Sansar Daily Current Affairs, 12 February 2018
GS Paper 3: Source: The Hindu
Topic: सुभाष गर्ग पैनल
- क्रिप्टोकरेंसी के लिए आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष गर्ग की अध्यक्षता में गठित पैनल अपना रिपोर्ट पेश करने जा रहा है.
- इस पैनेल को 2017 में बनाया गया था.
- पैनल को क्रिप्टो मुद्राओं के प्रभाव का अध्ययन करने और उन्हें विनियमित करने के लिए सिफारिश देने हेतु बनाया गया था.
- अपने बजट भाषण में विक्त मंत्री ने कहा कि क्रिप्टो मुद्राएं कानूनी निविदा नहीं हैं.
- हालांकि केंद्र ने यह आश्वासन दिया है कि वह ब्लॉक श्रृंखला प्रौद्योगिकी के उपयोग तथा इन्क्रिप्टेड डेटा संरचना की संभावनाओं पर विचार करेगा.
GS Paper 3: Source: The Hindu
Topic: स्थायी जमा सुविधा योजना
- RBI अर्थव्यवस्था में मुद्रा के अतिरिक्त प्रवाह को घटाने के लिए कैश रिजर्व अनुपात, ओपन मार्केट ऑपरेशन, मार्केट स्टैबिलाइजेशन आदि जैसे विभिन्न उपायों का सहारा लेता है.
- इन उपायों को Liquidity Adjustment Facility (LAF) कहते हैं जिसको तरलता के अंतर (liquidity gap) को नियंत्रण में लाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है. Read here about LAF>> LAF in Hindi
- हालांकि जब मुद्रा का प्रवाह बहुत अधिक हो जाता है तो ये उपाय काम नहीं आते जैसा कि विमुद्रीकरण के बाद देखने को मिला.
- उस समय RBI के पास सरकारी प्रतिभूतियाँ ख़त्म हो गयीं और फलतः उसे CRR को तात्कालिक रूप से बढ़ाना पड़ा.
- अब स्थायी जमा सुविधा योजना (Standing Deposit Facility Scheme – SDFS) को पेश करने का प्रस्ताव है जिसकी अनुशंसा 2014 में उर्जित पटेल कमेटी द्वारा की गई थी.
- यह योजना तरलता के प्रबन्धन के लिए RBI को एक नई शक्ति देगी.
- SDFS योजना एक ऐसी योजना है जिससे अर्थव्यवस्था प्रणाली से अतिरिक्त तरलता को बिना किसी collateral के संभाला जा सकता है.
GS Paper 3: Source: The Hindu
Topic: MSME की परिभाषा में बदलाव
- MSME का full-form है – Micro, Small & Medium Enterprises.
- सरकार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को परिभाषित करने के लिए मापदंड बदल रही है, जिससे माल और सेवा कर (GST) के साथ इनको समन्वयित किया जा सके.
- पहले इन उद्योगों का वर्गीकरण माल कंपनियों के मामले में संयंत्र और मशीनरी में निवेश किये गए धन पर आधारित हुआ करता था. जहाँ तक service companies का प्रश्न है उनमें उपकरणों पर किये गए निवेश को आधार बनाया जाता था.
- अब नए वर्गीकरण में वार्षिक कारोबार (annual turnover) को आधार बनाया गया है.
- सूक्ष्म उद्योग – 5 करोड़ तक, लघु उद्योग – 5 करोड़ से 75 करोड़ और मध्यम उद्योग – 75 करोड़ से 250 करोड़.
- यह परिवर्तन तभी प्रभावी होगा जब सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 में प्रस्तावित संशोधन लागू हो जाएगा.
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