आज हम बौद्ध प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ बौद्ध संगीतियों के विषय में पढेंगे और ये जानेंगे कि उन संगीतियों (Buddhist Councils) के समय तत्कालीन शासक, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष कौन थे? ये भी जानेंगे कि ये संगीतियाँ (councils) कहाँ और कब (date) हुईं? [table id=37 /] बौद्ध संगीतियों के प्रमुख कार्य प्रथम संगीति बुद्ध की शिक्षाओं को संकलित कर उन्हें … Read More
बौद्ध धर्म के विषय में स्मरणीय तथ्य : Part 3
आशा है आप बौद्ध धर्म के विषय में स्मरणीय तथ्य Part 1 और पार्ट 2 वाला पोस्ट पढ़ लिया होगा, यदि नहीं पढ़ा तो इस पोस्ट के नीचे उसका लिंक दे दिया गया है. Exams में कई सवाल बौद्ध और जैन धर्म से पूछ लिए जाते हैं. मैं UPSC, UPPSC, MPSC, JPSC, BPSC, RPSC इन 6 राज्यों के previous year … Read More
चोल साम्राज्य और इस वंश के शासक – The Chola Empire
आज हम चोल साम्राज्य के विषय में पढेंगे. जानेंगे इस वंश का उदय और पतन कैसे हुआ, इस वंश के राजा कौन थे. इस पोस्ट को आगे भी update किया जाएगा जिसमें हम Chola’s government (केन्द्रीय शासन), न्याय प्रणाली, आय-व्यय के साधन, कला और संस्कृति के विषय में भी जानेंगे. चलिए जानते हैं Chola Empire के सभी details in Hindi. … Read More
बौद्ध साहित्य – जातक, पिटक, निकाय आदि शब्दावली
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत के रूप में बौद्ध साहित्य का विशेष महत्त्व है. इसमें जातक, पिटक और निकाय आदि आते हैं. चलिए जानते हैं बौद्ध साहित्य से सम्बंधित कुछ ऐसी ही शब्दावली के विषय में जो परीक्षा में अक्सर पूछे जाते हैं. जातक बौद्ध साहित्य का सबसे प्राचीन अंग कथाएँ हैं. जातकों की संख्या 547 है. जातक में भगवान् … Read More
[Prelims Part 1] प्राचीन भारतीय इतिहास के स्मरणीय तथ्य
आपके साथ आज प्राचीन भारतीय इतिहास के स्मरणीय तथ्य share करने जा रहा हूँ जो आपके आगामी Civil Services Prelims परीक्षा में काम आयेंगे. Ancient History Valuable Facts प्राचीन भारत का इतिहास जानने के लिए “पुराण” एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है. इसका अर्थ है प्राचीन. इसकी संख्या 18 है. इससे प्राचीन राजवंशों और भारत के भूगोल की जानकारी मिलती है. पुराण … Read More
1857 से पूर्व के महत्त्वपूर्ण विद्रोह
आपने 1857 के विद्रोह के विषय में लिखे हुए हमारे पोस्ट को पढ़ा ही होगा. आज हम 1857 ई. से पूर्व हुए महत्त्वपूर्ण विद्रोहों की चर्चा करेंगे – संन्यासी विद्रोह 1770 इस संन्यासी विद्रोह का उल्लेख बंकिम चन्द्र चटर्जी ने अपने उपन्यास “आनंदमठ” में किया है. तीर्थ स्थानों पर लगे प्रतिबंधों से संन्यासी लोग बहुत क्षुब्ध हुए. संन्यासियों के बीच अन्याय के … Read More
भारतीय मंदिरों के स्थापत्य की नागर, द्रविड़ और वेसर शैलियाँ
पूर्व मध्यकालीन शिल्पशास्त्रों में मंदिर स्थापत्य की तीन बड़ी शैलियाँ बताई गई हैं – नागर शैली, द्रविड़ शैली और वेसर शैली. नागर शैली – नागर शैली का प्रचलन हिमालय और विन्ध्य पहाड़ों के बीच की धरती में पाया जाता है. द्रविड़ शैली – द्रविड़ शैली कृष्णा और कावेरी नदियों के बीच की भूमि में अपनाई गई. वेसर शैली – वेसर … Read More
गुरु नानक देव की संक्षिप्त जीवनी और शिक्षाएँ
आज हम गुरु नाना देव की जीवनी और उनके द्वारा दी गई अमृततुल्य शिक्षाओं के बारे में पढेंगे. चलिए पहले जानते हैं कि गुरु नानक जी का प्रारंभिक जीवन कैसा था. गुरु नानक का प्रारंभिक जीवन सिख धर्म के प्रणेता गुरु नानक देव रावी के तट पर स्थित तलवंडी (आधुनिक ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में नवम्बर 1469 ई. में एक खत्री … Read More
मनसबदारी व्यवस्था क्या थी? Mansabdari System in Hindi
मुगलों द्वारा विकसित मनसबदारी व्यवस्था (Mansabdari System) ऐसी थी जिसका भारत के बाहर कोई उदाहरण नहीं मिलता. मनसबदारी व्यवस्था की उत्पत्ति संभवतः विश्वविख्यात मंगोल विजेता और आक्रमणकारी चंगेज खां के काल में हुई थी जिसने अपनी सेना को दशमलव के आधार पर संगठित किया था. इसमें सबसे छोटा एकांश (unit या इकाई) दस का था और सबसे ऊँचा दस हजार … Read More
पल्लव कौन थे? पल्लव वंश के शासक और उनकी उपलब्धियाँ
पल्लव कौन थे? प्रायः इसके बारे में कहा जाता है कि ये लोग स्थानीय कबीलाई थे. पल्लव का अर्थ होता है “लता” और यह तमिल शब्द “टोंडाई” का रूपांतरण है जिसका अर्थ भी लता होता है. इसलिए इन्हें मूलतः लताओं के प्रदेश का निवासी कहा जाता है. कुछ इतिहासकार उन्हें विदेशी-पहलव मानते हैं. इस मत का समर्थन करते हुए वे … Read More