[Sansar Editorial] कृषि उत्पादों का भंडारण एवं खाद्य प्रसंस्करण

Sansar LochanSansar Editorial 2018

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The Hindu –  DECEMBER 28

खाद्य प्रसंस्करण क्या है?

किसान साल में 5-6 महीने तक तो कृषि कार्यों में व्यस्त रहता है जबकि शेष 6 से 7 महीने खाली बैठा रहता है. इस दौरान या तो वह महानगरों में जाकार मजदूरी करता है अथवा बेरोजगार रहता है. फलों और सब्जियों की प्रकृति शीघ्रता से विनष्ट होने के कारण बहुत जल्दी खराब हो जाते हैं. खाद्य प्रसंस्करण उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसके द्वारा कृषि उत्पादों, विशेषकर वे उत्पाद जो शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं, को खाद्य पदार्थ के रूप में रूपांतरित किया जाता है जिससे कि उनका लम्बे समय तक उपयोग हो सके. यह रूपांतरण अन्न को पीस कर, पकाकर अथवा किसी अन्य पद्धति से किया जाता है.

सरकार द्वारा उठाये गये कदम

मोदी सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण की महत्ता को देखते हुए देश में पहली बार खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय का गठन किया है. खाद्य प्रसंस्करण को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने बजट 2018-19 में खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के लिए 1,400 करोड़ रू. आवंटित किये हैं. खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सभी 42 मेगा फ़ूड पार्क में अत्याधुनिक परीक्षण सुविधा स्थापित की जा रही है. खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में प्रतिवर्ष औसतन 8% की दर से विकास हो रहा है. कृषि आय बढ़ाने के लिए डेयरी, पशुपालन, मत्स्य, पोल्ट्री इत्यादि के विकास पर भी जोर दिया जा रहा है. किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा का विस्तार मत्स्य एवं पशुपालन करने वालों तक कर दिया गया है. इसके लिए सरकार में प्रशिक्षण, सहायता और अनुदान देने की व्यवस्था की है. स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के जरिये महिलाओं को ग्रामीणों आजीविका कार्यक्रम के अंतर्गत स्वाबलम्बी बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं.

टमाटर, आलू और प्याज जैसी शीघ्र नष्ट होने वाली फसलों की कीमतों को अनिश्चितता से बचाने के लिए “ऑपरेशन फ्लड” की तर्ज पर “ऑपरेशन ग्रीन” योजना शुरू की गई है. ऑपरेशन ग्रीन के द्वारा किसानों, उत्पादक संगठनों, कृषि सम्भार तन्त्र, प्रसंस्करण सुविधाओं, व्यवसाय प्रबंधन में सामंजस्य स्थापित किया जा रहा है. इसके लिए 500 करोड़ रुपये निधि की घोषणा की गई है. कृषि उत्पादों की विपणन प्रणाली में सुधार के लिए “ई-पोर्टल” एवं “ग्रामीण कृषि बाजार” को स्थापित किया जा रहा है जो कि कृषि विपणन प्रणाली की दिशा में एक क्रान्तिकारी कदम है. इससे किसान घरेलू स्तर पर उपलब्ध कृषि उत्पाद का मूल्य संवर्धन कर मोटा मुनाफा कमा सकते हैं.

कृषि क्षेत्र में विकास के लिए क्या किया जाना चाहिए?

देश में समावेशी विकास के लिए सेवा और औद्योगिक क्षेत्र की प्रगति के साथ-साथ कृषि क्षेत्र का विकास भी आवश्यक है. देश की लगभग दो-तिहाई आबादी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में संलग्न है. कृषि क्षेत्र के विकास में सरकार द्वारा निम्नलिखित कदम उठाये जा सकते हैं –

  1. कृषि क्षेत्र में बढ़ते जनांकिकी दबाव की चुनौतियों से निपटने के लिए कृषि का औद्योगिकीकरण किया जा रहा है. इसके लिए सरकार को परम्परागत कृषि प्रणाली को आधुनिकीकरण कर, कृषि की आधारभूत अवसंरचना विकास के निवेश पर जोर देना चाहिए.
  2. हर किसानों को मृदा स्वास्थ्य प्रमाणपत्र प्रदान किया जाना चाहिए जिससे किसान आवश्यकतानुसार उर्वरकों का उपयोग कर सकें.
  3. उर्वरकों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए तथा कीटनाशकों का प्रयोग कम-से-कम करने के लिए नीम कोटेड यूरिया के प्रयोग पर बल दिया जाना चाहिए.
  4. असिंचित भू-भाग में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के लिए और सिंचित भूभाग में जल संरक्षण के यथासंभव प्रयास किये जाने चाहिए.
  5. आधुनिक कृषि संयंत्रों के निर्माण में सब्सिडी और कर राहत तथा किसानों द्वारा कृषि संयंत्रों को खरीदने के लिए ऋण सहायता प्रदान किया जाना चाहिए.
  6. खाद्यान्न और फल-सब्जियों को लम्बे समय तक संरक्षित करने के लिए भण्डारगृहों एवं शीत गृहों का निर्माण अधिक से अधिक संख्या में किया जाना चाहिए.
  7. स्वयं सहायता समूह बनाकर खाद्य प्रसंस्करण तकनीकी द्वारा स्थानीय-स्तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसरों का सृजन किया जाना चाहिए.

शीत एवं भण्डार गृहों की स्थापना

देश में रिकॉर्ड फसल उत्पादन के बाद कृषि उत्पाद को सुरक्षित रखना सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण है. गैर-सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़ देश में प्रतिवर्ष 670 लाख टन खाद्यान्न नष्ट हो जाते हैं. भारत सरकार के “सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी” के अध्ययन के अनुसार, उचित भंडारण की कमी के कारण देश में बड़े पैमाने पर खाद्य पदार्थों की बर्बादी होती है जिससे लाखों लोगों की भोजन सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकती है. खाद्य पदार्थों की बर्बादी के कारण देश में भुखमरी और महंगाई में बढ़ोतरी हो रही है. भंडारण की समुचित व्यवस्था से खाद्यान्न संरक्षण द्वारा किसानों को फसल की समुचित कीमत मिलने के साथ-साथ उपभोक्ताओं को सस्ते दर पर खाद्य पदार्थ मुहैया हो सकता है. कृषि मंत्री स्वयं स्वीकारते हैं कि देश में बड़े पैमाने पर प्याज, टमाटर, आलू इत्यादि खेत से उपभोक्ता तक पहुँचने से पूर्व ही नष्ट हो जाते हैं.

संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक़ देश में फल व सब्जियों के उत्पादन का एक तिहाई हिस्सा उपभोक्ता तक पहुँचने से पूर्व ही नष्ट हो जाता है. सरकार देश में बड़े पैमाने पर शीतगृह खोलने एवं शीत शृंखला स्थापित करने पर जोर दे रही है.

निष्कर्ष

देश में शीतगृहों का अभाव होने के चलते बड़े पैमाने पर फल एवं सब्जियाँ खराब हो जाती हैं. देश में FCI की कुल भण्डारण क्षमता 773 लाख टन अनाज रखने की है. इसके बावजूद देश में बड़े पैमाने पर खाद्यान्न नष्ट हो जाते हैं. इसलिए खाद्यानों के संरक्षण के लिए अभी और भण्डारगृहों की आवश्यकता है. खाद्य प्रसंस्करण विधि द्वारा जहाँ एक ओर फल व सब्जियों के भौतिक व रासायनिक प्रकृति में परिवर्तन कर सामान्य तापक्रम पर लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है, वहीं दूसरी ओर किसानों को स्थानीय-स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकते हैं. सरकार कृषि के उत्थान और किसानों के आर्थिक उन्नयन के लिए अनेक योजनाओं का संचालन कर रही है. आवश्यकता है कि सरकारी योजनाओं का धरातल पर ध्यानपूर्वक क्रियान्वयन करे.

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