Sansar Daily Current Affairs, 13 August 2018
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Triple Talaq Bill
संदर्भ
तीन तलाक विधेयक में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने कुछ संशोधन किये हैं.
पृष्ठभूमि
अगस्त 22, 2017 को सर्वोच्च न्यायालय ने तीन तलाक की प्रथा को असंवैधानिक करार कर दिया था. इस आदेश के अनुपालन में दिसम्बर 2017 को लोक सभा में मुस्लिम महिला सुरक्षा विधेयक, 2017 पारित किया गया था जिसके द्वारा तीन तलाक अर्थात् तलाके बिद्दा (talaq-e-bidda) को अपराध घोषित किया गया था.
प्रस्तावित संशोधन
जमानत का प्रावधान
संशोधन में यह प्रस्ताव है कि तीन तलाक पहले की भाँति गैर-जमानतीय अपराध रहेगा. परन्तु आरोपित व्यक्ति मुकदमा शुरू होने के पहले किसी न्यायिक पदाधिकारी के समक्ष जमानत के लिए आवेदन दे सकता है. वह न्यायिक पदाधिकारी स्त्री पक्ष को सुनने के बाद अब जमानत दे सकता है. न्यायिक प्राधिकारी जमानत तब ही देगा जब पति क्षतिपूर्ति देने के लिए तैयार होगा.
दुरूपयोग की रोकथाम
पहले यह प्रावधान था कि एक पड़ोसी भी तीन तलाक (triple talaq) के मामले में प्राथमिकी दर्ज कर सकता है. अब यह संशोधन कर दिया गया है कि प्राथमिकी तब ही दर्ज होगी जब शिकायत पत्नी, उसके सगे सम्बन्धी अथवा उसके ससुराल से सम्बंधित रिश्तेदार इसके लिए आवेदन करेंगे.
मुकदमा वापसी
तीसरे संशोधन के अनुसार तीन तलाक के मामले में न्यायिक पदाधिकारी पति और पत्नी के बीच समझौता करा सकता है और कोई भी पक्ष मुकदमा वापस करने के लिए स्वतंत्र होगा.
मूल विधयेक के प्रावधान
- यदि पति तीन तलाक देता है तो उसे तीन साल की कैद की सजा दी जा सकती है.
- तीन तलाक में जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
- पत्नी न्यायिक पदाधिकारी के पास अपने और अपने नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता माँगने का आवेदन दे सकती है.
- न्यायिक पदाधिकारी से तीन तलाक से पीड़ित महिला अपने नाबालिग बच्चों का संरक्षण माँग सकती है.
तीन तलाक क्या है?
- इस्लाम में तलाक के तीन प्रकार हैं – अहसान, हसन और तलाके बिद्दा (Teen Talaq)
- इनमें से अहसान और हसन तलाक वापस ली जा सकती है, परन्तु तलाके बिद्दा वापस नहीं होती है.
- ज्ञातव्य है कि तलाके बिद्दा 20 से अधिक मुसलमानी देशों, पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित, में प्रतिबंधित हो चुका है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Arbitration & Conciliation (Amendment) Bill, 2018
संदर्भ
हाल ही में लोकसभा ने मध्यस्थता एवं समझौता अधिनियम, 1996 में संशोधन करते हुए मध्यस्थता एवं समझौता (संशोधन) विधेयक, 2018 पारित किया है.
विधयेक के मुख्य तत्त्व
विधेयक में भारतीय मध्यस्थता परिषद् (Arbitration Council of India – ACI) नामक एक स्वतंत्र निकाय स्थापित करने का प्रस्ताव है. इस परिषद् का उद्देश्य मध्यस्थता, बीच-बचाव, समझौता एवं विवाद-समाधान के अन्य वैकल्पिक उपायों को बढ़ावा देना होगा. इस परिषद् के कार्य निम्नलिखित होंगे –
- मध्यस्थता करने वाले संस्थानों एवं मध्यस्थता करने वाले व्यक्तियों को श्रेणीबद्ध एवं प्रमाणित करने के विषय में नीतियाँ बनाना.
- विवाद के समाधान के सभी वैकल्पिक उपायों के लिए समान व्यवसायिक मापदंडों की स्थापना, सञ्चालन, संधारण हेतु नीतियाँ बनाना.
- भारत और विदेश में मध्यस्थता सम्बन्धी निर्णयों का एक संग्रह संधारित करना.
भारतीय मध्यस्थता परिषद् का स्वरूप
इस परिषद् का अध्यक्ष इनमें से कोई व्यक्ति होगा –
- सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश
- उच्च न्यायालय का न्यायाधीश
- उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश
- मध्यस्थता से सम्बंधित विशेषज्ञता वाला कोई विख्यात व्यक्ति
इसमें और भी सदस्य होंगे जैसे – मध्यस्थता कराने वाला एक विख्यात व्यक्ति, मध्यस्थता का अनुभव वाला एक शिक्षाविद और सरकारी अधिकारी.
न्यायालयों की भूमिका
विधयेक के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय अब मध्यस्थता के लिए संस्थानों को नामित करेंगे जहाँ विवाद से जुड़े पक्ष मध्यस्थ की नियुक्ति के लिए जायेंगे. जहाँ तक अंतर्राष्ट्रीय व्यावसायिक मध्यस्थता का प्रश्न है, मध्यस्थ की नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नामित संस्थान करेगा. भारत के अन्दर के मध्यस्थता संबंधी मामले में मध्यस्थ की नियुक्ति सम्बंधित उच्च न्यायालय द्वारा नामित संस्थान करेगा. मध्यस्थ की नियुक्ति के लिए दिए गए आवेदन का निष्पादन 30 दिनों में कर दिया जायेगा.
निष्पादन की समय-सीमा में छूट
मध्यस्थता के मामले के निष्पादन के लिए मूल अधिनियम में 12 महीनों की समय-सीमा रखी गई थी, परन्तु संशोधन में अंतर्राष्ट्रीय मामलों के अंतर्गत यह समय-सीमा समाप्त कर दी जा रही है.
मध्यस्थता
यदि किसी पक्ष को दूसरे पक्ष से शिकायत है तो वह न्यायालय के शरण में जाये बिना विवाद का निपटारा किसी तृतीय पक्ष अर्थात् मध्यस्थ के माध्यम से करा सकता है. इस व्यवस्था को मध्यस्थता कहते हैं.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Uighurs
उइगर (Uighurs) कौन हैं?
- उइगर मुसलमानों की एक नस्ल है जो बहुत करके चीन के चीन के Xinjiang प्रांत में रहती है.
- उइगर लोग उस प्रांत की जनसंख्या के 45% हैं.
- विदित हो कि तिब्बत की भांति Xinjiang भी चीन का एक स्वायत्त क्षेत्र घोषित है.
समाचारों में चर्चा क्यों?
- संयुक्त राष्ट्र की एक मानवाधिकार समिति ने सूचित किया है कि विश्वस्त सूत्रों से उसे पता चला है कि चीन में 10 लाख उइगरों को कैद करके रखा गया है. समिति के समक्ष ऐसी सूचना Amnesty International और Human Rights Watch नामक संगठनों द्वारा दी गई है. उनका कहना है कि बंदी उइगरों (Uighurs) चीन के राष्ट्रपति Xi Jinping के प्रति निष्ठा की शपथ दिलाई जा रही है.
- विश्व उइगर कांग्रेस का भी कहना है कि इन कैदियों को बिना आरोप के रखा गया है और इन्हें साम्यवादी दल के नारों को बोलने के लिए विवश किया जाता है. यह भी आरोप है कि उन्हें कम खाना दिया जाता है और भाँति-भाँति की यातनाएँ दी जाती हैं.
उइगरों के विद्रोह का कारण
- कई दशकों से Xinjiang प्रांत में चीन की मूल हान (Han) नस्ल के लोग बसाए जा रहे हैं. आज की तिथि में यहाँ 80 लाख हान रहते हैं जबकि 1949 में इस प्रांत में 220,000 हान रहा करते थे.
- हान लोग अधिकांश नई नौकरियों को हड़प लेते हैं और उइगर बेरोजगार रह जाते हैं.
- उइगरों की शिकायत है कि सैनिक उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं जबकि यह सरकार यह दिखाती है कि उसने सभी को समान अधिकार दिए हुए हैं और विभिन्न समुदायों में समरसता है.
चीन की चिंता
- चीन का सोचना है कि उइगरों का अपने पड़ोसी देशों से सांस्कृतिक नाता है और वे पाकिस्तान जैसे देशों में रहने वाले लोगों के समर्थन से Xinjiang प्रांत को चीन से अलग कर एक स्वतंत्र देश बनाना चाहते हैं.
- विदित हो Xinjiang प्रांत की सीमाएँ मंगोलिया, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिजिस्तान, ताजिकिस्तान और अफगानिस्तान से मिलती है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Iris Scan Authentication feature for Aadhaar-based transactions by Axis bank
संदर्भ
Axis बैंक देश का वह पहला बैंक बन गया है जो सूक्ष्म ATM tablet के माध्यम से होने वाले Aadhaar-आधारित लेन-देन के लिए पुतली स्कैन प्रमाणन (Iris Scan Authentication) की सुविधा प्रदान कर रहा है.
यह कैसे काम करता है?
- Axis Bank ने पुतली (iris) से चलने वाले सूक्ष्म ATM-tablet लगाये हैं जो STQC द्वारा प्रमाणित हैं जो आधार के अनुकूल पंजीकृत उपकरणों के लिए सुलभ हैं.
- इन सूक्ष्म ATMs के आ जाने के बाद Debit Card, password, PIN और उपभोक्ता ID की आवश्यकता समाप्त हो जायेगी और उपभोक्ता बैंक की सेवाओं का लाभ मात्र आधार नंबर और बायो-मेट्रिक (पुतली-स्कैन/फिंगरप्रिंट स्कैन) के जरिये पा सकेगा.
महत्त्व
- यह सेवा दूर-दराज और गाँवों में रहने वाले उपभोक्ताओं को वित्तीय समावेश के अन्दर लाने में अत्यंत सहायक होगी.
- पुतली स्कैन तकनीक एक ऐसी तकनीक है जिसमें कहीं भी सम्पर्क की आवश्यकता नहीं है. यह 98.2% मामलों में सफल प्रमाणन देता है, जैसा कि अंतर्राष्ट्रीय बायो-मेट्रिक अनुसंधान केंद्र के अध्ययन में उजागर हुआ है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Giant Metrewave Radio Telescope (GMRT)
संदर्भ
पुणे में स्थित वृहद मीटरवेव रडियो दूरबीन (GMRT) का प्रयोग करके अंतरिक्ष शास्त्रियों ने एक अत्यंत दूरस्थ रेडियो आकाशगंगा का पता लगाया है जो पृथ्वी से 12 billion प्रकाश वर्ष दूर है. यह आकाश गंगा उस समय की है जब ब्रह्मांड की आयु आज की तुलना में 7% ही थी.
इस आकाशगंगा की दूरी को नापने का काम हवाई के Gemini North telescope और एरिज़ोना के Large Binocular telescope निर्धारित किया गया.
रेडियो गैलेक्सी क्या हैं?
- रेडियो गैलेक्सी उस विशाल और विरल आकाशगंगा को कहते हैं जिसके केंद्र में एक वृहदाकार ब्लैक होल होता है जिससे सदैव गैस और धूलि (gas and dust) निकलती रहती है.
- इस रिसाव से उच्च उर्जा वाले jet stream निकलते हैं जो ब्लैक होल के आस-पास के आविष्ट कणों को लगभग प्रकाश के समान तेज बना देते हैं.
GMRT के बारे में
- पुणे में स्थित वृहद मीटरवेव रडियो दूरबीन (GMRT) में 45 मीटर व्यास के 30 परिवलयाकार रेडियो दूरबीन हैं जिन्हें पूर्ण रूप से इधर-उधर घुमाया जा सकता है.
- इसका सञ्चालन मुंबई स्थित टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान, मुंबई के अधीनस्थ राष्ट्रीय रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स सेण्टर केंद्र द्वारा किया जाता है.
- जब यह दूरबीन बनी थी तब इसकी बेसलाइन 25 km की थी जो उस समय विश्व की सबसे बड़ी बेसलाइन थी.
- इस दूरबीन को बनाने के पीछे उद्देश्य था अतिप्राचीन न्यूट्रल हाइड्रोजन बादलों से होने वाले विकिरण में शोध कर आकाशगंगा की उत्पत्ति का पता लगाना.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Parker Solar Probe
संदर्भ
NASA ने हाल ही में अपना पहला ऐसा अंतरिक्ष यान छोड़ा है जो सूर्य के वायुमंडल और उसके सबसे बाहरी भाग अर्थात् Corona का अध्ययन करेगा. Parker Solar Probe नामक यह अन्तरिक्ष यान बनाने में 1.5 billion dollar का खर्च आया है.
मुख्य तथ्य
- NASA पहले भी इस तरह का मिशन सूर्य के वायुमंडल में भेजा चुका है, पर इस बार का मिशन सूरज के और भी निकट जाएगा जिसके कारण इसे प्रचंड ताप एवं विकिरण का सामना करना पड़ेगा.
- सूर्य के निकट पहुँचने के लिए यह मिशन शुक्र के गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करेगा.
- यह मिशन अंत में सूर्य से 3.9 मिलियन miles तक नजदीक पहुँच जाएगा.
- इस प्रकार यह पिछले किसी भी मिशन की तुलना में सूर्य के सात गुणा अधिक निकट पहुँच जायेगा. उस समय वह बुध के परिक्रमा पथ के भीतर रहेगा.
- इस मिशन का प्राथमिक उद्देश्य सौर कोरोना (solar corona) में उर्जा एवं ताप की गतिविधियों, सौर पवनों की गति में वृद्धि के कारणों तथा सौर ऊर्जा कणों के विषय में जानकारी लेना है.
कोरोना के अध्ययन की आवश्यकता क्यों?
Corona में सूर्य के धरातल की तुलना में अधिक गर्मी होती है. इसी के चलते सूर्य से सौर पवन निकलते हैं जो पूरे सौरमंडल में लगातार छाते रहते हैं. कभी-कभी यह सौर पवन पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को प्रभावित कर देते हैं जिसके चलते हमारी संचार व्यवस्थाओं को क्षति पहुँचती है. NASA को उम्मीद है कि Corona के अध्ययन से हम इनकी भविष्यवाणी करने में सक्षम हो जायेंगे.
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