जालियाँवाला बाग़ के हत्याकांड ने पंजाब सरकार की उग्रता को शांत न करके और अधिक प्रज्वलित कर दिया. 13 अप्रैल के हत्याकांड ने न केवल अमृतसर में बल्कि पंजाब के अन्य नगरों में भी भयानक आतंक फैला दिया था. फिर भी पंजाब लैफ्टिनेंट गवर्नर ने आवश्यक समझा कि अमृतसर में और अन्य कुछ स्थानों पर मार्शल लॉ अथवा सैनिक कानून लगा दिया जाए. उसने गवर्नर जनरल से मार्शल लॉ घोषित करने की अनुमति मांगी, जो तुरंत मिल गई. एक दिन पूछताछ में लग गया. 15 अप्रैल के प्रातःकाल अमृतसर में कानून का राज्य समाप्त हो गया और पूरा शहर फ़ौज के नियंत्रण में आ गया. ठीक उसी दिन लाहौर में भी मार्शल लॉ लगा दिया गया.
मार्शल लॉ में दिए जाने वाले भयवाह आदेश (Orders)
मार्शल लॉ में अमृतसर के निवासियों पर कैसी बीती, इसका उत्तर उन आज्ञाओं से मिल जायेगा जो सैनिक अधिकारियों की तरफ से वहाँ प्रचारित की गई थीं. उनमें से कुछ आज्ञाएँ (orders) इस प्रकार थीं.
- जिस बाजार में मिस शेरवुड पर आघात हुआ था, उसमें लोगों को बेत मारने के लिए टिकटिकी लगा दी गई और यह आदेश प्राचारित कर दिया गया कि उसमें से जो भी भारतवासी गुजरेगा वह पेट के बल रेंग कर जायेगा, खड़ा होकर नहीं.
- आज्ञा दी गई कि प्रत्येक भारतवासी को चाहिए कि जब अंग्रेज़ अफसर समक्ष आये तो उसे सलाम करे.
- जरा-जरा सी बात पर बेत लगाई जाती थीं. कई बेचारे बेत खाते-खाते बेहोश हो गये.
- शहर के सभी वकीलों को स्पेशल कांस्टेबल बनाकर दिन-रात काम लिया जाता था.
- गिरफ्तारी, हथकड़ी, बड़ी और बिना खिलाये-पिलाये किले में जेल की कोठारी में बंद कर देना आदि तो साधारण दंड समझे जाते थे जिन्हें कोई भी निचले पद का अफसर भी बेरोक-टोक दे सकता था.
- सब अदालतें भंग कर दी गई थीं.
ये आज्ञाएँ जितनी कठोर थीं, इनका प्रयोग उससे भी अधिक कठोरता से किया जाता था. जिस गली में से जाने के लिए, भारतवासियों के लिए पेट के बल सरकना अनिवार्य करार दिया गया था, वह 150 गज लम्बी थी. छोटा हो या बड़ा, जवान हो या बूढ़ा, जाने का उद्देश्य पानी लेने के लिए जाना हो या घर में पड़े किसी बीमार के लिए दवा लाना हो – रेंगना अनिवार्य था. रेंगने के समय बंदूक की नली पीठ पर रहती थी. जरा रुका कि गोर सिपाही ने ठोकर लगाई. लगभग 50 आदमियों पर इस अमानुषिक आज्ञा का प्रयोग किया गया.
नगर में उपद्रव की शान्ति तो 12 अप्रैल को ही हो गई थी. 13 अप्रैल को जनरल डायर की ओर से हत्याकांड हुआ. 15 अप्रैल को दुकानें खुल गईं. इस प्रकार सामान्य रूप से शान्तिस्थापना का अवसर आ गया था पर अंग्रेज़ अफसरों के हृदयों में बदले की आग उत्पन्न हो चुकी थी और वह शांत नहीं होने वाली थी. उसे पूरा करने के लिए मार्शल लॉ लागू कर दिया गया और उसे 9 जून तक जारी रखा गया.
16 अप्रैल को लाहौर में मार्शल लॉ जारी कर दिया गया. लाहौर में इस लॉ का मुख्य अधिकारी कर्नल जॉन्सन था. पंजाब के कसूर, गुजरानवाला, नजीराबाद, निजामाबाद, अकालगढ़, रामनगर, हाफिजबाद, सांगलाहिल, नवापिंड, गुजरात, जलालपुर आदि स्थानों पर भी मार्शल लॉ लगाया गया और अमानुषिक कठोरता का प्रयोग किया गया. मार्शल लॉ के प्रत्येक तानाशाह अफसर ने अत्याचारों की कठोरता में एक दूसरे को परास्त करने का प्रयत्न किया. कुछ आदेश ऐसे थे कि उन्होंने इंग्लैंड में रहने वाले अंग्रेजों को भी चकित कर दिया था.
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