Sansar डेली करंट अफेयर्स, 22 July 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 22 July 2021


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Parliament and State Legislatures – structure, functioning, conduct of business, powers & privileges and issues arising out of these.

Topic : Gauhati High Court stays Arunachal Pradesh order on temporary entry permits

संदर्भ

हाल ही में, गुवाहाटी उच्च न्यायालय द्वारा अरुणाचल प्रदेश सरकार द्वारा जारी एक अधिसूचना पर रोक लगा दी गयी है. इस अधिसूचना के अनुसार, राज्य में कार्य करने हेतु प्रवेश के लिए अस्थायी परमिट केवल उन व्यक्तियों को जारी किया जाएगा, जो कोविड -19 महामारी से बचाव का टीका लगवा चुके हैं.

संबंधित आदेश

30 जून को निर्गत अरुणाचल प्रदेश सरकार के एक आदेश में कहा गया है कि फिलहाल, राज्य में प्रवेश करने के लिए आवश्यक “इनर लाइन परमिट’ (ILP) निलंबित रहेंगे, किंतु ‘सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में विकास कार्यों हेतु’ अस्थायी परमिट जारी किए जा सकते हैं, बशर्ते इन व्यक्तियों के लिए कोविड -19 से बचाव का टीका लगाया चुका हो.”

न्यायालय द्वारा इस आदेश पर रोक लगाने का कारण

  • अरुणाचल सरकार द्वारा जारी अधिसूचना, टीकाकृत और गैर-टीकाकृत व्यक्तियों के बीच भेदभाव करती हैं जो कि संविधान के अनुच्छेद 14, 19 (1) (d) और 21 का उल्लंघन है.
  • टीका लगवा चुके और बिना टीका लगवाए हुए व्यक्तियों के मध्य इस प्रकार का वर्गीकरण किसी “बोधगम्य विभेदक” पर आधारित नहीं है और न ही ‘इस तरह के वर्गीकरण का, कोविड -19 महामारी पर नियंत्रण या इसके प्रसार पर रोक आदि जैसे किसी उद्देश्य को पूर्ण करने से कोई तर्कपूर्ण संबंध है.’

इनर लाइन परमिट (ILP) क्या है?

  • Inner Line Permit सरकार द्वारा निर्गत किया जाने वाला एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है जो भारत के किसी नागरिक को किसी संरक्षित क्षेत्र के भीतर सीमित अवधि के लिए प्रवेश की छूट देटा है.
  • फिलहाल Inner Line Permit की आवश्यकता भारतीय नागरिकों को तब होती है जब वह इन चार राज्यों में प्रवेश करना चाहते हैं – अरुणाचल प्रदेशमिजोरममणिपुर और नागालैंड.
  • वर्तमान में यह परमिट मात्र यात्रा के लिए निर्गत होते हैं.
  • इसमें यह प्रावधान है कि ऐसे यात्री सम्बंधित राज्य में भूसंपदा नहीं खरीद सकेंगे.

इतिहास

इनर लाइन परमिट का इतिहास बंगाल पूर्वी-सीमांत नियमन अधिनियम 1873 (Bengal Eastern Frontier Regulation Act 1873) से आरम्भ होता है. इस अधिनियम को अंग्रेजों ने कतिपय घोषित क्षेत्रों में प्रवेश को सीमित करने के लिए गढ़ा था.

इसका उद्देश्य उन क्षेत्रों में ब्रिटिश नागरिकों अर्थात् भारतीयों को व्यापार करने से रोकना और अंग्रेजों के हितों की सुरक्षा करना था. स्वतंत्रता के पश्चात् 1950 में इस अधिनियम में संशोधन करके “ब्रिटिश नागरिक” के स्थान पर “भारतीय नागरिक” कर दिया गया था.

आज सभी बाहरी निवासियों को यह परमिट लेना पड़ता है जिससे इन राज्यों के मूल जातीय समुदाय शोषण से बच सकें.

विदेशियों के लिए ILP

ILP मात्र घरेलू पर्यटकों के लिए ही है. जहाँ तक विदेशी पर्यटकों की बात है उनको इस परमिट की आवश्यकता नहीं होती है, परन्तु मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड में प्रवेश करते समय इन्हें पंजीकरण करवाना पड़ता है. अरुणाचल प्रदेश पर्यटकों को भारत सरकार के गृह मंत्रालय से सुरक्षित क्षेत्र अनुमति (Protected Area Permit – PAP) अथवा प्रतिबंध क्षेत्र अनुमति (Restricted Area Permit – RAP) लेने की आवश्यकता पड़ती है.


GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Infrastructure- waterways.

Topic : Inland Vessels Bill

संदर्भ

हाल ही में, सरकार द्वारा लोकसभा में ‘अंतर्देशीय पोत विधेयक’, 2021 (Inland Vessels Bill, 2021) पेश किया गया है.

विधेयक के प्रमुख बिंदु

  1. ‘अंतर्देशीय पोत विधेयक’ में विभिन्न राज्यों द्वारा बनाए गए अलग-अलग नियमों के बजाय पूरे देश के लिए एक संयुक्त कानून का प्रावधान किया गया है.
  2. प्रस्तावित कानून के तहत जारी किया जाने वाला ‘पंजीकरण प्रमाण पत्र’सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मान्य होगा, और इसके लिए राज्यों से अलग अनुमति लेने की कोई आवश्यकता नहीं होगी.
  3. विधेयक में एक इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल पर, पोत, पोत पंजीकरण और चालक दल का विवरण दर्ज करने के लिए एक केंद्रीय डेटा बेस बनाने का प्रावधान किया गया है.
  4. विधेयक के तहत, यांत्रिक रूप से चालितसभी जहाजों के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य किया गया है. सभी गैर-यांत्रिक रूप से चालित जहाजों को भी जिला, तालुक या पंचायत या ग्राम स्तर पर पंजीकरण करना होगा.

भारत में ‘अंतर्देशीय जल परिवहन’ (Inland Water Transport-IWT)

  1. भारत में नौगम्य जलमार्ग की लम्बाई लगभग 14,500 किलोमीटर हैं, और इसमें नदियाँ, नहरें, अप्रवाही जल या बैकवाटर (Backwaters), खाड़ियाँ आदि शामिल हैं.
  2. अंतर्देशीय जल परिवहन (IWT) एक ईंधन-किफायती और पर्यावरण अनुकूल परिवहन माध्यम है.
  3. राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम 2016 के अनुसार, 111 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग (National Waterways- NW) घोषित किया गया है.
  4. भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) द्वारा, विश्व बैंक की तकनीकी और वित्तीय सहायता से, गंगा के हल्दिया-वाराणसी विस्तार (राष्ट्रीय जलमार्ग (NW)-1 का भाग) पर नौपरिवहन क्षमता बढ़ाने के लिए लगभग ₹5369.18 करोड़ की लागत के साथ जल मार्ग विकास परियोजना (JMVP) का कार्यान्वयन किया जा रहा है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Awareness in the fields of IT, Space, Computers, robotics, nano-technology, bio-technology and issues relating to intellectual property rights.

Topic : BHIM UPI

संदर्भ

हाल ही में भारत की वित्त मंत्री और और भूटान के वित्त मंत्री ने संयुक्त रूप से भूटान में भीम-यूपीआई का शुभारंभ किया है.

भीम-यूपीआई के बारे में

  • भारत इंटरफेस फॉर मनी-यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (BHIM-UPI), यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) आधारित भुगतान प्रणाली पर काम करता है.
  • यह भाग लेने वाले बैंक की मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से उपयोगकर्ता के बैंक खातों तक 24×27 पहुँच प्रदान करता है.
  • इसके माध्यम से उपयोगकर्ता के वर्चअल पेमेंट एड्रेस (VPA) का उपयोग कर तेज़ गति से सुरक्षित, विश्वसनीय कैशलेस भुगतान किये जा सकते हैं.
  • यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) प्रणाली को भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा विकसित किया गया है.

भारत का राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI)

  • भारत का राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) भारत में सभी खुदरा भुगतान प्रणाली के लिए एकछत्र संगठन है.
  • दस बैंक इसके प्रोमोटर हैं.
  • निगम का प्रमुख उद्देश्य नकद रहित लेन-देन को बढ़ावा देना है.
  • इसे सफलतापूर्वक RuPay नामक घरलू कार्ड भुगतान नेटवर्क ने विकसित किया है जिसके कारण विदेशी कार्डों पर निर्भरता घटी है.
  • NPCI को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) के मार्गदर्शन और समर्थन के साथ स्थापित किया गया था.

UPI क्या है?

समेकित भुगतान इंटरफ़ेस (UPI) NPCI और RBI द्वारा निर्मित एक प्रणाली है जो एक नकद रहित प्रणाली का उपयोग करते हुए धन का तत्काल स्थानान्तरण करने में सहायक होती है. UPI का उपयोग करने के लिए एक स्मार्टफ़ोन और एक बैंकिंग एप की आवश्यकता होती है जिसके माध्यम से धन को तत्काल भेजा या पाया जा सकता है अथवा व्यापारी खुदरा खरीद के लिए भुगतान कर सकता है. आगे चलकर, UPI संभवतः आज के NEFT, RTGS और IMPS का स्थान ग्रहण कर लेगी.

यह कैसे काम करता है?

IMPS पर आधारित UPI के माध्यम से बैंक खाते से तुरंत और प्रत्यक्ष रूप से भुगतान हो जाता है. इसके लिए वॉलेट में पहले से पैसा भरना आवश्यक नहीं होता है. इसके माध्यम से एक से अधिक व्यवसाइयों को कार्ड का ब्यौरा टाइप किये बिना अथवा नेट बैंकिंग का पासवर्ड लिखे बिना भुगतान किया जाता है. UPI 2.0 हाल ही में भारत के राष्ट्रीय भुगतान निगम ने (National Payments Corporation of India – NPCI) UPI 2.0 को आरम्भ किया है जो UPI अर्थात् समेकित भुगतान इंटरफ़ेस का एक उत्क्रमित एवं नवीकृत संस्करण है. UPI के इस नवीनतम संस्करण में 4 नई विशेषताएँ हैं जिनसे यह उपभोक्ताओं के लिए अधिक आकर्षक एवं सुरक्षित बन गया है. अब उपभोक्ता अपने ओवरड्राफ्ट खाते को UPI से जोड़ सकेंगे. साथ ही इसमें एककालिक मेनडेट की सुविधा होगी तथा बाद की तिथि में भुगतान करने के लिए पहले ही प्राधिकृत करने की सुविधा भी होगी. इस UPI की चौथी विशेषता यह है कि उपभोक्ता व्यवसायी के द्वारा भेजे गये invoice को भुगतान करने के पहले जाँच सकेंगे.


GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Cybersecurity related issues.

Topic : Section 66A

संदर्भ

केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को सूचना प्रोद्योगिकी कानून, 2000 के सेक्शन 66A के तहत दर्ज किये गये मामलों को तुरंत प्रभाव से वापस लेने के लिए कहा है.

उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले सर्वोच्च न्यायालय ने आश्चर्य व्यक्त किया था कि वर्ष 2015 में आईटी कानून के सेक्शन 66A को रद्द करने के बावजूद विभिन्‍न राज्यों में पुलिस द्वारा अभी भी इस सेक्शन के तहत एफआईआर दर्ज की जा रही है.

अनुभाग 66A में क्या है?

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 में अनुभाग 66A 2009 में जोड़ा गया था. इसमें कंप्यूटर अथवा मोबाइल फोन या टेबलेट जैसे अन्य संचार उपकरण से अपमानाजनक संवाद भेजने के लिए दंड का विधान किया गया है. इसके लिए अधिकतम तीन वर्षों तक का कारावास एवं जुर्माने का दंड दिया जा सकता है.

सर्वोच्च न्यायालय ने मार्च, 2015 में श्रेया सिंघल बनाम भारतीय संघ मामले में सुनवाई करते हुए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के अनुभाग 66A को असंवैधानिक घोषित करते हुए निरस्त कर दिया था क्योंकि उसका विश्वास था कि इसके चलते कई निर्दोष जन भी गिरफ्तार हुए हैं.

अपने निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने यह टिपण्णी की थी कि 66A अनुभाग संविधान की धारा 19(1)(a) के तहत प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का हनन करता है. न्यायालय का यह कहना था कि इस अनुभाग में जिन अभिव्यक्तियों को अपराध के दायरे में लाया गया था, उनकी परिभाषा सटीक रूप से नहीं दी गई थी और इस कारण किसी भी अभिव्यक्ति को अपराध के दायरे में लाया जा सकता था. दूसरे शब्दों में, दंडनीय अभिव्यक्ति की परिभाषा वस्तुनिष्ठ न होकर विषयनिष्ठ थी.


Prelims Vishesh

Science and Engineering Research Board and Fund Industrial Research Engagement (SERB-FIRE) :-

  • यह इंटेल इंडिया के सहयोग से SERB (विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय) द्वारा आरंभ की गई एक शोध पहल है.
  • FIRE भारत में प्रमुख अनुसंधान और विकास (R&D) संगठनों के सहयोग से नवीन प्रौद्योगिकी समाधानों को बढ़ावा देने तथा शैक्षिक अनुसंधान को मजबूत करने के लिए एक सह-वित्तपोषण तंत्र के साथ सरकार एवं उद्योग की एक संयुक्त पहल है.
  • नई पहल का उद्देश्य व्यापक स्तर पर समाज के लाभ के लिए उद्योग-विशिष्ट समस्याओं को हल करने हेतु शैक्षणिक संस्थानों और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में उपलब्ध विशेषज्ञता का उपयोग करना है.

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