Sansar डेली करंट अफेयर्स, 26 September 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 26 September 2018


GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : Ease of Living index

संदर्भ

हाल ही में भारत सरकार ने AMRUT (अटल कायाकल्प एवं शहरी परिवर्तन मिशन) के अंतर्गत Ease of Living Index अर्थात् जीवनयापन सूचकांक निर्गत किया है. इस सूचकांक में आंध्र प्रदेश को शीर्षस्थ स्थान मिला है जबकि ओडिशा और मध्यप्रदेश को क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान मिला है.

Ease of Living सूचकांक क्या है?

इस सूचकांक की संकल्पना शहरों के अंदर जीवन-यापन से सम्बंधित प्रमुख संकेतकों में हो रहे अच्छे कामों के आकलन के लिए की गई है. इस सूचकांक का पहला संस्करण जनवरी 2018 में निर्गत हुआ था जिसमें भारत के 111 शहरों को रैंकिंग दी गई थी जिसमें पुणे को पहला स्थान मिला था.

  • इस सूचकांक में वैसे 116 शहरों को रखा गया है जो स्मार्ट सिटी की प्रतिस्पर्द्धा में हैं, राजधानी नगर हैं एवं जिनकी जनसंख्या 10 लाख से ऊपर है.
  • इस सूचकांक के लिए शहरी स्थानीय निकायों से आँकड़ें जुटाए जाते हैं.
  • जिन मानदंडों के लिए आँकड़े जमा किए जाते हैं, वे मुख्यतः चार हैं –
  1. संस्थागत (प्रशासन)
  2. सामाजिक (पहचान, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा)
  3. आर्थिक (अर्थव्यवस्था, रोजगार)
  4. भौतिक कारक (अपशिष्ट जल और अपशिष्ट ठोस वस्तुओं का प्रबन्धन, प्रदूषण, आवास, समावेशिता, भूमि का मिश्रित उपयोग, बिजली, जल की आपूर्ति, परिवहन, सार्वजनिक खुले क्षेत्र)
  • इन मानदंडों में संस्थागत एवं सामाजिक मानदंडों को 25-25 अंक हैं. जबकि भौतिक कारकों के लिए अधिकतम 45 अंक हैं. पाँच अंक आर्थिक कारकों के लिए हैं.

AMRUT क्या है?

  • AMRUT पुरानी योजना जवाहर लाल नेहरु राष्ट्रीय शहरी नवीकरण अभियान अर्थात् Jawaharlal Nehru National Urban Renewal Mission (JNNURM) का एक नया अवतार है.
  • इस मिशन के अंतर्गत शहरों में जन सुविधाओं से सम्बंधित आधारभूत संरचना का विकास सुनिश्चित किया जाता है.
  • इन जन सुविधाओं में आने वाली सुविधाएँ हैं – जल की आपूर्ति, नालों का निर्माण, जल की निकासी, परिवहन और हरित क्षेत्रों और उद्यानों के विकास.
  • 10 लाख तक की जनसंख्या वाले शहरों के लिए इस योजना के अन्दर केन्द्रीय सहायता 50% मिलती है और 10 लाख से ऊपर की जनसंख्या वाले शहरों के लिए केंद्र सरकार 1/3 राशि उपलब्ध कराती है.
  • इस परियोजना के लिए राशि शहरी स्थानीय निकायों को उपलब्ध कराई जाती है.
  • केंद्र सरकार राज्य सरकार को जो राशि भेजती है उसे राज्य सरकार 7 दिनों के अन्दर सम्बंधित स्थानीय निकायों को उपलब्ध करा देती है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Central Zonal Council

संदर्भ

हाल ही में लखनऊ में केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में केन्द्रीय क्षेत्रीय परिषद् की 21वीं बैठक सम्पन्न हुई. इस बैठक में परिषद् ने जिन विषयों पर विमर्श किया वे हैं – सड़क परिवहन, प्रधान मन्त्री ग्रामीण सड़क योजना, नक्सल हिंसा की रोकथाम के उपाय, पुलिस व्यवस्था का आधुनिकीकरण, हवाई अड्डों के लिए आधारभूत संरचना का निर्माण, न्यूनतम समर्थन मूल्य, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन तथा प्राथमिक विद्यालयों से सम्बन्धित समस्याएँ.

क्षेत्रीय परिषद् (Zonal Council) क्या है?

  • क्षेत्रीय परिषदों को संसद द्वारा स्थापित किया गया है.
  • इनका उद्देश्य अंतर्राज्यीय सहयोग एवं समन्वय स्थापित करना है.
  • ये परिषदें राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 के तहत राज्यादेश द्वारा स्थापित की गई हैं. इसका तात्पर्य यह हुआ कि ये परिषदें सांवैधानिक निकाय नहीं हैं.
  • अतः ये क्षेत्रीय परिषदें मात्र विचार-विमर्श एवं परामर्श के लिए हैं.
  • भारत में ऐसी 5 परिषदें गठित हैं – उत्तरी, मध्य, पूर्वी, पश्चिमी एवं दक्षिणी क्षेत्रीय परिषदें.
  • उत्तरी क्षेत्रीय परिषद् – जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और संघ शासित क्षेत्र चंडीगढ़.
  • मध्य क्षेत्रीय परिषद् – उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़,
  • पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् – बिहार, झारखंड, उड़ीसा, और पश्चिम बंगाल.
  • पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद् – गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र और दमन -दीव और दादर और नगर हवेली के संघ शासित प्रदेश.
  • दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद् – आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और संघ शासित क्षेत्र पुडुचेरी.
  • क्षेत्रीय परिषदों का अध्यक्ष देश का गृह मंत्री होता है.
  • परिषद् के उपाध्यक्ष सम्बंधित राज्यों के मुख्यमंत्री बारी-बारी से हर वर्ष बनते हैं.
  • इस परिषद् में मुख्यमंत्री के अलावे हर राज्य के दो-दो मंत्री भी होते हैं (जिनका मनोनयन सम्बंधित राज्य के राज्यपाल करते हैं). जिन क्षेत्रों में संघीय शासित क्षेत्र हैं वहाँ से भी दो मंत्री परिषद् के रूप में नामित होते हैं.
  • प्रत्येक परिषद् में सलाहकार होते हैं – एक नीति-आयोग द्वारा नामित, प्रत्येक राज्य के मुख्य सचिव एवं विकास आयुक्त.

ज्ञातव्य है कि पूर्वोत्तर के राज्यों (असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय, सिक्किम और नागालैंड) के लिए अलग से कोई क्षेत्रीय परिषद् नहीं है. इन राज्यों की विशेष समस्याओं को देखने के लिए पूर्वोत्तर परिषद् अधिनियम, 1972 के द्वारा एक पूर्वोत्तर परिषद् (North Eastern Council) गठित की गई है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Indian Culinary Institute

संदर्भ

हाल ही में आंध्र प्रदेश के तिरुपति नगर में भारतीय पाक कला संस्थान (Indian Culinary Institute – ICI)  का उद्घाटन किया गया. यह संस्थान भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के अधीन है.

भारतीय पाक कला संस्थान (ICI)

भारतीय पाक कला संस्थान वैसे उत्कृष्ट केंद्र हैं जहाँ पाक कला और पाक प्रबंधन के विषय में स्नाताक एवं स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई होगी. साथ ही यहाँ अनुसंधान एवं आविष्कार को बढ़ावा दिया जायेगा. इसके अतिरिक्त सर्टिफिकेट और डिप्लोमा पाठ्यकार्यक्रम चलाये जाएँगे. इन केन्द्रों में भारतीय पाक व्यंजनों के बारे में डाटाबेस तैयार किया जायेगा और आवश्यकता अनुसार अध्ययन एवं संरक्षण का काम भी किया जायेगा.

ICI की आवश्यकता क्यों?

यह अनुभव किया जा रहा था कि भारत में एक ऐसा संस्थान हो जहाँ भारतीय व्यंजनों और पाक कला के बारे में औपचारिक शिक्षा दी जा सके. वर्तमान में ऐसी कोई संस्था नहीं है जहाँ से निकलकर पाक विशेषज्ञ हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में योगदान कर सकें. साथ ही अभी तक ऐसी कोई संस्था नहीं थी जो भारतीय व्यंजनों और पाक कला से सम्बंधित प्रलेख तैयार कर सके और इस विषय में ज्ञान का प्रसार कर सके.

सरकार की योजना है कि विश्व के दूसरे देशों में चल रहे उच्च कोटि के “Chef Schools” की भाँति भारत में भी पाक कला से सम्बन्धित प्रशिक्षण का एक मंच हो. भारतीय पाक कला संस्थान इस इस उद्देश्य को पूरा करता है.

भारतीय पाक कला संस्थानों के आस-पास फल-फूल रहे होटल और पर्यटन उद्योग को इन संस्थानों से यह लाभ मिलेगा कि वे सरलता से प्रशिक्षित और कार्यकुशल कर्मचारी नियुक्त कर सकेंगे और अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा सकेंगे.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Swadesh Darshan Scheme

संदर्भ

हाल ही में उपराष्ट्रपति ने स्वदेश दर्शन योजना के तहत अंगीकृत की गई दो तटीय पर्यटन सर्किटों का उद्घाटन किया गया.

  • पहली तटीय सर्किट में जो काम किये जायेंगे, वे हैं – नेल्लौर जलाशय और पुलिकट झील को सुन्दर बनाना, नेलापट्टु पक्षी अभयारण्‍य को पहले से बेहतर बनाना, एक जलपान गृह का निर्माण करना तथा उब्बल मदुगु, कोठा कोदुरु, माइपडु, राम तीर्थम एवं इसुकपल्ली परियोजनाओं का विकास करना.
  • दूसरी तटीय सर्किट में जो काम किये जायेंगे, वे हैं – काकीनाडा पत्तन, Hope आइलैंड तथा कोरिंगा वन्यजीव अभ्यारण्य का विकास करना, पस्सरलपुडी, अदुरु, सुरसनीयानम में कुटीरों तथा लकड़ी की झोपड़ियाँ बनाना एवं कोटिपल्ली परियोजना का विकास करना.

स्वदेश दर्शन योजना के बारे में

  • जनवरी, 2015 में पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ‘स्वदेश दर्शन’ योजना शुरू की गई थी.
  • यह योजना 100% केंद्रीय रूप से वित्त पोषित है.
  • प्रत्येक योजना के लिए दिया गया वित्त अलग-अलग राज्य में अलग होगा जो कार्यक्रम प्रबंधन परामर्शी (Programme Management Consultant – PMC) द्वारा तैयार किये गये विस्तृत परियोजना प्रतिवेदनों (DPR) के आधार पर निर्धारित किया जायेगा.
  • एक राष्ट्रीय संचालन समिति (National Steering Committee – NSC) गठित की जाएगी. जिसके अध्यक्ष पर्यटन मंत्री होंगे. यह समिति इस मिशन के लक्ष्यों और योजना के स्वरूप का निर्धारण करेगी.
  • कार्यक्रम प्रबन्धन परामर्शी की नियुक्ति मिशन निदेशालय (Mission Directorate) द्वारा की जायेगी.
  • पर्यटन मंत्रालय ने देश में थीम आधारित पर्यटन सर्किट विकसित करने के उद्देश्य से ‘स्वदेश दर्शन’ योजना शुरू की थी.
  • इस योजना के अंतर्गत स्वीकृत परियोजनाओं के पूरा हो जाने पर पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी जिससे स्थानीय समुदाय हेतु रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
  • योजना के अंतर्गत 13 विषयगत सर्किट के विकास हेतु पहचान की गई है, ये सर्किट हैं :- पूर्वोत्तर भारत सर्किट, बौद्ध सर्किट, हिमालय सर्किट, तटीय सर्किट, कृष्णा सर्किट, डेजर्ट सर्किट, आदिवासी सर्किट, पारिस्थितिकी सर्किट, वन्यजीव सर्किट, ग्रामीण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, रामायण सर्किट और विरासत सर्किट.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Study on spending on education and health care by various countries

संदर्भ

हाल ही में विश्व बैंक ने Institute for Health Metrics and Evaluation (IHME) द्वारा किये गये एक अध्ययन को प्रकाशित किया है. इस अध्ययन में यह बताया गया है कि कौन-कौन से देश शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल पर कितना खर्च कर रहे हैं. इस अध्ययन के लिए सरकारी एजेंसियों, विद्यालयों एवं स्वास्थ्य की देखभाल करने वाली संस्थाओं से आँकड़ें जुटाए गये थे. यह अपने ढंग का ऐसा पहला अध्ययन है जिसमें विभिन्न देशों की “मानव पूंजी” को मापने और उसकी तुलनात्मक स्थिति बताने की चेष्टा की गई है. अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि जब किसी देश की मानव पूँजी में वृद्धि होती है तो उसकी अर्थव्यवस्था में वृद्धि होती है.

भारत इसमें कहाँ पर है?

  • शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल में निवेश के मामले में भारत का विश्व में 158 वाँ स्थान है. वस्तुतः इस मामले में भारत सुडान (157वाँ) से पीछे है और नामीबिया (159वाँ) से आगे है.
  • दक्षिण-एशियाई देशों में भारत से नीचे स्थान पाने वाले देश हैं – पाकिस्तान (164वाँ), बांग्लादेश (161वाँ) और अफ़ग़ानिस्तान (188वाँ).
  • दक्षिण-एशिया के वे देश जिनका प्रदर्शन भारत से अच्छा रहा, वे हैं – श्रीलंका (102वाँ), नेपाल (156वाँ), भूटान (133वाँ) और मालदीव (116वाँ).
  • ज्ञातव्य है कि 1990 में भारत का मानव पूँजी के मामले में 162वाँ स्थान था.

विश्व के अन्य देशों का प्रदर्शन

  • रिपोर्ट के अनुसार फ़िनलैंड का स्थान सबसे ऊपर है.
  • अमेरिका और चीन को क्रमश: 27वीं और 44वीं रैंकिंग मिली है.
  • 1990 से लेकर 2016 के बीच जिस देश में सबसे अधिक मानव पूँजी बढ़ी है वह तुर्की है.
  • एशिया के जिन देशों में पहले से उल्लेखनीय सुधार आया है, वे हैं – चीन, थाईलैंड, सिंगापुर और वियतनाम.
  • जहाँ तक लैटिन अमेरिका की बात है, सबसे अच्छा सुधार ब्राज़ील में देखा गया है.
  • सहारा मरुभूमि के दक्षिण में स्थित देशों में मानव पूंजी की सबसे अधिक वृद्धि विषुवतीय गिनी में देखी गई.

GS Paper 3 Source: PIB

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Topic : Psbloansin59minutes.com

संदर्भ

वित्त एवं निगम कार्य मंत्रालय ने हाल ही में एक वेबपोर्टल का अनावरण किया है जिसका नाम है – psbloansin59minutes.com. इस पोर्टल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि SIDBI (Small Industries Development Bank of India) और पाँच सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से 1 करोड़ रुपयों तक का MSME ऋण (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम ऋण) 59 मिनट में ही स्वीकृत हो जाए.

PSBLoansin59min पोर्टल

  • इस पोर्टल में यह प्रयास किया गया है कि उद्यमी को MSME ऋण ऑनलाइन ही प्राप्त हो जाए और पूरी प्रक्रिया में आवेदन से लेकर वितरण तक कहीं भी मानवीय हस्तक्षेप नहीं हो.
  • ज्ञातव्य है कि पहले इस प्रकार के ऋण की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 20-25 दिनों का लक्ष्य रखा गया था परन्तु अब इसे घटा कर 59 मिनट कर दिया गया है. इसका परिमाण यह होगा कि उद्यमी को 7-8 कार्य दिवसों में वांछित ऋण प्राप्त हो जाएगा.
  • इस पोर्टल में परिष्कृत algorithm का प्रयोग किया गया है जो IT रिटर्न, GST डाटा, बैंक स्टेटमेंट, MCA21 इत्यादि स्रोतों से डाटा प्राप्त करने और उनका एक घंटे के अन्दर विश्लेषण करने में सक्षम होगा. साथ ही आवेदक से सम्बन्धित मूलभूत जानकारियाँ भी दर्ज हो सकेंगी.
  • इस प्रणाली से ऋण देने वाले अधिकारी को निर्णय लेने में आसानी होगी क्योंकि उसे तात्क्षणिक रूप से साख, मूल्यांकन और सत्यापन के विषय में एक डैशबोर्ड (user-friendly dashboard) में सारी जानकारियों का सारांश उपलब्ध हो जायेगा.

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