साधारणत: “नौकरशाही” शब्द का प्रयोग अनादर अथवा तिरस्कार के साथ ही किया जाता है. प्रजातांत्रिक व्यवस्था में इसे कटु आलोचना की कसौटी पर कसा गया है. रैमजे ग्योर, लॉर्ड हेवार्ट और एलन ने इस बात के लिए दुःख प्रकट किया है कि ब्रिटेन में नौकरशाही और तानाशाही स्थापित हो गई है. रैमजे ग्योर ने कहा है कि ब्रिटेन में “नौकरशाही … Read More
नौकरशाही की विशेषताएँ – Ethics Notes
विभिन्न विद्वानों ने नौकरशाही (Bureaucracy) की विभिन्न विशेषताओं पर प्रकाश डाला है. उन विशेषताओं के आधार पर नौकरशाही की निम्नलिखित विशेषताओं का वर्णन किया जा सकता है – नौकरशाही की विशेषताएँ – Characteristics of Bureaucracy निश्चित कार्यक्षेत्र इसकी पहली विशेषता यह है कि इसका कार्यक्षेत्र निश्चित होता है. विधानमंडल द्वारा बनाए गए नियमों तथा कार्यपालिका द्वारा बनाए गए नियमों … Read More
नौकरशाही (Bureaucracy) – एक आलोचनात्मक टिप्पणी | Ethics Notes
आधुनिक युग में प्रत्येक देश के प्रशासन में असैनिक सेवा की महत्ता बहुत बढ़ गई है. वास्तव में, प्रशासन की सफलता असैनिक सेवाओं की योग्यता और कार्यकुशलता पर ही निर्भर करती है. संसदीय शासन-व्यवस्था में मंत्रियों को अपने विभाग के कार्यों का कोई अनुभव और ज्ञान नहीं रहता, अतः उन्हें विशेषज्ञ कर्मचारियों के इशारे पर ही नाचना पड़ता है. इसके … Read More
असैनिक सेवाओं द्वारा संपादित कार्य – Ethics Notes
पिछले पोस्ट में हमने जो सिविल सेवाओं की विशेषताओं का विवरण किया उससे स्पष्ट हो जाता है कि प्रशासन में उनका कितना महत्त्वपूर्ण स्थान है. अपने कार्यों के निर्वाह के लिए उनमें ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, उत्तरदायित्व एवं जनसेवा की भावना कूट-कूट कर भरी रहनी चाहिए. वास्तव में, उनके उत्तरदायित्व दिनों-दिन बढ़ते जा रहे हैं. उनका कार्य अब नीति-निर्धारण को कार्यान्वित करने … Read More
सिविल सेवकों की विशेषताएँ – Ethics Notes
आधुनिक असैनिक कर्मचारियों की अनेक विशेषताएँ हैं, जिनमें ये मुख्य हैं— Features of Modern Civil Servants असैनिक सेवा में प्रशिक्षित, कुशल, स्थायी तथा बैतनिक अधिकारियों का एक पदाधिकारी वर्ग है. अन्य व्यवसायों में व्यस्त व्यक्तियों की ही तरह, असैनिक सेवा के पदाधिकारी प्रशासन के कार्यों में व्यस्त रहते हैं. उनका प्रमुख कार्य प्रशासन का कार्य करना ही है. असैनिक सेवाओं … Read More
आधुनिक युग में असैनिक सेवाओं का महत्त्व (Ethics Notes)
ई भी प्रशासकीय संगठन चाहे कितना भी अच्छा क्यों नहीं हो, अंततोगत्वा इसकी सफलता या असफलता उन लोगों की समझ, योग्यता तथा सभ्यता पर निर्भर है, जो प्रशासकीय कार्यों को संपन्न करते हैं. प्रत्येक देश में प्रशासन की सफलता का उत्तरदायित्व उसके कर्मचारियों की योग्यता, कार्यकुशलता और ईमानदारी पर आधारित है. देश के प्रशासन के लिए नीति निर्धारित करना राजनीतिक कार्यपालिका … Read More
भारतीय परिषद अधिनियम, 1892 – Indian Council Act
1861 के बाद भारत की अर्थव्यवस्था, सार्वजनिक सेवाओं, स्थानीय-स्वशासन आदि क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण घटनाएँ हुईं. इन घटनाओं के फलस्वरूप भारतीयों में बड़ी उत्तेजना फैली और उनमें राजनीतिक चेतना तथा राष्ट्रीयता का विकास हुआ. 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का जन्म हुआ. इसने संवैधानिक सुधारों की मांग की. इन घटनाओं तथा माँगों के फलस्वरूप ब्रिटिश संसद ने 1892 का भारतीय परिषद … Read More
अधीनस्थ न्यायालय – उच्च न्यायालय के अधीन
आपने उच्च न्यायालय और उसके क्षेत्राधिकार के विषय में हमारे ब्लॉग पर पढ़ा ही होगा. यदि नहीं पढ़ा तो यहाँ इस लिंक से पढ़ लें > (उच्च न्यायालय). आज हम इस पोस्ट में उच्च न्यायालय के अधीनस्थ न्यायालय के विषय में पढेंगे. उच्च न्यायालय के अधीन कई श्रेणी के न्यायालय होते हैं, उन्हें अधीनस्थ न्यायालय की श्रेणी में रखा जाता है. … Read More
आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में साढ़े छह दशक पुराने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन को स्वीकृति दे दी ताकि अनाज, दलहन और प्याज सहित खाद्य वस्तुओं को नियमन के दायरे से बाहर किया जा सके. संशोधन के मुख्य तथ्य संशोधन के माध्यम से राष्ट्रीय आपदाओं, अकाल के फलस्वरूप दामों में बेलगाम वृद्धि जैसी असाधारण परिस्थितियों में ही खाद्य … Read More
प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना – PM SVANidhi
हाल ही में ‘केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय’ (Ministry of Housing and Urban Affairs- MoHUA) ने छोटे दुकानदारों और फेरीवालों (Street Venders) को आर्थिक रूप से सहयोग प्रदान करने के लिए ‘प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (The Pradhan Mantri Street Vendor’s AtmaNirbhar Nidhi- PM SVANidhi) या पीएम स्वनिधि नामक योजना का प्रारम्भ किया है. PM Svanidhi योजना का लाभ … Read More