[संशोधन] आयुध अधिनियम, 1959 एवं आयुध नियमावली, 2016

Sansar LochanBills and Laws: Salient Features

Amendments in Arms Act, 1959 and Arms Rules, 2016 notified

आयुध अधिनियम, 1959 (Amendments in Arms Act, 1959) एवं आयुध नियमावली, 2016 (Arms Rules, 2016) में किये गये संशोधनों की अधिसूचना प्रकाशित की गई है.

आयुध अधिनियम, 1959 एवं आयुध नियमावली, 2016  में हुए संशोधनों का संक्षिप्त विवरण

  • पहले अंतर्राष्ट्रीय पदक जीतने वाले या विख्यात निशानेबाज केवल सात अतिरिक्त हथियार रख सकते थे. पर छूट श्रेणी के अंतर्गत ऐसे 12 अतिरिक्त हथियार रखे जा सकते हैं.
  • यदि कोई निशानेबाज एक खेल में विख्यात है तो वह छूट श्रेणी के अंतर्गत चार हथियार रख सकता था. पर अब वह आठ रख सकेगा.
  • यदि कोई निशानेबाज दो खेलों में ख्याति प्राप्त है तो वह सात हथियार रख सकता है. पर अब वह ऐसे अधिकतम दस हथियार रख सकेगा.
  • पहले यदि कोई निशानेबाज दो से अधिक खेलों में ख्याति प्राप्त था तो वह छूट श्रेणी में सात ही हथियार रख सकता था जोकि अब बढ़ाकर अधिकतम 12 कर दिया गया है.
  • किसी भी श्रेणी के अंतर्गत जूनियर निशानेबाज को अभी एक ही हथियार रखने दिया जाता है, परन्तु संशोधन के पश्चात् अब वह दो हथियार रख सकेगा.
  • ऊपर बताई गई छूटों से अलग, कोई भी निशानेबाज आयुध अधिनियम, 1959 के प्रावधानों के अंतर्गत साधारण नागरिक के रूप में दो हथियार रखने की अर्हता रखता है.
  • आयुध नियमावली, 2016 के नियम 40 का संशोधन करके निशानेबाजों द्वारा एक वर्ष में खरीदी गई गोली आदि की मात्रा अब अच्छी-खासी बढ़ा दी गई है.
  • अब क्यूरियो श्रेणी (50 साल से पुराने दुर्लभ वस्तु की श्रेणी) के अन्दर आने वाले छोटे हथियारों को खरीदने और रखने के लिए किसी भारतीय नागरिक को लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी. परन्तु इन हथियारों का उपयोग करने या कहीं ले जाने के लिए समुचित लाइसेंस लेना होगा. इस तरह के आवश्यक लाइसेंस में प्रविष्टि के बिना धारक को उनके उपयोग हेतु गोला-बारूद की बिक्री नहीं की जाएगी.
  • संशोधन में वर्तमान अपराधों जैसे हथियारों का अवैध निर्माण, विक्रय, हस्तांतरण, निषिद्ध हथियारों और निषिद्ध गोला-बारूद को रखना, हथियारों के स्वरूप को बदलना, उनका आयात-निर्यात करना आदि के लिए निर्धारित दंडों में वृद्धि कर दी गई.
  • संशोधन में नए-नए अपराध भी परिभाषित किये गये हैं और उनके लिए दंड का प्रावधान किया गया है, जैसे – पुलिस या सैनिकों से हथियार छीनना, संगठित अपराधी गुट में संलिप्त होना, हथियारों की अवैध तस्करी, विदेश से अवैध रूप से हथियार मंगाना, विवाह आदि समारोह में लापरवाही के साथ गोली चलाना आदि.
  • संशोधन के अनुसार अब शस्त्र लाइसेंस की अवधि तीन वर्ष न होकर पाँच वर्ष की होगी. साथ ही जालसाजी को रोकने के लिए यह लाइसेंस इलेक्ट्रॉनिक रूप में दिया जाएगा.

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