Sansar Daily Current Affairs, 15 October 2018
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Data Localisation
संदर्भ
भारतीय रिज़र्व बैंक के द्वारा हाल ही में अमरीकी वैश्विक भुगतान कंपनियों को 15 अक्टूबर, 2018 तक ग्राहकों के डाटा को स्थानीय रूप से संधारण करने का निर्देश दिया गया है. परन्तु ये कंपनियाँ ऐसा नहीं चाहती हैं. इन कंपनियों का पक्ष रखते हुए अमेरिका के विधि-निर्माताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया है कि वे भारतीय रिज़र्व बैंक के इस निर्देश को शिथिल करें. ये अमरीकी कंपनियाँ रिज़र्व बैंक के नियम को शिथिल करवाने के लिए नई दिल्ली में वित्त मंत्रालय और भारतीय रिज़र्व बैंक में पैरवी कर रही हैं.
डाटा स्थानीयकरण (Data Localization)
डाटा स्थानीयकरण का अर्थ है डाटा को उस उपकरण में जमा किया जाना जो उस देश की सीमाओं के अन्दर भौतिक रूप से विद्यमान हैं जहाँ कि डाटा का सृजन हुआ था. कुछ देशों में डिजिटल डाटा के मुक्त प्रवाह पर पाबंदी है, विशेषकर उस डाटा के प्रवाह पर जिसका सरकार की गतिविधियों पर प्रभाव पड़ सकता है.
ऐसी पाबंदी लगाने के पीछे कई कारण होते हैं, जैसे – नागरिक के डाटा को सुरक्षित करना, डाटा की निजता की रक्षा करना, डाटा की संप्रभुता को बनाये रखना, राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास की गतिविधियाँ.
तकनीकी कंपनियों के पास प्रचुर मात्रा में डाटा जमा हो जाता है क्योंकि उपभोक्ता के डाटा तक उनकी पहुँच निर्बाध है और उस पर उनका नियंत्रण है. इसका उनको ये लाभ मिलता है कि वे भारतीय उपभोक्ताओं के डाटा को स्वतंत्र रूप से प्रोसेस कर लेते हैं और देश के बाहर उसे मोनेटाइज भी कर लेते हैं अर्थात् उसका मौद्रिक लाभ उठा लेते हैं.
भारत सरकार डाटा का स्थानीयकारण साथ ही साथ एक विशेष कारण से भी चाहती है. वह भारत को डिजिटल जगत का एक वैश्विक हब बनाना चाहती है जिसके लिए क्लाउड कंप्यूटिंग, डाटा होस्टिंग और अंतर्राष्ट्रीय डाटा केन्द्रों की स्थापना अपेक्षित होगी. देश के आर्थिक विकास के लिए यह एक बड़ा कदम होगा.
तकनीकी कंपनियाँ चिंतित क्यों हैं?
यह सच है कि डाटा का स्थानीयकरण करने से सरकार को जाँच-पड़ताल करते समय डाटा आसानी से सुलभ हो जाएगा, परन्तु कंपनियों को डर है कि सरकार डाटा तक पहुँचने के लिए बार-बार माँग करेगी जिसके लिए नए स्थानीय डाटा केंद्र खोलने होंगे. इन केन्द्रों के खोलने में लागत आएगी जिससे कंपनियों को आर्थिक घाटा होगा.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Sikkim wins FAO’s Future Policy Award 2018
संदर्भ
विश्व का सबसे पहला सम्पूर्ण रूप से आर्गेनिक कृषि वाला राज्य बनने कारण संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (UN Food and Agriculture Organisation’s – FAO) ने सिक्किम को भविष्य नीति स्वर्ण पुरस्कार (गोल्ड पुरस्कार)/Future Policy Gold Award (Gold Prize) प्रदान किया है. इस पुरस्कार को “Oscar for best policies” भी कहा जाता है.
पृष्ठभूमि
2016 में सिक्किम भारत का पहला पूर्ण रूप से आर्गेनिक राज्य बन गया. इस राज्य में 75,000 हेक्टेयर जमीन को प्रमाणिक रूप से आर्गेनिक खेतों में बदल दिया गया है. इसके लिए राष्ट्रीय आर्गेनिक उत्पादन कार्यक्रम में विहित मार्गनिर्देशों का पालन किया गया. यहाँ यह ध्यान देने योग्य बात है कि भारत में आर्गेनिक उत्पादन 12 लाख 40 हजार टन होता है जिसमें मात्र सिक्किम का हिस्सा 8 लाख टन है.
आर्गेनिक खेती का महत्त्व
आर्गेनिक खेती उस खेती को कहते हैं जिसमें रासायनिक, कीटनाशकों और खादों का प्रयोग नहीं होता है. इससे विभिन्न जटिल पारिस्थितिकी तंत्रों के बीच में संतुलन बना रहता है. इस प्रकार की खेती से मिट्टी के गुण बढ़ जाते हैं और फलस्वरूप उसमें उपजाए जाने वाली फसलों का स्तर भी बढ़ जाता है. यदि इसका दीर्घकालिक प्रभाव देखा जाए तो हम पायेंगे कि आर्गेनिक खेती पर गुजर-बसर करना बेहतर हो जाता है और साथ ही जैव विविधता एवं पर्यावरण की रक्षा होती है. आर्गेनिक खेती से अंततः फसलों का उत्पादन भी बढ़ जाता है.
सिक्किम को आर्गेनिक बनाए रखने के लिए की गई कुछ महत्त्वपूर्ण पहलें
- सुरक्षित जंगलों में अब पशुओं को चरने नहीं दिया जाता है. विदित हो कि राज्य में पशुओं के चरने के लिए इन जंगलों के लावा अन्य कई स्थान हैं.
- प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और नागरिकों को कहा गया है कि वे अपनी थैली ले जाकर खरीद करें जिससे प्लास्टिक के निर्माण में कमी हो और प्लास्टिक कचरा जमा न हो.
- राज्य हरित अभियान के तहत राज्य में फलदायी वृक्ष लगाये जा रहे हैं.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : BepiColombo
संदर्भ
यूरोपीय अन्तरिक्ष एजेंसी (European Space Agency’s – ESA) बुध ग्रह के लिए अपना पहला अभियान आरम्भ करने जा रहा है. इस अभियान यान का नाम BepiColombo है.
- इसके अंतर्गत फ्रेंच गुआना के Kourou स्थित यूरोपीय अन्तरिक्ष अड्डे से 20 अक्टूबर, 2018 को ESA के रॉकेट Ariane 5 के माध्यम से 4 टन का एक अन्तरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा में छोड़ा जाएगा.
- पृथ्वी की कक्षा में पहुँचने के बाद यह अन्तरिक्ष यान बुध ग्रह तक की अपनी 8.5 बिलियन किलोमीटर की यात्रा पर निकल जाएगा और वहाँ 2025 तक पहुँच जाएगा.
BepiColombo क्या है?
BepiColombo यूरोपीय अन्तरिक्ष एजेंसी और जापान एयरोस्पेस अन्वेषण एजेंसी (JAXA) का एक संयुक्त अभियान है जिसका नेतृत्व ESA कर रहा है. इस अभियान में ये दो अन्तरिक्ष यान प्रयोग में लाये जाएँगे – MPO (Mercury Planetary Orbiter) और MMO (Mercury’s magnetosphere). इनमें MPO बुध ग्रह की सतह और अंदरूनी बनावट का अध्ययन करेगा तो दूसरी ओर MMO उस ग्रह की चुम्बकीय मंडल का विश्लेषण करेगा.
चुनौतियाँ : बुध ग्रह पर अन्तरिक्ष यान भेजने में एक बड़ी समस्या यह आती है कि वह सूर्य से इतना निकट है कि वहाँ का गरम वातावरण किसी अंतिरक्ष यान को नुकसान पहुँचा सकता है. इसी कारण अभी तक इस ग्रह पर बहुत कम काम हुआ है.
ज्ञातव्य है कि NASA के दो अन्तरिक्ष यान बुध की यात्रा कर चुके हैं. NASA के दोनों अन्तरिक्ष यान बुध पर उतरे नहीं थे अपितु बगल से गुजर गए थे.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : UNISDR report on climate related disasters
संदर्भ
संयुक्त राष्ट्र संघ ने हाल ही में एक रिपोर्ट निर्गत किया है. इस रिपोर्ट का शीर्षक है – “आर्थिक क्षतियाँ, दरिद्रता एवं आपदाएँ 1998-2017″/Economic Losses, Poverty and Disasters 1998-2017. यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र के आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यालय (UN Office for Disaster Risk Reduction – UNISDR) द्वारा तैयार किया गया है.
इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले बीस वर्षों में जलवायु से सम्बंधित आपदाओं के कारण $79.5 बिलियन की आर्थिक क्षति हुई है.
रिपोर्ट के मुख्य तथ्य
- यह रिपोर्ट असमान्य जलवायु के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रकाश डालता है. यह बताता है कि 1998 से 2017 के बीच जलवायु से जुड़ी आपदाओं के कारण होने वाली प्रत्यक्ष आर्थिक क्षति में 151% की बढ़ोतरी हुई है.
- 1998 से 2017 के बीच प्रभावित देशों के द्वारा दिए गए प्रतिवेदनों में के अनुसार जलवायवीय आपदाओं से होने वाली आर्थिक क्षति की राशि $2.908 ट्रिलियन है.
- रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्व में होने वाली सम्पूर्ण आर्थिक क्षति में जलवायवीय कारणों से होने वाली क्षति का हिस्सा 77% है.
- जहाँ तक जलवायवीय आपदाओं से होने वाली क्षति की देशवार स्थिति का प्रश्न है, सबसे ज्यादा प्रभावित देश हैं – अमेरिका ($944.8 billion), चीन ($492.2 billion), जापान ($376.3 billion), भारत ($79.5 billion) और प्यूर्टो रिको ($71.7 billion).
- अन्य पाँच देश जहाँ आँधी, बाढ़ और भूकम्प से आर्थिक हानि हुई है, वे हैं – फ्रांस ($48.3 billion), जर्मनी ($57.9 billion), इटली ($56.6 billion), थाईलैंड ($52.4 billion) और मेक्सिको ($46.5 billion).
- कौन-सी प्राकृतिक जलवायवीय आपदाएँ अधिक होती हैं, इसके बारे में प्रतिवेदन में बताया गया है कि ऐसी आपदाएँ हैं – बाढ़ (43.4%) और आँधी (28.2%).
- 1998 से लेकर 2017 के बीच जलवायवीय आपदाओं से 13 लाख लोगों ने प्राणों से हाथ धोये, 4.4 बिलियन लोग या तो घायल हुए या विस्थापित हो गये.
UNISDR
- इस कार्यालय की स्थापना 1999 में अंतर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण रणनीति (International Strategy for Disaster Reduction – ISDR) को लागू करने के लिए की गई थी. यह कार्यालय संयुक्त राष्ट्र सचिवालय की एक संगठनात्मक इकाई है. इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा में है और इसके सबसे प्रमुख अधिकारी आपदा जोखिम न्यूनीकरण महासचिव के एक विशेष प्रतिनिधि होते हैं.
- UNISDR की स्थापना के मूल में संयुक्त राष्ट्र महासभा का संकल्प 56/195 है जिसमें कहा गया था कि विश्व-भर में आपदा के न्यूनीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर आवश्यक कारर्वाइयाँ की जाएँ.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Delhi To Enforce Emergency Plan
संदर्भ
राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index or AQI) “खराब/poor” श्रेणी की ओर बढ़ता जा रहा है. इसको देखते हुए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board ) ने प्रदूषण को रोकने के लिए एक आपातकालीन कार्य योजना (emergency action plan) लागू करने का निर्णय लिया है.
मुख्य तथ्य
AQI यदि 0-50 के बीच होता है तो उसे अच्छा बताते हैं. 51-100 को “संतोषजनक”, 101-200 को “ठीक-ठाक”, 201-300 को “खराब”, 301-400 को “बहुत खराब” और 401-500 को “भीषण” माना जाता है.
- <100 =Good
- 101-200 = Average
- 201-300 = Poor
- 301-400 = Very Poor
- 401- 500 = Severe
राजधानी में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्राधिकृत एक संस्था है, जिसका नाम पर्वावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (Environment Pollution Control Authority – EPCA) है. यह प्राधिकरण प्रदूषण के विभिन्न स्तरों के लिए एक क्रमिक प्रतिक्रिया कार्ययोजना (Graded Response Action Plan – GRAP) पर काम करता है.
क्रमिक प्रतिक्रिया कार्ययोजना क्या है?
- जब प्रदूषण “ठीक-ठाक” और “खराब” के बीच की श्रेणी में होता है तो पराली जलाने पर रोक लगा दी जाती है.
- यदि वायुप्रदूषण “बहुत खराब” श्रेणी में पहुँच जाता है तो ये उपाय किये जाते हैं – डीजल जनरेटर बंद कराना, पार्किंग शुल्क को बढ़ाना और मेट्रो तथा बसों की पारियों में वृद्धि लाना.
- जब वायु की गुणवत्ता “भीषण” हो जाति है तो ये कदम उठाने पड़ते हैं – मशीन से सड़कों को बार-बार साफ़ करना और पानी का छिड़काव करना, शहर में ट्रकों के आने पर रोक लगाना, निर्माण के कार्यों की रोकथाम करना और स्कूल बंद कराना आदि.
EPCA का स्वरूप
EPCA में एक अध्यक्ष और 14 सदस्य होते हैं. ये सदस्य हैं – राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के पर्यावरण सचिव, नई दिल्ली नगर परिषद् के अध्यक्ष, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के परिवहन आयुक्त, दिल्ली के विभिन्न नगर निगमों के आयुक्त तथा IIT दिल्ली और JNU के सदस्य.
काम की बात –
SAFAR
✓ SAFAR का full-form है – System of Air Quality Forecasting And Research
✓ भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) ने वायु गुणवत्ता के पूर्वानुमान हेतु SAFAR प्रणाली की शुरुआत की है.
✓ SAFAR के जरिये वायु की गुणवत्ता को मापा जाता है जिस पर एक से लेकर 500 अंकों तक हवा की गुणवत्ता का आकलन किया जाता है.
Prelims Vishesh
Mount Etna :-
यूरोप के सबसे बड़ी सक्रिय ज्वालामुखी Mount Etna (इटली) एक बार फिर समाचारों में इसलिए है कि इसका दक्षिण-पूर्वी भाग कई सेंटीमीटर प्रतिवर्ष की दर से समुद्र की ओर ढलता हुआ पाया गया.
Einstein Prize :-
- भारतवंशी अमरीकी प्रोफेसर अभय अष्टेकर को प्रतिष्ठित आइंस्टीन पुरस्कार दिया गया है.
- यह पुरस्कार अमेरिकन फिजिकल सोसाइटी द्वारा प्रत्येक दो वर्ष पर उन वैज्ञानिकों को दिया जाता है जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण भौतिकी पर कोई उल्लेखनीय काम किया हो.
- इस पुरस्कार की राशि 10,000 हजार डॉलर है.
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