अटल भूजल योजना के बारे में विस्तृत जानकारी

Sansar LochanGovt. Schemes (Hindi), Pollution

भारत सरकार का जल शक्ति मंत्रालय अटल भूजल योजना (Atal Bhujal Yojana – ABHY) नामक एक केन्द्रीय प्रक्षेत्र की योजना चला रहा है जिसके लिए विश्व बैंक से 6,000 करोड़ रु. मिलेंगे.

इसमें भारत सरकार और विश्व बैंक आधा-आधा पैसा लगा रहे हैं. इस योजना का उद्देश्य देश में उन क्षेत्रों में भूजल के प्रबंधन को सामुदायिक सहयोग से सुधारना है जहाँ यह काम अपेक्षाकृत अधिक आवश्यक है.

इस योजना के अंतर्गत चुने गये ऐसे क्षेत्र जिन राज्यों के अन्दर पड़ते हैं, वे हैं – गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश.

ज्ञातव्य है कि देश में जिन प्रखंडों में भूजल का आवश्यकता से अधिक दोहन हुआ है और जहाँ भूजल की स्थिति अत्यंत विकट अथवा मात्र विकट है, उनमें से 25% प्रखंड उन्हीं राज्यों में स्थित हैं.

अटल भूजल योजना का कार्यान्वयन

केंद्र सरकार राज्यों को धनराशि देगी जिससे वे भूजल प्रशासन के लिए उत्तरदायी संस्थानों को सुदृढ़ करने के साथ-साथ भूजल प्रबंधन में सुधार लाने के काम में सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देंगे. इस प्रकार जल के संरक्षण और कुशल उपयोग के लिए समाज के व्यवहार में बदलाव लाया जाएगा.

प्रत्याशित परिणाम

आशा है कि इस योजना के कई सकारात्मक परिणाम हो सकते हैं, जैसे –

  1. भूजल प्रणाली की बेहतर समझ.
  2. भूजल में कमी से सम्बंधित समस्याओं के समाधान के बारे में समुदाय के दृष्टिकोण में अंतर.
  3. पहले से चल रहीं और नई योजनाओं को एक साथ मिलकर भूजल का सतत प्रबंधन.
  4. सिंचाई के लिए भूजल के प्रयोग में कमी लाने के लिए वैकल्पिक उपायों को अपनाना.
  5. लक्षित क्षेत्रों में भूजल संसाधनों में बढ़ोतरी.

भारत में भूजल की स्थिति

भारत विश्व में सर्वाधिक भूजल का प्रयोग करता है. यहाँ भूजल का 90% पीने के लिए प्रयुक्त होता है. सिंचाई का 60-70% जल भी भूजल से ही आता है. शहरों में पानी की 50% आपूर्ति भी भूजल से ही होती है.

भूजल संकट के मुख्य कारण

  1. जलाशयों का अतिशय दोहन
  2. भूजल का प्रदूषण :- यह प्रदूषण आर्सेनिक और फ्लूराइड जैसे भूगर्भीय पदार्थों के कारण तो होता ही है, इसके लिए कचरे और अपशिष्ट जल का सही निपटारा नहीं होना भी एक प्रधान कारण है.
  3. अन्य उल्लेखनीय कारण हैं – जनसंख्या में वृद्धि, तेज शहरीकरण, औद्योगीकरण आदि.

राज्यों/संघीय क्षेत्रों में भूजल के विकास का नियमन केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण (Central Ground Water Authority – CGWA) करता है. इसने राज्य भूजल विभागों के साथ संयुक्त रूप से देश के भूजल संसाधनों का एक अध्ययन किया है. इसके अनुसार जिन 6584 मूल्यांकन इकाइयों (प्रखंड/तालुक/मंडल/जलच्छादन क्षेत्र/फिरका) में सर्वेक्षण हुआ, उनमें से 1034 इकाइयाँ ऐसी पाई गयीं जिन्हें “आवश्यकता से अधिक दोहन (over-exploited)” वाली श्रेणी में रखा गया.

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