Aditya- L1 Mission
भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 2020 के आरम्भ में सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य – L1 अभियान आरम्भ करने की योजना बना रहा है.
आदित्य – L1 अभियान क्या है?
- यह भारत का पहला सौर अभियान है. इसके अंतर्गत एक अंतरिक्षयान सूर्य तक भेजा जाएगा.
- उद्देश्य : यह अन्तरिक्षयान सूर्य की सबसे बाहरी परतों कोरोना और क्रोमोस्फीयरों का अध्ययन करेगा और साथ ही कोरोना प्रतिप्रेषण (corona ejection) के सम्बन्ध में आँकड़े जमा करेगा. इन आँकड़ों से अन्तरिक्षीय मौसम के पूर्वानुमान के लिए सूचना प्राप्त होगी.
- अभियान का माहात्म्य : आदित्य अभियान से प्राप्त आँकड़ों से सौर आँधियों की उत्पत्ति से सम्बंधित विभिन्न मॉडलों को अलग-अलग समझने में सहायता मिलेगी. साथ ही यह पता चलेगा कि यह आंधियाँ कैसे बनती हैं और सूर्य से लेकर पृथ्वी तक पहुँचने के लिए ये अन्तरिक्ष में कौन-सा मार्ग अपनाती हैं.
- यान की स्थिति : सूर्य का सबसे अच्छा दृश्य पाने के लिए यह आवश्यक है कि वहाँ भेजा गया यान ऐसी स्थिति में हो जहाँ सूर्य को बिना अड़चन (ग्रहण) के लगातार देखा जा सकता है. इसलिए आदित्य – L1 को सौर-पृथ्वी प्रणाली के लेग्रेंगियन बिंदु 1 (L1) के चारों ओर के हेलो परिक्रमा पथ में स्थापित किया जाएगा.
लेग्रेंगियन बिंदु क्या हैं?
लेग्रेंगियन बिंदु (Lagrangian points) अन्तरिक्ष के उस स्थान को कहते हैं जहाँ दो बड़े पिंडों का गुरुत्वाकर्षण बल परस्पर संतुलित रहता है. यदि उस स्थान पर कोई छोटा पिंड होता है तो वह बड़े पिंड से सदैव एक निश्चित दूरी पर रहेगा. सौर-पृथ्वी प्रणाली में ऐसे पाँच बिंदु हैं जिनको L1, L2, L3, L4 और L5 कहा जाता है.
हेलो परिक्रमा पथ क्या है?
हेलो परिक्रमा पथ (Halo orbit) एक त्रिआयामी सामयिक परिक्रमा पथ (periodic three-dimensional orbit) है जो L1, L2 अथवा L3 के पास विद्यमान होता है.