Sansar डेली करंट अफेयर्स, 08 January 2022

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Sansar Daily Current Affairs, 08 January 2022


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus: सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप.

Topic : National Air Sports Policy (NASP 2022)

संदर्भ

हाल ही में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने लोगों से प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय वायु खेल नीति (National Air Sports Policy – NASP)  का प्रारूप जारी किया है. इस प्रारूप का निर्माण नीति निर्माताओं, एयर स्पोर्ट्स प्रैक्टिशनर्स तथा आम लोगों से प्राप्त इनपुट के आधार पर किया गया है.

यह एक उभराता क्षेत्र है और समय-समय पर इसमें संशोधन किया जाता रहेगा. इसका विजन 2030 तक भारत को शीर्ष वायु खेल देशों में से एक बनाना है. इस मिशन का उद्देश्य भारत में एक सुरक्षित. किफायती, सुलभ, सुखद और टिकाऊ वाय खेल परितंत्र प्रदान करना है.

राष्ट्रीय वायु खेल नीति की प्रमुख विशेषताएँ

  • एनएएसपी 2022 में एरोबेटिक्स, एरोमॉडलिंग, अमेच्योर-बिल्ट और प्रायोगिक विमान, बैलूनिंग, ड्रोन, ग्लाइडिंग, हैंग ग्लाइडिंग और पैराग्लाइडिंग: माइक्रोलाइटिंग और पैरामोटरिंग: स्काइडाइविंग और विंटेज विमान जैसे खेल शामिल हैं.
  • एयर स्पोर्ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एएसएफआई) को सर्वोच्च शासी निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा.
  • एएसएफआई, एफएआई और वायु खेलों से संबंधित अन्य वैश्विक मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करेगा. वैश्विक वायु खेल आयोजनों में भारतीय खिलाड़ियों की अधिक भागीदारी और सफलता को सुगम बनाया जाएगा.
  • वायु खेलों में अपनी प्रकृति के कारण नियमित विमान उड़ाने की तुलना में उच्च स्तर का जोखिम शामिल होता है. एनएएसपी 2022 सुरक्षा में अंतर्राष्ट्रीय सर्वश्रेष्ठ प्रचलनों को सुनिश्चित करने पर बदल देता है.
  • वायु खेल सेवाएं प्रदान करने वाले सभी व्यक्तियों और निकायों को संबंधित वायु खेल संघों के सदस्यों के रूप में पंजीकरण करना आवश्यक होगा.
  • वायु खेल उपकरणों के घरेलू डिजाइन, विकास और विनिर्माण को आत्मनिर्भर भारत अभियान के अनुरूप बढ़ावा दिया जाएगा.
  • फेडेरेशन एरोनॉटिक इंटरनेशनल (एफएआई), जिसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के लुसाने में है, वायु खेलों के लिए विश्व शासी निकाय है. भारत में सभी प्रतियोगिताएं एफएआई द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशाँ के अनुसार आयोजित की जाएंगी.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus: केंद्र प्रायोजित योजनाएँ.

Topic : PM Kisan Samman Nidhi (PM-Kisan) Scheme

संदर्भ

1 जनवरी 2022 को प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत वित्तीय लाभ की 10वीं किस्त जारी की. इससे 10 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसान परिवारों को 20,000 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि अंतरित की गई.

पीएम किसान सम्मान निधि योजना के बारे में

  • PM किसान सम्मान निधि योजना की घोषणा केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने वित्तीय बजट 2019-20 में की थी.
  • पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत, भारत सरकार प्रत्येक छोटे और सीमांत किसानों के लिए 6,000 रुपये प्रत्यक्ष आय सहायता के रूप में प्रदान करेगी. जिनके पास 2 हेक्टेयर तक खेती योग्य भूमि है.
  • डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर (DBT) मोड के जरिये 2,000 रुपये की तीन समान किस्तों में वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है.
  • पीएम किसान सम्मान निधि में लगभग 12 करोड़ लघु और सीमांत किसान शामिल हैं.इस योजना के तहत अब तक किसान परिवारों को 1.15 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की सम्मान राशि हस्तांतरित की जा चुकी है.

आवश्यकता क्‍यों?

  • नीतियों की कमियों के चलते पिछड़े तबकों को आय की सुरक्षा प्रदान करने के लिए.
  • MNREGA जैसी रोजगार गारंटी योजनाओ में लोगों को निम्न कौशल वाले कार्य करने के लिए बाध्य होना पड़ता है जबकि न्यूनतम आय सुनिश्चित करने से उन्हें यह काम करने से मुक्ति मिलेगी और बेहतर कार्यों की खोज जारी रख सकेंगे.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

तेलंगाना और ओडिशा में न्यूनतम आय की योजनाओं का सफल क्रियान्वयन हो रहा है. तेलंगाना में “रायथू बंधू” के तहत किसानों को ₹4000/एकड़ दिए जा रहे हैं. ओडिशा में कालिया योजना के तहत राज्य के 30 लाख छोटे किसानों को ₹5000/महीने (₹10000 दो फसलों वाले किसानों को) तथा भूमिहीन किसानों को ₹12500/वर्ष दिए जा रहे हैं. 2010 से 2013 के बीच दिल्‍ली और मध्य प्रदेश में 6000 लाभार्थियों पर पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया और इसके सकारात्मक परिणाम समाने आये.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus: विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति और विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्व.

Topic : Chief Election Commissioner – CEC

संदर्भ

हाल ही में, मुख्य निर्वाचन आयुक्त (Chief Election Commissioner – CEC) सुशील चंद्रा और अन्य निर्वाचन आयुक्त (Election Commissioners) राजीव कुमार और अनूप चंद्र पांडे द्वारा ‘प्रधान मंत्री कार्यालय’ (PMO) द्वारा बुलाई गयी एक ऑनलाइन वार्ता में भाग लेने पर, विपक्ष ने पांच राज्यों में होने वाले आगामी चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल उठाया है.

आलोचकों का कहना है, कि ‘निर्वाचन आयोग’ एक स्वतंत्र निकाय है और PMO द्वारा ‘निर्वाचन आयोग’ को इस तरह की वार्ता के लिए नहीं बुलाया जा सकता.

केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया

‘निर्वाचन आयोग’ प्रशासनिक रूप से ‘विधि मंत्रालय’ के अंतर्गत आता है. ‘विधि मंत्रालय’ द्वारा जारी एक आधिकारिक संप्रेषण में उक्त प्रकरण के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए कहा है, कि यह बैठक चुनावी सुधारों पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई गई थी. साथ ही, मंत्रालय ने जोर देकर कहा है, कि यह बैठक मात्र एक “अनौपचारिक वार्ता” थी.

संबंधित मुद्दे

  • ‘प्रधान मंत्री कार्यालय’ (PMO) द्वारा जारी “निर्देश’, निर्वाचन आयोग के स्वतंत्र कामकाज के बारे में चिंता उत्पन्न करते है. आनुक्रमिक ‘मुख्य निर्वाचन आयुक्तों’ द्वारा ‘निर्वाचन आयोग’ की स्वायत्तता की रक्षा करने का जोशपूर्ण तरह से प्रयास किया जाता है.
  • खासकर, जब महत्वपूर्ण राज्यों में चुनाव नजदीक आ रहे है, ऐसे में इस “अनौपचारिक वार्ता” से आयोग की निष्पक्षता के बारे में भी सवाल उठते हैं.

संविधान में निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारियां और शक्तियाँ

निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक प्राधिकरण है, संविधान के अनुच्छेद 324 में निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारियां और शक्तियां निर्धारित की गयी हैं.

  • निर्वाचन आयोग, कार्यकारी हस्तक्षेप से मुक्त रहता है.
  • निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव आयोजित करने – चाहे आम चुनाव हों या उपचुनाव- हेतु चुनाव कार्यक्रम निर्धारित किए जाते हैं.
  • निर्वाचन आयोग ही, मतदान केंद्रों के स्थान, मतदाताओं के लिए मतदान केंद्रों का नियतन, मतगणना केंद्रों के स्थान, मतदान केंद्रों और मतगणना केंद्रों और इनके आसपास की जाने वाली व्यवस्थाओं और सभी संबद्ध मामलों पर निर्णय लेता है.
  • निर्वाचन आयोग के निर्णयों को उपयुक्त याचिकाओं के माध्यम से उच्च न्यायालयों और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है.
  • लंबे समय से चली आ रही परंपरा और कई न्यायिक निर्णयों के अनुसार, एक बार चुनाव की वास्तविक प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद, न्यायपालिका चुनावों के वास्तविक संचालन में हस्तक्षेप नहीं करती है.

निर्वाचन आयोग और सरकार के बीच संप्रेषण

  • निर्वाचन आयोग, चुनाव संबंधी मामलों पर सरकार (या तो अपने प्रशासनिक मंत्रालय अर्थात ‘विधि मंत्रालय’ या ‘गृह मंत्रालय’) के साथ, चुनाव के दौरान सुरक्षा बलों की तैनाती के लिए नौकरशाही के माध्यम से संप्रेषण (Communication) करता है.
  • ऐसे मामलों में, प्रायः गृह सचिव को ‘पूर्ण आयोग’ के समक्ष आमंत्रित किया जाता है, जिसमे तीनों निर्वाचन आयुक्त मौजूद रहते हैं.
  • विधि मंत्रालय द्वारा देश के कानून की बारीकियां सपष्ट की जाती है, और मंत्रालय से यह अपेक्षा की जाती है कि उसके द्वारा निर्वाचन आयोग की स्वायत्तता सुनिश्चित करने हेतु प्रद्दत संवैधानिक सुरक्षा का उल्लंघन नहीं किया जाएगा.

हाल ही में हुई इस प्रकार की घटनाएं

  • वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान, मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा के नेतृत्व में निर्वाचन आयोग ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को एक मामले में क्लीन चिट दी. जिसमे प्रधान मंत्री ने, लातूर में एक चुनावी रैली में सशस्त्र बलों की ओर से एक अपील के साथ अपने अभियान का संदर्भ दिया था.
  • 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता के कई उल्लंघन भी हुए हैं.
  • इस वर्ष, एक भयंकर महामारी के बीच चुनाव अभियानों पर प्रतिबंध लगाने में आयोग के विलंबित निर्णय पर भी सवाल उठे थे.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus: आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका.

Topic : Lokur Commission

संदर्भ

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा इजरायल की साइबर-खुफिया कंपनी NSO ग्रुप द्वारा विकसित सैन्य श्रेणी के ‘पेगासस स्पाइवेयर’ के माध्यम से ‘मोबाइल फ़ोनों’ की कथित निगरानी किए जाने की जाँच करने हेतु गठित ‘न्यायमूर्ति मदन लोकुर आयोग’ (Lokur Commission) के समक्ष जारी सभी कार्यवाहियों पर रोक लगा दी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कि शीर्ष अदालत द्वारा उक्त मामले को अखिल भारतीय बताए जाने के बावजूद, आयोग ने कार्य करना जारी रखा और राज्य द्वारा आयोग के कार्य पर रोक लगाने का वचन दिए जाने के बाद, इसका उल्लंघन किया गया है.

पृष्ठभूमि

जुलाई 2021 में, पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा ‘जांच आयोग अधिनियम’, 1952 (Commissions of Inquiry Act, 1952) के तहत, इजरायल की साइबर-खुफिया कंपनी NSO ग्रुप द्वारा विकसित ‘पेगासस स्पाइवेयर’ के माध्यम से ‘टेलीफोन’ की कथित निगरानी किए जाने की जाँच करने हेतु एक ‘जांच आयोग’ (लोकुर आयोग) का गठन किया गया था.

इस आयोग को विभिन्न व्यक्तियों की निजता के कथित उल्लंघन की जांच का कार्य का सौंपा गया था.

इस प्रकार के आयोग गठित करने की शक्ति

यद्यपि, केंद्र और राज्य, दोनों सरकारों द्वारा इस प्रकार के ‘जांच आयोगों’ का गठन किया जा सकता है, किंतु राज्य सरकार केवल उन विषयों पर ‘जांच आयोग’ गठित कर सकती है, जिन पर उसे कानून बनाने का अधिकार होता है.

  • यदि केंद्र सरकार द्वारा किसी विषय पर आयोग का गठन पहले किया जाता है, तो राज्य सरकार, उसी विषय पर, केंद्र सरकार की मंजूरी लिए बिना, अन्य समानांतर जांच आयोग का गठन नहीं कर सकती है.
  • किंतु, यदि राज्य सरकार द्वारा ‘जांच आयोग’ का गठन किया जाता है, और यदि केंद्र सरकार को लगता है, कि इस विषय पर जांच का दायरा दो या अधिक राज्यों तक बढाया जा सकता है, तो वह समान विषय पर दूसरा जांच आयोग गठित कर सकती है.

‘जांच आयोग’ को प्राप्त शक्तियाँ

जांच आयोग अधिनियम, 1952 के अंतर्गत सरकार द्वारा गठित आयोग को, ‘सिविल प्रक्रिया संहिता’, 1908 (Code of Civil Procedure, 1908) के तहत किसी मुकदमे की सुनवाई के दौरान एक ‘दीवानी अदालत’ के समान शक्तियां प्राप्त होंगी.

  • इसका अर्थ है, कि आयोग के पास, किसी भी व्यक्ति को, भारत के किसी भी कोने से बुलाने और उसके समक्ष पेश होने, उसकी शपथ पर जांच करने तथा शपथपत्रों पर साक्ष्य प्राप्त करने की शक्तियां होती हैं.
  • जांच आयोग, किसी भी किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी भी लोक-अभिलेख या उसकी प्रतिलिपि दिए जाने का आदेश दे सकता है.

आयोग द्वारा किन विषयों पर जांच की जा सकती है?

  • केंद्र सरकार द्वारा गठित आयोग, संविधान की सातवीं अनुसूची में सूची-I (संघ सूची) अथवा सूची-II (राज्य सूची) या सूची-III (समवर्ती सूची) में शामिल किसी भी प्रविष्टि से संबंधित, किसी भी मामले की जांच कर सकता है.
  • जबकि, राज्य सरकारों द्वारा गठित आयोग ‘सातवीं अनुसूची’ की सूची-II या सूची-III में शामिल प्रविष्टियों से संबंधित मामलों की जांच कर सकते हैं.

पेगासस ‘जांच आयोग’ का मामला किस सूची से संबंधित है:

  • ‘जांच आयोग’ का गठन करने हेतु, पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा ‘लोक व्यवस्था’ और ‘पुलिस’ प्रविष्टियों का हवाला दिया गया है. हालांकि, ये विषय सांतवी अनुसूची की ‘राज्य सूची’ के अंतर्गत आते है, फिर भी एक तर्क यह भी दिया जा सकता है कि उक्त मामले में ‘जांच’ की विषय-वस्तु, मुख्यतः केंद्रीय सूची के अंतर्गत आती है.
  • इसके अलावा, डाक और टेलीग्राफ, टेलीफोन, वायरलेस, प्रसारण और संचार के अन्य माध्यम संघ सूची की प्रविष्टि 31 से संबंधित हैं.

इस प्रकार के जाँच आयोग की रिपोर्ट का महत्त्व

  • इस तरह के आयोगों के निष्कर्षों को, आम तौर पर विधानसभा या संसद में पेश किया जाता है, जो इस पर निर्भर करता है कि, आयोग का गठन किसके द्वारा किया गया है.
  • सरकार, आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए बाध्य नहीं होती है. और हालांकि, आयोग के निष्कर्ष कार्यपालिका के लिए बाध्यकारी नहीं होते हैं, किंतु अदालतों द्वारा, साक्ष्य के रूप में इन निष्कर्षो पर विश्वास किया जा सकता है.

Prelims Vishesh

J&K Real Estate Sector :-

केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की सरकार ने, हाल ही में, जम्मू में आयोजित पहले ‘जम्मू और कश्मीर रियल एस्टेट सम्मेलन’ में रियल एस्टेट के दिग्गजों से निवेश आकर्षित करने के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए, देश के सभी नागरिकों के लिए “दूसरा घर तथा गर्मियों के लिए घर बनाने” हेतु स्थानीय अचल संपत्ति (real estate) को खोलने का निर्णय किया है.

  • हाल ही में लागू किए गए ‘जम्मू और कश्मीर विकास अधिनियम’ के तहत, एक मानदंड के रूप में ‘राज्य के स्थायी निवासी’ शब्द को हटा दिया गया है, जिससे जम्मू और कश्मीर के बाहर के निवेशकों के लिए केंद्र शासित प्रदेश में निवेश करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है.
  • परिणामस्वरूप, भारत का कोई भी नागरिक जम्मू और कश्मीर में गैर-कृषि भूमि खरीद सकता है.

Blue Bull :-

हाल ही में, बिहार सरकार ने ‘ब्लू बुल’ (Blue Bull), जिसे स्थानीय रूप से ‘नीलगाय’ (Nilgais) या घुरपारा के नाम से जाना जाता है, की हत्या करने पर रोक लगाने की घोषणा की है. इसके बजाय, राज्य में ‘नीलगाय’ की बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के लिए इनकी नसबंदी की जाएगी.

  • ‘नीलगाय’ सबसे बड़ा एशियाई मृग है और उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप में लगभग हर जगह पाया जाता है.
  • ‘नीलगाय’ बोसेलफस (Boselaphus) जीनस का एकमात्र सदस्य है और ‘बोविडे’ (Bovidae) परिवार में रखा गया है.
  • इस प्रजाति में विशिष्ट ‘लैंगिक द्विरूपता’ होती है; नर नीलगाय आकार में मादा से बड़े और रंग में भिन्न होते हैं.
  • ‘नीलगाय’ भारत, नेपाल और पाकिस्तान में पायी जाती है. हिमालय की तलहटी में तराई के निचले इलाकों में इनकी संख्या काफी अधिक है.
  • यह भारतीय उपमहाद्वीप के लिए स्थानिक प्रजाति है.
  • IUCN स्थिति: संकटमुक्त (Least Concern)
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