Sansar Daily Current Affairs, 10 December 2018
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Heritage Park for Hindus, Buddhists in Elum Valley in Pak
संदर्भ
ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत की एलम घाटी (Elum Valley) में पाकिस्तान एक धरोहर उद्यान निर्मित करने की योजना बना रहा है. इस घाटी का हिन्दुओं और बौद्धों के लिए बड़ा ऐतिहासिक महत्त्व है. धरोहर उद्यान के माध्यम से पाकिस्तान धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना चाह रहा है.
इस परियोजना के अंतर्गत एलम घाटी को हिन्दुओं और बौद्धों के लिए सुरक्षित बनाने हेतु तथा वहाँ आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा के लिए प्रबन्ध किए जाएँगे. इसके लिए समूची एलम घाटी को एक बाड़े से घेर दिया जाएगा और उद्यान के अंदर एक अलग मार्ग का निर्माण किया जाएगा.
एलम घाटी और इसका महत्त्व
- एलम घाटी स्वात (Swat) और बुनेर (Buner) जिलों के बीच में स्थित है.
- यह घाटी हिन्दु और बौद्ध समुदायों दोनों के लिए तीर्थाटन का स्थल रही है.
- हिन्दुओं का विश्वास है कि भगवान् राम ने अपने 14 वर्षों के वनवास के समय यहाँ तपस्या की थी. दूसरी ओर बौद्धों का यह विश्वास है कि भगवान् बुद्ध ने अपने एक पुराने अवतार में इस स्थल में अपने प्राण त्यागे थे.
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Karmapa now a Dominican citizen
संदर्भ
मई 2017 से भारत के बाहर रह रहे 17वें कर्मापा ओज्येन त्रिन्लेय दोर्जे (Ogyen Trinley Dorje) ने कैरिबियन द्वीप समूह के देश डोमिनिका की नागरिकता और पासपोर्ट प्राप्त कर लिया है.
कर्मापा को डोमिनिका का जो पासपोर्ट मिला है, उससे वे कई राष्ट्रकुल देशों (commonwealth countries) में बिना वीजा के प्रवेश कर सकते हैं.
कर्मा काग्यू शाखा क्या है?
- तिब्बती बौद्ध धर्म में चार मुख्य शाखाएँ हैं (four main schools of Tibetan Buddhism) जिनमें से एक कर्मा काग्यू परम्परा से जुड़ी हुई है. इस परम्परा में ज्ञान का प्रसार प्रत्यक्षतः मौखिक रूप से होता है अतः इसमें गुरु के मार्गदर्शन में ध्यान तथा मस्तिष्क के प्रत्यक्ष अनुभव की साधना पर विशेष बल दिया जाता है.
- कर्मा काग्यू परम्परा की जड़ें ऐतिहासिक बुद्ध (historical Buddha) के उपदेशों से जुड़ी हुई हैं और यह भारत और तिब्बत में ज्ञानोदय के एक व्यावहारिक मार्ग के रूप में विकसित हुआ है.
- इस परम्परा को जन-साधारण के लिए एक प्रातिदैनिक व्यावहारिक अभ्यास का रूप दिया गया है. ऐसा करने में पिछले हजार वर्षों के कई बौद्ध गुरुओं (महासिद्ध) का हाथ रहा है, जैसे – भारत के नरोपा और मैत्रीपा तथा प्रसिद्ध तिब्बती योगी मारपा एवं मिलारेपा.
कर्मापा कौन हैं?
12वीं शताब्दी से कर्मा काग्यू परम्परा के प्रमुख कर्मापा होते हैं जो इस परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए उत्तरदायी होते हैं.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : 39th GCC summit and Riyadh declaration
संदर्भ
हाल ही में सऊदी अरब की राजधानी रियाद में खाड़ी सहयोग परिषद् (Gulf Cooperation Council – GCC) के शिखर सम्मलेन का 39वाँ सत्र सम्पन्न हुआ. सम्मलेन के अंत में परिषद् ने एक घोषणा निर्गत की जिसका नाम “रियाद घोषणा/Riyadh Declaration” दिया गया.
इस घोषणा में खाड़ी देशों, आस-पास के क्षेत्र और विश्व से जुड़े हुए 72 विषयों का समावेश किया गया. यह भी निर्णय लिया गया कि GCC शिखर सम्मलेन का अगला 40वाँ सत्र संयुक्त अरब अमीरात में होगा.
GCC क्या है?
- खाड़ी सहयोग परिषद् (GCC) अरब प्रायद्वीप के इन छह देशों का एक राजनैतिक एवं आर्थिक गठबंधन है – बहरैन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात.
- 1981 में स्थापित यह गठबंधन छह देशों के बीच आर्थिक, सुरक्षा विषयक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देता है तथा इसके लिए यह हर वर्ष एक शिखर सम्मेलन आयोजित करता है.
- ज्ञातव्य है कि GCC के सभी देशों में राजतन्त्र है. एक ओर जहाँ क़तर, कुवैत और बहरैन में संवैधानिक राजतन्त्र है तो दूसरी ओर सऊदी अरब और ओमान में निरंकुश राजतंत्र है. इसके अतिरिक्त संयुक्त अरब अमीरात एक ऐसा देश है जहाँ संघीय राजतंत्र है.
GCC की बनावट
विभिन्न कार्यों को संपादित करने के लिए GCC में छह मुख्य शाखाएँ होती हैं जिनका काम बैठक की तैयारी से लेकर नीतियों के कार्यान्वयन तक होता है. ये छह शाखाएँ हैं – सर्वोच्च परिषद्, मंत्री परिषद्, महासचिवालय, सलाहकार आयोग, विवाद निष्पादन आयोग एवं महासचिव.
GCC की प्रासंगिकता
यह विवाद का विषय है कि GCC अभी भी प्रासंगिक है या नहीं और इस क्षेत्र में इसकी कोई भूमिका बची है अथवा नहीं. यद्यपि इसका गठन खाड़ी देशों को एकजुट करने के उद्देश्य से हुआ था, परन्तु हाल ही में क़तर पर उसके पड़ोसी देशों ने जो प्रतिबंध लगा दिए हैं उनके कारण GCC का मूल सिद्धांत ही खंडित हो चुका है. पिछले दो दशाब्दियों में भी खाड़ी देश कई समस्याओं पर एक मत नहीं रहे हैं. 2003 में जब अमेरिका और मित्र देशों ने इराक़ पर आक्रमण किया था तो उस समय भी इस घटना के प्रति खाड़ी के हर देश का अपना दृष्टिकोण था.
यही नहीं, जब 2011 में अरब वसंत (Arab Spring) के नाम से पूरे मध्य-पूर्व में जो विद्रोह की लहर फैली थी उस समय में भी इन देशों में एकता नहीं दिखी. आज की तिथि में स्थिति यह है कि सउदी अरबी GCC पर अपना वर्चस्व रखता है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Maldives has applied to rejoin Commonwealth
संदर्भ
मालदीव ने राष्ट्रकुल या राष्ट्रमंडल (Commonwealth) में वापस आने के लिए आवेदन दिया है.
पृष्ठभूमि
दो वर्ष पहले मालदीव के तत्कालीन नेता यामीन ने उस समय मालदीव को राष्ट्रकुल से अलग कर लिया था जब उनके द्वारा विरोधियों पर भयंकर अत्याचार किये जाने पर राष्ट्रकुल ने उन पर दबाव डाला था कि वे मानवाधिकार की सुरक्षा करें तथा विधि-व्यवस्था सुनिश्चित करें.
राष्ट्रकुल क्या है?
- पहले ब्रिटिश राष्ट्रकुल (British Commonwealth) के नाम से ज्ञात वर्तमान राष्ट्रकुल उन 53 देशों का संगठन है जो मुख्य रूप से कभी ब्रिटेन के उपनिवेश रहे थे.
- इसकी स्थापना 1949 में लंदन घोषणा के द्वारा हुई थी.
- राष्ट्रकुल देश स्वतंत्र एवं समान माने जाते हैं. राष्ट्रकुल संघ की प्रतीक चिन्ह ब्रिटन की रानी एलिजाबेथ II है जिसे राष्ट्रकुल देशों का मुखिया माना जाता है.
- राष्ट्रकुल के सदस्य देश एक दूसरे से कानूनी रूप से उत्तरदायी अथवा बंधे हुए नहीं हैं. इन देशों को जो तत्त्व जोड़ते हैं, वे हैं – भाषा, इतिहास, संस्कृति, प्रजातंत्र, मानवाधिकार और कानून का शासन.
- राष्ट्रकुल घोषणापत्र में उनकी मान्यताओं को सूचीबद्ध किया गया है.
- राष्ट्रकुल देशों के बीच समरसता बनाए रखने के लिए हर चौथे वर्ष राष्ट्रकुल खेलकूद का आयोजन होता है.
- ब्रिटेन के उपनिवेश रहे सभी देश राष्ट्रकुल के सदस्य नहीं हैं. ऐसे देश हैं – मिस्र, ट्रांसजॉर्डन, इराक, ब्रिटिश फिलिस्तीन, सूडान, ब्रिटिश सोमाली लैंड, ओमान, कुवैत, बहरैन, कतर और संयुक्त अरब अमीरात.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Amendments to the Citizenship Rules, 2009
संदर्भ
नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुभाग 18 के अंतर्गत भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने नागरिकता नियम, 2009 (Citizenship Rules, 2009) में कतिपय संशोधन अधिसूचित किये हैं.
ये संशोधन क्या हैं?
- संशोधन के अनुसार पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले छह अल्पसंख्यक समुदायों के लिए नागरिकता प्रपत्र में एक अलग स्तम्भ होगा.
- परिपत्र में एक विशेष प्रविष्टि होगी जिसमें आवेदक से पूछा जाएगा कि “क्या वह अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पकिस्तान के के छह अल्पसंख्यक समुदायों – हिन्दू, सिख, बौद्ध, पारसी और इसाई – में से किसी एक का सदस्य है?”
संशोधन की आवश्यकता क्यों?
नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 अभी संसद में लंबित है और उस पर एक संसदीय समिति विचार कर रही है. परन्तु इसका अभी से ही असमें बड़ा विरोध हो रहा है क्योंकि प्रस्तावित अधिनियम के माध्यम से मार्च, 1971 के बाद बांग्लादेश से आने वाले अवैध हिन्दू आव्रजकों को नागरिकता मिल जायेगी, जो 1985 के असम समझौते का उल्लंघन होगा.
नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016
- नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 के द्वारा अवैध आव्रजकों (migrants) की परिभाषा को सरकार बदलना चाह रही है.
- मूल नागरिकता अधिनियम संसद् द्वारा 1955 में पारित हुआ था.
- प्रस्तावित संशोधन के अनुसार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आये हुए उन आव्रजकों को ही अवैध आव्रजक माना जाएगा जो हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी अथवा ईसाई नहीं हैं.
- इसके पीछे अवधारणा यह है कि जो व्यक्ति अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक अत्याचार का शिकार होकर भारत आते हैं, उन्हें सरकार नागरिकता देना चाहती है. परन्तु इन देशों से यदि कोई मुसलमान भागकर आता है तो उसे वैध आव्रजक नहीं माना जायेगा.
- मूल अधिनियम के अनुसार वही आव्रजक भारत की स्थाई नागरिकता प्राप्त कर सकता है जो यहाँ लगातार 11 वर्ष रहा हो.
- संशोधन में इस अवधि को घटाकर 6 वर्ष कर दिया गया है.
नागरिकता अधिनियम 1995 क्या है?
- भारतीय संविधान की धारा 9 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अपने मन से किसी दूसरे देश की नागरिकता ले लेता है तो वह भारतीय नागरिक नहीं रह जाता है.
- जनवरी 26, 1950 से लेकर दिसम्बर 10, 1992 की अवधि में विदेश में जन्मा हुआ व्यक्ति भारत का नागरिक तभी हो सकता है यदि उसका पिता उसके जन्म के समय भारत का नागरिक रहा हो.
- जो व्यक्ति दिसम्बर 3, 2004 के बाद विदेश में जन्मा हो, उसे भारत का नागरिक तभी माना जाएगा यदि जन्म के एक वर्ष के अंदर उसके जन्म का पंजीकरण किसी भारतीय वाणिज्य दूतावास (consulate) में कर लिया गया हो.
- नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुभाग 8 के अनुसार यदि कोई वयस्क व्यक्ति घोषणा करके भारतीय नागरिकता त्याग देता है तो वह भारत का नागरिक नहीं रह जाता है.
- मूल अधिनियम के अनुसार, अवैध आव्रजक वह व्यक्ति है जो बिना मान्य पासपोर्ट के भारत में प्रवेश करता है और वीजा की अवधि के समाप्त हो जाने पर भी इस देश में रह जाता है. इसके अतिरिक्त वह व्यक्ति भी अवैध आव्रजक माना जाता है जिसने आव्रजन प्रक्रिया के लिए नकली कागजात जमा किये हों.
- नागरिकता अधिनियम के अनुसार भारत की नागरिकता इन पाँच विधियों से प्राप्त की जा सकती है –
- जन्म
- वंशानुगत क्रम
- पंजीकरण
- प्राकृतिक रूप से नागरिकता
- यदि कोई व्यक्ति जिस देश में रहता है वह देश भारत में मिल जाता है तो.
भारत में नागरिकता की प्राप्ति
उपर्युक्त अधिनियम के अनुसार निम्न में से किसी एक आधार पर नागरिकता प्राप्त की जा सकती है –
i) जन्म से
कोई व्यक्ति जो 25 जनवरी, 1950 या उसके बाद भारत में पैदा हुए हैं, भारत के नागरिक माने जायेंगे. परन्तु विदेशी दूतावासों से जुड़े व्यक्तियों (जो भारत में अन्य देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं) के बच्चे भारत के नागरिक नहीं माने जायेंगे.
ii) रक्त सम्बन्ध या वंशाधिकार से
इस अधिनियम के अनुसार वे व्यक्ति भी, जो 26 जनवरी, 1950 या उसके बाद भारत के बाहर पैदा हों, भारत के नागरिक माने जायेंगे, यदि उसके पिता या माता उसके जन्म के समय भारत के नागरिक रहे हों.
iii) पंजीकरण द्वारा
निम्न श्रेणी के व्यक्ति पंजीकरण के आधार पर नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं:
- ऐसे व्यक्ति जो 26 जुलाई, 1947 के बाद पाकिस्तान से आये हैं, उस दशा में भारतीय नागरिक माने जायेंगे, जब वे आवेदन-पत्र देकर अपना नाम “भारतीय नियुक्ति अधिकारी” के पास नागरिकता के रजिस्टर में दर्ज करा लें. परन्तु ऐसे लोगों के लिए शर्त यह होगी कि आवेदन-पत्र देने के पूर्व कम-से-कम 6 माह से भारत में रहते हों और उनका या उनके माता-पिता अथवा दादा-दादी का जन्म अविभाजित भारत में हुआ हो.
- ऐसे भारतीय जो विदेशों में जाकर बस गए हैं, भारतीय दूतावासों में आवेदन-पत्र देकर भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकेंगे.
- विदेशी स्त्रियाँ, जिन्होंने भारतीय नागरिक से विवाह कर लिया हो, आवेदन-पत्र देकर भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकेंगी.
- राष्ट्रमंडल देशों के नागरिक, यदि वे भारत में ही रहते हों या भारत सरकार की नौकरी कर रहे हों, आवेदन-पत्र देकर भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं.
iv) देशीकरण द्वारा
विदेशी नागरिक भी निम्नलिखित शर्तों को पूरा करने पर भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं :-
- वह आवेदन-पत्र देने से पूर्व कम-से-कम 5 वर्षों तक भारत में रह चुका हो या भारत सरकार की नौकरी में रह चुका हो अथवा दोनों मिलाकर 7 वर्ष हो, पर किसी हालत में 4 वर्ष से कम समय न हो.
- उसका आचरण अच्छा हो.
- वह भारत की किसी प्रादेशिक भाषा या राज भाषा का अच्छा जानकार हो.
- नागरिकता का प्रमाण-पत्र मिलने पर वह भारत में रहने का या भारत सरकार की नौकरी करने का अथवा किसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था में जिसका सदस्य भारत भी हो, काम करने का इच्छुक हो.
v) भूमि विस्तार द्वारा
यदि किसी नवीन क्षेत्र को भारत में शामिल किया जाए तो वहाँ की जनता को भारतीय नागरिकता प्राप्त हो जाएगी. जैसे 1961 ई. में गोआ को भारत में शामिल किये जाने पर वहाँ की जनता को भारतीय नागरिकता प्राप्त हो गई.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Bio-plastics not an eco-friendly alternative to plastic – Study
संदर्भ
हाल ही में जर्मनी के बॉन विश्वविद्यालय में जैव-प्लास्टिक के उपयोग और उसके पर्यावरण पर प्रभाव के विषय में एक अध्ययन हुआ है जिसमें इस निष्कर्ष पर पहुँचा गया है कि यद्यपि जैव-प्लास्टिक को पेट्रोलियम-आधारित प्लास्टिक का एक जलवायु-अनुकूल विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है, तथापि इसके प्रयोग से ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि हो सकती है.
जैव प्लास्टिक पर्यावरण-प्रतिकूल जैसे?
सिद्धांतत: जैव प्लास्टिक जलवायु पर कोई प्रभाव नहीं छोड़ता क्योंकि यह मकई, गेहूँ अथवा गन्ने जैसे नवीकरणीय कच्चे माल से बनता है. ये पौधे अपने पत्तों के माध्यम से वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं. इस प्रकार यदि इनसे जैव-प्लास्टिक बनता है तो कार्बन उत्सर्जन में कमी आयेगी और ग्रीन हाउस गैस का संतुलन शून्य रहेगा.
अतः सामान्यतः जैव प्लास्टिक को लोग पर्यावरण के लिए अनुकूल मान लेते हैं. परन्तु वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी जो तकनीक अपनाई जा रही है उसको देखते हुए यह दृढ़ता से नहीं कहा जा सकता है कि जैव प्लास्टिक पर्यावरण के प्रतिकूल नहीं हैं. ऐसा इसलिए कि यदि जैव प्लास्टिक का उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगेगा तो उसके लिए उतने ही बड़े पैमाने पर मकई आदि की खेती बढ़ेगी, जिसके परिणामस्वरूप नए-नए खेतों की आवश्यकता पड़ेगी. इस कारण लोग जंगल काटेंगे और उसे खेती के योग्य बनाएँगे. इस प्रकार जंगलों का क्षेत्र घटेगा. स्मरणीय रहे कि जंगल मकई और गन्ने की तुलना में हर वर्ष कहीं ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड सोखते हैं.
प्लास्टिक के बढ़ते हुए उपयोग की समस्या
प्लास्टिक अपने उत्पादन से लेकर इस्तेमाल तक सभी अवस्थाओं में पर्यावरण और समूचे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरनाक है. प्लास्टिक का निर्माण पेट्रोलियम पदार्थों से प्राप्त तत्वों और रसायनों से होता है. इसलिए यह अपने उत्पादन की अवस्था से लेकर प्रयोग के दौरान और कचरे के रूप में फेके जाने तक कई तरह की रासायनिक क्रियाएँ करके जहरीला असर पैदा करता है जो मनुष्यों से लेकर जीव-जन्तुओं तक के लिए घातक है. प्लास्टिक कचरे का केवल 15% हिस्सा ही धरती की सतह पर बचा रह पाता है और बाकी सारा कचरा समुद्र में जाकर जमा हो जाता है. इसे खाकर न केवल समुद्री जीव-जन्तु मर रहे हैं बल्कि यह समुद्री नमक में भी जहर घोल रहा है.
आशंका जताई जा रही है कि 2050 तक समुद्र में 850 metric ton प्लास्टिक कचड़ा इकठ्ठा हो जायेगा. 2050 में सभी समुद्र और महासागरों में मौजूद मछलियों का अनुमानित वजन सिर्फ 821 million metric ton ही रह जाएगा. यानी समुद्र में मछलियों से अधिक प्लास्टिक की मात्रा होगी. अर्थात् हम एक ऐसे प्लास्टिकमय भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं जहाँ हम धरती में बिखरे प्लास्टिक की ढेर में हम दफन हो जायेंगे.
जैव प्लास्टिक के मुख्य लाभ
- इससे कार्बन फुटप्रिंट घटेगा.
- इससे गैर-नवीकरणीय कच्चे माल की खपत घटेगी
- इससे गैर जैव-अपघटनीय कचरे (non-biodegradable waste) में कमी आएगी और पर्यावरण प्रदूषित नहीं होगा.
- इसके उत्पादन से बिजली की बचत बढ़ेगी.
- इसमें phthalates अथवा bisphenol A जैसे हानिकारक तत्त्वों का प्रयोग नहीं होता है.
- जैव प्लास्टिक के डब्बों में रखे हुए खाद्य-पदार्थ की प्राकृतिक गंध बनी रहती है अर्थात् वह ख़राब नहीं होता है.
Prelims Vishesh
Ex Aviaindra 2018 :-
- जोधपुर के वायुसेना स्टेशन में एक्स-एवियाइंद्र – 2018 नामक भारतीय वायुसेना एवं रुसी संघ वायु अन्तरिक्षीय सेना (RFSAF) के बीच विशेष अभ्यास होने जा रहा है.
- इस प्रकार का अभ्यास वर्ष में दो बार 2014 ई. से चल रहा है.
1st International Conference on Sustainable Water Management at Mohali :-
- केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा कायाकल्प मंत्रालय के अधीनस्थ राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के तत्त्वाधान में मोहाली स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ बिज़नस के परिसर में पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हो रहा है जिसका विषय है – सतत जल प्रबंधन.
- इस आयोजन का प्रबन्धन भाखड़ा-व्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) द्वारा किया जा रहा है.
Khelo India Youth Games :-
- खेलो इंडिया कार्यक्रम के तहत खेलो इंडिया स्कूल खेलकूद, 2018 का आयोजन किया जा रहा है.
- इसमें 16 प्रकार के खेल होते हैं – तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, बास्केट बॉल, मुक्केबाजी, फुटबॉल, जिमनास्टिक, हॉकी, जुडो, कबड्डी, खो-खो, शूटिंग, तैराकी, वॉलीबॉल, भारोत्तोलन और कुश्ती.
India’s tallest bridge pier built in Noney, Manipur :-
- मणिपुर में स्थित नोनी में रेलपुल बनाने के क्रम में पूर्वोत्तर सीमा रेलवे निर्माण संगठन ने भारत का सबसे ऊँचा स्तम्भ (pier) बनाया है.
- विदित हो कि नोनी का पुल विश्व का सबसे ऊँचा रेल पुल होगा.
- इसकी अंतिम स्तम्भ की ऊँचाई 141 मीटर है और पुल की लम्बाई 703 मीटर है.
- अभी विश्व में जो सबसे ऊँचा पुल है वह यूरोप के मोंटीनेगरो में है.
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