हाल ही में कैस्पियन सागर के पाँच तटवर्ती देशों – अज़रबेजान, ईरान, कजाखस्तान, रूस और तुर्कमेनिस्तान – ने कैस्पियन सागर के कानूनी दर्जे पर एक महत्त्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किये.
पृष्ठभूमि
5 देशों ने सोवियत संघ के विघटन के बाद कैस्पियन सागर के कानूनी दर्जे को परिभाषित करने का प्रयास किया है ताकि नई ड्रिलिंग और पाइपलाइनों के लिए जल और इसके प्राकृतिक संसाधनों का विभाजन किया जा सके.
बहुत दिनों से कैस्पियन या कश्यप सागर और उसके समीपवर्ती क्षेत्रों का प्रबंधन कैसे किया जाए, इस विषय में इस सागर के तटवर्ती देशों, यथा – रूस, अजरबैजान, ईरान, कजाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के बीच वार्ता चल रही थी. अंततः इन देशों ने अक्ताऊ शिखर सम्मेलन में इस विषय में एक वैध संधि पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.
कैस्पियन सागर का महत्त्व
कैस्पियन सागर एक विशाल जलाशय है जो अपने भौगोलिक स्थिति और संसाधनों के कारण बड़ा रणनीतिक महत्त्व रखता है. यह यूरोप और एशिया के बीच में स्थित है और ऐतिहासिक रूप से पूर्वी और पश्चिमी शक्तियों के मध्य में एक मुख्य व्यापारिक गलियारे (trade corridor) के रूप में जाना जाता रहा है. कैस्पियन सागर का महत्त्व आधुनिक युग में तब से और भी बढ़ गया है जब से वहाँ 50 बिलियन बैरल से भी अधिक खनिज तेल और 9 ट्रिलियन क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस के भंडारों का पता चला है.
कैस्पियन सागर के प्रबंधन की आवश्यकता क्यों है?
उल्लेखनीय है कि 1991 के पहले यह क्षेत्र सोवियत संघ के अन्दर आता था और इसलिए यह मास्को के सम्पूर्ण नियंत्रण के अधीन था. लेकिन 1991 के बाद सोवियत संघ के भंग होने के कारण इस क्षेत्र में कई नए-नए देश उत्पन्न हो गए. इसलिए कैस्पियन सागर के संसाधनों के उपयोग को लेकर आपस में विवाद खड़े हो गये.
आज की तिथि में कैस्पियन सागर के चारों ओर के देश अपनी-अपनी तटरेखा के आस-पास उपलब्ध ऊर्जा संसाधन का दोहन कर रहे हैं, परन्तु इस समुद्र के आंतरिक भागों तक वे पहुँच नहीं पाते हैं. इस कारण बहुत-सी ऐसी पाइपलाइन परियोजनाएँ रुकी पड़ी हैं जिनमें कैस्पियन सागर के आर-पार जाना आवश्यक है.
कैस्पियन सागर संधि के प्रावधान
हाल ही में इस संधि के अनुसार कश्यप सागर को एक झील न मानते हुए एक सागर ही माना गया है. इसका अभिप्राय यह है कि इसके तटवर्ती देश अपनी तटरेखा से 15 समुद्री मील तक के स्वामी स्वयं होंगे और खनिज का दोहन कर सकेंगे. साथ ही वे 25 समुद्री मील तक मछली मारने का काम भी कर सकेंगे.
संधि का महत्त्व
- यह संधि समुद्र तट से 15 समुद्री मील दूरी तक के क्षेत्र को सम्प्रभु जलीय क्षेत्र के रूप में और इससे आगे 10 समुद्री मील तक के क्षेत्र को एक आर्थिक क्षेत्र घोषित करती है जिसका उपयोग मत्स्यन हेतु किया जा सकता है.
- वैश्विक ऊर्जा बाजार और सुरक्षा मुद्दों के समाधान के लिए इसका व्यापक प्रभाव होगा क्योंकि कैस्पियन सागर अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी गतिविधियों के क्षेत्र (अफगानिस्तान और पश्चिम एशिया) के समीप स्थित है.
- संधि के द्वारा कैस्पियन सागर को एक विशेष कानूनी दर्जा प्रदान करते हुए यह विवाद समाप्त कर दिया गया है कि यह झील है. समुद्री और प्रत्येक समीपवर्ती देश की समुद्री सीमाओं को स्पष्ट किया गया है.
- यह तुर्कमेनिस्तान से यूरोप तक ट्रांस-कैस्पियन गैस पाइपलाइन निर्माण के लिए कानूनी बाधा को भी समाप्त कर सकती है.
- यह कैस्पियन सागरीय राष्ट्रों को अमेरिका और नाटो जैसे आक्रामक तृतीय पक्षों के लिए उनकी सीमाओं को खोलने से प्रतिबंधित करती है और कैस्पियन सागरीय क्षेत्र पर किसी भी विदेशी सैन्य उपस्थिति की अनुमति नहीं देती है.
Tags : कैस्पियन सागर संधि – के बारे में जानें. Caspian Sea Treaty Explained in Hindi, Caspian Sea Breakthrough Treaty PIB, UPSC, Gktoday
Click here for >>International Relations Notes