Sansar Daily Current Affairs, 26 July 2018
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : 100th year of Montford Reform
- जुलाई 2018 में मोंटेग्यू चेम्सफर्ड रिपोर्ट की 100वीं वर्षगाँठ मनाई जा रही है.
- ज्ञातव्य है कि यह रिपोर्ट संवैधानिक सुधार से सम्बंधित था जो भारत के वायसराय चेम्सफर्ड के समय में तत्कालीन भारत सचिव मोंटेग्यू द्वारा प्रस्तुत किया गया था.
- इस रिपोर्ट के आधार पर एक संवैधानिक अधिनियम अधिसूचित किया गया था जिसे भारत सरकार अधिनियम, 1919 के नाम से जाना जाता है.
अधिनियम के मुख्य तत्त्व
- इस अधिनियम में पहली बार केंद्र और प्रांतीय सरकारों की अलग-अलग कार्यसूचि घोषित की गई थी. ज्ञातव्य है कि वर्तमान संविधान में भी केंद्र और राज्य के बीच कार्यों का कुछ ऐसा ही बँटवारा है.
- किन्तु भारत सरकार अधिनियम, 1919 में प्रांतीय विषयों को दो भागों में बाँट दिया गया था. इनमें से कुछ ऐसे थे जिसपर गवर्नर विधान परिषद् के सहयोग से कानून बना सकता था और कुछ ऐसे विषय भी थे जिसमें वह विधान परिषद् को बताये बिना अपनी कार्यकारिणी परिषद् से सलाह लेकर कानून बना सकता था. प्रशासन की इस व्यवस्था को द्वैध शासन (dyarchy) नाम दिया गया था.
- अधिनियम में पहली बार केन्द्रीय विधान परिषद् को द्विसदनीय बनाया गया था. पहला सदन उच्च सदन (राज्य परिषद्) और दूसरा सदन निम्न सदन (विधान सभा) कहलाता था. दोनों सदनों के सदस्यों से अधिकांश प्रत्यक्ष चुनाव जीत कर आते थे.
- वायसराय की कार्यकारिणी परिषद् (सेनाध्यक्ष को छोड़कर) के छह सदस्यों में से तीन अब भारतीय होने थे.
- इसमें सिखों, भारतीय ईसाइयों, एंग्लो इंडियनों, यूरोपियनों के लिए अलग-अलग चुनाव क्षेत्र बनाए गये.
- अधिनियम ने संपत्ति, कर शिक्षा के आधार पर सीमित लोगों को मताधिकार भी दिया.
- अधिनियम के द्वारा लन्दन में एक नया कार्यालय – भारत के उच्चायुक्त का कार्यालय – बनाया गया और इस उच्चायुक्त को वे काम सौंप दिए गए जो पहले अब से पहले भारत का सचिव किया करता था.
- भारत सरकार अधिनियम, 1919 द्वारा ही भारत में एक लोक सेवा आयोग का सृजन 1926 में हुआ जिसका काम सिविल सेवकों की नियुक्ति था.
- इसी अधिनियम द्वारा पहली बार प्रान्तों के बजट के निर्माण का कार्य केन्द्रीय बजट से अलग कर दिया गया और अब प्रांतीय विधानमंडल अपने बजट बनाने लगे.
- इस अधिनियम ने एक वैधानिक आयोग बनाया जिसे इस अधिनियम के लागू होने के बाद 10 वर्षों में इसके कामकाज पर रिपोर्ट देना था.
भारत सरकार अधिनियम, 1919 भारतीय संविधान के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है. कुछ विद्वान् इसे आधुनिक भारत का मैग्नाकार्टा बताते हैं. विदित हो कि भारत सरकार अधिनियम, 1919 के आधार पर ही भारत सरकार अधिनियम, 1935 बना और अंततोगत्वा हमारा वर्तमान संविधान भी बहुत हद तक उसी से प्रेरित है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : POSHAN Abhiyaan
हाल ही में नई दिल्ली में केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पोषण अभियान के अंतर्गत भारत की पोषणगत चुनौतियों से सम्बंधित राष्ट्रीय परिषद् की दूसरी बैठक आयोजित की.
बैठक के परिणाम
- इस बैठक में चालू वर्ष में पोषण अभियान के अन्दर 32 नए जिले सम्मिलित किये गये. इस प्रकार अभियान के चरण – I और चरण – II में छूटे हुए सभी जिले अब अभियान का अंग हो गए हैं.
- बैठक में शहरी क्षेत्रों में आँगनबाड़ी केन्द्रों के निर्माण के लिए मार्गनिर्देशों पर सैद्धांतिक सहमति दी गई.
- यह निश्चित किया गया कि प्रत्येक वर्ष सितम्बर महीने को राष्ट्रीय पोषण मास के रूप में मनाया जायेगा.
पोषण अभियान
POSHAN Abhiyaan (National Nutrition Mission) का आरम्भ प्रधानमन्त्री द्वारा राजस्थान के झुंझुनू में 8 मार्च, 2018 में किया गया था.
लक्ष्य
- इस अभियान का लक्ष्य है छोटे-छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोरियों के बीच कुंठित विकास, कुपोषण, रक्ताल्पता और साथ ही जन्म के समय शिशु के भार की अल्पता की दर को क्रमशः 2%, 2%, 3 % और 2% प्रतिवर्ष घटाना.
- मिशन का एक लक्ष्य यह भी है कि 0 से 6 साल के बच्चों में शारीरिक विकास में कमी की दर को वर्तमान के 38.4% से घटाकर 2022 तक 25% कर दिया जाए.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Govt amends definition of hydrocarbon to include shale
- भारत के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने हाल ही में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस (संशोधन) नियम, 2018 अधिसूचित किया है जिसके अनुसार पेट्रोलियम की परिभाषा में अन्य हाइड्रोकार्बनों के अतिरिक्त कोल बेड मिथेन और शेल गैस (coal bed methane and shale gas) को शामिल कर लिया गया है.
- यह संशोधन इसलिए आवश्यक हो गया था कि पेट्रोलियम की परिभाषा से शेल और मिथेन के बाहर रहने के कारण जो कंपनियाँ पारम्परिक पेट्रोलियम और गैस निकालने का काम कर रही थीं, वे शेल और मिथेन निकाल नहीं सकती थीं.
- इस संशोधन से अब वे कम्पनियाँ इन दोनों पदार्थों का भी खनन कर सकती हैं.
- इस संशोधन से देश के अन्दर हाइड्रोकार्बन की खोज एवं उत्पादन का काम बढ़ेगा और इनके लिए आयात पर निर्भरता कम होगी.
Coal Bed Methane (CBM)
- भारत में कोयले का विश्व का तीसरा सबसे बड़ा भंडार है इसलिए यह अनुमान लगाया जाता है कि भारत में Coal Bed Methane मिलने की अधिक संभावना है.
- कोल बेड मिथेन कोयला भंडारों के खनन के दौरान निकाला जाता है.
- इसे यदि कुशलता से निकाला जाए तो यह ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण संभावित स्रोत बन कर उभर सकता है.
- भारत में कोयला खानों से मिथेन को निकालने और उसका उपयोग करने में नवीनतम प्रौद्योगिकी का अभाव और विशेषज्ञता व अनुभव की कमी आड़े आ रही है.
- आर्थिक मामलों से सम्बंधित कैबिनेट कमेटी ने कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) और उसकी सहायक कंपनियों को अपने क्षेत्रों में Coal Bed Methane की खोज करने और उसके दोहन करने की अनुमति दे दी है.
- पृथ्वी के गर्भ में पौधों से जब कोयला बनने लगता है तो उसी समय इस प्रक्रिया से मिथेन भी उत्पन्न हो जाता है.
- CBM में अन्य तत्त्व कम से कम होते हैं जिस कारण इसे स्वच्छतम ईंधन माना जाता है.
- CBM को sweet gas भी कहते हैं. यह खट्टे गैस से भिन्न है जिसमें हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) होता है.
शेल और शेल गैस क्या हैं?
- शेल बारीक कण वाली तलछटी चट्टाने हैं जो पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के समृद्ध स्रोत होती हैं.
- शेल गैस वह प्राकृतिक गैस (natural gas) है जो शेल चट्टानों के बीच फंसी होती है.
अधिक जानकारी के लिए यह पढ़ लीजिए >> Shale Gas
HELP
- 2016 के HELP (Hyrdrocarbon Exploration and Licensing Policy) में किए गए प्रावधान के अनुरूप हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय ने OALP policy जून 2017 में जारी की.
- यह policy भारत में तेल के नए भंडार खोजने और उसके दोहन से सम्बंधित है.
- पिछली नीति से इस नीति में एक बड़ा अंतर यह है कि इसमें कुछ नए-नए भूभाग भी तेल की खोज के लिए सम्मिलित किए गए हैं.
- अन्य प्रमुख अंतर हैं – आवश्यक लाइसेंसों की संख्या में परिवर्तन, तेल के कुओं से होने वाले लाभ के बटवारे के नियम में परिवर्तन, तेल की बिक्री में प्रक्रिया में परिवर्तन.
- भारत तेल और गैस के अतिरिक्त कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है.
GS Paper 3 Source: Times of India
Topic : 2018 Earth Overshoot Day fall on August 1
- 1970 से पर्यावरण से सम्बंधित पृथ्वी क्षमता-अतिक्रमण दिवस हर वर्ष मनाया जाता है.
- इसकी कोई तिथि निश्चित नहीं है. इसकी तिथि इस पर निर्भर करती है कि उस वर्ष पृथ्वी की क्षमता का अतिक्रमण कब हुआ?
- इस बार यह 1 अगस्त को मनाया जा रहा है जोकि पिछले वर्ष की तुलना में 2 दिन पहले पड़ा है और अभी तक का सबसे पहले मनाई जाने वाली तिथि है.
पृथ्वी क्षमता-अतिक्रमण दिवस क्या है?
- यह वह तिथि है जब प्रकृति पर मानव की वार्षिक माँग पृथ्वी की उस क्षमता से बढ़ जाती है जिससे वह वर्ष भर में खर्च किये गए प्राकृतिक संसाधन को फिर से उत्पन्न कर सकती है.
- क्षमता के इस अतिक्रमण की गणना वैश्विक पदचिन्ह नेटवर्क तथा वर्ल्ड वाइड फण्ड फॉर नेचर (Global Footprint Network and World Wide Fund for Nature – WWF) द्वारा की जाती है.
प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ता हुआ बोझ
- वर्तमान में मानव विश्व के प्राकृतिक उत्पादन के 170% का उपभोग कर रहा है.
- इसका अर्थ यह हुआ कि आज हम एक नहीं अपितु 1.7 पृथ्वियों का उपभोग कर रहे हैं.
- यह क्रम चलता रहा तो जैसा कि वैश्विक पदचिन्ह नेटवर्क का कहना है कि हमलोग अगली शताब्दी के अंत तक दो पृथ्वियों का उपभोग करने लगेंगे.
- ज्ञातव्य है कि 1963 में हमलोग पृथ्वी की जैव-क्षमता का 78% ही उपयोग में लाते थे. परन्तु 1970 के दशक की शुरुआत से हमलोग पृथ्वी की क्षमता का अतिक्रमण करने लगे.
पृथ्वी के क्षमता-अतिक्रमण के मुख्य कारण और निदान
- मानव समाज के पर्यावरणीय पदचिन्ह के दो सबसे बड़े कारक कार्बन उत्सर्जन और भोजन हैं जो क्रमशः इसमें 60% और 26% का योगदान करते हैं.
- यदि हम कार्बन उत्सर्जन को आधा कर दें तो पृथ्वी क्षमता-अतिक्रमण दिवस 89 दिन बाद पड़ेगा.
- यदि हम लोग भोजन बर्बादी को आधा कर दें तो पृथ्वी क्षमता-अतिक्रमण दिवस 11 दिन बाद पड़ेगा. यदि हम लोग प्रोटीन की चीजें कम खाएँ तो यह दिवस 31 दिन और आगे चला जायेगा.
पृथ्वी क्षमता अतिक्रमण दिवस की गणना
पृथ्वी क्षमता अतिक्रमण दिवस की गणना विश्व की जैव क्षमता (सम्बंधित वर्ष में पृथ्वी के द्वारा उत्पन्न प्राकृतिक संसाधन की मात्रा) को विश्व के पर्यावरणीय पदचिन्ह (मनुष्य द्वारा वर्ष भर में प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग) से भाग देकर और फिर भागफल को 365 से गुणा करके की जाती है.
वैश्विक पदचिन्ह नेटवर्क
वैश्विक पदचिन्ह नेटवर्क (Global Footprint Network) एक अंतर्राष्ट्रीय अलाभकर संगठन (nonprofit organisation) है जिसकी स्थापना 2003 में इस उद्देश्य से की गई थी कि विश्व को एक ऐसा टिकाऊ भविष्य दिया जाए जिसमें सभी को संसाधनों की सीमा के अन्दर फलने-फूलने का अवसर दिया जाए.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Green Mahanadi Mission
- ओडिशा सरकार ने ग्रीन महानदी मिशन का अनावरण किया है.
- मिशन के तहत महानदी के तट पर कुल दो करोड़ पौधे लगाए जाएँगे.
Green Mahanadi Mission
- ग्रीन महानदी मिशन का उद्देश्य महानदी नदी और उसकी दो सहायक नदियों तेल और इब (Tel and Ib) में जलप्रवाह को बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण के द्वारा बढ़ाया जाना है.
- इस मिशन के अंतर्गत महानदी के दोनों तटों पर 1 कि.मी. चौड़ी हरित पट्टी (green belt) बनाई जायेगी.
- यह पट्टी उस स्थान से शुरू होगी जहाँ महानदी ओडिशा में प्रवेश करती है और उस जगह तक जायेगी अर्थात् पारादीप तक जहाँ यह नदी बंगाल की खाड़ी में प्रवेश कर जाती है.
- वृक्षारोपण का काम 75,770 हेक्टेयर सरकारी भूमि के अलावा 47,470 हेक्टेयर निजी भूमि पर किया जाएगा.
महानदी
- महानदी भारतीय प्रायद्वीपीय की सबसे बड़ी नदियों में से एक है जो बंगाल की खाड़ी में जा कर गिर जाती है.
- इसकी लम्बाई 857 किमी. है.
- यह मध्यप्रदेश के रायपुर जिले के सतपुड़ा श्रेणी से निकलती है और ओडिशा में बहते हुए समुद्र में जा गिरती है.
- इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं – शिवनाथ, जोंक, हसदो, मांड, इब, ओंग, तेल इत्यादि.
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