Sansar डेली करंट अफेयर्स, 13 April 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 13 April 2021


GS Paper 1 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Important Geophysical phenomena such as earthquakes, Tsunami, Volcanic activity, cyclone etc.

Topic : Indian Ocean Dipole

संदर्भ

निजी मौसम पूर्वानुमान कम्पनी स्काइमेट वेदर ने मानसून से सम्बंधित रिपोर्ट प्रस्तुत किया है.

रिपोर्ट से जुड़ी मुख्य बातें

  1. इस साल मानसून की अवधि, ‘औसतन दीर्घावधि’ (long period average– LPA) की 103% रहने की संभावना है. ‘औसतन दीर्घावधि’ (LPA) का अर्थ ‘अखिल भारतीय मानसूनी वर्षा’ के औसत (88 सेमी) से है, जो कि 50 सालों की औसतन ‘मानसूनी वर्षा’ के आधार पर निकाला गया है.
  2. इस साल, अल-नीनो’ की संभावना बहुत ही कम है. अधिकांशतः ‘अल-नीनो’ के दौरान, भूमध्यरेखीय मध्य प्रशांत महासागर के तापमान में आधे डिग्री से अधिक की वृद्धि हो जाती है. आज की तिथि में, प्रशांत महासागर में ‘ला-नीना’ की स्थिति विद्यमान है.
  3. पूर्वोत्तर भारत के कुछ भागों सहित, उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में मानसून के दौरान अल्प वर्षा होने की संभावना है.
  4. इस साल हिंद महासागरीय द्विध्रुव’ (Indian Ocean Dipole- IOD) के कुछ हद तक ‘नकारात्मक’ रहने की संभावना है. विदित हो कि IOD पश्चिमी और पूर्वी हिंद महासागर में ‘तापमान प्रवणता’ को व्यक्त करता है. सकारात्मक IOD ज्यादातर मानसून के लिए सहायक सिद्ध होता है.

क्या है IOD?

  • IOD समुद्री सतह के तापमान का एक अनियमित दोलन है,  जिसमें पश्चिमी हिंद महासागर की सतह का तापमान पूर्वी हिंद महासागर की तुलना में क्रमिक रूप से कम और ज्यादा होता रहता है.
  • हिंद महासागर द्विधुव (IOD) को भारतीय नीनो भी कहा जाता है.
  • आसान शब्दों में कहा जाए तो पश्चिमी हिंदी महासागर का पूर्वी हिंद महासागर की तुलना में बारी-बारी से गर्म और ठंडा होना ही हिंद महासागर द्विध्रुव कहलाता है.
  • हिंद महासागर द्विध्रुव भारतीय मानसून को सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रकार से प्रभावित करता है.
  • हिंद महासागर द्विध्रुव भारतीय मानसून के साथ-साथ आस्ट्रेलिया के ग्रीष्मकालीन मानसून को भी प्रभावित करता है.

हिंद महासागर द्विध्रुव के प्रकार

भारतीय मानसून पर प्रभाव के आधार पर IOD के तीन प्रकार हैं –

  1. तटस्थ/सामान्य हिंद महासागर द्विध्रुव
  2. नकारात्मक हिंद महासागर द्विध्रुव तथा
  3. सकारात्मक हिंद महासागर द्विध्रुव

IOD  का भारतीय मानसून पर प्रभाव

तटस्थ/सामान्य हिंद महासागर द्विध्रुव

तटस्थ IOD का असर करीब न के बराबर रहता है. इससे पूर्वी हिंद महासागर व आस्ट्रेलिया का उत्तर पश्चिमी भाग थोड़ा ज्यादा (सामान्य से) वर्षा प्राप्त करता है.

नकारात्मक हिंद महासागर द्विध्रुव

नकारात्मक IOD का प्रभाव भारतीय मानसून पर नकारात्मक पड़ता है. इससे भारतीय मानसून कमजोर पड़ जाता है और बारिश तेजी से नहीं हो पाती है. ‘हॉर्न ऑफ अफ्रीका’ व पश्चिमी हिंद महासागर में बहुत ही अधिक कम वर्षा होती है जबकि इसके ठीक उलट पूर्वी हिंद महासागर व आस्ट्रेलिया के उत्तर-पश्चिमी भाग में ज्यादा वर्षा होती है. इसके चलते भारत में सूखा पड़ने की आशंका बढ़ जाती है.

सकारात्मक हिंद महासागर द्विध्रुव

सकारात्मक IOD का भारतीय मानसून पर (वर्षा पर) सकारात्मक असर पड़ता है. इससे भारतीय उपमहाद्वीप व पश्चिमी हिंद महासागर अपेक्षाकृत ज्यादा बारिश प्राप्त करते हैं. सकारात्मक IOD में जहाँ भारतीय उपमहाद्वीप व पश्चिमी हिंद महासागर औसत से ज्यादा बारिश प्राप्त करता है वहीं दूसरी ओर उत्तर पश्चिमी आस्ट्रेलिया व पूर्वी हिंद महासागर औसत से अल्प बारिश प्राप्त करता है. इसके चलते आस्ट्रेलिया में सूखे की परिस्थिति पैदा हो जाती है.


GS Paper 1 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : The Freedom Struggle – its various stages and important contributors /contributions from different parts of the country.

Topic : Jallianwala Bagh Massacre

संदर्भ

जालियाँबाग बाग़ हत्याकांड भारत के पंजाब प्रांत के अमृतसर में जालियाँवाला बाग़ में 13 अप्रैल, 1913 (बैसाखी के दिन) हुआ था.

जालियाँबाग नरसंहार

  • 10 अप्रैल, 1919 को अमृतसर में सत्याग्रहियों पर गोली चलाने तथा अपने नेताओं डॉ. सत्यपाल व डॉ. किचलू की गिरफ्तारी के खिलाफ टाउन हॉल और पोस्ट ऑफिस पर हमले किये गये और इस दौरान हिंसा भी हुई. नगर का प्रशासन जनरल डायर के हाथों में सौंप दिया गया. डायर ने जनसभाएँ आयोजित करने पर प्रतिबंध लगा दिया.
  • 13 अप्रैल, 1919 को बैशाखी के दिन अमृतसर के जालियाँवाला बाग़ में एक सार्वजनिक सभा का आयोजन किया गया. सभा में भाग लेने वाले अधिकांश लोग आस-पास के गावों से आये हुए ग्रामीण थे जो बैशाखी मेले में भाग लेने आये थे तथा सरकार द्वारा शहर में आरोपित प्रतिबंध से बेखबर थे.
  • जनरल डायर ने सभाके आयोजन को सरकारी आदेश की अवहेलना समझा तथा सभा-स्थल को सशस्त्र सैनिकों के साथ घेर लिया. डायर ने बिना किसी पूर्व चेतावनी के सभा पर गोलियाँ चलाने का आदेश दे दिया. सरकारी आँकड़ों के अनुसार 379 लोग मारे गये थे पर वास्तव में यह संख्या बहुत अधिक थी.
  • हंटर आयोग के समय डायर ने दुःख व्यक्त किया कि उसका गोला-बारूद ख़त्म हो गया था एवं संकरी गलियों में बख्तरबंद गाड़ी नहीं ले जा सका.

परिणाम

  • इस घटना में 379 लोग मारे गये, जिसमें युवा, महिलाएँ, बूढ़े, बच्चे सभी शामिल थे. जालियाँवाला बाग़ हत्याकांड से पूरा देश स्तब्ध रह गया. वहशी क्रूरता ने देश को मौन कर दिया. पूरे देश में बर्बर हत्याकांड की भर्त्सना की गई.
  • गाँधीजी ने बोअर युद्ध (द.अफ्रीका) के दौरान की गई सहायता के लिए मिले “कैसर-ए-हिन्द” स्वर्ण पदक को वापस लौटा दिया. बाद में पंजाब में हुई क्रूरता से सम्बंधित हंटर आयोग की रिपोर्ट को “पन्ने दर पन्ने निर्लज्ज सरकारी लीपापोती” कहा. इस रिपोर्ट के शासन के पक्ष को सही ठहराया गया था.
  • रविन्द्रनाथ टैगोर ने विरोध स्वरूप अपनी “नाइटहुड” की उपाधि त्याग दी तथा शंकरन नायर ने वायसराय की कार्यकारिणी से त्यागपत्र दे दिया.
  • अब उद्देश्य नैतिक प्रभाव उत्पन्न करना था, इसके लिए आगे मार्शल लॉ लागू करने जबरन गिरफ्तारियाँ, यातनाएं, सार्वजनिक रूप से कोड़े मारना, नाक रगड़ने को विवश करना, पूरे दिन चिलचिलाती धूप में खड़ा करना, सभी साहबों को सलाम करने हेतु बाध्य करना जैसी विचित्र सजाएँ दी गयीं.
  • गाँधीजी ने अनेक स्थानों पर हुई हिंसक घटनाओं के कारण 18 अप्रैल 1919 को सत्याग्रह स्थगित कर दिया, क्योंकि उनके अनुसार सत्याग्रह में हिंसा का कोई स्थान नहीं था.
  • सरकार ने अत्याचारी अपराधियों को दण्डित करने के स्थान पर उनका पक्ष लिया. जनरल डायर को सम्मानित किया गया. ब्रिटेन में रुडयार्ड किपलिंग ने डायर को भारत बचाने वाला बताया, मॉर्निंग पोस्ट पत्रिका ने डायर के पक्ष में जनमत बनाकर उसे “ब्रिटेन का शेर” कहा एवं उपहार देने हेतु चंदा एकत्रित किया.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Infrastructure- energy related issues.

Topic : Niti Aayog launches India Energy Dashboards Version 2.0

संदर्भ

हाल ही में नीति आयोग द्वारा भारत ऊर्जा डैशबोर्ड के 2.0 संस्करण का शुभारंभ किया गया.

भारत ऊर्जा डैशबोर्ड क्या है?

  • भारत ऊर्जा डैशबोर्ड (आईईडी) देश के ऊर्जा से जुड़े आंकड़ों क लिए एकल खिड़की का उद्यम है.
  • आईईडी को प्रारम्भ किए जाने का उद्देश्य देश के ऊर्जा से जुड़े आँकड़ों का एक केंद्रीय डाटाबेस तैयार करना है.
  • केंद्रीय ऊर्जा प्राधिकरण, कोयला नियंत्रक संगठन और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा प्रकाशित/उपलब्ध कराये गए ऊर्जा से जुड़े आँकड़ों को उक्त डैशबोर्ड में संकलित किया जाता है.
  • नीति आयोग ने इसके पहले संस्करण की शुरुआत मई, 2017 में की थी.

भारत ऊर्जा डैशबोर्ड 2.0 की मुख्य विशेषताएँ

  • आईईडी 2.0 वित्त वर्ष 2005-06 से वित्त वर्ष 2019-20 तक के आँकड़े उपलब्ध कराता है.
  • इसमें उपयोगकर्ता द्वारा डाउनलोड किए जाने वाले डाटाशीट को और सुव्यवस्थित तथा सुलभ बनाया गया है.
  • इसमें मासिक आधार पर अपलोड किए जाने बाले डाटा के अलावा एपीआई लिंक डाटा भी शामिल है, एपीआई लिंक सौभाग्य, उजाला, प्राप्ति और विद्युत प्रवाह पोर्टल से जुड़ा है.
  • आईईडी, भारत की ऊर्जा खपत और उत्पादन से जुड़े समग्र आँकड़ों एक मंच है जो सभी के लिए खुला है और नि:शुल्क उपलब्ध है. अनवरत रूप से विकसित होते रहने के पश्चात् आगामी समय में यह एक ऐसा दृढ़ स्तम्भ बनेगा जिसके इर्द-गिर्द ही भारत में ऊर्जा से जुड़े निर्णय लिए जाएँगे.

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : E-Governance and E-Technology in the Aid of Farmers.

Topic : e-SANTA

संदर्भ

हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने जल कृषकों और खरीदारों (aqua farmers and buyers) को जोड़ने को लेकर एक मंच प्रदान करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मार्केटप्लेस ई-सांता (e-SANTA) की शुरुआत की है.

इलेक्ट्रॉनिक मार्केटप्लेस ई-सांता (e-SANTA)

  • E-Santa का पूरा नाम है – Electronic Solution for Augmenting NaCSA farmers’ Trade in Aquaculture.
  • यह जल कृषकों और खरीदारों (aqua farmers and buyers) को जोड़ने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा. वहीं यह किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा.
  • इसके अतिरिक्त, इस पोर्टल से निर्यातक प्रत्यक्ष रूप से किसानों से गुणवत्तापूर्ण उत्पादों का क्रय कर सकेंगे, जिससे किसानों को अपने उत्पादों के अच्छा दाम मिल सके.
  • ज्ञातव्य है कि नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल एक्वाकल्चर (National Centre for Sustainable Aquaculture – NaCSA), भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (Marine Products Export Development Authority – MPEDA) की एक विस्तारित शाखा है.

महत्त्व

  • ई-सांता निम्नलिखित तरीकों से जल कृषकों की आय में वृद्धि (RAISE) करने, जीवनशैलीतथा गुणवत्ता स्तर में सुधार करने, उन्हें आत्मनिर्भरता बनाने और नए विकल्प प्रदान करने में सहायता करेगा:  
  1. जोखिम कम करके (Reducing Risk)
  2. उत्पादों और बाज़ारों के बारे में जागरूकता प्रदान करके (Awareness of Products & Markets)
  3. आय में वृद्धि करके (Increase in Income)
  4. अनुचित प्रथाओं के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करके (Shielding Against Wrong Practice)
  5. प्रक्रियाओं को सुगम बनाकर (Ease of Processes)
  • यह किसानों एवं खरीदारों को व्यापार पर अधिक नियंत्रण रखने में सक्षम बनाएगा और उन्हें सूचित निर्णय लेने में सहायता करेगा.
  • यह किसानों और निर्यातकों के मध्य एक कैशलेस, संपर्क रहित और कागज रहित इलेक्ट्रॉनिक व्यापार मंच प्रदान करेगा.
  • ई-सांता मंच सामूहिक रूप से उत्पादों को खरीदने वाले, मछुआरों एवं मत्स्य उत्पादक संगठनों को एक साथ लाने का एक माध्यम बन सकता है.
  • यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोगों को उत्पादों की उपलब्धता के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेगा तथा इस तरह यह भविष्य में एक नीलामी मंच भी बन सकता है.

Prelims Vishesh

Quasars :-

  • क्वैसर्स वस्तुत: सुदूरवर्ती आकाशगंगाओं के अत्यधिक प्रदीप्त पिंड होते हैं, जो विशालकाय ब्लैक होल से ऊर्जा प्राप्त करते हैं.
  • वे ब्रह्मांड की विस्तार दर को निर्धारित करने और अन्य रहस्यों, जैसे-डार्क मैटर के विषय में भी जानकारी प्रदान कर सकते हैं.
  • हाल ही में वैज्ञानिकों द्वारा ऐसे क्वैसर्स की खोज की गई है, जो प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले ब्रह्मांडीय ‘लेंस’ (cosmic lense) द्वारा घिरे हुए हैं और चार समान छवियों में बँटे हुए हैं.

Muons :-

  • हाल ही में म्यूऑन जी-2 प्रयोग (Muon g-2 experiment) से स्पष्ट हुआ है कि म्यूऑन्स नामक मूलभूत कणों का व्यवहार कण भौतिकी के मानक मॉडल में पहले से उल्लेखित पूर्वानुमानों से अलग है.
  • यह प्रयोग यू एस. डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी द्वारा संपन्‍न किया गया है.
  • स्टैंडर्ड मॉडल एक कठोर सिद्धांत है.
  • यह मॉडल छह प्रकार के क्वार्क्स, छह लेप्टन्स, हिग्स बोसोन, तीन मूलभूत बलों और विद्युत चुंबकीय बलों के प्रमावाधीन उप-परमाणु कणों के व्यवहार संबंधी नियमों का निर्धारण करता है.
  • म्यूऑन उप-परमाणु कण है और इसे लेप्टन (प्रारंभिक कणों) में से एक के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
  • यह इलेक्ट्रॉन से करीब 200 गुना विशाल है और अत्यधिक अस्थिर है अर्थात्‌ सेकंड के एक अंश तक ही अस्तित्व में रहता है.

B.1.617 :-

  1. भारतीय कोरोना वायरस के डबल म्यूटेंट स्ट्रैन को “B.1.617” नाम दिया गया है.
  2. जब विषाणु के दो उत्परिवर्तित वेरिएंट मिलकर एक तीसरा वेरिएंट बनाते हैं, तब दोहरा उत्परिवर्तन (double mutation) होता है.
  3. एक सूचना के अनुसार भारत में जो वेरिएंट पाया गया है वह E484Q और L452R वेरिएंट का संयोजन है.
  4. वर्तमान में, डबल म्यूटेंट वेरिएंट के नवीनतम प्रतिदर्शों पर जीनोम अनुक्रमण निष्पादित किया जा रहा है.

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