पूर्व बंगाल के पबना नामक स्थान के ही समान मद्रास प्रेसिडेंसी के मालाबार में मोपला का विद्रोह हुआ जिसे मालाबार विद्रोह (Malabar rebellion) भी कहते हैं. यदि आपसे Prelims परीक्षा में पूछा जाए कि मोपला विद्रोह (Moplah Rebellion) कहाँ हुआ तो इसका जवाब है मद्रास! खैर, मालाबार एक मुस्लिम बहुसंख्यक इलाका था. ये मुसलमान मोपला के नाम से जाने जाते थे. मोपला ज्यादातर कृषक या मजदूर वर्ग के थे जो चाय या कॉफ़ी बागानों में काम करते थे. वे अशिक्षित थे इसलिए धार्मिक कट्टरता भी उनमें अधिक थी.
कारण
मोपला विदेशी शासन, हिन्दू जमींदारों और साहूकारों से पीड़ित थे. अपनी दुःखद स्थिति से लाचार होकर 19-20वीं शताब्दी में मोपलाओं ने बार-बार विरोध और आक्रोश प्रकट किया. 1857 के पूर्व मोपलाओं के करीब 22 आन्दोलन हुए. 1882-85, 1896 और बाद में 1921 में भी मोपला विद्रोह (Moplah Rebellion) हुआ. 1870 में सरकार ने मालाबार में मोपलाओं द्वारा बार-बार विरोध की विवेचना करने के लिए एक समिति का निर्माण किया. इस समिति के रिपोर्ट में कुछ बातें सामने आईं कि इन विरोधों का कारण किसानों को जमीन से बेदखल किया जाना, लगान में मनमाने ढंग से वृद्धि किया जाना आदि हैं.
एक अनुमान के अनुसार 1862 से 1880 तक मध्य मालाबार में लगान और जमीन से बेदखल करने से सम्बन्धी मुकदमों में क्रमशः 244% और 441% वृद्धि हुई. इससे किसानों और मजदूरों के आर्थिक शोषण का अंदाज़ आसानी से लगाया जा सकता है.
विद्रोह की प्रकृति
मोपला के किसानों का आन्दोलन हिंसात्मक था. मोपलाओं ने जमींदारों के घरों में धावा बोला, धन लूटे और हत्या की. मंदिरों की भी संपत्ति लूटी गई. साहूकारों को भी मौत के घाट उतारा गया. पूरे मालाबार में अशांति फ़ैल गई. सरकार ने अपनी तरफ से मोपला विद्रोह (Moplah Rebellion) को नियंत्रित करने के लिए बल का भी प्रयोग किया. पर मोपला किसी से नहीं डरे. उनके मन में यह भावना थी कि इस आन्दोलन में वे मर नहीं रहे बल्कि शहीद हो रहे हैं और उन्हें इस काम के लिए जन्नत मिलेगी.
विद्रोह का अंत
सरकार ने बलपूर्वक मोपला विद्रोह को दबा दिया. इस विद्रोह में संगठनात्मक कमजोरियाँ थीं. यह विद्रोह लम्बे समय तक के लिए टिक नहीं पाया. मोपलाओं को अपने आन्दोलन में कुछ बड़े किसानों का भी सहयोग मिला. जो मोपला विद्रोह (Moplah Rebellion) 1921 में हुआ वह बहुत ही व्यापक था. इस विद्रोह को दबाने के लिए तो सरकार को सेना की मदद लेनी पड़ी थी.
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