सम्बंधित चुनौतियाँ प्रोत्साहन के उपाय GS Paper 3 Source : The Hindu UPSC Syllabus: प्रौद्योगिकी में नवीनतम विकास. संदर्भ हाल ही में इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय ने “एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग” पर राष्ट्रीय रणनीति की घोषणा की है. सच कहा जाए तो यह नीति ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के सिद्धांतों के अनुरूप है जो उत्पादन प्रतिमान में तकनीकी परिवर्तन के जरिये आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहन देगी. एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग में वस्तुओं के प्रोटोटाइप बनाने के लिए कंप्यूटर एडेड डिजाइनिंग या CAD सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है. इस प्रक्रिया में प्लास्टिक, रेजिन, थर्मोप्लास्टिक, धातु, फाइबर या सिरिमिक जैसी सामग्रियों की क्रमिक परतों को जमाते हुए मनचाहे वस्तुओं का निर्माण किया जाता है. इससे बने उत्पाद हल्के, मजबूत एवं लम्बे समय तक चलने वाले होते हैं. 3D प्रिंटिंग इसका ही एक प्रकार है. एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, विनिर्माण में लगने वाले कम समय, वस्तु की डिज़ाइन की स्वतंत्रता की वजह से विनिर्माण क्षेत्र के लिये एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है. इससे कार्बन फुटप्रिंट कम करने में सहायता मिलेगी तथा ऊर्जा सुरक्षा में भी वृद्धि होगी. हालाँकि इस प्रौद्योगिकी के विषय में अभी जागरूकता एवं संबंधित शोध कार्यों का अभाव है. इसके अतिरिक्त भारत जैसे अधिक जनसंख्या वाले देश में ऐसी तकनीक पर निर्भरता भविष्य में बेरोजगारी का भी कारण बन सकती है. ऐसे उत्पादों के लिए अनुप्रयोग क्षेत्र: चिकित्सा और संबद्ध क्षेत्र ऑटो एवं सहायक ऑटो व मोटर स्पेयर पार्ट व्यवसाय, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रिंटेड सर्किट बोर्ड आदि. इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भी योज्य (additive) विनिर्माण क्षेत्रक के भीतर सभी उप-द्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए एक रणनीति निर्मित कर रहा है. जैसा सब जानते हैं कि 18वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में ब्रिटेन में कपड़ा उद्योग के मशीनीकरण, वाष्पशक्ति के प्रयोग तथा आधुनिक कारखानों के उदय के साथ पहली औद्योगिक क्रान्ति का आरम्भ हुआ था. दूसरी औद्योगिक क्रान्ति 19वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों से लेकर प्रथम विश्व युद्ध शुरू होने अर्थात् 1915 तक चली. इस युग में जिन क्षेत्रों में औद्योगिक विकास हुए, वे थे – बिजली, परिवहन, रसायन, इस्पात, बहुतायत में उत्पादन और बहुतायत में खपत. यह क्रांति जापान और रूस तक प्रवेश कर गई. तीसरी औद्योगिक क्रान्ति मूलतः डिजिटल क्रान्ति थी जिसका आरम्भ 1970 के आस-पास हुआ. इस समय अनुप्रयुक्त इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक में नई-नई खोजें हुईं और साथ ही 3D printing जैसी अवधारणाओं का उदय हुआ. उत्पादन को बड़े पैमाने पर ग्राहकों के अनुकूल बनाया गया और निर्माण में नई-नई विशेषताएँ उभरती रहीं. वस्तुतः यह दौर अभी भी चल रहा है परन्तु कुछ विचारकों का कहना है कि अब चौथी औद्योगिक क्रान्ति का आगमन हो चुका है. इनका कहना है कि यह सच है कि अभी भी तीसरी औद्योगिक क्रांति की तकनीकों और अवसंरचनाओं का प्रयोग हो रहा है तथापि अब इसमें ऐसी साइबर-फिजिकल प्रणालियाँ आ रही हैं जिसके कारण तकनीक न केवल समाज में छा जायेगी अपितु यह हमारे शरीरों में भी प्रवेश कर जायेगी. इसके उदाहरण हैं – जेनोम एडिटिंग (genome editing), मशीनी बुद्धि के नए-नए रूप और ब्लॉकचैन जैसी क्रिप्टोग्राफ़िक विधियों पर आधारित प्रशासनिक दृष्टिकोण आदि. इस प्रकार कहा जा सकता है कि चौथी औद्योगिक क्रान्ति तीसरी औद्योगिक क्रान्ति का एक उत्क्रमित (upgraded) चरण होगा जिसकी मुख्य विशेषता तकनीकों का ऐसा सम्मिश्रण होगा जो भौतिक, डिजिटल और जैविक तीनों जगत पर छा जाएगा. Tags: National Strategy for Additive Manufacturing Policy in Hindi. 3D printing explained. Science-Tech, UPSC GS Paper 3. For all Science-Tech current affairs, visit here – Science Notes in Hindiकृत्रिम बौद्धिकता, मशीन-लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ब्लॉकचेन और बिग डाटा जैसे उभरते क्षेत्र भारत के लिये न सिर्फ एक औद्योगिक परिवर्तन है बल्कि सामाजिक परिवर्तन भी है.” इस कथन की पुष्टि कीजिए.”200-शब्द
मेरी राय – मेंस के लिए
Topic : National Strategy for Additive Manufacturing Policy
निर्धारित लक्ष्य
एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग क्या है?
लाभ/महत्त्व
त्रि-आयामी मुद्रण
3D मुद्रण के लाभ
चतुर्थ औद्योगिक क्रान्ति क्या है?
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