Sansar Daily Current Affairs, 20 November 2018
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Kambala
संदर्भ
दक्षिण कन्नड़ और उडुपी तटीय जिलों में कम्बल नामक भैंसा-दौड़ की तैयारी चल रही है. यह दौड़ जिला कम्बल समिति के तत्त्वाधान में सम्पन्न होगी.
भूमिका
2017 के जुलाई 20 को कर्नाटक सरकार ने पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (कर्नाटक संशोधन) अध्यादेश / Prevention of Cruelty to Animals (Karnataka Amendment) अधिसूचित किया था. इस अध्यादेश में यह कहा गया कि कम्बल कर्नाटक का एक वैध ग्रामीण खेल है जो पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम, 1960 (PCA Act) के दायरे में नहीं आता है.
कम्बल क्या है?
कम्बल एक पारम्परिक और अप्रतिस्पर्धात्मक खेल है जिसमें भैंसों के जोड़े धान के खेतों में दौड़ाये जाते हैं. लोगों का कहना है कि वे इस प्रकार भगवान् को अपना धन्यवाद इस बात के लिए प्रकट करते हैं कि उन्होंने पशुओं को रोगों से बचाया. समय के साथ यह खेल एक संगठित खेल का रूप ले चुका है. परन्तु पशु-अधिकार कार्यकर्ता दावा करते हैं कि इस खेल में भैसों को इस डर के मारे दौड़ना पड़ता है कि उन्हें पीटा जायेगा. परन्तु दौड़ के आयोजकों का कहना है कि इस खेल में हिंसा का प्रयोग नहीं होता है और इसके स्वरूप में ऐसे कई सुधार लाये गये हैं जिससे यह आयोजन पशु के लिए पूर्णतया अनुकूल हो गया है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : UNESCO Global Education Monitoring Report 2019
संदर्भ
2019 का UNESCO वैश्विक शिक्षा अनुश्रवन प्रतिवेदन निर्गत हो गया है.
प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य
मौसम के अनुसार पलायन (migration) के कारण भारत के ग्रामीण घरों में साक्षरता स्तर गिर जाता है.
- 2013 में भारत में ग्रामीण घरों में 6-14 वर्ष के 10.7 मिलियन बच्चे थे. ऐसे घरों में मौसम के हिसाब से कुछ लोग अन्यत्र चले जाते थे. इन घरों के 15 से 19 वर्ष के युवाओं से 28% युवा निरक्षर थे अथवा अपनी प्राथमिक पाठशाला की पढ़ाई पूरी नहीं की थी. दूसरी ओर जिन घरों से पलायन नहीं होता था वहाँ 18% युवा ही निरक्षर थे.
- सात शहरों के अध्ययन से पता चला कि वहाँ पलायन करके आने वाले बच्चों में 80% बच्चों के आस-पास पढ़ाई की कोई सुविधा नहीं थी और 40% बच्चे इधर-उधर का काम करने लगे जहाँ उनका दुरूपयोग और शोषण हुआ.
एक राज्य से दूसरे राज्य में पलायन
2001 और 2011 के बीच राज्यों के भीतर पलायन की दर दुगुनी हो गई है. 2011 से लेकर 2016 तक प्रत्येक वर्ष 9 मिलियन लोगों का एक राज्य से दूसरे में पलायन हुआ. अभिवावकों के पलायन से बच्चों की पढ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ा.
निर्माण कार्य में लगे श्रमिक
पलायन की मार सबसे अधिक उन श्रमिकों पर पड़ी जो निर्माण कार्य करते हैं. पलायन करने वालों में सबसे अधिक वही श्रमिक होते हैं. 2015-16 में पंजाब राज्य में 3,000 ईंट-भट्ठा मजदूरों का सर्वेक्षण किया गया जिसमें पाया गया कि 60% मजदूर दूसरे राज्यों से आये थे. इन भट्ठों के पास रहने वाले 5 से 14 वर्ष के बच्चों में से 65% से लेकर 80% तक बच्चे प्रतिदिन वहाँ पर 7 से 9 घंटे काम कर रहे थे. लगभग 77% भट्ठा मजदूरों ने बताया कि उनके बच्चों के लिए शिक्षा के साधन उपलब्ध नहीं है.
चिंताएँ
- सरकार ने शिक्षा के प्रसार के लिए कई कदम उठाये हैं. परन्तु इन कदमों का लक्ष्य वे बच्चे हैं जो स्थिर रूप से अपने परिवार के साथ रहते हैं. आज आवश्यकता है उन बच्चों पर ध्यान देने की जो अपने अभिवावकों के साथ समय-समय पर काम के लिए शहरों में पलायन कर जाते हैं.
- शहरों में झुग्गी-झोपड़ियाँ बढ़ती जा रही हैं, जहाँ पढ़ाई की व्यवस्था विरले ही होती है. UNESCO वैश्विक शिक्षा अनुश्रवन प्रतिवेदन, 2019 में बताया गया है कि भारत में एक लाख लोगों पर मात्र एक शहरी योजना निर्माता होता है जबकि इंग्लैंड में हर एक लाख पर ऐसे 38 कर्मचारी होते हैं.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Eco-sensitive zones
संदर्भ
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (National Green Tribunal – NGT) ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को कहा है कि वह देश के सभी हाँथी गलियारों को पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र (Eco-sensitive zones) घोषित करने पर विचार करे. इसके लिए प्राधिकरण ने मंत्रालय को 2 सप्ताह का समय दिया है.
भूमिका
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) का यह निर्देश उस प्रार्थना-पत्र पर सुनवाई करते समय दिया गया जिसमें सूचित किया गया था कि बहुत-से हाथी अप्राकृतिक ढंग से मर रहे हैं. इसका कारण यह दिया गया था कि हाथियों के निवास वाले जंगल घटते जा रहे हैं और हाथियों को इस कारण लोगों की बस्तियों की ओर आना पड़ रहा है. ऐसे हाथी या तो बदले की कारवाई में जानबूझकर मारे जाते हैं अथवा रेल क्रासिंग में दुर्घटना के शिकार होते हैं. कुछ हाथी उच्च शक्ति वाले बिजली के तारों, बिजली के बाड़ों और खाइयों के कारण मृत्यु को प्राप्त होते हैं.
Eco-sensitive zones क्या हैं?
- पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम, 1986 में इको-सेंसिटिव जोन का उल्लेख नहीं है.
- परन्तु अधिनियम का अनुभाग 3(2)(v) कहता है कि केंद्र सरकार कुछ क्षेत्रों में उद्योग लगाना अथवा चलाना प्रतिबंधित कर सकती है.
- अधिनियम का अनुभाग 5 (1) कहता है कि केंद्र सरकार किसी क्षेत्र की जैव-विविधता को ध्यान में रखते हुए वहाँ उद्योग लगाने और चलाने पर निषेध लगा सकती है अथवा उसे सीमित कर सकती है जिससे उस क्षेत्र में प्रदूषण न हो और वहाँ की जमीन पर्यावरण की दृष्टि से उपयुक्त रहे.
ऊपर वर्णित किये गये दोनों अनुच्छेदों का सरकार ने कारगर ढंग से उपयोग करते हुए पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील जोन (Eco-Sensitive Zones – ESZ) अथवा पर्यावरण की दृष्टि से नाजुक क्षेत्र (Ecologically Fragile Areas – EFA) घोषित किये हैं. इसी प्रकार समान मापदंडों वाले विकास से परे जोन भी घोषित किये गये हैं.
ESZ घोषित करने के मानदंड
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने ऐसे जोन घोषित करने के लिए कुछ मापदंड तय किये हैं जो मंत्रालय की एक समिति ने तैयार किये हैं. इनके अनुसार ये क्षेत्र पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील घोषित हो सकते हैं –
- जहाँ कोई प्रजाति अधिक हो अथवा अत्यंत कम हो.
- जहाँ पवित्र कुंज और जंगल (sacred groves, frontier forests etc) हों.
- जहाँ अनिर्वासित द्वीप हों, नदियों का उद्गम हो आदि-आदि.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Treasury Bill
संदर्भ
हाल ही में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने एक ऐप और वेब-आधारित मंच – ‘NSE goBID’– का अनावरण किया है जिसके माध्यम से खुदरा निवेशक सरकारी सिक्यूरिटी खरीद सकेंगे.
NSE goBID क्या है?
- इस ऐप के माध्यम से निवेशक 91 दिनों, 182 दिनों और 364 दिनों वाले कोषागार विपत्रों में तथा एक वर्ष से 40 वर्ष तक के सरकारी बोंडों में पैसा लगा सकेंगे.
- खुदरा निवेशक इस खरीद के लिए UPI (Unified Payments Interface) और इन्टरनेट बैंकिंग के जरिये अपने बैंक खातों से सीधे भुगतान कर सकेंगे.
- एक बार पंजीकरण होने के बाद प्रत्येक सप्ताह निवेश किया जा सकता है.
- यह ऐप NSE के व्यापारी सदस्यों के साथ पंजीकृत सभी निवेशकों के लिए उपलब्ध रहेगा.
ट्रेज़री बिल क्या हैं?
- Treasury Bill रिज़र्व बैंक द्वारा सरकार की ओर से जारी अल्पकालिक प्रतिभूतियाँ हैं जो सरकार की अल्पकालिक तरलता की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करते हैं.
- 91 दिन वाला Treasury Bill हर बुधवार को नीलाम किया जाता है और 182 दिन एवं 364 दिन वाला Treasury Bill एक सप्ताह छोड़कर बुधवार को नीलाम किया जाता है.
- कोषागार विपत्र को दाम कम करके निर्गत किया जाता है और इसका निपटारा विपत्र पर अंकित दाम पर होता है.
- उदाहरण के लिए यदि 91 दिन वाले T-Bill का दाम 100 ₹. (फेस वैल्यू) है तो उसे 98.20 ₹ में जारी किया जाता है…यानी, ₹ 1.80 की छूट पर…..पर इसे 100 ₹ के फेस वैल्यू पर ही रिडीम किया जाएगा.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : U.K. India Business Council’s Ease of Doing Business report
संदर्भ
इंग्लैंड-भारत व्यवसाय परिषद् (U.K. India Business Council) ने हाल ही में व्यवसाय करने की सरलता के विषय में एक नया रिपोर्ट निर्गत किया है. इस रिपोर्ट के अनुसार इंग्लैंड के व्यवसाइयों की धारणा है कि भारत में व्यापार करने में सबसे बड़ी बाधा भ्रष्टाचार है. परन्तु ऐसी धारणा रखने वाले व्यवसाइयों की संख्या 2015 की तुलना में अब आधी रह गई है.
रिपोर्ट के मुख्य तथ्य
- भारत में व्यापार में भ्रष्टाचार को बड़ी बाधा मानने वाले व्यवसाइयों का प्रतिशत 2016 के 34% से घटकर 2017 में 25% रह गई है. यदि 2015 से तुलना की जाए तो यह गिरावट 51% की गिरावट है.
- इस गिरावट से स्पष्ट होता है कि वर्तमान सरकार ने भ्रष्टाचार को कम करने के लिए कारगर कदम उठाये हैं.
- अब भ्रष्टाचार को भारत में व्यसाय की तीन सबसे बड़ी बाधाओं में नहीं गिना जाता है.
ऐसा कैसे सम्भव हुआ?
- रिपोर्ट कहता है कि भ्रष्टाचार में गिरावट कुछ पहलों के कारण हुई, जैसे – आधार, सरकारी दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से जमा करना, इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर को स्वीकार करना तथा टैक्स को ऑनलाइन जमा करना. इन सब कारणों से व्यक्ति से व्यक्ति सम्पर्क कम हुए और इसलिए भ्रष्टाचार की गुंजाइश भी कम गई.
- परन्तु रिपोर्ट यह भी कहता है कि डिजिटलाइजेशन कुछ क्षेत्रों में कम हुआ है, जैसे – भवन-निर्माण परियोजना क्षेत्र जिसमें आज भी भ्रष्टाचार की शिकायतें आ रही हैं.
अन्य विचारणीय बातें
- भ्रष्टाचार में कमी आने के पश्चात् दो क्षेत्र ऐसे हैं जो व्यवसाय के लिए सबसे बड़ी बाधाएँ बन कर उभरी हैं – कराधान और प्राइस पॉइंट. ये बाधाएँ क्रमशः 36% और 29% लोगों के द्वारा बड़ी बाधाएँ मानी गई हैं.
- यह अवश्य है कि जो लोग कराधान को मुख्य बाधा मानते हैं, उनकी संख्या में भी 2017 की तुलना में 2018 में 3% कमी आई है.
Prelims Vishesh
My Son temple complex :-
हाल ही में राष्ट्रपति कोविंद ने वियेतनाम के क्वांगनन प्रांत में अवस्थित UNESCO विश्व धरोहर स्थल “My Son Temple” परिसर की यात्रा की.
AirSewa 2.0 :-
- सरकार ने हाल ही में AirSeva 2.0 नामक वेबपोर्टल और मोबाइल ऐप का उत्क्रमित संस्करण अनावृत किया है.
- यह वेबपोर्टल और ऐप हवाई यात्रियों को फीडबैक देने में सहायता करेगा और इस फीडबैक के आधार पर हवाई यात्रा को निर्बाध और सुविधाजनक बनाने के लिए आवश्यक उपाय किये जा सकेंगे.
CSE gets 2018 Indira Gandhi Prize :-
- वर्ष 2018 के लिए इंदिरा गाँधी शान्ति, निरस्त्रीकरण एवं विकास पुरस्कार नई दिल्ली के अनुसंधान संस्थान विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (CSE) को दिया गया है.
- यह केंद्र 1980 से पर्यावरण की समस्याओं, वायु एवं जल प्रदूषण, अपशिष्ट जल प्रबंधन, औद्योगिक प्रदूषण, खाद्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन आदि क्षेत्रों में काम करता रहता है.
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