Sansar Daily Current Affairs, 20 August 2018
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Health policies to cover mental illness
संदर्भ
बीमा नियामक इरडा (IRDA) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. IRDA ने बीमा कंपनियों को एक सर्कुलर निर्गत किया है जिसमें उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे मानसिक बीमारियों को भी अपनी पॉलसी में कवर करें.
मुद्दा क्या है?
देश में मानसिक रूप से बीमार लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. अब तक देश में उपलब्ध 33 बीमा कंपनियों में से किसी ने भी अवसाद, पागलपन (Schizophrenia) और बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी बीमारियों को कवर करने के लिए कोर्इ उत्पाद पेश नहीं किया है. मानसिक बीमारियाँ सदैव हेल्थ इंश्योरेंस पॉलसी के बाहरी लिस्ट में रही हैं अर्थात् इन्हें कवर नहीं किया जाता है. इसमें ऑटिज्म और डाउन सिंड्रोम जैसे रोग अपवाद हैं.
मानसिक रोग क्या है?
मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम (Mental Healthcare Act) के अनुसार मानसिक रोग उस रोग को कहते हैं जिसमें सोचने, मनोभाव, समझ, उन्मुखता अथवा स्मृति में अच्छी-खासी अव्यवस्था होती है जिसके कारण निर्णय, व्यवहार, सच्चाई को पहचानने की शक्ति अथवा जीवन के लिए आवश्यक कार्यों को पूरा करने की योग्यता अतिशय क्षतिग्रस्त हो जाती है.
इसके अन्दर मद्यपान और नशीली दवाओं से सम्बंधित नशीली दवाएँ भी आती हैं, परन्तु इसके अंतर्गत मानसिक मंदबुद्धिता नहीं आती है क्योंकि यह किसी व्यक्ति के मस्तिष्क के अवरुद्ध अथवा अपूर्ण विकास से उत्पन्न स्थिति होती है.
IRDA
- बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority / IRDA) भारत सरकार का एक प्राधिकरण (agency) है.
- इसका उद्देश्य बीमा की पालिसी धारकों के हितों की रक्षा करना, बीमा उद्योग का क्रमबद्ध विनियमन, संवर्धन तथा संबधित व आकस्मिक मामलों पर कार्य करना है.
- इसका मुख्यालय हैदराबाद में है.
- इसकी स्थापना IRDA अधिनियम, 1999 द्वारा की गई थी.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Brus of Mizoram
संदर्भ
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने ब्रू प्रवासियों के त्रिपुरा से मिजोरम में पुनर्वास के लिए की गयी संधि में ढील देने की स्वीकृति प्रदान की है. इस संधि पर भारत सरकार, त्रिपुरा सरकार, मिजोरम सरकार तथा मिजोरम के ब्रू विस्थापित फोरम ने जुलाई, 2018 में हस्ताक्षर किये थे.
समझौते में किये गए प्रावधान
- इस समझौते में 5,407 ब्रू परिवारों के 32,876 लोगों को सम्मिलित किया गया है जो त्रिपुरा में अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं.
- इस संधि के अंतर्गत इन ब्रू परिवारों को 30 सितम्बर, 2018 से पहले मिजोरम में वापस भेजे जाने का प्रावधान है.
- इस पुनर्वास के लिए केंद्र सरकार वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाएगी तथा उनकी सुरक्षा, शिक्षा तथा आजीविका की समस्या का समाधान भी करेगी.
- इन ब्रू परिवारों को 4-4 लाख रुपये दिए जायेंगे, यह राशि परिवार के मुखिया के खाते में सावधि जमा (fixed deposit) की जाएगी.
- तीन वर्षों तक लगातार मिजोरम में रहने के पश्चात् ही उन्हें नकद सहायता दी जाएगी.
- इन परिवारों के घर के निर्माण के लिए 1.50 लाख रुपये तीन किस्तों में दिए जायेंगे.
- इसके अतिरिक्त इन परिवारों को दो वर्ष नि:शुल्क राशन दिया जायेगा तथा प्रतिमाह 5000 रुपये की वित्तीय सहायता भी दी जाएगी.
- इन ब्रू लोगों के आधार कार्ड, राशन कार्ड आदि दस्तावेज त्रिपुरा सरकार द्वारा जारी किये जायेंगे. इन लोगों की सुरक्षा का उत्तरदायित्व मिजोरम सरकार पर होगा.
समझौते में संभावित छूट
इस समझौते में कुछ एक शर्तों का त्रिपुरा में ब्रू समुदाय के लोगों ने विरोध किया था. इस विरोध को ध्यान में रखते हुए सम्भावना है कि भारत सरकार 4 लाख की नकद सहायता के लिए मिज़ोरम में लगातार रहने की सीमा को तीन वर्ष से कम करके दो वर्ष कर दे. यह भी संभव है कि मिजोरम लौटने वाले ब्रू परिवार को मिजोरम पहुंचते ही 4 लाख की वित्तीय सहायता के 90% हिस्से को ऋण के रूप में बैंक से निकालने की छूट दी जा सकती है.
केंद्र इस प्रस्ताव पर यह विचार कर रहा है कि मकान बनाने के लिए दी जा रही डेढ़ लाख रु. की राशि को मिजोरम लौटने वाला ब्रू परिवार तीन किस्तों के बदले मात्र एक अथवा दो क़िस्तों में प्राप्त कर सके.
पृष्ठभूमि
- भारत सरकार एवं मिजोरम तथा त्रिपुरा और मिजोरम विस्थापित ब्रू मंच (MBDPF) के बीच हाल ही में एक समझौता हुआ है जिसे ब्रू जनजाति के विस्थापन समस्या के समाधान की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
- इस समझौते के अंतर्गत केन्द्र सरकार मिजोरम के ब्रू समुदाय के पुनर्वास के लिए वित्तीय सहायता मुहैया कराएगी.
- साथ ही केंद्र सरकार मिजोरम और त्रिपुरा सरकार की सलाह पर इस जनजाति की सुरक्षा, शिक्षा एवं आजीविका आदि से सम्बंधित समस्याओं का निदान भी करेगी.
- विदित हो कि 1997 में मिजोरम के Dampa Tiger Reserve के एक मिजो वन-रक्षक की हत्या हो गयी थी.
- उस समय यह संदेह किया गया है कि यह हत्या ब्रू जनजाति के किसी व्यक्ति ने की थी.
- इस घटना के कारण ब्रू जनजाति और मिजो जनजाति के बीच दंगे होने लगे जिसके कारण ब्रू जनजाति के 5,407 परिवारों के 32,876 लोगों को त्रिपुरा के Jampui Hills में शरण लेनी पड़ी.
- मिजो समुदाय ने ब्रू समुदाय को बाहर कर देने एवं उनके वोट देने के अधिकार को खत्म करने की माँग की.
- उनका कहना था कि ब्रू जनजाति मिजोरम के मूल निवासी नहीं हैं.
- ब्रू जनजाति को Reangs नाम से भी जाना जाता है.
- यह जनजाति त्रिपुरा, असम, मणिपुर और मिजोरम में पाई जाती है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : NABARD study on farm household
संदर्भ
नाबार्ड ने हाल ही में एक सर्वेक्षण कराया – All India Rural Financial Inclusion Survey 2016-17. इस सर्वेक्षण में भारत के ग्रामीण परिवारों की आमदनी, उनके जीवन स्तर, रोजगार आदि के बारे में डाटा एकत्र किया गया है.
सर्वेक्षण का पैमाना
सर्वेक्षण में 40,327 ग्रामीण परिवार सम्मिलित किये गये थे. इस सर्वेक्षण को पूरे देश में आयोजित किया गया है और 29 राज्यों के 245 जिलों में 2016 गांवों से नमूने एकत्र किए गए हैं.
सर्वेक्षण के मुख्य बिंदु
- सर्वेक्षण में पता लगा कि ग्रामीण परिवारों की औसत आय कृषि से अधिक दैनिक मजदूरी से हो रही है.
- लगभग 87% ग्रामीण घरों में मोबाइल हैं और उनकी बचत का अधिकांश हिस्सा बैंकों में जमा है.
- सर्वेक्षण में यह पाया गया कि 52.5% कृषि से जुड़े परिवार और 42.8% गैर-कृषि परिवारों पर ऋण का बोझ है.
ग्रामीण परिवार की औसत आय
ग्रामीण परिवार की औसत वार्षिक आय 1,07,172 रुपये है, जबकि गैर-कृषि गतिविधियों से जुड़े परिवारों की औसत आय 87,228 रुपये है. मासिक आमदनी का 19% भाग कृषि से आता है, जबकि औसत आमदनी में दिहाड़ी मजदूरी का भाग 40% से ज्यादा है.
राज्यों की स्थिति
Top 3 राज्य – ग्रामीण परिवारों की औसत आय
- पंजाब (16,020)
- केरल (15,130)
- हरियाणा (12,072)
ग्रामीण परिवारों की औसत आय सबसे कम कहाँ है?
- उत्तर प्रदेश (6,257)
- झारखंड (5,854)
- आंध्र प्रदेश (5,842)
टीवी-मोबाइल आदि कितने ग्रामीण परिवारों के पास है?
सर्वेक्षण के अनुसार, 87% परिवारों के पास मोबाइल है तो 58% परिवार टेलीविज़न देखकर मनोरंजन करते हैं. 34% के पास दोपहिया वाहन और केवल 3% परिवारों के पास कार है. 2% के पास लैपटॉप और एयर कंडीशनर हैं.
ग्रामीण परिवार और बैंक
ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को बैकिंग क्षेत्र से जोड़ने के लिए चलाए गए वित्तीय समावेशन अभियान का व्यापक लाभ देखा गया है. 88.1% गैर कृषक परिवारों और 55% कृषक परिवारों के पास एक बैंक खाता है. उनकी प्रति परिवार बचत औसतन 17,488 रु. है. कृषि से जुड़े करीब 26% परिवार और गैर-कृषि क्षेत्र के 25 % परिवार बीमा के दायरे में है. इसी प्रकार, 20.1 % कृषक परिवारों ने पेंशन योजना ली है जबकि 18.9 % गैर-कृषक परिवारों के पास पेंशन योजना है.
कृषि से जुड़े परिवारों की आय में वृद्धि
यह सर्वेक्षण वित्तीय समावेश और ग्रामीणों आजीविका जैसे पहलुओं को एक साथ लाने का एक अग्रणी प्रयास है. नाबार्ड हर तीन वर्ष में सर्वेक्षण करता है. सर्वेक्षण से पता चला है कि कृषि से जुड़े परिवारों की आय में अच्छी-खासी तेजी आई. सबसे अधिक वृद्धि छोटे एवं सामान्य किसानों की आय में रही.
NABARD
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) भारत का एक शीर्ष बैंक है जिसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में है. इसे कृषि ऋण से जुड़े क्षेत्रों में, योजना और परिचालन के नीतिगत मामलों में तथा भारत के ग्रामीण अंचल की अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए प्राधिकृत किया गया है. 12 जुलाई 1982 को नाबार्ड की स्थापना की गयी थी.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Ban on Petcoke
संदर्भ
भारत ने ईंधन के रूप में उपयोग के लिए पेटकोक के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है, परन्तु कुछ उद्योगों में फीडस्टॉक के रूप में इसके इस्तेमाल के लिए शिपमेंट की अनुमति दी गई है. इस पेटकोक का आयात सीमेंट, चूना भट्ठी, कैल्शियम कार्बाइड और गैसीफिकेशन उद्योगों के लिए करने की छूट इस शर्त पर दी गई है कि उसका प्रयोग मशीनों और निर्माण प्रक्रिया में फीडस्टॉक के रूप में किया जाएगा.
ज्ञातव्य है कि भारत और चीन पेटकोक के बड़े आयातक देश रहे हैं. परन्तु चीन ने अब इसके आयात एवं उपयोग पर कड़ा प्रतिबंध लगा दिया है. दूसरी ओर, भारत पेट कोक का डंपिंग जोन बन गया है. भारत में आज की तिथि में करीब 45 देशों से पेटकोक को डंप किया जाता है.
इसका इस्तेमाल इतना अधिक क्यों होता है?
भारत में विशाल जेनरेटरों, स्टील एवं सीमेंट उद्योग में पेट कोक का प्रयोग किया जाता है. डीजल की तुलना में यह सस्ता होता है और इसी के चलते पेटकोक का प्रयोग ये उद्योग करते हैं. पेटकोक पर टैक्स की छूट मिलती है और GST के अंतर्गत इस पर किए गए खर्च का रिफंड भी मिलता है. दरअसल, कोयला महँगा है इसलिए कुछ दिनों पहले तक उद्योगों में चूरा कोयला का प्रयोग किया जा रहा था जो पेटकोक से भी सस्ता है. लेकिन इसी दौरान चीन में पेटकोक पर बैन लग गया और पेटकोक के दाम में भारी गिरावट देखी गई. फिर भारत में बड़े पैमाने पर इसका आयात शुरू हो गया. गत वर्षों में देश में पेट कोक के प्रयोग में काफी बढ़ोतरी देखी गई है. एक आँकड़े के अनुसार 2010-11 में भारत में लगभग 10 लाख टन पेटकोक का आयात किया जाता था परन्तु 2017-18 में यह बढ़ कर 44 लाख टन तक जा पहुँचा.
पेटकोक
- Petcoke पेट्रोलियम कोक का संक्षिप्त नाम है.
- Petcoke वह पदार्थ है जो तेल के संशोधन के पश्चात् बैरल के निचले भाग में बच जाता है.
- यह कोयला से सस्ता है और जलने पर इससे कोयले से अधिक ताप निकलता है.
- पर इसमें कार्बन और गंधक की मात्रा इतनी ज्यादा है कि इससे पर्यावरण प्रदूषित तो होता ही है, मनुष्यों में फेफड़े और ह्रदय को क्षति भी पहुँचाती है.
- सच पूछा जाए तो इसमें कोयले से 17 गुणा ज्यादा और डीजल से 1,380 गुणा से ज्यादा गंधक होता है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Microcystallites
क्या है?
माइक्रोसिस्टेलाइट एक प्रकार का सोना है जो बहुत छोटे-छोटे क्रिस्टल के रूप में होता है. इनका निर्माण बंगलुरु स्थित जवाहर लाल नेहरु उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (Jawaharlal Nehru Centre for Advanced Scientific Research – JNCASR) ने किया है.
Microcystallites सोने और अन्य आयोनों (ions) से युक्त एक आर्गेनिक काम्प्लेक्स को नियंत्रित दशाओं में विघटित करके तैयार किया जाता है.
Microcystallites की मुख्य विशेषताएँ
- नए-नए बने microcystallites लगभग तीन माइक्रोमीटर की लम्बाई वाले होते हैं.
- इनकी क्रिस्टलीय बनावट भिन्न होती है.
- सामान्य सोने और microcystallites दोनों की संरचना घनाकार होती है परन्तु microcystallites का घनत्व विकृत होता है.
- Microcystallites सोना पारे और एक्वा रेजीया/aqua regia (नाइट्रिक अम्ल और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का मिश्रण) में घुलता नहीं है. साथ ही तांबे के साथ यह न्यूनतम प्रतिक्रिया देता है.
- Microcystallites सामान्य सोने की तुलना में अधिक स्थिर होता है.
Microcystallites के गुण उसे एक आदर्श उत्प्रेरक (catalyst) बनाते हैं. सोना स्वयं में उत्प्रेरक नहीं होता है लेकिन microcystallites उत्प्रेरक का काम कर सकता है. अधिक अध्ययन से इस धातु के और गुणों का तथा इसके और प्रयोगों का पता चल सकता है.
Prelims Vishesh
Telangana govt launches Disaster Response Force :-
तेलंगाना सरकार ने भीषण बाढ़, जोरदार बारिश, भवनों के अचानक पतन और आग दुर्घटनाओं जैसी विकट परिस्थितियों से निपटने के लिए आपदा प्रतिक्रिया बल (Disaster Response Force- DRF) वाहनों का अनावरण किया है.
मुख्य तथ्य
- इन वाहनों को 24 स्थानों में लगाया जाना है. इन वाहनों में ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) के DRF कर्मी तैनात किये जायेंगे.
- इस पहल से राज्य के पास खुद की आपदा से निपटने के लिए शक्ति हो जाएगी.
- DRF कर्मियों को किसी भी आपातकालीन परिस्थिति से निपटने के लिये प्रशिक्षित किया गया है.
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