामी हैं उन्हें ग्रिड की आपूर्ति से मुक्त किया जाए और उन्हें अधिकाई सौर ऊर्जा को DISCOMs को देकर अतिरिक्त आय कमाने का अवसर दिया जाए.

अपेक्षित लाभ

  • यह कृषि क्षेत्र को डीजल-रहित बनाने में सहायता करेगा. यह क्षेत्रक लगभग 10 लाख डीजल चालित पम्पों का उपयोग करता है.
  • यह कृषि क्षेत्र में सब्सिडी का बोझ कम कर DISCOMs की वित्तीय स्थिति में सुधार करने में सहायता करेगी.
  • विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा उत्पादन को प्रोत्साहन.
  • ऑफ-ग्रिड और ग्रिड कनेक्टेड, दोनों प्रकार के सौर जल पम्पों द्वारा सुनिश्चित जल स्रोतों के प्रावधान के माध्यम से किसानों को जल-सुरक्षा.
  • नवीकरणीय खरीद दायित्व लक्ष्यों को पूरा करने के लिए राज्यों का समर्थन करना.
  • छतों के ऊपर और बड़े पार्कों के बीच इंटरमीडिइट रेंज में सौर ऊर्जा उत्पादन की रीक्तियों को भरना.
  • ऑफ-ग्रिड व्यवस्था के माध्यम से पारेषण क्षति (transmission loss) को कम करना.

KUSUM YOJANA को लेकर प्रतिवेदन में वर्णित चिंताएँ

  • प्रतिवेदन के अनुसार कुसुम योजना से भूजल के अत्यधिक शोषण का खतरा है.
  • विद्युत वितरण प्रणालियों पर सब्सिडी का जो बोझ है वह इस योजना से नहीं घटेगा क्योंकि पम्प लगाने को सब्सिडी युक्त कृषि ऊर्जा आपूर्ति में घटत के साथ नहीं जोड़ा गया है. सब्सिडी युक्त सौर पम्प लगाये तो जा रहे हैं परन्तु उनके साथ-साथ कृषि आपूर्ति अथवा सब्सिडी में कटौती नहीं की जा रही है. परिणामतः राज्यों के ऊपर आने वाले सब्सिडी का भार बढ़ सकता है.
  • यह ठीक है कि खेती के लिए फीडरों के सौरीकरण और ग्रिड से जुड़े सौर पम्पों को लगाना आर्थिक रूप से ग्रिड से नहीं जुड़े पम्पों को लगाने से अधिक अच्छे विकल्प हैं क्योंकि इनसे ग्रिड में अतिरिक्त बिजली आ सकती है. परन्तु योजना में पानी के प्रयोग को सीमित करने के उपाय नहीं बताये गये हैं.
  • खेतों में सौर संयंत्र लगाने की योजना धनी किसानों को ही लाभ पहुँचायेगा क्योंकि इसमें बहुत पैसा लगता है और लगाने वाले के पास भूमि को 25 वर्षों के लिए पट्टे पर देना सब के लिए संभव नहीं होता.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

किसी भी देश के मानव विकास सूचकांक एवं ऊर्जा उपभोग में पूरक संबंध होता है. वस्तुतः ऊर्जा ही किसी भी देश के आर्थिक सामाजिक विकास की धुरी है. ऊर्जा संसाधनों के आधार पर ही किसी राष्ट्र का आर्थिक विकास संभव है. अतः ऊर्जा सुरक्षा का मजबूत होना अत्यधिक आवश्यक है. जनांकिकीय लाभांश को प्रतिफल में बदलने तथा वैश्विक महाशक्ति बनने हेतु भारत को ‘ऊर्जा सुरक्षा’ के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता है. इसके अलावा बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ऊर्जा सुरक्षा आवश्यक है. आधारभूत ढांचे की दृढ़ता के लिये भी ‘ऊर्जा सुरक्षा’ आवश्यक है. कौशल विकास सृजन एवं विनिर्माण क्षमता के विकास के लिये ऊर्जा सुरक्षा महत्त्वपूर्ण है.

नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों से प्राप्त ऊर्जा को नवीकरणीय ऊर्जा कहते है. ज्ञातव्य है कि नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन कभी समाप्त न होने वाले संसाधान होते हैं, जिन्हें फिर से प्राप्त किया जा सकता है. वस्तुतः पृथ्वी इनका प्राकृतिक रूप से पुनर्भरण करती रहती है. इसमें सौर ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जल ऊर्जा, बायोमास ऊर्जा आदि शामिल है. ये पृथ्वी पर असीमित मात्र में उपलब्ध हैं तथा प्रदूषण रहित होने के कारण पर्यावरण हितैषी हैं. वस्तुतः पारंपरिक जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों से अत्यधिक जल, वायु व मृदा प्रदूषण होता है जो भूमंडलीय ऊष्मन का कारण है. नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों की अपेक्षा सस्ते एवं अधिक वहनीय हैं. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत ही भविष्य के ऊर्जा संसाधन है जो किसी भी राष्ट्र के धारणीय विकास को सुनिश्चित करेंगे. यह धारणीय विकास लक्ष्य (SDG)-7 ‘स्वच्छ एवं वहनीय ऊर्जा’ के अनुकूल है. चूँकि भारत कर्क रेखा पर अवस्थित है अतः भारत के अधिकांश भागों में वर्षभर सौर प्रकाश उपलब्ध रहता है, जिससे अत्यधिक मात्रा में सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है. इसी प्रकार पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा आदि की उपलब्धता भी भारत में है.

संभावित गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की खोज तथा उन्हें किफायती एवं सुलभ बनाने के लिये अनुसंधान की आवश्यकता है. ऊर्जा अवसंरचना का विकास करने के साथ-साथ स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम भंडारण को और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है. सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयान मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2017-18 में प्रति व्यक्ति ऊर्जा उपलब्धता (भारत में) को 23355 मेगाजूल बढ़ाने की आवश्यकता है.


Prelims Vishesh

Dadasaheb Phalke Award :-

  • प्रसिद्ध अभिनेता रजनीकांत को वर्ष 2019 के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
  • दादासाहेब फाल्के पुरस्कार भारत का सिनेमा का सर्वोच्च पुरस्कार है.
  • यह पुरस्कार, फिल्म समारोह निदेशालय (सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा स्थापित एक संगठन) द्वारा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है.
  • इस पुरस्कार में एक स्वर्ण कमल, 10 लाख रुपए नकद और एक शॉल प्रदान की जाती है.
  • यह पुरस्कार ‘भारतीय सिनेमा की वृद्धि और विकास में उत्कृष्ट योगदान’ के लिए प्रदान किया जाता है.
  • पहली बार यह पुरस्कार वर्ष 1969 में प्रदान किया गया था. पहली बार ‘भारतीय सिनेमा की प्रथम महिला’ अभिनेत्री देविका रानी को यह पुरस्कार दिया गया था.

Exercise SHANTIR OGROSHENA 2021 :-

  1. यह बांग्लादेश में आयोजित होने वाला बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास है.
  2. इस वर्ष भारतीय सेना भी इस सैन्य अभ्यास में भाग लेगी.
  3. यह सैन्य अभ्यास, बांग्लादेश में वहाँ के ‘राष्ट्रपिता’ बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में आयोजित किया जाएगा और यह बांग्लादेश की स्वतंत्रता के शानदार 50 वर्ष पूरे होने का प्रतीक होगा.
  4. पूरे अभ्यास के दौरान अमेरिका, ब्रिटेन, तुर्की, सऊदी अरब, कुवैत और सिंगापुर के सैन्य पर्यवेक्षक भी उपस्थित रहेंगे.

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