हाल ही में रूस ने विवादित अजोव सागर (Azov Sea) में यूक्रेन के तीन नौसैनिक जहाज़ों और 20 से अधिक जहाजकर्मियों को अपने आधिपत्य में ले लिया है और इस प्रकार एक बार फिर अजोव सागर को लेकर रूस और यूक्रेन के बीच की तनातनी सामने आ गयी है. आइये जानते हैं Azove Sea Dispute के बारे में.
Azov Sea Dispute
इतिहास
यूक्रेन और रूस दोनों एक दूसरे पर यह आरोप लगाते हैं कि वे अजोव सागर में अंतर्राष्ट्रीय सामुद्रिक कानून का उल्लंघन कर रहे हैं. दोनों देश 1982 की एक संयुक्त राष्ट्र संधि (UN Convention on the Law of the Sea) का हवाला देते हैं जिस पर इन दोनों देशों ने 1990 के दशक में हस्ताक्षर किये थे.
यूक्रेन कहता है कि इस संधि के अनुसार उसे कर्च जलडमरूमध्य (Kerch Strait) और अजोव सागर में आवाजाही की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए. इन दोनों देशों के बीच कर्च जलडमरूमध्य और अजोव सागर के स्वतंत्र उपयोग के विषय में एक द्विपक्षीय समझौता भी है जिसपर रूस ने कभी भी आपत्ति नहीं जतलाई है.
कर्च जलडमरूमध्य की महत्ता
कर्च जलडमरूमध्य कृष्ण सागर (Black Sea) और अजोव सागर के बीच एकमात्र सम्पर्कसूत्र है. मात्र इसी से होकर यूक्रेन के दो बड़े बंदरगाहों – Mariupol और Berdiansk – तक पहुँचा जा सका है. 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्ज़ा कर लिया था और तब से वह कर्च जलडमरूमध्य पर नियंत्रण रखे हुए है जिसके कारण यूक्रेन के जहाजों को भयंकर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
अजोव सागर की महत्ता
यह सागर पूर्वी यूरोप में स्थित है. यह इसके दक्षिण में स्थित लगभग 4 किलोमीटर संकरे कर्च जलडमरूमध्य से कृष्ण सागर से जुड़ा हुआ है. इसीलिए इसे कभी-कभी कृष्ण सागर का उत्तरमुखी विस्तार भी कहा जाता है.
- अजोव सागर के उत्तर और पश्चिम में यूक्रेन है और पूर्व में रूस.
- दोन (Don) और कूबन (Kuban) वे दो बड़ी नदियाँ हैं जो इसमें आकर गिरती हैं.
- अजोव सागर की गहराई 0.9 और 14 मीटर के बीच है. अतः यह विश्व का सबसे छिछला सागर (shallowest sea) है.
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