[संसार मंथन] मुख्य परीक्षा लेखन अभ्यास – Culture & Heritage GS Paper 1/Part 6

Sansar LochanCulture, GS Paper 1, History, Sansar Manthan

अजंता की पहाड़ी महाराष्ट्र के जलगाँव से 55 कि.मी. और औरंगाबाद से 100 कि.मी. की दूरी पर स्थित है. अजंता नामक गाँव से अजंता की गुफाएँ लगभग 5 कि.मी. दूर हैं. ये गुफाएँ फरदापुर गाँव के समील बाघोरा नदी के तट के किनारे-किनारे एक ही पहाड़ी में काट-तराशकर बनाई गई हैं. सर्पिलाकार नदी, सघन वनराशि और उन्मुक्त खुले आकाश के एकांत और सुरम्य वातावरण में बौद्ध भिक्षुओं के वर्षा-आवास के लिए इन गुफाओं का निर्माण किया गया था ताकि वहाँ वे चिंतन, मनन और ध्यान कर सकें.

अक्सर अजन्ता गुफाओं के विषय में UPSC Mains में सवाल पूछे जाते हैं. चलिए अब इस प्रश्न को आप खुद से हल करें. नीचे मॉडल आंसर दिया गया है.

सामान्य अध्ययन पेपर – 1

अजंता की गुफाओं में विभिन्नता देखने को क्यों मिलती है? गुफाओं के प्रकार और गुफाओं के चित्रांकन की विशेषताओं का वर्णन करें. (250 words) 

यह सवाल क्यों?

यह सवाल UPSC GS Paper 1 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप से लिया गया है –

“भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे”.

सवाल का मूलतत्त्व

अजन्ता की गुफाओं में आकार-प्रकार में असमानता उसके निर्माण-काल से सम्बंधित है. इसलिए परीक्षक आपसे यह जानने का प्रयास कर रहा है कि आप “विभिन्नता” शब्द से क्या समझ रहे हैं? विभिन्नता का सीधा अर्थ हुआ कि अजन्ता की गुफाओं के आकार और प्रकार में जरुर अंतर है इसलिए यह प्रश्न पूछा जा रहा है.

अब सवाल यह उठता है कि गुफाओं का आकार-प्रकार क्या होता है? यदि आपने हमारा पिछला पोस्ट पढ़ा होगा तो हमने चैत्य गुफा के विषय में संसार मंथन में लिखा था. यदि नहीं पढ़ा तो इस कॉलम को पढ़ने के बाद यह लिंक खोल कर पढ़ लें >> Chaitya Gufa

इस प्रकार गुफा के भी भिन्न-भिन्न प्रकार हैं जो परीक्षक अजंता गुफाओं के सम्बन्ध में आपसे जानना चाहता है. चित्रांकन के विषय में आपको चित्रों के भाव, आभूषण, मुद्राओं के विषय में संक्षिप्त में लिखना होगा और साथ-साथ यह भी जिक्र कर दें कि गुफाओं के चित्र प्रायः नष्ट हो गये हैं.

उत्तर:-

अजंता की गुफाएँ

(ऊपर का title देने की जरुरत नहीं, यह तो मैंने बस समझाने के लिए दिया है कि किस विषय में लिख रहा हूँ)

अजंता की अब तक कुल 29 पूर्ण गढ़ी हुई और एक अनगढ़ गुफा मिली है. चूँकि ये गुफाएँ भिन्न-भिन्न कालों में निर्मित की गई थीं, इसलिए न तो वे आकार-प्रकार में समान हैं और न ही उनके धरातल समान हैं. सबसे नीचे धरातल वाली गुफा संख्या 8 है और सबसे ऊँची धरातल वाली गुफा संख्या 29 है. ये सभी गुफाएँ मोटे तौर पर दो प्रकार की हैं

चैत्य गुफाएँ

इनमें पूजा के लिए पीछे की ओर एक स्तूप भी निर्मित किया गया था. ये मुख्यतः पूजा के स्थान थे. गुफा संख्या 9, 10, 19, 26 और 29 चैत्य गुफाएँ हैं (परीक्षा में याद रहे तो गुफा नंबर लिखने से डबल मार्क्स मिलेंगे, पर यह सब के बस की बात नहीं है).

विहार गुफाएँ

ये गुफाएँ मुख्यतः बौद्ध भिक्षुओं के आवास के लिए बनाई गई थीं. ऊपर अंकित गुफाओं को छोड़कर शेष सभी विहार गुफाएँ हैं. कालक्रम से अजंता की ये गुफाएँ मुख्यतः दो समूहों में रखी जा सकती हैं –

i) प्रारम्भिक युग

द्वितीय शती ई.पू. से प्रथम शती. ई.पू. के बीच निर्मित कुल 6 गुफाएँ हैं. (यदि याद रहे तो >>) इन 6 गुफाओं में गुफा संख्या 9 और 10 चैत्य तथा गुफा संख्या 8, 12, 13 तथा 15 विहार गुफाएँ हैं.

ii) परवर्ती युग

लगभग चार शताब्दियों के अंतराल के बाद अजंता में गुफाओं का निर्माण और अधिक व्यापक स्तर पर किया गया जो लगभग तीन शताब्दियों तक चलता रहा. इस युग की गुफाओं में मूर्तिकला और चित्रकला का अत्यंत विकसित स्वरूप पाया जाता है. पाँचवी तथा छठी शताब्दी ई. की अजन्ता की यह मूर्तिकला तथा चित्रकला संसार प्रसिद्ध है.

अजन्ता गुफाओं का चित्रांकन

अजंता की इन गुफाओं की भित्तियों पर विभिन्न रंगों से चित्रांकन पाया गया है. पहली, दूसरी, सोलहवीं तथा सत्रहवीं गुफा के चित्रों के विशेष अंश बचे हैं. सौभाग्यवश ये सभी गुप्तकालीन गुफाएँ हैं, इसलिए इनके चित्र भी उत्तम प्रकार के हैं.

अन्य गुफाओं में चित्र प्रायः नष्ट हो गये हैं, केवल उनके खंडित अंश ही अवशेष हैं. गुफा-निर्माण के अनुरूप ही अजन्ता की चित्रकला भी कला की दृष्टि से दो युगों की हैं – प्रारम्भिक युग के चित्र द्वितीय-प्रथम शती ई.पू. के हैं. इन चित्रों में शिरोभूषा विशेषकर पगड़ी और उनके आभूषण लगभग उसी प्रकार के हैं जिस प्रकार के तत्कालीन भरहुत तथा साँची-शिल्प में उत्कीर्ण पाए गये हैं. परवर्ती युग के चित्रों में भावमुद्राओं का अंकन, रंगों का संयोजन, समानुपातिक दृश्यांकन, सुदर छाया-प्रकाश का नियोजन, भावों का सुन्दर और प्रभावी चित्रण हुआ है.

वस्तुतः अजंता के भित्तिचित्र चित्रकला के सर्वोत्तम शिखर और आदर्श की पराकाष्ठा तक पहुँचे थे.

सामान्य अध्ययन पेपर – 1

अजंता के चित्रों की मुख्य विषय-वस्तु पर टिपण्णी करें. (250 words)

यह सवाल क्यों?

यह सवाल UPSC GS Paper 1 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप से लिया गया है –

“भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे”.

सवाल का मूलतत्त्व

जैसा कि आप जानते हैं कि अजन्ता के चित्रों की मुख्य विषय-वस्तु बौद्ध धर्म है. इसलिए आपको बुद्ध के जीवन के विभिन्न चरणों से भी अवगत होना  पड़ेगा क्योंकि इन गुफाओं में सभी चित्र जातक कथाओं से तथा बुद्ध के जीवन से लिए गये हैं.

उत्तर:-

अजन्ता के चित्रों की मुख्य विषय-वस्तु बौद्ध धर्म है तथा चित्रकार की तूलिका सर्वत्र बुद्ध अथवा बोद्धिसत्त्व को चित्रित करने में ही संलग्न दिखाई देती है. बुद्ध तथा बोधिसत्त्व के ये चित्रांकन प्रायः जातक कथाओं से तथा बुद्ध के जीवन से लिए गये हैं. मूलतः बौद्ध चित्रांकन होने पर भी इन दृश्यांकनों में तत्कालीन समाज का बहुरंगी जीवन प्रतिबिम्बित हो उठा है. इन चित्रों में तत्कालीन नगर, गाँव, राजदरबार, तपोवन आदि के आवासियों के निवास, उनके कार्य-कलाप, उनकी वेशभूषा, आमोद-प्रमोद सभी कुछ अंकित हो उठे हैं.आकाशचारी देवता, गन्धर्व, किन्नर तथा अप्सराएँ भी इन चित्र-फलकों में विराजमान हैं.

मनुष्यों के विभिन्न वर्गों को चित्रित करने में चित्रकारों ने विशेष सफलता पाई है. इनमें भिक्षु, ब्राह्मण, सैनिक, राज-परिवार, परिचारक-परिचारिकाएँ, शिकारी, तपस्वी, वारवनिताएँ, अप्सराएँ आदि के माध्यम से प्रेम, लज्जा, हर्ष, उल्लास, शोक, उत्साह, क्रोध, घृणा, भय, अस्चर्य, चिंता, विरक्ति, विरह, शांति आदि भावों की सराहनीय अभिव्यक्ति की गई है.

लता-गुल्मों और पशु-पक्षियों के रूप में अजन्ता के कलाकारों ने प्राकृतिक सुषमा की अद्वितीय छटा बिखेरी है. अजन्ता में पद्य अपने विभिन्न रूपों में अंकित है. सरोवरों में क्रीड़ा करते अथवा परस्पर युद्ध करते हाथी-बैल, कुलाँचे भरते हिरन, सरोवर में तैरते हंस आदि अजन्ता की चित्रकला के अभिन्न अंग हैं.

अजंता के चित्रों में फलकों के किनारे अथवा मध्य भाग सजाने के लिए चित्रकारों ने तरह-तरह की मनोहर कलाकृतियाँ चित्रित की हैं. इनमें पद्मबेलि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं. इन्हें गोमूत्रिका, झालर या वंदनवार आदि विभिन्न प्रकारों से सजाया गया है. इन बेलों में हाथी, बैल, हंस, फल, पुष्प आदि का भी उपयोग किया गया है.

“संसार मंथन” कॉलम का ध्येय है आपको सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में सवालों के उत्तर किस प्रकार लिखे जाएँ, उससे अवगत कराना. इस कॉलम के सारे आर्टिकल को इस पेज में संकलित किया जा रहा है >> Sansar Manthan

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