आजादी के लिए संघर्ष के दौरान Subhash Chandra Bose के नारे “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा” ने करोड़ों भारतीयों के दिल में देशभक्ति की आग प्रज्वलित कर दी थी. आज भी ये शब्द आगे बढ़ने और देश के लिए कुछ करने को प्रेरित करते हैं. इस नारे को जिन्होंने गढ़ा वह Subhash Ji एक सच्चे देशभक्त और सिद्धांतवादी इंसान थे जिन्होनें भारत को आजादी दिलाने का भरपूर प्रयास किया. यहाँ हम उनके विषय में उन जानकारियों को आपके साथ साझा करेंगे जिनके बारे में कुछ ही लोग जानते हैं….
7. Subhash Chandra Bose बचपन से ही एक बहुत ही मेधावी छात्र और देशभक्त थे
Subhash Chandra Bose उड़ीसा में एक बड़े परिवार में पैदा हुए थे. बचपन से ही वह प्रतिभाशाली थे और हमेशा पढ़ाई में अव्वल रहे. प्रथम श्रेणी से उन्होंने 1918 में दर्शनशास्त्र में स्नातक किया. शुरुआती दिनों से ही उनके रक्त में देशभक्ति की लहर दौड़ती थी. Presidency College के Professor Oaten ने जब राष्ट्र के खिलाफ कुछ शब्द बोले थे तो बोस ने कड़ी आपत्ति जताई, परिणामस्वरूप उन्हें कॉलेज से निष्कासित कर दिया गया.
6. ICS (अब Civil services) परीक्षा में चौथा स्थान लाया
स्नातक करने के बाद वह ICS परीक्षा देने के लिए इंग्लैंड गए. उन्होंने अपने पिताजी से वादा किया था कि इस कड़ी परीक्षा को वह उत्तीर्ण होकर जरुर दिखायेंगे. जैसी उम्मीद थी वैसा ही हुआ. उन्होंने इस परीक्षा में चतुर्थ स्थान पाया. वैसे उन्हें अन्दर से सरकार के लिए काम करने का बिल्कुल मन नहीं था. Jalianwalla Bagh में हुए नरसंहार ने उन्हें अन्दर से हिला दिया था और 1921 में उन्होंने इंटर्नशिप के दौरान ही ICS से इस्तीफा दे दिया.
5.Subhash Chandra Bose दो बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित किये गए
भारत वापस लौटने के बाद Subhash Chandra Bose ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ काम किया और स्वराज और फॉरवर्ड समाचार पत्रों से जुड़े. उन्होंने जल्द ही कांग्रेस के अन्दर अपनी पकड़ बना ली और 1938 और 1939 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए. वह पूर्ण स्वराज के पक्षधर थे जिसका गांधी जी विरोध किया करते थे. गांधीजी और INC के अन्य सदस्य भारत को Dominion status दिलाने एवं धीरे-धीरे पूर्ण स्वराज की ओर बढ़ने की नीति पर चल रहे थे. इसी कारण उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और All India Forward Bloc की स्थापना की.
4. उन्होंने अपने दुश्मन के दुश्मन से मदद मांगी
जब बोस को यह अहसास हुआ कि ब्रिटिश इतनी आसानी से देश को आजाद नहीं करेंगे तो उन्होंने दुश्मन के दुश्मन से मदद मांगने का फैसला किया और इसके लिए जर्मनी और जापान से सम्पर्क किया. उनके इस कदम से यह बिल्कुल निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि वह नाज़ी विचारधारा के पक्षधर थे. उन्होंने यह सब इसीलिए किया क्योंकि भारत को किसी भी तरह से अंग्रेजों के चंगुल से बाहर निकला जा सके. जापान की मदद से उन्होंने आजाद हिन्द फौज (Azad Hind Fauj) की स्थापना की जिसने मित्र राष्ट्रों की सेना (allied forces) से South East Asia में युद्ध किया. Japanese army के साथ उन्होंने अंडमान निकोबार को आजादी दिलाई और आगे बढ़ते-बढ़ते फ़ौज के साथ मणिपुर भी पहुँच गए. मगर इसी समय अमेरिका द्वारा जापान पर परमाणु बम (World War 2) का प्रयोग कर दिया गया जिससे जापानी फ़ौज कमजोर पड़ गयी और आजाद हिन्द फ़ौज को पीछे हटना पड़ा.
3. वह देशभक्तों के देशभक्त थे
महात्मा गांधी भले ही Subhash Chandra Bose की ideology के खिलाफ थे मगर उन्होंने Bose को “patriot of patriots” की संज्ञा दी थी. Bose वास्तव में भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए प्रतिबद्ध थे और उनको गांधी जी द्वारा दी गयी यह उपाधि गलत नहीं थी. वह उस समय के सबसे प्रतिभाशाली व्यक्तित्व और देशभक्ति की प्रतिमूर्ति थे, जिन्होंने हज़ारों युवाओं और युवतियों को प्रेरित किया था.
2. उनकी मौत एक रहस्य ही बनी रह गयी
लोग ऐसा कहते हैं कि उनकी मृत्यु Taipei, Taiwan में हुए एक विमान दुर्घटना में हो गयी. पर उनकी मौत (death) एक रहस्य (mystery) ही बनी रह गयी क्योंकि उनका शव नहीं मिला और ashes जापान ले जाया गया. कभी-कभी यह कयास लगाया जाता है कि वह जिन्दा थे और रूस में कुछ साल रहकर वापस भारत लौट गए. जो विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था उसका कोई रिकॉर्ड Taiwan के पास नहीं है. हाल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संबंधित 33 गोपनीय फाइलों की पहली खेप शुक्रवार को प्रधानमंत्री कार्यालय ने राष्ट्रीय अभिलेखागार को सौंप दी है.
1. वह भारत में 1985 तक Bhagwanji रूप में रहते थे
एक अफवाह यह भी है कि वह कई सालों तक Bhagwanji के नाम से भारत के राज्य उत्तर प्रदेश में रह रहे थे. वहाँ उनका एक नाम गुमनामी बाबा (gumnami baba) भी था. उन्होंने संन्यास ले लिया था और फिर से Indian politics में आना वे उचित नहीं समझते थे. ऐसा कहा जाता है कि गुमनामी बाबा के रूप में उनकी मृत्यु 1985 में फैजाबाद में हुई. गुमनामी बाबा का चेहरा सुभास चन्द्र बोस से बिल्कुल मेल खाता था.
[stextbox id=”download”]Summary of the article in English[/stextbox]
Netaji Subhash Chandra Bose’s slogan of “You give me blood, I’ll give you Freedom” ignited the fire of patriotism in the hearts of many Indians during the struggle for independence. Even today these words don’t fail to inspire and move. The brave man who uttered this quote was a true patriot and a man of principle who sacrificed his whole life to bring independence to India. In this article we have discussed must knowing seven facts about this great personality that only few Indians know, including the patriots.