Sansar डेली करंट अफेयर्स, 19 May 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 19 May 2021


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Important aspects of governance, transparency and accountability, e-governance- applications, models, successes, limitations, and potential; citizens charters, transparency & accountability and institutional and other measures.

Topic : Electoral Bonds

संदर्भ

तमिलनाडु, पुडुचेरी, पश्चिम बंगाल, असम और केरल ने जोर-शोर से चल रहे चुनावी अभियान के दौरान, 1 अप्रैल से 10 अप्रैल के मध्य ‘भारतीय स्टेट बैंक’ (SBI) ने ₹695.34 करोड़ के चुनावी बांडों की बिक्री की.

साल 2018 में इस योजना के प्रारम्भ होने के बाद से किसी भी विधानसभा चुनाव के दौरान यह सर्वाधिक राशि की बांडों बिक्री थी.

चुनावी बांड योजना से सम्बंधित प्रमुख तथ्य

  • ये चुनावी बांड भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से मिलेंगे.
  • चुनावी बांड की न्यूनतम कीमत 1000 और अधिकतम एक करोड़ रुपये तक होगी.
  • इलेक्टोरल बांड 1,000 रु., 10,000 रु., 1 लाख रु, 10 लाख रु. और 1 करोड़ रु. के होंगे.
  • हर महीने 10 दिन बांड की बिक्री होगी.
  • परन्तु जिस वर्ष लोक सभा चुनाव होंगे उस वर्ष भारत सरकार द्वारा बांड खरीदने के लिए अतिरिक्त 30 दिन और दिए जायेंगे.
  • बांड जारी होने के 15 दिनों के भीतर उसका इस्तेमाल चंदा देने के लिए करना होगा.
  • चुनाव आयोग में पंजीकृत दल से पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% वोट मिले हों, उसे ही बांड दिया जा सकेगा.
  • चुनावी बांड राजनैतिक दल के रजिस्टर्ड खाते में ही जमा होंगे और हर राजनैतिक दल को अपने सालाने प्रतिवेदन में यह बताना होगा कि उसे कितने बांड मिले.
  • चुनावी बांड देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी.
  • चुनावी बांड पर कोई भी ब्याज नहीं मिलेगा.

चुनावी बांड के फायदे

अक्सर ब्लैक मनी वाले लोग पार्टी को चंदा दिया करते थे. अब यह संभव नहीं होगा क्योंकि अब कैश में लेन-देन न होकर बांड ख़रीदे जायेंगे. पार्टी को बांड देने वालों की पहचान बैंक के पास होगी. अक्सर बोगस पार्टियाँ पैसों का जुगाड़ करके चुनाव लड़ती हैं. इस पर अब रोक लग सकेगी क्योंकि उन्हें पार्टी फण्ड के रूप में बांड तभी दिए जा सकेंगे जब उनको पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% वोट मिले हों.

आर्कटिक परिषद के विदेश मंत्रियों की होने वाली बैठक की पूर्व संध्या पर, अमेरिका ने आर्कटिक क्षेत्र में हो रही सैन्य गतिविधियों में बढ़ोत्तरी के बारे में चिंता व्यक्त की है.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : U.S. wants to ‘avoid a militarisation’ of the Arctic

संदर्भ

रूस द्वारा इस सामरिक क्षेत्र में अपनी सैन्य गतिविधियों का बचाव करने के बाद अमेरिका द्वारा यह विषय उठाया गया है.

संबंधित चिंताएँ

आर्कटिक क्षेत्र में सैन्य गतिविधियों की होने वाली वृद्धि से, संभावित दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता है, और ये, इस क्षेत्र में शांतिपूर्ण और स्थाई भविष्य के साझा लक्ष्य को दुर्बल करती हैं.

पृष्ठभूमि

हाल के सालों में, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूस के आर्कटिक क्षेत्र को एक रणनीतिक प्राथमिकता बना दिया है और सैन्य अवसंरचनाओं तथा खनिज निष्कर्षण हेतु निवेश करने का आदेश दिया है, जिससे आर्कटिक परिषद् के सदस्यों में तनाव बढ़ गया है.

आर्कटिक परिषद् कार्य समूह

  1. आर्कटिक संदूषक कार्रवाई कार्यक्रम (Arctic Contaminants Action Program- ACAP) – यह प्रदूषकों के उत्सर्जन को कम करने के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करने वाले तंत्रों को मजबूत करना और इनका समर्थन करना.
  2. आर्कटिक निगरानी एवं आकलन कार्यक्रम (Arctic Monitoring and Assessment Programme- AMAP) – यह, आर्कटिक पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र और मानव आबादी की निगरानी करता है, और सरकारों को प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिए वैज्ञानिक सलाह प्रदान करता है.
  3. आर्कटिक वनस्पतियों और जीवों का संरक्षण (Conservation of Arctic Flora and Fauna- CAFF) – यह आर्कटिक जैव विविधता के संरक्षण संबंधी मामलों का समाधान करता है तथा आर्कटिक के जीवित संसाधनों की संवहनीयता सुनिश्चित करने के लिए कार्य करता है.
  4. आपातकालीन निवारण, तैयारी और प्रतिक्रिया (Emergency Prevention, Preparedness and Response- EPPR) – यह, आर्कटिक पर्यावरण को प्रदूषकों या रेडियोन्यूक्लाइड के आकस्मिक निर्गमन के खतरे तथा इसके प्रभाव से बचाव करता है.
  5. आर्कटिक समुद्री पर्यावरण का संरक्षण (Protection of the Arctic Marine Environment- PAME) – यह आर्कटिक समुद्री पर्यावरण का संरक्षण और सतत उपयोग सुनिश्चित करता है.
  6. सतत विकास कार्यसमूह (Sustainable Development Working Group – SDWG) – आर्कटिक में सतत विकास को आगे बढ़ाने और समग्र रूप से आर्कटिक समुदायों की स्थितियों में सुधार के लिए कार्य करता है.

आर्कटिक काउंसिल क्या है?

  • आर्कटिक क्षेत्र में संसाधनों के प्रबंधन पर विचार के लिए विभिन्न देशों का एक मंच है जिसका नाम आर्कटिक परिषद् (Arctic Council परिषद्) है.
  • सभी देश हर दूसरे साल में एक सम्मेलन कर आर्कटिक से जुड़ी आर्थिक और पर्यावरण संबंधी चुनौतियों पर चर्चा करते हैं.
  • आर्कटिक विशेष रूप से सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों को लेकर आर्कटिक देशों, क्षेत्र के स्वदेशी समुदायों और अन्य निवासियों के बीच सहयोग, समन्वय और बातचीत को बढ़ावा देती है.
  • यह परिषद् उत्‍तर-ध्रुवीय देशों के बीच साझा मुद्दों पर और विशेष रूप से सतत विकास और पर्यावरण सरंक्षण पर सहयोग, समन्‍वय और संवाद को बढ़ावा देती है.
  • सदस्यता: कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, रूस, स्वीडन और संयुक्त राज्य अमेरिका.
  • पर्यवेक्षक सदस्य: जर्मनी, अंतर्राष्ट्रीय आर्कटिक विज्ञान समिति, नीदरलैंड, पोलैंड, उत्तरी मंच, यूनाइटेड किंगडम, भारत, चीन, इटली, जापान दक्षिण कोरिया और सिंगापुर.
  • गैर सरकारी सदस्य: यूएनडीपी, आईयूसीएन, रेडक्रॉस, नार्डिक परिषद्, यूएनईसी.
  • संरचना: सचिवालय और मंत्रिस्तरीय बैठक आर्कटिक परिषद् के मुख्य अंग हैं. सचिवालय का कोई स्थायी कार्यालय नहीं है तथा इसकी अध्यक्षता और स्थान प्रत्येक दो वर्षों पर सदस्यों के मध्य आवर्तित होते हैं. मंत्रिस्तरीय बैठकों के निर्णय सर्वसम्मति से लिये जाते हैं. यह बैठक प्रत्येक दो वर्ष के अंतराल पर आयोजित की जाती है.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation. Education Issues Related to SCs & STs

Topic : Digital Transformation of Tribal Schools

संदर्भ

हाल ही में भारत सरकार के जनजातीय मामलों के मंत्रालय और माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने जनजातीय स्कूलों के डिजिटल ट्रासफॉर्मेशन (Digital Transformation of Tribal Schools) के लिए संयुक्त पहल को लेकर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं.

प्रमुख बिन्दु

  • भारत सरकार के जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा ऑनलाइन कार्यक्रम ‘सफलता के लिए युवाओं का सशक्तिकरण’ के अंतर्गत स्कूल और अन्य संस्थानों के लिए डिजिटल कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इसी ऑनलाइन कार्यक्रम ‘सफलता के लिए युवाओं का सशक्तिकरण’ के तहत माइक्रोसॉफ्ट के साथ यह समझौता किया गया है.
  • इसका उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित अगली पीढ़ी की डिजिटल तकनीकों में शिक्षकों और छात्रों को हुनरमंद बनाना है.
  • इसके अतिरिक्त, इस प्रयास द्वारा भारत में जनजातीय छात्रों को डिजिटल परिवर्तन के माध्यम से आवश्यक कौशल मुहैया कराया जाएगा. यह एआई और कोडिंग के पाठ्यक्रम का एक हिस्सा होने के साथ एक नया अध्याय भी शुरू करेगा.
  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत पहले चरण में 250 ईएमआरएस स्कूलों को माइक्रोसॉफ्ट द्वारा गोद लिया गया है, जिसमें से 50 ईएमआरएस स्कूलों को गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके अतिरिक्त, पहले चरण में 500 प्रशिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा.

एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय योजना क्या है?

एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय योजना भारत सरकार की एक योजना है जिसके अंतर्गत पूरे भारत में अनुसूचित जनजातियों के लिए आदर्श आवासीय विद्यालय का निर्माण किया जाता है.

एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय योजना के उद्देश्य

  • इस विद्यालय में पढ़ रहे सभी छात्रों का शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से प्रासंगिक विकास करना.
  • इन विद्यालयों की छठी से लेकर बारहवीं कक्षा तक के छात्रों को विशेष रूप से शैक्षणिक सहायता पहुँचाना जिससे कि उनकी विशेष आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके.
  • इन विद्यालयों के कर्मचारियों को उचित मुआवजा देना और इनमें उपलब्ध सुविधाओं का सरकार द्वारा वार्षिक व्यय उठाना.
  • छात्रों की शैक्षणिक, भौतिक, पर्यावरण से सम्बंधित एवं सांस्कृतिक आवश्यकताओं के लिए अवसंरचना के निर्माण हेतु सहायता पहुँचाना.

आश्रम स्कूल (Ashram Schools)

  • आदिवासी क्षेत्रों (विशेषकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों) में शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु भारत सरकार वर्ष 2008-09 से आश्रम स्कूल (Ashram Schools) को बढ़ावा दे रही है.
  • आश्रम स्कूलों में लड़कियों और लड़कों दोनों के लिए शिक्षा के अनुकूल वातावरण में शैक्षिक सुविधाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : WWF report on snow leopard

संदर्भ

हाल ही में, प्रकृति संरक्षण हेतु विश्वव्यापी प्रकृति कोष (Worldwide Fund for Nature-WWF) द्वारा “हिम तेंदुआ अनुसंधान के लगभग 100 साल – हिम तेंदुआ क्षेत्र में जानकारी स्थिति की स्थानिक सुस्पष्ट समीक्षा” (Over 100 Years of Snow Leopard Research — A spatially explicit review of the state of knowledge in the snow leopard range) शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की गई है.

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

  1. 12 से अधिक एशियाई देशों में, हिम तेंदुए के 70 प्रतिशत से अधिक आवास क्षेत्रों, पर शोध नहीं किया गया है.
  2. हिम तेंदुआ पर सर्वाधिक अनुसंधान नेपाल, भारत और चीन द्वारा किया गया है, इन देशों के बाद मंगोलिया और पाकिस्तान का स्थान है.
  3. हिम तेंदुओं की आबादी का आकलन, अब तक किये जाने वाले शोध का प्रमुख केंद्र रहा है, इसके बाबजूद , बड़े आकार की इस बिल्ली प्रजाति के, मात्र तीन प्रतिशत से भी कम क्षेत्र के बारे में प्रचुर आँकड़े उपलब्ध हैं.
  4. वैश्विक स्तर पर, एशिया के ऊंचे पहाड़ों पर अधिकतम लगभग 4,000 हिम तेंदुए ही बचे हैं और इस बची हुई आबादी को निरंतर और उभरते हुए खतरों का सामना करना पड़ रहा है.

हिम तेंदुओं के समक्ष खतरों में शामिल हैं

इनके आवासों का नष्ट होना तथा आवासों का निम्नीकरण, अवैध शिकार, मानव समुदायों के साथ संघर्ष आदि में वृद्धि.

हिम तेंदुआ

  • संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण प्रतिरोध संधि (United Nations Convention to Combat Desertification – UNCCD) के पक्षकारों की 14वीं बैठक में विशेषज्ञों ने यह मन्तव्य दिया था कि यदि हिम तेंदुओं का संरक्षण किया जाए और लोगों की सांस्कृतिक मान्यताओं की रक्षा की जाए तो हिमालय के पारिस्थितिकी तन्त्र में हो रहे भूमि की गुणवत्ता के ह्रास को रोका जा सकता है.
  • ज्ञातव्य है कि हिम तेंदुआ IUCN की लाल सूची में संकटग्रस्त प्रजाति के रूप में दर्ज है.
  • यह प्रजाति CITES की अनुसूची I में सूचीबद्ध है.

अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस’

  • वर्ष 2013 की बिश्केक घोषणा (Bishkek Declaration) के तहत 23 अक्टूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस’ (International Snow Leopard Day) के रूप में अधिसूचित किया गया.
  • विदित हो कि वर्ष 2013 में 12 स्नो लेपर्ड रेंज देशों (अफगानिस्तान, भूटान, चीन, भारत, कज़ाखस्तान, किर्गिज गणराज्य, मंगोलिया, नेपाल, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान) द्वारा बिश्केक घोषणा पर हस्ताक्षर किये गए थे.
  • साथ ही इस अवसर पर ‘वैश्विक हिम तेंदुआ और पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण’ (Global Snow Leopard and Ecosystem Protection-GSLEP) कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी.

विश्वव्यापी प्रकृति कोष क्या होता है?

  • WWF का full-form है – World-Wide Fund for Nature यह एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है.
  • इसकी स्थापना 1961 में हुई थी.
  • इसका मुख्यालय ग्लैंड, स्विट्ज़रलैंड में है.
  • लक्ष्य – वन संरक्षण एवं पर्यावरण पर मनुष्य के प्रभाव को कम करना.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

विश्व बैंक के वैश्विक व्याघ्र पहल (Global Tiger Initiative – GTI) कार्यक्रम ने बाघों से सम्बंधित एजेंडा को सबल बनाने के लिए वैश्विक प्रतिभागियों को प्रेरित किया है. कालांतर में यह कार्यक्रम वैश्विक व्याघ्र पहल परिषद् (Global Tiger Initiative Council – GTIC) का रूप ले चुकी है. इस परिषद् के अन्दर दो अलग-अलग उप कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं जो हैं – वैश्विक व्याघ्र मंच कार्यक्रम (Global Tiger Forum) और वैश्विक हिम तेंदुआ पारिस्थितिकी सुरक्षा कार्यक्रम (Global Snow Leopard Ecosystem Protection Program).

कुछ विवादास्पद परियोजनाएँ

  • कान्हा और पेंच बाघ रिजर्व को जोड़ने वाले गलियारे में राजमार्ग और रेलवे लाइनों का विस्तार किया जा रहा है.
  • महाराष्ट्र के मेलघाट बाघ रिजर्व से होकर एक रेलवे लाइन का निर्माण किया जा रहा है.
  • मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व का लगभग 100 वर्ग किलोमीटर केन-बेतवा नदी लिंकिंग परियोजना में चला जाएगा.

Prelims Vishesh

Mission COVID Suraksha :-

  • आत्मनिर्भर भारत 3.0 के तहत, मिशन कोविड सुरक्षा (भारतीय कोविड-19 वैक्सीन विकास मिशन) की घोषणा स्वदेशी, किफायती और देश के लिए सुलभ टीकों के विकास को सक्षम करने के लिए की गई थी.
  • यह मिशन पूर्व नैदानिक विकास से लेकर विनिर्माण एवं उपलब्ध कराने के लिए विनियामक सुविधा तक एंड-टू-एंड फोकस द्वारा सभी उपलब्ध और वित्तपोषित संसाधनों को त्वरित उत्पाद विकास की दिशा में समेकित करेगा.
  • मिशन के तहत कोवैक्सिन के स्वदेशी उत्पादन की क्षमता को बढ़ाने के लिए, सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने टीके के निर्माताओं को अनुदान के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की है.

Central Guidelines for Covid-19 management in rural, peri-urban and tribal areas :-

स्वास्थ्य अवसंरचना को त्रिस्तरीय संरचना के अनुरूप संरेखित किया जायेगा-

  • कोविड कंयर सेंटर (CCC): हल्के या बिना लक्षण वाले मामलों का प्रबंधन करने के लिए,
  • समर्पित कोविड स्वास्थ्य केंद्र (DCHC) मध्यम श्रेणी के मामलों के प्रबंधन के लिए, और समर्पित कोविड अस्पताल (DCH) गंभीर मामलों का प्रबंधन करने के लिए.
  • ग्राम स्तर पर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (CHO) के साथ टेली-परामर्श द्वारा लक्षणात्मक मामलों को प्राथमिकता के अनुसार पृथक्कृत किया जा सकता है. सहव्याधि  या कम ऑक्सीजन संतृप्ति वाले मामलों को उच्च केंद्रों में प्रेषित किया जाना चाहिए.
  • कोविड मामलों की पुष्टि वाले परिवारों को ऋण पर पल्‍स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर उपलब्ध कराने की प्रणाली विकसित करनी चाहिए.

Zeolites :-

  • भारत सरकार द्वारा मेडिकल ऑक्सीजन संयंत्रों में उपयोग के लिए विश्व भर से जिओलाइट आयात करने की प्रक्रिया आरंभ की गई है.
  • इस संदर्भ में एयर इंडिया ने अपनी प्रथम “जिओलाइट कार्गो उड़ानें” प्रारंभ की हैं.
  • जिओलाइट्स क्रिस्टलीय एल्यूमिना सिलिकेट होते हैं, जिनमें जालकों और चैनल की आवधिक व्यवस्था होती है.
  • कई भिन्‍न-भिन्‍न जिओलाइट संरचनाओं का वर्णन होने के कारण उनके छिद्रों के आयामों, चैनल सिस्टम, आयामी स्वरूप व बनावट के संबंध में व्यापक विविधताएँ होती हैं.
  • जिओलाइट्स को व्यापक रूप से अवशोषक, डिटर्जेंट में आयन एक्सचेंजर्स या औद्योगिक प्रक्रियाओं में उत्प्रेरक के रूप में एवं तेल शोधन या पेट्रोकेमेस्ट्री और रसायनों एवं हल्के रसायनों जैसे विविध क्षेत्रों में प्रयुक्त किया जा रहा है.

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