केंद्र सरकार ने दवाओं के निर्यात नियमों में परिवर्तन करते हुए 26 दवाओं और उनके रसायन के निर्यात पर रोक लगा दी है.
दवाओं और उनके रसायन के निर्यात पर रोक क्यों?
सरकार ने दर्द निवारक दवा, ज्वर में काम आने वाले पैरासिटामोल, एंटीबायोटिक, मैट्रोनिडजोल और विषाणुओं के इलाज में प्रयुक्त होने वाली दवाओं के साथ-साथ ही विटामिन बी1 और बी12 के निर्यात को अस्थायी रूप प्रतिबंधित कर दिया है. विदेश व्यापार महानिदेशालय ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी की थी जिसके जरिये 26 सक्रिय औषधि सामग्री (active pharmaceutical ingredients – API) और फार्मुलेशंस के निर्यात के लिये अब लाइसेंस लेना अनिवार्य बना दिया गया था. पहले इन दवा सामग्रियों के निर्यात पर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं था.
ऐसा क्यों किया गया?
- कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए केंद्र सरकार ने पैरासिटामोल समेत 26 जीवनरक्षक दवाओं के निर्यात पर रोक लगा दी है.
- भारत सरकार ने किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए यह निर्णय लिया है.
- भारत में दवा निर्माता कंपनियाँ दवाओं का निर्यात बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान एवं श्रीलंका समेत अन्य देशों में करती हैं. भारत सरकार के अगले आदेश तक ये कम्पनियाँ इन दवाओं और इनके रसायनों का निर्यात नहीं कर पाएंगी.
- कोरोना के प्रकोप से चीन से दवाओं का आयात सीमित कर दिया गया है. जीवन रक्षक दवाओं के उत्पादन में भी गिरावट हुई है. ऐसे में निर्यात को नियंत्रित करना आवश्यक हो गया था जिसे देश में दवाओं की अल्पता का सामना न करना पड़े.
आर्थिक पहलू : आँकड़े क्या बताते हैं?
- भारत चीन से लगभग 10 बिलियन डॉलर के फार्मास्युटिकल एवं जैविक दवाओं का आयात करता है, जिसमें से थोक दवा (दवाओं के निर्माण के लिए कच्चा माल) या API का आयात 2.5 बिलियन डॉलर से ज्यादा है.
- भारत में दवा उत्पादन का कुल मूल्य 30 बिलियन डॉलर (निर्यात और खपत हेतु) से ज्यादा है.
- भारतीय दवा निर्माता अपनी कुल थोक दवाओं की आवश्यकताओं का करीब70% चीन से आयात करते हैं.
- 2018-19 के वित्तीय वर्ष के दौरान केंद्र सरकार ने लोकसभा बताया था कि देश के दवा निर्माताओं ने चीन से भारी मात्रा में 2.4 अरब डॉलर मूल्य की दवाओं और मध्यस्थों का आयात किया था.
सक्रिय औषधि सामग्री (API) क्या है?
सक्रिय औषधि सामग्री (API) का प्रयोग टेबलेट, कैप्सूल और सिरप बनाने के के लिए “कच्चे माल” की तरह किया जाता है. किसी भी दवाई के बनने में API की मुख्य भूमिका होती है और इसी API के लिए भारतीय कंपनियाँ बहुत हद तक चीन पर निर्भर हैं.
सक्रिय औषधि सामग्री (API) किसी दवा का वह भाग है जो रोग को ठीक करने की क्षमता रखता है. आपने कई बार दवाइयाँ खरीदते समय किसी टैबलेट पर लिखा देखा होगा – Dolo 650 (Paracetamol). इसका अर्थ यह होता है कि इस टैबलेट में 650mg सक्रिय औषधि सामग्री है जो आपके ज्वर को ठीक करने में सहायता पहुंचाएगी. दवाई बनाने वाली कंपनियों में भी दो तरह की कंपनियाँ होती है. अधिकांश कंपनियां सक्रिय औषधि सामग्री बनाती हैं और इन दवाइयों को लेकर दूसरी कंपनियाँ इनका फार्मूलेशन तैयार करने का काम करती हैं.
नकली दवाओं की समस्या
नकली API से बनी दवाओं से मरीजों को स्वास्थ्य में लाभ नहीं पहुँचता. ज्ञातव्य है कि पिछले वर्ष ही केंद्र सरकार ने दवाओं के लिए आयात हो रहे कच्चे माल यानी API में हो रहे बड़े घपले को उजागर किया था. विशेषकर चीन से बिना रोक-टोक के घटिया गुणवत्ता वाले प्रतिबंधित और मिलावटी श्रेणी के API का आयात धड़ल्ले से किया जा रहा था.
पिछले वर्ष सितम्बर से केंद्र सरकार ने दवाओं में प्रयोग होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स (Active Pharmaceutical Ingredients) पर QR कोड लगाना अनिवार्य कर दिया था जिससे असली-नकली दवाओं की पहचान की जा सके.
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