Sansar Daily Current Affairs, 10 August 2018
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Quit India Movement
सन्दर्भ
विगत 8 अगस्त, 2018 को भारत छोड़ो आन्दोलन की 76वीं वर्षगाँठ मनाई गई.
भारत आन्दोलन छोड़ो आन्दोलन क्या था?
1942 ई. में क्रिप्स मिशन के विफल हो जाने के पश्चात् 8 अगस्त, 1942 को महात्मा गाँधी ने “करो या मरो” का आह्वाहन करते हुए भारत छोड़ो आन्दोलन का सूत्रपात किया. इस आन्दोलन के तहत पूरे देश में विरोध और प्रदर्शन आयोजित हुए. लोग भारत की स्वतंत्रता शीघ्र घोषित करने की माँग कर रहे थे, परन्तु इस आन्दोलन को ब्रिटिश शासन ने कुचल दिया और यह कहा कि भारत को स्वतंत्रता विश्व युद्ध समाप्त होने के पश्चात् ही दी जा सकती है.
भारत छोड़ो आह्वाहन कब और कहाँ किया गया?
14 जुलाई, 1942 को कांग्रेस की कार्यकारिणी समिति ने वर्धा में एक संकल्प पारित किया जिसमें ब्रिटिश शासन से भारत को पूर्ण स्वतंत्रता देने की माँग की गई थी. अगस्त 8, 1942 को महात्मा गाँधी ने बम्बई के गोवलिया टैंक मैदान में भारत छोड़ो आन्दोलन की माँग की तथा देशवासियों को “करो या मरो” का नारा दिया. प्रारम्भ में उनके इस भाषण पर जवाहरलाल नेहरु और मौलाना आजाद को आपत्ति थी परन्तु बाद में वे गाँधी जी के साथ हो गये.
कुछ मुख्य तथ्य
- भारत छोड़ो आन्दोलन को दबाने के लिए ब्रिटिश शासन ने कई राष्ट्रीय नेताओं को कारावास में डाल दिया, जैसे – महात्मा गाँधी, अबुल कलाम आजाद, जवाहर लाल नेहरु और सरदार बल्लभ भाई पटेल.
- कांग्रेस को एक अवैध संघ घोषित कर दिया गया और देश भर में इसके कार्यालयों पर छापा मार कर निधियों को जब्त किया गया.
- इस आन्दोलन का पहला भाग शांतिपूर्ण था. जगह-जगह पर जुलूस निकाले गये.
- आन्दोलन का दूसरा भाग हिंसक हो गया क्योंकि वायसराय लार्ड लिनलिथगो ने इसे दबाने के लिए हिंसा का सहारा लिया. इसकी प्रतिक्रिया में डाकघरों, सरकारी भवनों और रेलवे स्टेशनों में आग लगा दी गई.
भारत छोड़ो आन्दोलन के विषय में डिटेल में यहाँ पढ़ लें >> Quit India Movement in Hindi
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : World Biofuel day 2018
सन्दर्भ
हर वर्ष 10 अगस्त को विश्व जैव इंधन दिवस मनाया जाता है जिसका उद्देश्य पारम्परिक जीवाश्म इंधनों के स्थान पर अजीवाश्म इंधनों के प्रयोग की महत्ता की जानकारी देना और सरकार द्वारा जैव इंधन के क्षेत्र में किये गये विभिन्न प्रयासों के विषय में जनसामान्य को अवगत कराना है.
विश्व जैव इंधन दिवस क्या है?
विश्व जैव इंधन दिवस 10 अगस्त को इसलिए मनाया जाता है कि इसी दिन 1893 में डीजल इंधन के आविष्कारक सर रुडोल्फ डीजल ने पहली बार मूंगफली के तेल से एक यांत्रिक इंजन को सफलतापूर्वक चलाया था. उनकी भविष्यवाणी थी कि अगली शताब्दी में यांत्रिक इंजनों में प्रयुक्त होने वाले जीवाश्म इंधनों का स्थान वानस्पतिक तेल ले लेगा.
जैव इंधन के प्रयोग को लेकर सरकार के प्रयास
2014 से भारत सरकार ने जैव इंधनों के मिश्रण को बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाये हैं. इनमें कुछ प्रमुख कदम ये हैं – एथनोल के लिए प्रशासनिक प्रणाली निर्धारित करना, उद्योग (विकास एवं नियंत्रण) अधिनियम 1951 के प्रावधानों में सुधार करना तथा एथनोल के क्रय के लिए lignocellulosic route को सुचारू बनाना.
- जून 2018 में भारत सरकार ने जैव इंधनों के बारे में एक राष्ट्रीय नीति का अनुमोदन किया. इस नीति में यह लक्ष्य निर्धारित किया गया कि 2030 तक 20% एथनोल के मिश्रण तथा 5% जैव डीजल के मिश्रण का कार्य पूरा कर लिया जायेगा. इस नीति में सामान्य एथनोल एवं उन्नत जैव इंधनों के उत्पादन को गति दी जायेगी.
- हाल ही में सरकार ने C-Heavy खांड-से बने (C-heavy molasses-based) एथनोल का मूल्य 40.85 रु. से बढ़ाकर 43.70 रु. कर दिया है जिससे कि एथनोल मिश्रण कार्यक्रम (Ethanol Blending Programme – EBP) को बढ़ावा मिल सके. पहली बार B-Heavy खांड से बने एथनोल तथा गन्ने के रस से बने एथनोल का दाम 47.40 रु. निर्धारित कर दिया गया है.
- सरकार ने इंधनों में मिलाये जाने वाले एथनोल के लिए GST 18% से घटाकर 5% कर दिया है.
- पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय यह सुनश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि पेट्रोल के लिए एथनोल की आपूर्ति बढ़ाई जाए.
परिणाम
सरकार की ओर से किये गये प्रयासों के फलस्वरूप कुछ सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं. पेट्रोल में मिलाये जाने वाले एथनोल की आपूर्ति पिछले 4 वर्षों में 38 करोड़ लीटर से बढ़कर अनुमानतः 141 करोड़ लीटर हो गयी है. ज्ञातव्य है कि बायो-डीजल मिश्रण का काम देश में 10 अगस्त, 2015 से शुरू हुआ था और 2018-19 में तेल का वितरण करने वाली कंपनियों ने अभी तक 7.6 करोड़ लीटर बायो-डीजल आवंटित किये हैं. सरकार के तेल उपक्रमों ने बारह सेकंड जनरेशन (2G) जैव-शोधन संयंत्र स्थापित करने की योजना बनाई है जिससे कि एथनोल की आपूर्ति बढ़ाई जा सके और पराली को जलाने से उत्पन्न पर्यावरणिक समस्याओं का समाधान हो सके.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Global Innovation Index
सन्दर्भ
ज्ञातव्य है कि विश्व नवाचार सूचकांक 2018 में भारत को 57वाँ स्थान मिला था. इस प्रदर्शन को सुधारने के लिए भारत को शीर्षस्थ 10 रैंकों में लाने के लिए नीति आयोग ने भारतीय उद्योग संघ (Confederation of Indian Industry – CII) से हाथ मिलाया है.
अपेक्षित सुधार
- नई नवाचार नीति बनाना जिसके द्वारा आधुनिकतम तकनीकों के सन्दर्भ में अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में निवेश प्राप्त हो सके.
- समुचित मूलभूत संरचना और संस्थाओं का निर्माण.
- कृतिम बुद्धि (Artificial Intelligence), ब्लाक चैन (Blockchain) और रोबोट विज्ञान (Robotics) इत्यादि नवीनतम तकनीकों में नवाचार हेतु विश्व के बड़े-बड़े केन्द्रों से सम्पर्क करना.
- स्कूलों की Tinkering Labs को स्टार्ट-अपों व्यवसाय तथा उत्कृष्ट शैक्षणिक संस्थानों से जोड़ना.
- सरकारी क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के कार्यों को सक्षम, फलदायी और परिणामोन्मुख बनाना.
GII 2018
- ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (GIII) ने वर्ष 2018 के लिए भारत को 130 देशों में 57वें स्थान पर रखा है.
- विदित हो कि गत वर्ष भारत का स्थान 60वाँ था और 2015 में इसका स्थान 81वाँ था.
- भारत ने निम्न मध्यम आय वर्ग वाले देशों में पाँचवा स्थान पाया है.
- यदि उच्च और निम्न-मध्यम वर्ग के देशों को मिला दिया जाए तो भारत का नवाचार में चीन के बाद दूसरा स्थान होगा.
- इस वर्ष नवाचार रैंकिंग में स्विट्ज़रलैंड का स्थान पहला रहा है.
- नीदरलैंड और स्वीडेन ने क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान पाया है.
- अमेरिका का स्थान पिछले वर्ष चौथा था, इस बार छठा हो गया है.
- चीन का स्थान इस लिस्ट में 17वाँ है.
- यह सूचकांक कॉर्नेल विश्वविद्यालय, INSEAD और विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया जारी किया जाता है.
- GII 80 संकेतकों के आधार पर 126 अर्थव्यवस्थाओं को रैंक प्रदान करता है.
- 2018 का GII सूचकांक इस सूचकांक का 11वाँ संस्करण है.
- यह दुनिया भर में नवाचार के क्षेत्र में किये गए कार्यों के विषय में डेटा एकत्र करता है.
- इस वर्ष की theme है – नवाचारों से विश्व को ऊर्जा देना/Energizing the World with Innovation.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : National Energy Storage Mission
संदर्भ
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में भारत की समस्त अधिष्ठापित ऊर्जा क्षमता का पाँचवा भाग नवीकरणीय ऊर्जा (renewable energy) के स्रोतों से आता है. दिन-प्रतिदिन सौर एवं पवन ऊर्जा के उत्पादन में वृद्धि हो रही है. परन्तु नवीकरणीय ऊर्जा के सन्दर्भ में सबसे बड़ी समस्या यह है कि जब ऊर्जा की माँग सर्वाधिक होती है उस समय यह आवश्यक नहीं है कि नवीकरणीय ऊर्जा की सर्वाधिक आपूर्ति भी हो. उदाहरण के लिए सौर ऊर्जा का सबसे अधिक उत्पादन दोपहर को होता है और यदि इसका संग्रह नहीं किया जाए तो रात आते-आते यह घरों में बिजली देने में असमर्थ हो जायेगी.
इसके अतिरिक्त नवीकरणीय स्रोतों के साथ यह समस्या है कि यह सदैव एक समान नहीं होते : कभी-कभी आकाश मेघाछन्न हो जाता है तो कभी-कभी पवन का वेग घट जाता है. इन समस्याओं के समाधान के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का संग्रह अत्यावश्यक हो जाता है.
फरवरी 2018 में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति की बैठक हुई जिसमें प्रासंगिक मंत्रालयों, औद्योगिक संघों, अनुसंधान संस्थानों के प्रतिनिधि एवं विशषज्ञ शामिल थे. इस समिति ने विचार कर के राष्ट्रीय ऊर्जा संग्रह अभियान (National Energy Storage Mission – NESM) की स्थापना हेतु प्रस्ताव दिए.
NESM के मुख्य तत्त्व
- NESM प्रारूप में भारत में ग्रिड से जुड़े ऊर्जा संग्रह का सूत्रपात करने, एक नियामक निकाय स्थापित करने तथा स्वदेशी बैटरियों के निर्माण पर बल दिया गया है.
- प्रारूप में अगले पाँच सालों के भीतर 15-20 gigawatt घंटों (GWh) के ग्रिड से जुड़े संग्रह का सुगम लक्ष्य रखा गया है. विदित हो कि वर्तमान में ऊर्जा ग्रिड नवीकरणीय ऊर्जा का संग्रह नहीं कर पाते.
- NESM निम्न सात कार्यों पर अपना ध्यान केन्द्रित करेगा – स्वदेशी निर्माण, तकनीक एवं लागत की प्रवृतियों का मूल्यांकन, नीति निर्धारण एवं नियमन के लिए निकाय का निर्माण, वित्त की व्यवस्था, व्यवसाय-आदर्श एवं बाजार विस्तार, अनुसंधान एवं विकास, मापदंड एवं जाँच तथा ऊर्जा संग्रह के लिए ग्रिड की योजना बनाना.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : National Disaster Response Force
संदर्भ
हाल ही में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में आपदाओं से तुरंत निपटने के लिए के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (National Disaster Response Force – NDRF) के चार और बटालियन खड़ा करने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है.
मुख्य तत्त्व
- भारत के विशाल भौगोलिक क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए चार और बटालियन इसलिए खड़े किये जा रहे हैं जिससे कि समय पर आपदाओं से निपटा जा सके.
- नए बटालियन जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली NCR में तैनात किये जायेंगे क्योंकि इन क्षेत्रों में बहुधा आपदाएँ आती रहती हैं.
NDRF क्या है?
- राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) आपदा प्रबन्धन अधिनियम (Disaster Management Act) के द्वारा प्रावधान किया गया बल है जिसका उद्देश्य प्राकृतिक एवं मनुष्य जनित आपदाओं को विशेषज्ञता के साथ निपटना है.
- ज्ञातव्य है कि यह अधिनियम 26 दिसम्बर, 2005 को अस्तित्व में आया था. उस समय 1999 के ओडिशा में हुए सुपर चक्रवात और गुजरात में 2001 में आये भूकम्प को देखते हुए यह अधिनियम आवश्यक हो गया था.
NDRF का कार्य
- आपदा के समय विशेषज्ञतापूर्ण प्रतिक्रिया देना.
- आसन्न/आगामी आपदाओं के समय आगे बढ़कर बलों (forces) की तैनाती करना.
- आपदाकर्मियों के प्रशिक्षण और कौशल का स्तर लगातार बढ़ाना.
- पूर्व निरीक्षण करना, पूर्वाभ्यास और नकली राहतकार्य का आयोजन करना.
- राज्यों के प्रतिक्रिया बलों (पुलिस, नागरिक सुरक्षा एवं गृह रक्षक) को मूलभूत एवं क्रियान्वयन स्तर का प्रशिक्षण देना.
- सामुदायिक क्षमता निर्माण कार्यक्रम चलाना.
- जनजागरण अभियान आयोजित करना.
Prelims Vishesh
Train Captain Service:
- राजधानी/शताब्दी/दुरन्तो एवं अन्य विशेष रेलगाड़ियों में एक ट्रेन पर्यवेक्षक (Train Superintendent – TS) होता है जो पूरी यात्रा में रेल से मिलने वाली सभी प्रकार की सुविधाएँ सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी होता है.
- सरकार ने अब यह निर्णय लिया है कि अब सभी रेलगाड़ियों में इस प्रकार की व्यवस्था हो जिसमें वरिष्ठ टिकट निरीक्षक Train Capitan के रूप में वही कार्य करेगा जो एक ट्रेन पर्यवेक्षक करता है.
International Day of the World’s Indigenous Peoples 2018:
- 9 अगस्त, 2018 को अंतर्राष्ट्रीय देशज मनुष्य दिवस (International Day of the World’s Indigenous Peoples) मनाया गया.
- इसका उद्देश्य देशज व्यक्तियों की समस्याओं की ओर विश्व का ध्यान का खींचना और सहयोग प्राप्त करना है.
- इस वर्ष की थीम – “देशज व्यक्तियों का परिवर्जन एवं आवागमन”/Indigenous peoples’ migration and movement है.
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